शताब्दियों पहले की बात है जब एक उल्लू अपनी पत्नि और
बच्चों के साथ मूल अमेरिकन इन्डियंस के एक गांव में रहता था ! लेकिन वो जब भी
शिकार के लिये जाता, उसे हिरण का शिकार नहीं मिलता...इस कारण से उसके पूरे परिवार
को बलूत के बीजों को खाकर गुज़ारा करना पड़ता ! उसके परिजन भुखमरी का शिकार होने लगे
थे ! एक रात उसकी पत्नि ने ये महसूस किया कि उल्लू घर के शेष सदस्यों जैसा
दुर्भिक्ष पीड़ित / सूखा दिखाई नहीं देता, सो उसने सोने का नाटक करते हुए अपनी
आंखें बंद कर लीं !
पत्नि को सोता हुआ समझ कर उल्लू उठा और पत्थर के नीचे छिपा कर
रखे गये मांस के टुकड़े को निकाल कर खा गया ! उसकी पत्नि ने सोने का अभिनय करते हुए
यह सब देखा ! अगली बार जैसे ही उल्लू शिकार के लिये घर से बाहर निकला,
उसकी पत्नि ने मांस छिपाने की जगह से मांस निकाला और बच्चों के साथ ही साथ खुद भी
खा लिया ! बच्चों को खाने से ताकत मिली और वे खेलने के लिये बाहर चले गये ! जब उल्लू
घर वापस आया तो बच्चों को बाहर खेलते देख कर बहुत नाराज हुआ ! वो पत्नि पर
चिल्लाया !
लेकिन पत्नि उससे ज़रा सा भी भयभीत नहीं थी, उसने कहा, मैंने मांस पा
लिया है जोकि तुमने छिपाया था ! तुमने अपने ही बच्चों को भूख से मरता हुआ छोड़ दिया
था ! इसलिए मैं तुम्हें घर से बाहर निकाल रही हूं, तुम स्वयं ही यहां से चले जाओ
वर्ना मैं अपने भाइयों को बुलाऊंगी ! उल्लू वहां से चला गया...उसी दिन से वो,
मनुष्यों के निकट नहीं रहता ! अंधेरे में रहता और खाता है !
कथा का खलनायक पति, वास्तव में उल्लू नहीं है बल्कि उसे
अपने पारिवारिक दायित्वों से विमुख बने रहने, निजहित केंद्रित / स्वार्थी होने के कारण से उल्लू कह कर संबोधित
किया गया प्रतीत होता है, इस तथ्य कि पुष्टि, कथा में मौजूद इस संकेत से भी की जा सकती है कि वो हिरण के शिकार की सामर्थ्य
रखता था जोकि उसे कथित रूप से मिलता ही नहीं था ! बहरहाल इस आख्यान को मोटे तौर पर
सपाट बयान आख्यान के तौर चिन्हित किया जा सकता है ! एक पत्नि की अपेक्षाओं के
प्रति उदासीन और उसके शिशुओं के पालन पोषण के दायित्वों से विमुख पति के गृह निषेध
का परिणाम अनपेक्षित नहीं है !
महत्वपूर्ण उल्लेख यह कि पति के रंगे हाथों पकड़े जाने के
समय, पत्नि, सजा की उद्घोषणा के समय, सजा को लागू करने की प्रतिबद्धता इस कथन के
साथ स्पष्ट करती है कि सजा को स्वीकार करने में पति की आनाकानी की स्थिति में वो
अपने भाइयों की सहायता लेगी, स्पष्टतः प्रत्येक समाज की तरह से यहां भी
सम्बन्धियों के हस्तक्षेप की संभावना मुखर बनी हुई है ! परिवार / समाज बहिष्कृत व्यक्ति
के मनुष्यों से दूर, अंधेरे में बने रहने और खाने का उल्लेख सांकेतिक है, कहने का आशय
यह कि पति अपने अपराध के लिये दिन के उजाले में मुंह दिखाने योग्य नहीं है !