बुधवार, 17 अक्तूबर 2018

गंजा राजा


एक दिन सारे परिंदों ने तय किया कि उन्हें एक राजा की ज़रूरत है और राजा, वो परिंदा बनेगा जो सबसे ऊंचा उड़ेगा ! अगली सुबह सारे प्रतिस्पर्धी एक मैदान में इकट्ठा हुए और उल्लू की सीटी बजते ही आकाश की ओर उड़ चले, जैसे जैसे ऊंचाई बढ़ती जा रही थी, छोटे छोटे परिंदे थक कर वापस लौटने लगे, क्योंकि उन्होंने इससे पहले कभी भी इतनी ऊंची उड़ान नहीं भरी थी ! जल्द ही प्रतिस्पर्धा में केवल तीन परिंदे बाक़ी रह गए, एक तो गिद्ध, दूसरा उकाब और तीसरा बाज़ ! चूंकि प्रतिस्पर्धा के दौरान सूरज बेहद तप रहा था, सो बाज़ भी प्रतिस्पर्धा से बाहर हो गया !

 

इसके बाद उकाब और गिद्ध, ऊपर की ओर उड़ते रहे, यहां तक कि सूरज की गर्मी से दोनों पक्षियों के सिर के बाल / पंख झुलसने लगे थे और उनके सिरों में गंज दिखाई देने लगी थी, कुछ देर बाद उकाब भी गर्मी की ताब ना ला सका और होड़ से बाहर हो गया, जबकि गिद्ध लगातार ऊंचा उड़ता रहा, यहां तक कि उसके जिस्म के ज्यादातर पंख भी जल गए ! तब से गिद्ध,पक्षियों का राजा कहलाया, हालांकि उस दिन के बाद से उसके बच्चे भी गंजे सिर और नुचे / जले हुए पंखों वाले शरीर के साथ पैदा होते हैं...

 

विवेचनाधीन आख्यान, राजनैतिक अथवा सैन्य या फिर सामाजिक, धार्मिक नेतृत्व के लिए गढ़ा गया प्रतीत होता है, जिसमें विजेता शारीरिक क्षति को सहकर भी, अन्य प्रतियोगियों की तुलना में स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध करता है ! वो निकटतम शारीरिक दक्षता वाले अन्य परिंदों की तुलना में अपने धैर्यवान होने को प्रमाणित करता है ! कथा संकेत के अनुसार परिंदों का समाज विजातीय समाज है, जहां राजतांत्रिक परम्पराओं के अनुरूप, नेतृत्व की तलाश है और इस तलाश में सभी आकांक्षी-जनों को अपनी क्षमता प्रदर्शन का समान अवसर प्राप्त होता है ! कथा में यह उल्लेख नहीं मिलता कि प्रश्नाधीन समाज में विजातीयता कोई मुद्दा है ! ज़ाहिर है कि कथा उक्त समाज में व्यापित / मौजूद सामाजिक सहिष्णुता का प्रकटन करती है !

 

आख्यान में रोचक ढंग से प्रतिस्पर्धारत परिंदों को अधिकतम ऊंचाई / उच्चता / श्रेष्ठता की ओर जाना है ! उन्हें विपरीत परिस्थितियों यानि कि तीव्र ताप को सहन करना है ! छोटे परिंदों की सीमित शारीरिक क्षमता, उन्हें शीघ्र ही स्पर्धा से बाहर होने को विवश कर देती है किन्तु तीन ऐसे परिंदे, जिनकी उड़ान सामर्थ्य लगभग समतुल्य है, होड़ में बने रहते हैं !  इन तीनों में बाज, तीव्र ताप को सहन नहीं कर पाने के कारणवश सबसे पहले होड़ से बाहर हो जाता है ! जबकि उकाब और गिद्ध में लम्बे समय तक शक्ति प्रदर्शन चलता रहता है ! दोनों तीव्र ताप में झुलसते हैं और उनके शरीर रोम विहीन होने लगते हैं ! बहरहाल उकाब के रण छोड़ने तक गिद्ध के ज्यादातर बाल झुलस चुके होते हैं और वो लगभग गंजा हो कर भी स्पर्धा का विजेता बनता है !

 

कथा सार ये है कि शीर्ष पद / नेतृत्व हासिल करना, आपके धैर्य और शारीरिक क्षमता पर निर्भर करता है ! आप अपने पंख,अपने बाल, अपने ख़ूबसूरत सिर को बदसूरती में बदल सकते है ! आपकी आगत पीढियां शारीरिक बदलाव को वर्षों तक भुगतने को अभिशप्त हो सकती है पर श्रेष्ठता हासिल करना हो और खासकर विजातीय समाज में सबका सम्मान, तो ये मोल अधिक भी नहीं है ...