इन दिनों हमारे देश का माहौल बहुत ख़राब है मित्रगण बात बात पर सर्टिफिकेट देने पर उतारू हो जाते हैं ! जहाँ भी बहस शुरू हुई फ़ौरन प्रमाण पत्र जारी करने लग जाते है कि
कौन धर्मी कौन विधर्मी , कौन देशभक्त कौन नहीं ,कौन अच्छा कौन बुरा , वगैरह वगैरह अभी कुछ ही दिनों पहले कि बात है मेरे दो परम मित्र जोकि पुश्तैनी तौर पर कांग्रेसी और भाजपाई थे वाक युद्ध में उलझ गए !
बहस के मुद्दे , अनन्त ,किसने आज़ादी की लडाई सच में लड़ी ,किसे राज करना चाहिए , आदि आदि ! दोनों पूरी तरह से एक दूसरे की पार्टी को देश के लिए खतरनाक बताने पर तुले हुए थे ! बहस यह भी थी कि देश के विभाजन के
लिए जिम्मेदार कौन है , जिन्ना ,नेहरू ,याके कोई और !
मित्रों के तर्क वितर्क समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहे थे और माहौल संवाद से झगडे की तरफ़ जाता दिखाई दे रहा था तभी चाय की दुकान वाले सज्जन ,जिनकी उम्र लगभग ८० वर्ष है और जीने के लिए चाय दुकान चलाते है ,ने बातचीत में दखल देते हुए पूछा कि बेटा तुम्हारी जन्म तिथि क्या है ?
दोनों मित्र इस आकस्मिक और अनपेक्षित सवाल से हैरान तो हुए मगर जबाब तो देना ही था , एक ने अपनी जन्म तिथि १९६० और दूसरे ने १९६३ बताई !
यह सुन कर वह सज्जन बोले कि बेटा , १९४७ में देश विभाजन के लिए नेहरू या जिन्ना या कि मैं भी जिम्मेदार हो सकता हूँ पर तुम दोनों तो बिल्कुल भी नहीं फ़िर लडाई क्यों कर रहे हो !
अब मैं सोच रहा हूँ कि क्या अपने जन्म से पहले की घटनाओं के लिए हम दोषी है और अगर नहीं तो हम चैन से क्यों नहीं रह सकते ! अतीत के कांडों के लिए जो लोग भी जिम्मेदार रहे हों उनके द्वारा छोड़ी कड़वाहट और धुवें की गंध के साथ हम क्यों जियें !
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