सोमवार, 4 जून 2018

किन्नर - 6


किन्नर सीमा कियान के पिता निपुण खगोलशास्त्री और दरबारी इतिहासकार थे, उन्हें अर्वाचीन शाही चीनी दरबारों की दैनिन्दिक गतिविधियों का अभिलेखन करना पड़ता था ! अपनी मृत्यु शैय्या पर उन्होंने अपने पुत्र सीमा कियान से अनुरोध किया कि वो अपने पिता के महत्वपूर्ण कार्यों को आगे भी जारी रखे ! सीमा कियान ने अपने पिता के आग्रह को स्वीकार करते हुए, चीनी कैलेंडर में संशोधन के साथ ही साथ,ज्ञात चीनी इतिहास का दस्तावेजीकरण किया ! कहते हैं कि सम्राट वू ने अपने सेना प्रमुख ली लिंग को किसी घुमक्कड समूह / खानाबदोश कबीले से युद्ध करने भेजा था यह युद्ध ली लिंग हार गया !

इसके बाद सम्राट वू ने ली लिंग के पूरे परिवार को मृत्यु दंड की सजा सुना दी चूंकि सीमा कियान ने इस मुद्दे में ली लिंग की ओर से पैरवी की थी अतः सम्राट वू ने उसे भी मृत्यु दंड अथवा बंध्याकृत होने की सजा सुनाई थी ! सीमा कियान ने बंध्याकृत / किन्नर होने का विकल्प चुना ताकि वह जीवन जिये और अपनी किताब / संचित ज्ञान के अभिलेख, मुकम्मल कर सके ! कथानक से स्पष्ट है कि सीमा कियान एक सामान्य पुरुष था, किन्तु उसे पराजित सेना प्रमुख ली लिंग की पैरवी करने के कारण से बंध्याकृत होने अथवा मृत्यु दंड स्वीकार करने का विकल्प दिया गया था !

उसने बंध्याकृत जीवन चुना ताकि वो अपने अर्जित / संचित ज्ञान का दस्तावेजीकरण कर सके, यदि वह मृत्यु को चुनता तो यह निश्चित था कि दस्तावेजीकरण के अभाव में ज्ञान विलोपित हो जाता ! यूं तो किसी आरोपी को न्याय दिलाने के नाम पर, न्याय पीठ के समक्ष, आरोपी के उज्जवल पक्ष, रखना कोई अपराध नहीं है, यदि सीमा कियान ने ऐसा किया तो इसमें अनुचित क्या था ? बहरहाल हमें स्मरण रहना चाहिए कि सीमा कियान किसी लोकतांत्रिक न्याय व्यवस्था में, आरोपी का पैरवीकार नहीं था !

दरअसल वो निरंकुश राजवंश की निरंकुश और व्यक्ति आग्रही / व्यक्ति केंद्रित, न्याय व्यवस्था के समक्ष, न्याय का पक्षकार बनना चाहता था ! राजतन्त्र के समक्ष खड़े ऐसे पक्षकार को दण्डित किये जाने के खतरे तो खैर होते ही हैं ज़ाहिर है कि सीमा कियान ने जोखिम मोल लिया ! उसे मृत्य दंड के समानान्तर पौरुष को आहत करने वाली सजा में से किसी एक को चुनना था ! उसने पौरुष के अभिमान का परित्याग किया ! सीमा कियान सृजन धर्मी पिता का सृजन धर्मी पुत्र था !

उसने सृजन धर्मिता को जीवित रखने के लिये स्वयं के पुरुषत्व को मर जाने दिया ! उसे चीनी इतिहास के महत्वपूर्ण नायको में गिना जाएगा क्योंकि वो निरंकुश व्यवस्था के समय में न्याय के पक्ष में खड़ा था और उसने समय की गणना को संशोधित तथा व्यवस्थित करने का प्रयास किया ! चीनी इतिहास का दस्तावेजीकरण उसके मुकुट में एक और मोर पंख है !