जेन द जुंग
मध्य चीन का शक्तिशाली सम्राट था । उसके
महल के चारों ओर परिंदे, फूल और कुदरत के शानदार नज़ारे थे, किन्तु उसे साम्राज्य
विस्तार और युद्धों से फुर्सत नहीं थी, हालांकि उसके मंत्रिमंडल और सलाहकारों में
विद्वतजनों की कोई कमी नहीं थी, चूंकि सम्राट ने अपना अधिकतम समय राज काज को दे
रखा था अतः उसे ब्याह के लिये उपयुक्त स्त्री चुनने का समय नहीं मिला सो उसने अपने
रनिवास में मादाम ल्यू और मादाम ली नाम की दो स्त्रियों को अपनी रखैलों की तरह से रख
छोड़ा था । जहां सम्राट, मादाम ली के रूप
सौंदर्य का शैदाई था वहीं मादाम ल्यू का वाक् चातुर्य उसे बाँध कर रखता । लंबे समय बाद सम्राट को उत्तराधिकारी की चिंता
हुई तो उसने अपनी पत्नियों से कहा कि मुझे साम्राज्य का उत्तराधिकारी चाहिए, मादाम
ली ने सिर झुका कर कहा, जो आप चाहें । मादाम
ल्यू ने कहा मैं भी आपकी इच्छा पूर्ति के
लिये तत्पर हूं । सम्राट ने कहा चूंकि मैं
तुम दोनों से समान प्रेम करता हूं अतः तुममे से किसी एक को चुनना कठिन है, इसलिए
तुममे से जिसे भी पुत्र प्राप्त होगा वही मेरी साम्राज्ञी बनेगी । सम्राट ने यह सोचा भी नहीं था कि उसके शब्द उसकी
पत्नियों के मध्य बैर भाव और ईर्ष्या की दीवार खड़ी कर देंगे ।
कुछ ही
दिनों में पता चला कि मादाम ली गर्भवती है और शाही भविष्यवक्ता के कथनानुसार उसे
पुत्र रत्न प्राप्त होने की सम्भावना थी । सम्राट प्रसन्न था और उसने मादाम ली को स्वर्ण
आभूषणों सहित बेशकीमती तोहफे दिये किन्तु मादाम ल्यू इस घटनाक्रम से दुखी थी वो
अलग थलग रहती और मादाम ली के विषय में सोचा करती थी । फिर एक दिन उसने महल में उसके प्रिय और विश्वस्त
किन्नर गुओ हुआ ई से अपनी चिंता साझा करते हुए सलाह माँगी । गुओ हुआ ई बचपन से ही महल में रहता था,उसने मादाम
ल्यू से कहा कि मैं भी दुखी हूं और आपकी चिंता मेरी भी है । महल परिसर में वे दोनों ऊपरी तौर पर
प्रसन्नचित्त होने का दिखावा करते लेकिन अंदर ही अंदर षड्यंत्र रचते । गुओ हुआ ई की सहानुभूति पाकर मादाम ल्यू का
हौसला बढ़ा किन्तु अगले कुछ दिन चिंता जनक थे । मादाम ली
ने एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया जिसे नर्म कपड़े में लपेट दिया गया मादाम ली पिछले
दिनों की थकान से चूर थी अतः उसे गहरी नींद आ गई।
शाम को जागते ही उसने अपने शिशु को देखने की इच्छा व्यक्त की तो महिला सेविका ने उसके बाजू में कपड़े में सख्त बंधा हुआ एक शिशु रख दिया जोकि पिलपिले मांस के लोथड़े जैसा था, उसके छोटे कान और बिल्ली जैसी आंखें थीं । मादाम ली को विश्वास ही नहीं हुआ वो जोर जोर से चिल्लाने और रोने लगी । महल में अफवाह फ़ैल गई कि मादाम ली ने राक्षस को जन्म दिया है । सम्राट यह सुनकर क्रोधित हो गया और उसने आदेश दिया कि मादाम ली को तत्काल महल से निकाल कर नौकरों के कमरों में विस्थापित कर दिया जाए । दूसरी ओर नर्म कपड़े में लिपटा हुआ सुंदर शिशु मादाम ल्यू के कक्ष में मौजूद था । मादाम ल्यू ने बुदबुदा कर गुओ हुआ ई से पूछा, यह यहां क्या कर रहा है, इसे यहां रख कर मैं फंस जाऊंगी, किन्नर गुओ हुआ ई ने सर्द लहजे में कहा, यह बहस का वक्त नहीं है, मैंने इसकी जगह बिल्ली के बच्चे को मारकर, मादाम ली के कक्ष में रख दिया था । वह आत्म संतुष्ट था और मुस्कराया मादाम ल्यू समझ गई कि वह अनावश्यक झमेले में फंस चुकी है ।
मादाम ल्यू
के पास ज्यादा विकल्प शेष नहीं थे, उसने मजबूर होकर अपनी दासी पर्ल को बुलाया और
आदेश दिया कि नवजात शिशु को टोकरी में रखकर नदी में बहा दे और किसी को कान-ओ-कान
खबर भी नहीं होनी चाहिए वर्ना उसे मृत्यु दंड दे दिया जाएगा । सेविका पर्ल डर गई लेकिन उसे मादाम ल्यू का आदेश
मानना ही पड़ा, वो चुपचाप शिशु को टोकरी में लेकर नदी की ओर चल पड़ी, उसकी आंखों में
आंसू थे और उसका जिस्म थरथरा रहा था । वो
थोड़ी देर तक नदी के किनारे हतप्रभ / उदास बैठी रही, अचानक ही उसने अपने बगल में
चिन लेन को खडा पाया, चिन लेन जोकि सम्राट का विश्वस्त किन्नर था, उसके उच्च
आदर्शों और नैतिक चरित्र के कारण महल में सभी उसकी इज्जत करते थे, वो सम्राट के
चचेरे भाई सामंत जा ऊ को फलों की टोकरी पहुचाने जा रहा था, किन्तु पर्ल को देख कर,
वहीं रुक गया और उसने पर्ल से पूछा तुम क्यों रो रही हो ? पर्ल चुप रही । उसने सख्त हाथों से पर्ल की टोकरी पकड़ी और कहा
चुप हो जाओ और मुझे बताओ, बात क्या है ? पर्ल फंस चुकी थी और चिन लेन की सहृदयता
पर विश्वास करने के अतिरिक्त उसके पास और कोई चारा भी नहीं था, उसने सारा घटनाक्रम
चिन लेन को बता दिया ।
चिन लेन अवाक होकर सुनता रहा, फिर उसने कहा बच्चे को मुझे सौंप दो मैं इसे सामंत जा ऊ को सौंप दूंगा वे भी निःसंतान हैं, तुम मादाम ल्यू से झूठ बोल देना कि तुमने उनके आदेश का पालन करते हुए शिशु को नदी में बहा दिया है । पर्ल ने सहमति में सिर हिलाया । संयोगवश सामंत जा ऊ के घर जाते हुए चिन लेन को गुओ हुआ ई ने देख लिया, वह टोकरी देख कर सशंकित था, उसने चिन लेन से पूछा यह क्या है ? चिन लेन ने कहा कि मैं सम्राट की ओर से फलों का उपहार सामंत जा ऊ को पहुंचाने जा रहा हूं , गुओ हुआ ई टोकरी खोल कर देखना चाहता था किन्तु चिन लेन ने उसे ऐसा नहीं करने दिया, उसने कहा यह टोकरी स्वयं सम्राट द्वारा सील बंद की गई है सो तुम इसे नहीं खोल सकते । इसके बाद वह सामंत जा ऊ के घर पहुंचा और घटनाक्रम विवरण देते हुए कहा कि आप इस बच्चे को गोद ले लें क्यों कि यह राज्य का उत्तराधिकारी है । सामंत जा ऊ और उसकी पत्नि इस हेतु सहर्ष तैयार थे और फिर समय बीतता गया...एक वर्ष होते ही शिशु अपने पैरों पर थिरकने लगा ।
अक्सर उसके सुंदर मुख पर वही मुस्कान होती जोकि उसकी मां मादाम ली से उसे विरासत में मिली थी, वह उद्यान में भागता फिरता और झींगुर / तितलियों को पकड़ने की कोशिश करता । इसी दौरान मादाम ल्यू ने एक पुत्र को जन्म दिया, सम्राट ये खबर पाकर बहुत खुश हुआ और उसने मादाम ल्यू को साम्राज्ञी घोषित कर दिया हालांकि दो तीन महीने के बाद यह शिशु बीमार होकर काल के गाल में समा गया । सम्राट ने कहा मैं निःसंतान रह गया । शोक संतप्त होकर उसने स्वयं को एक कक्ष में सीमित कर लिया और राजकाज मादाम ल्यू देखने लगी । दु:खी सम्राट को याद आया कि बचपन और नौजवानी के दिनों में वो अपने चचेरे भाई जा ऊ के साथ दिन गुज़ारा करता था । उसने सोचा कि दुःख को कम करने के लिये भाई से मिलकर बातें करना उचित होगा सो वह सामंत जा ऊ के घर जा पहुंचा । सामंत जा ऊ ने उसका स्वागत किया । वे दोनों खूबसूरत बागीचे में बैठकर गर्म चाय के घूँट लेते हुए गपशप करने लगे । तभी नन्हा शिशु बागीचे में आ पहुंचा जिसे देखकर सम्राट चौंक गया उसने सामंत जा ऊ से कहा, भाई मैं निःसंतान ही रहा । क्या तुम मुझे यह बच्चा सौंप सकते हो ।
चिन लेन अवाक होकर सुनता रहा, फिर उसने कहा बच्चे को मुझे सौंप दो मैं इसे सामंत जा ऊ को सौंप दूंगा वे भी निःसंतान हैं, तुम मादाम ल्यू से झूठ बोल देना कि तुमने उनके आदेश का पालन करते हुए शिशु को नदी में बहा दिया है । पर्ल ने सहमति में सिर हिलाया । संयोगवश सामंत जा ऊ के घर जाते हुए चिन लेन को गुओ हुआ ई ने देख लिया, वह टोकरी देख कर सशंकित था, उसने चिन लेन से पूछा यह क्या है ? चिन लेन ने कहा कि मैं सम्राट की ओर से फलों का उपहार सामंत जा ऊ को पहुंचाने जा रहा हूं , गुओ हुआ ई टोकरी खोल कर देखना चाहता था किन्तु चिन लेन ने उसे ऐसा नहीं करने दिया, उसने कहा यह टोकरी स्वयं सम्राट द्वारा सील बंद की गई है सो तुम इसे नहीं खोल सकते । इसके बाद वह सामंत जा ऊ के घर पहुंचा और घटनाक्रम विवरण देते हुए कहा कि आप इस बच्चे को गोद ले लें क्यों कि यह राज्य का उत्तराधिकारी है । सामंत जा ऊ और उसकी पत्नि इस हेतु सहर्ष तैयार थे और फिर समय बीतता गया...एक वर्ष होते ही शिशु अपने पैरों पर थिरकने लगा ।
अक्सर उसके सुंदर मुख पर वही मुस्कान होती जोकि उसकी मां मादाम ली से उसे विरासत में मिली थी, वह उद्यान में भागता फिरता और झींगुर / तितलियों को पकड़ने की कोशिश करता । इसी दौरान मादाम ल्यू ने एक पुत्र को जन्म दिया, सम्राट ये खबर पाकर बहुत खुश हुआ और उसने मादाम ल्यू को साम्राज्ञी घोषित कर दिया हालांकि दो तीन महीने के बाद यह शिशु बीमार होकर काल के गाल में समा गया । सम्राट ने कहा मैं निःसंतान रह गया । शोक संतप्त होकर उसने स्वयं को एक कक्ष में सीमित कर लिया और राजकाज मादाम ल्यू देखने लगी । दु:खी सम्राट को याद आया कि बचपन और नौजवानी के दिनों में वो अपने चचेरे भाई जा ऊ के साथ दिन गुज़ारा करता था । उसने सोचा कि दुःख को कम करने के लिये भाई से मिलकर बातें करना उचित होगा सो वह सामंत जा ऊ के घर जा पहुंचा । सामंत जा ऊ ने उसका स्वागत किया । वे दोनों खूबसूरत बागीचे में बैठकर गर्म चाय के घूँट लेते हुए गपशप करने लगे । तभी नन्हा शिशु बागीचे में आ पहुंचा जिसे देखकर सम्राट चौंक गया उसने सामंत जा ऊ से कहा, भाई मैं निःसंतान ही रहा । क्या तुम मुझे यह बच्चा सौंप सकते हो ।
सामंत जा ऊ के लिये सम्राट की इच्छा आदेश के समान थी उसने कहा ठीक है , हालांकि हम इसकी कमी महसूस करेंगे पर यह बच्चा आपका हुआ । आपकी इच्छा का मान रखते हुए हम पति पत्नि स्वयं को गौरान्वित महसूस कर रहे हैं । बच्चा साम्राज्ञी मादाम ल्यू को सौंप दिया गया, वो प्रथम दृष्टया दु:खी सम्राट के उत्तराधिकारी को पाकर खुश हुई फिर उसे लगा कि शिशु का चेहरा मादाम ली से साम्य रखता है । यूं समझिए कि उसे दु:स्वप्न आने लगे, महल में इस साम्य की चर्चा होने लगी थी । मादाम ल्यू ने गुओ हुआ ई से सलाह माँगी । सच का पता कैसे चलेगा ? गुओ हुआ ई को चिन लेन के हाथों वाली टोकरी याद आ गई उसे हालात चिंता जनक लगे, उसने आज्ञा दी, दासी पर्ल और चिन लेन को उसके सामने हाज़िर किया जाए । गुओ हुआ ई ने पर्ल से पूछा कि क्या तुमने सच में शिशु को नदी में बहा दिया था ? उसने कहा हां, गुओ हुआ ई ने कहा, यह सच नहीं बोल रही है, इसकी बेंत से पिटाई की जाये तब मुंह खोलेगी । मादाम ल्यू को पिटाई वाला विचार पसंद नहीं था पर वो सच जानने के लिये चुप रही ।
चिन लेन, पर्ल को कष्ट में नहीं देखना चाहता था । हालांकि पर्ल, बेदम पिटाई की ताब ना ला सकी और वो वहीं मर गई । चिन लेन समझ गया कि अब उसकी और शायद बाद में मादाम ली की जान खतरे में पड़ने वाली है, वह नौकरों के घर की तरफ भागा और मादाम ली से निवेदन किया कि सब कुछ छोड़कर भागने का समय आ चुका है, किसी समय, सम्राट की चहेती रही, मादाम ली अब महल से बाहर, भिखारियों जैसे हालात में दिन गुज़ारने को मजबूर थी ।उनके पलायन के बाद मादाम ल्यू और गुओ हुआ ई सत्य जान ही नहीं सके । इसके बाद सम्राट दस साल तक जीवित रहा पर...उसे भी पता नहीं चला कि उसका पालित पुत्र वास्तव में उसका अपना जैविक पुत्र है । सम्राट की मृत्यु के बाद उसे ससम्मान मकबरे में दफन कर दिया गया और इतने ही सम्मानजनक तरीके से किशोर हो चले शिशु का राज्याभिषेक कर दिया गया । कुछ समय बीता...उन दिनों एक चतुर न्यायाधीश था जिसने कई कठिन प्रकरण सुलझाए थे, अकस्मात ही उसके सामने एक गंदी वेशभूषा वाली स्त्री चिल्लाने लगी, न्याय नहीं हुआ, न्याय नहीं हुआ । सम्राट मेरा पुत्र है ।
न्यायाधीश को उत्सुक्ता हुई । उसने स्त्री से अकेले में बात की, स्त्री ने कहा कि मैं मादाम ली हूं और उसने सम्पूर्ण घटनाक्रम न्यायाधीश को बताया, चूंकि घटना क्रम शाही परिवार से जुड़ा हुआ था सो न्यायाधीश ने गरिमापूर्ण ढंग से सुनवाई करने और मामले की जांच करने का निर्णय लिया । किन्नर गुओ हुआ ई बयान देते समय सभी बातों से मुकर गया । उसने कहा कि एक गंदी स्त्री के कल्पित आरोप के आधार पर आप मुझ पर कोई आरोप प्रमाणित नहीं कर सकेंगे । न्यायाधीश ने कहा जब तक कि स्त्री का आरोप गलत सिद्ध नहीं हो जाता तब तक तुम हिरासत में रहोगे । न्यायाधीश ने योजनानुसार अपनी जेल के किनारे स्थित एक कक्ष को नर्क की शक्ल दे दी और कर्मचारियों को जानवरों के वेश में तैयार किया । इसके बाद आधी रात को जेल में शराब और मांस के भोज्य पदार्थों साथ किन्नर गुओ हुआ ई को एक सन्देश दिया गया कि इसे मादाम ल्यू ने भेजा है । गुओ हुआ ई ने सोचा कि रानी उसे अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके बचा लेगी । अच्छा खाना खाकर गुओ हुआ ई खर्राटे भरने लगा । तभी उसकी कोठरी के बगल वाले कमरे से नर्क जैसा शोर उठा, आवाजें तेजतर होती जा रही थीं ।
गुओ हुआ ई डर गया उसे लगा यह सच है । ढोलों की गूँज जानवरों के शोर के बीच आवाज आई, यह न्याय का दिन है । तुम्हें अपने किये का अंजाम भुगता पड़ेगा । जंजीरों से बंधे हुए गुओ हुआ ई को बगल के कक्ष में लाया गया, जहां का माहौल देख कर उसे विश्वास हो गया कि वो नर्क में है, शैतान के राज्य में । तभी आवाज गूंजी पर्ल को लाया जाय । लबादे में लिपटी पर्ल (वास्तव में अन्य स्त्री) बुदबुदा रही थी । उसने गुओ हुआ ई के कारनामों के बारे में बयान देना शुरू कर दिया । गुओ हुआ ई, दिवंगत हो चुकी पर्ल को बयान देते देख कर आतंकित हो गया और चिल्लाया मुझे नर्क में मत भेजो । यह सब मादाम ल्यू की गलती है मैंने जो भी किया उनके आदेश पर किया । वो घुटनों के बल जमीन पर गिर गया, उसकी स्वीकृति के साथ ही नाटक का पटाक्षेप हो चुका था और गुओ हुआ ई को मृत्यु दंड दिया गया । मादाम ल्यू को एकांतवास दे दिया गया, जहां उसने भोजन का परित्याग कर के अपने प्राण त्याग दिये...किशोर सम्राट ने अपनी मां मादाम ली को साम्राज्ञी घोषित कर दिया, यह पुनर्मिलन सुखद था ।
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