अमेरिकन इंडियंस
कहते हैं कि, मुद्दतों पहले हमिंग बर्ड बेहद सुरीली गायक हुआ करती थी, लेकिन उसे
ख़ुश्बूदार फूलों के नाभि रस से इस कद्र मुहब्बत थी कि वो बर-हमेश इसी जतन में लगी
रहती कि जितना ज्यादा हो सके, रस पी ले ! बहरहाल उसकी हवस का नतीजा ये हुआ कि मृदु
पेय पी पी कर उसका गला चोक होने लगा और उसकी छाती में कफ की मात्रा बढ़ने लगी !
चूंकि वो अपना
ज्यादातर वक्त फूलों के इर्द गिर्द मंडराते हुए बिताती थी, सो उसके पास गायकी के
रियाज़ का वक्त कम पड़ने लगा ! नतीजतन सालों-साल तक बे-रियाज़ी रहने, गले के चोक हो
जाने और लंबे वक्त से जमें कफ की वज़ह से उसकी आवाज गुम होने लगी और आहिस्ता
आहिस्ता पूरी तरह से खो गई बस यही वज़ह है कि हमिंग बर्ड सिर्फ गुन गुन कर पाती है
! बहरहाल इसका मतलब ये भी नहीं कि वो शब्दों को भूल गई हो...
कहने के लिए ये कथा बेहद मुख़्तसर है और अमेरिकन इंडियंस जैसे, सूदूर धरातल पर खदेड़ दिए गए, कदाचित श्वेतवर्णी यूरोपीय विजेताओं द्वारा नागरिक अधिकारों और नैसर्गिक संसाधनों से वंचित कर दिए गए, आदिम समाज की वाचिक परम्परा का हिस्सा है ! संभव है कि अमेरिकन लोकतंत्र में इस समुदाय को हीनता बोध / घृणा के साथ देखा जाता हो और नतीजतन दुनिया को कृष्णवर्ण जीवन मानी खेज / महत्वपूर्ण है कहने की नौबत आ गई हो !
विचार यह है कि बाह्य दृष्टि से कोई सामाजिक समूह, कमजोर /
दोयम दर्जा / हीन दिखाई दे सकता है पर सामाजिक - प्राकृतिक जीवन के लिए उसकी समझ
बेहद गहरी और उत्कृष्ट बौद्धिक विरासत के सुबूत दे सकती हैं, यानि कि उस समाज की
वाचिक परम्परायें बेहद समृद्ध हो सकती हैं ! सो हमिंग बर्ड के बारे में अमेरिकन
इंडियंस की इस कथा से यह धारणा पुष्ट होती है कि यह समाज, पर्यावरणीय समझ और कलात्मक
उपलब्धियों की दृष्टि से अद्भुत चिंतन परम्परा का सहयात्री है !
कथा संकेत यह है कि निष्णात / फनकार के लिए, सुर की सतत साधना / मुतवातिर रियाज बेहद महत्वपूर्ण है, कोई कितना भी बड़ा गायक हो, उसे अपने हुनर को लगातार तराशते रहना होगा, वरना वो अपनी लय-कारी, गायकी की श्रेष्ठता से हाथ, धो सकता है ! वे सतत सुर साधना करने के समांनातर यह कथन भी करते हैं कि निष्णात / हुनरमंद की दृष्टि अपने हुनर में केन्द्रित रहनी चाहिए ! आशय यह है कि भटकाव आपके लक्ष्य संधान की क्षमता को सीमित कर देता है !
नि:संदेह हमिंग बर्ड अतीत में एक शानदार गायक रही होगी और
उसे वे शब्द भी याद होंगे जो उसकी गायकी का हिस्सा थे लेकिन रियाज की कमी और स्वाद
के मोह ने उसे पथ-च्युत कर दिया ! उसमें मृदु पेय की हवस थी यानि कि उसका स्वाद
मोह अतिरेक पर था और गायकी की रियाजत न्यूनतम...सो जो हुआ वो स्वभाविक था ! बहरहाल
अमेरिकन इंडियंस की हमिंग बर्ड को लेकर कही गई ये कथा इंसानों से सांकेतिक प्रतीति
तो रखती ही है...