पोलिनेशियंस
कहते हैं कि, मुद्दतों पहले की बात है, जबकि हिना नाम की एक अप्रतिम सौंदर्यवती युवती थी ! सूर्य किरणें प्रतिदिन
उसके रेशमी बालों और नाजुक त्वचा चूमतीं ! उसका विवाह ईल राजकुमार से होना तय हुआ
था, किन्तु वो अपने भावी जीवन साथी के विकराल शरीर और
महाकाय सिर से भयाक्रांत थी ! एक रात हिना अपने घर से भाग निकली और उसने
मत्स्याखेट तथा वन्य-जीव आखेट के देवता हिरो के घर पनाह ली ! हिना की सुंदरता की
चकाचौंध और उसके इतिहास से प्रभावित होकर हिरो ने हिना के बालों से एक फंदा बनाया और
आगंतुक ईल राजकुमार को उस फंदे में फंसा लिया...फिर ईल राजकुमार के टुकड़े टुकड़े कर
डाले और उसके सिर को पत्तियों की एक टोकरी रख दिया ! ...अपनी मृत्यु से पूर्व
प्रेमी राजकुमार ईल ने हिना से कहा कि तुम्हारे साथ ही साथ वे सभी मनुष्य जो कि
मुझसे घृणा करते हैं, आगत दिनों में मेरा चुम्बन कर, मेरे प्रति धन्यवाद ज्ञापित करेंगे, यद्यपि आज
मेरा मरना सुनिश्चित है...किन्तु मेरा श्राप भी शास्वत है !
देवता हिरो ने
ईल राजकुमार के कटे हुए सिर वाली पत्तों की टोकरी, हिना को सौंपते हुए
कहा कि, ओ सुंदर युवती अब तुम अपने घर वापस लौट सकती हो और
वहाँ इस सिर को नष्ट कर देना, लेकिन स्मरण रहे कि, तुम्हारी सम्पूर्ण यात्रा के दौरान इस सिर को जमीन पर मत रखना वर्ना
दिवंगत ईल युवक का श्राप सत्य हो जाएगा ! अपनी घर वापसी के समय हिना और उसके संगी
साथी काफी थक चुके थे, पसीने और गर्मी से बदहाल, वे सभी नदी में स्नान करना चाहते थे, उन्हें स्मरण
ही नहीं रहा कि, आखेट देवता हिरो ने उन्हें क्या चेतावनी दी
थी ! ईल राजकुमार के सिर वाली टोकरी जैसे ही जमीन पर रखी गयी, वह धरती पर गहरे धंस गई और उसमें से एक बड़ा पेड़ उग गया...किसी लंबी सूंड
के जैसा...कदाचित एक विशाल ईल की तरह का! जिसमें बालों
के जैसे रेशे और पत्ते थे ! यह नारियल का वृक्ष था ! देवता ने हिना की निंदा की,
क्योंकि नदी तट पर उसकी लापरवाह उपस्थिति के कारण ही ईल, नारियल का वृक्ष बन पाया !
देवता ने उसे
वर्जित वृक्ष घोषित किया...लेकिन वह, उस दिन से आज तक के समस्त मौसमों में निरंतर जीवित
बना रहा ! जब भूमि पर भयंकर सूखा पड़ता है, तब भी नारियल का
वृक्ष सूर्य ताप का सक्षम प्रतिरोध करता है ! देवता द्वारा वर्जित घोषित किये जाने
बाद भी मनुष्य, इसके फल तोड़ते हैं, जोकि
शुद्ध, स्वच्छ और पोषक जल से भरपूर होते हैं ! आख्यान कहता
है कि प्रत्येक नारियल में तीन निशान अंकित होते हैं, दो
आँखों के जैसे और तीसरा किसी मुंह के जैसा, जिससे अपने ओंठ
लगा कर मनुष्य, नारियल पानी पीते हैं, लगभग
चुम्बन की तरह की मुद्रा में ! भीषण गर्मी और सूखे के एक मौसम में, हिना ने भी ऐसा ही किया...और इस तरह से ईल राजकुमार की भविष्य वाणी सत्य
सिद्ध हुई !
धरती पर नारियल
की मौजूदगी को लेकर पोलिनेशियाई मिथक के अतिरिक्त, अन्य जनश्रुतियां
भी मौजूद हैं , मिसाल के तौर पर अचोटे कबीले के मुखिया की
बेहद खूबसूरत लड़की, शिद्दत की प्यास के समय पेय पदार्थ
उपलब्ध नहीं होने के कारण मर जाती है, उसके पिता उसे गाँव की
निकटस्थ पहाड़ी के ऊपर दफना देते हैं और उसकी कब्र के ऊपर एक सुंदर शिला रख कर,
रंगीन फूलों के कई पौधे रोप देते हैं ! कुछ दिनों के बाद ग्रामीण ध्यान
देते हैं कि युवती की कब्र से एक अनचीन्हा सा पौधा उग आया है जो कि अगले पांच
वर्षों में तकरीबन बीस फीट ऊंचा हो जाता है और उस पर, पहले
कभी ना देखे गये, फल लगने लगते हैं, इन
अनजान फलों को स्वयं खाने के बजाये लड़की का पिता अपनी पत्नी से कहता है कि वह इसे
खाकर देखे ! दिवंगत युवती की मां उसके स्वाद की
प्रशंसा करती है और तब से अचोटे कबीले के लिए नारियल खाने योग्य प्रमुख फल बन गया
है !
इसी प्रकार से
फिलीपींस की एक लोक कथा के मुताबिक, सुंदर राजकुमारी के प्रेमी को उसका प्रणय
प्रतिद्वंदी धोखे से मार डालता है, प्रेयसी अपने प्रेमी के
कटे हुए सिर को सम्मान पूर्वक दफन कर देती है, ऐन उसी जगह से
एक छोटा वृक्ष उपजता है, जो देखते ही देखते बड़ा हो जाता है,
यह नारियल का वृक्ष था, जिसके फल, मनुष्य के सिर के जैसे दिखते हैं ! कथा का
प्रेमी घोषित रूप से साधारण माली का पुत्र था, जबकि
राजकुमारी के पिता ने राजकुमारी के विवाह के लिए कुलीन युवकों के मध्य
प्रतिस्पर्धा रखी थी ! इन तीनों कथाओं में साम्य यह है कि, नारियल
का वृक्ष, धरती पर पहले पहल, दिवंगत /
मार दिये गये प्रणय पक्ष की समाधि से उपजता है ! गौर तलब है कि फिलीपींनी और
पोलेनेशियाई कथा में मृतक पात्र पुरुष है, जबकि अचोटे कथा की
मृतात्मा स्त्री ! दिलचस्प बात ये है कि नारियल वृक्ष के जन्म के लिए उत्तरदाई,
अचोटे युवती, कबीले के मुखिया की पुत्री है
यानि कि कुलीन परिवार से है और फिलीपीनी कथा का नायक, जिसे
सार्वजानिक रूप से साधारण माली का पुत्र घोषित किया गया है, उसे
कथा की नायिका किसी राज्य के निष्कासित राजकुमार रूप में जानती है, मतलब ये कि वो भी कुलीन परिवार का अंश है !
फिलीपीनी और
अचोटे परिवारों की कुलीनता के कथन को, नारियल जैसे, पूज्यनीय / पूजन
सामग्री योग्य / सम्मान के उपयुक्त, फल की उत्पत्ति से जोड़ने का आशय अत्यंत स्पष्ट है ! ये ईश्वरीयता और
अभिजात्यता के नैकट्य के सिद्धांत को स्थापित करने जैसा प्रयास है ! हालाँकि अचोटे
कुल की युवती की मृत्यु, प्रणय सम्बन्ध का परिणाम नहीं थी !
उसे उसकी कुलीनता के बावजूद अनबुझी प्यास के कारण काल के क्रूर पंजों से बचाया
नहीं जा सका था, संभव है कि यह मौसम भयंकर सूखे का मौसम रहा
हो और उक्त युवती मौसम का प्रतिकार करने में सबसे कमजोर कड़ी साबित हुई हो ! इन
दोनों कथाओं से अलग हटकर पोलिनेशियाई कथा की नायिका भले ही स्वयं किसी प्रणय
सम्बन्ध में निबद्ध ना हो, किन्तु उसका विवाह एक ईल राजकुमार
से तय कर दिया गया है जो कि अपनी विशाल देहयष्टि और दैहिक कुरूपता के कारण नायिका
को पति के रूप में स्वीकार्य नहीं है ! नि:संदेह ये सम्बन्ध नायिका के स्वजनों
द्वारा तय किया गया है, जिसमें नायिका अत्यंत सौंदर्यवती है
और नायक बेडौल एवं कुरूप, यहाँ तक कि, विजातीय भी !
यह विश्वास किया
जा सकता है कि परिजनों द्वारा तय किये गये वैवाहिक सम्बन्ध से बचने के लिए
पोलिनेशियाई कथा की नायिका के सामने पलायन के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प शेष नहीं
रहा होगा और उसने अंतिम विकल्प का इस्तेमाल किया ! वो आखेट के देवता की शरणागत हुई
! आखेटक देवता, नायिका के रूप लावण्य से प्रभावित है और उसके इतिहास
को ध्यान में रखकर उसकी सहायता का निर्णय लेता है ! आशय ये कि वो भले ही हिंसक
तात्विकता का देवता है...पर प्रेम संबंधों को लेकर स्त्रियों के स्व-निर्णय का सम्मान
करता है ! इस आख्यान में आखेट के देवता द्वारा ईल राजकुमार का शिकार करने के लिए
नायिका के बालों से फंदा बनाने का कथन अद्भुत है...मतलब ये कि प्रेमी को उसकी
आसक्ति की डोर से बाँध लेना / पराजित कर देना ! अब प्रश्न शेष ये कि, नायिका जो कि धरती की रहवासी है, उसका विवाह ईल
राजकुमार से तय करने के निहितार्थ क्या हो सकते हैं ? प्रतीत
होता है कि, उन दिनों कबीलों के जीवन यापन के मुख्य स्रोत
भूमि से अलग हटकर अगर कहीं थे तो वो जगहें थीं तालाब, नदी और
समंदर !
ऐसी स्थिति में
भूमि और जलीय प्राणियों के मध्य वैवाहिक संबंधों को समाज की स्वीकृति होने का एक
मात्र और महत्वपूर्ण कारण निश्चित रूप से सामाजिक, आर्थिक संबंधों की
स्थापना / सुदृढ़ता ही रहा होगा ! ईल राजकुमार जल वासी था, जैसे
कथन को, प्रतीकात्मक रूप से स्वीकार किया जाना चाहिए ! कहन
ये कि वो वास्तव में ईल मछली नहीं था ! निश्चय ही वह नायिका की पसंद की देहयष्टि
वाला नहीं था और नायिका के लिए उसका प्रेम भी, अगर एक पक्षीय
मान लिया जाय तो यह भी स्वीकार करना होगा कि नारियल
जैसा सख्त और बदशक्ल दिखने वाला इंसान, अंदर से मृदु,
पोषक और समाज उपयोगी हो सकता है, यहाँ तक कि
उसका तिरस्कार करने और उसे मृत्यु के द्वार तक पहुंचाने वाली नायिका के उपयोग का
भी...