बेहद सकरी गली थी, लड़का किनारे हट गया । सामने लड़कियां
झुण्ड में थीं, पीछे चल रही लड़की की कद काठी रंगत को नापने तोलने से पहले ही, उनकी
निगाहें मिली, परम आह्लाद, अनिवर्चनीय आनंद का समय, ब्रह्माण्ड ठहर गया हो जैसे । झुण्ड से आवाज उठी, चलो भी, तिलस्म टूटा...फिर प्रेम या कि ईश्वर, जो भी था, वहां
नहीं रहा ।