शुक्रवार, 6 जुलाई 2012

ये क्या हो रहा है ?

घर बनाया तो आंगन में हरियाली की गुंजायश की थी ! ख्याल ये कि  परिंदे आया करेंगे , हुआ भी यही , वे आते हैं , यहां तक कि मैं उनमें से कईयों के नाम तक नहीं जानता ! घर के अन्दर गौरैयों की परवाज़ आम है ! पूरब के आंगन में एक छोटा सा टैंक और उसमें खिली बैगनी रंगत कुमुदनियां / गुलाबी कमल , उसके पानी में चहलकदमी करती , मछलियां सो बगुले भी हर रोज़ आते है , कभी हल्के कत्थई , कभी सीमेंट रंगत और ज्यादातर झक सुफैद रंग के ! नीली सुनहली किंग फिशर और काली मछ्ली खोर चिड़िया अक्सर पानी में डुबकी लगाकर शिकार करते हुए ! एक रोज़ बाज़ भी देखा , आम की शाख पे घात लगा कर बैठे हुए , क्यारियों में ज़रा सी ठसन के साथ चलते हुए , दिल बैठ गया , लगा कि ज़ल्लाद की मौज़ूदगी से डरकर मासूम परिंदे क्योंकर आया करेंगे यहां ? 

पिछले कई महीनों से इस सामान्य सी दिखती ज़िन्दगी में एक असामान्य सी घटना की पुनरावृत्ति हैरान कर रही है ! कुछ रोज़ पहले हल्की फुल्की बारिश और बिजली के गर्जन तर्जन के बीच घुघूती बासूती जी बात हो रही थी , कि अचानक तीन परिंदे पश्चिम के आंगन में टपक पड़े मैंने उनसे कहा आपसे बाद में बात करता हूं , पहले इन्हें देख लूं ! घर के पश्चिम के आंगन के बागीचे के उसपार आवाजाही की आम सड़क है और वहां पर बिजली का एक खम्भा , जिससे लिए गये कनेक्शन से अपना घर भी रौशन होता है , इस आंगन में अक्सर परिंदे गिर कर मर रहे हैं सो फ़िक्र हुई कि माज़रा क्या है ?  बिजली वालों को बुलवाकर कर तार चेक करवाए , उन्होंने कहा कोई समस्या नहीं है , मैं हैरान हूं , अब तक कई परिंदे आसमान से क्यों टपके ? कुछ पता नहीं ? 

बरसात से पहले की एक सुबह 

घुघूती बासूती से बात करते हुए बारिश के समय 

लगा दो जीवित रह जायेंगी 

जीवन केवल एक का नसीब हुआ 

51 टिप्‍पणियां:

  1. बारिश के बाद इनका टपकना हैरान करने वाला है। यह भी नहीं कहा जा सकता कि प्यास से मरे। बाज उसी जगह पर क्यों घायल करता! कोई वॉयरल अटैक हो सकता है। पक्षी विज्ञानी इसका राज खोल सकते हैं। ब्लॉग जगत में हैं तो..ब्लॉगिंग से समस्या हल हो जाय तो क्या बात हो!

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    1. बारिश के पहले और बाद दोनों समय में,पानी और प्यास कोई समस्या नहीं है! पर वाइरल अटैक मेरे ही आंगन में गिरने का कारण बने ये बात समझ में नहीं आ रही! मोहल्ले में और भी घर हैं, खाली प्लाट्स हैं! पर मेरा ही आंगन ? देखें क्या क्या सुझाव मिलते हैं!

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  2. कोई मौसमी वायरस हो सकता है, या खेतो मे बुवाई चल रही है, किटनाशक वाले बीज ना खा लिये हो!

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    1. आशीष जी,
      खेतों की बुवाई और कीटनाशक वाले बीज की बात बहुत अपील करती है लेकिन यह घटना गर्मियों में भी हुई और सर्दियों में भी ,कुछ और मौके भी हैं जिनके मैंने फोटोग्राफ्स नहीं लिए थे ! हैरान हूं !

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  3. ये मासूम किसी का बुरा नहीं करते मगर प्रकृति इन्हें भी नहीं बख्शती ...

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    1. सतीश भाई ये कहना मुश्किल है कि प्रकृति या कोई और कारण ?

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  4. असामान्य स्थिति है, एक विशेष क्षेत्र में अकारण पंछियों का यूं मृत्यु को प्राप्त होना अचम्भित करनेवाला है। कदाचित उस क्षेत्र में कोई नुक्सानदेह मेग्नेटिक फिल्ड बनता हो, एक सम्भावना मात्र है, वास्तविक निदान तो कोई पक्षी विज्ञानी ही कर सकता है। किन्तु इन मासूम परिंदो की आक्समिक मृत्यु पर मन विषाद से भर उठा।

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    1. प्रिय सुज्ञ जी ,
      मुझे लगा था कि बिजली के खम्बे से इसका कोई वास्ता होगा पर कोई नतीजा नहीं निकला ! कम से कम दो मौके ऐसे हुए, जब मैं आंगन में किसी मित्र को फोन कर रहा था और परिंदा आकाश से मेरे सामने टपक गया ! घटनाक्रम दुखद तो है ही ! कोई कारण पता चले तो उपाय करें !

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    2. किसी मित्र को फोन और परिंदा आकाश से टपक गया

      अज़बे गज़ब है जी

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  5. perhaps they come on your roof top for water and food which they might not be finding else where

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    1. हमारे बागीचे में उनके लिए सब कुछ है ! छत में दाना/पानी वगैरह हम नहीं रखते और वे छत पर गिरते भी नहीं हैं ! आंगन का एक हिस्सा खासकर पश्चिमी आंगन जहां वे पड़ोसियों के घरों की तरफ से उड़कर आते हुए गिरते हैं बस यही बात हैरान करती है !

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  6. घुघूती से बात कर रहे थे और पहली ही फोटो एक मृत घुघूती की है! :(
    इस प्रकार से पक्षियों का मरना बहुत चिन्ताजनक बात है। उत्तर पूर्व में एक गाँव में रात के समय प्रकाश की तरफ खिंचे चले आते पक्षी मरकर नीचे गिरते हैं/ थे। इस बारे में बहुत पहले पढ़ा था। लोग प्रकाश, शायद बिजली के, खंबे के नीचे से इन मरते पक्षियों को खाने के लिए घर ले जाते हैं/ थे।
    शायद पक्षियों का पोस्टमार्टम ही इस पहेली को सुलझा सकता है।
    घुघूती बासूती

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    1. आपसे बात करते हुए घुघूती की मृत्यु नहीं हुई बल्कि कुछ रोज पहले एक घुघूती को तो मैंने बचा भी लिया था ! उस दिन मैंने आपसे कहा भी था कि तीन गौरैया गिरी हैं ! बिजली के खम्बे वाला सुझाव आपका था जिसे मैं चेक करवा चुका हूं ! अब पोस्ट मार्टम भी करवा कर देखता हूं !

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    2. मेरी सम्वेदनायें! दर्दनाक दृश्य है। लगता है किसी भोज्य पदार्थ का ही दुष्प्रभाव है, शायद कोई कीटनाशक आदि। जैसे गिद्धों के आंतरिक अंगों के फ़ेल होने में एक प्रतिबन्धित दवा का मामला सामने आया था। कारण पता लगने पर हमें भी बताइये। शायद आपकी पहल से कुछ और पक्षी भारत में विलुप्त होने से बच पायें।

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    3. कुछ पता चलेगा तो ज़रूर बताऊंगा!

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  7. बहुत ही दुखद है...जल्दी से कारण का पता लगाकर निराकरण करें इसका
    हमारा तो चित्र देख कर ही मन विचलित हुआ जा रहा है....आपने तो सामने से देखा है सब...बेहद अफसोसजनक

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  8. असम के जतिंगा गांव की चर्चा सुनते-पढ़ते रहे हैं, जहां कहा जाता है कि पंछी आत्‍महत्‍या करते हैं.

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  9. अली सा, कभी कभी चमत्कारिक बातों से विस्मित कर देते हैं .:)
    लेकिन यह तभी तक लगता है जब तक असली भेद नहीं खुल जाता .
    वैसे जानवरों और परिंदों के व्यवहार अक्सर समझ नहीं आते .

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    1. असली भेद खुलने का हमें भी इंतज़ार है !

      @ जानवरों और परिंदों के व्यवहार ,
      डाक्टर साहब आप तो यूं कह रहे हैं , जैसे इंसानों के व्यवहार हमेशा समझ में आ जाते हों :)

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    2. जी , इंसानों का व्यवहार तो समझ आ जाता है , विशेषकर जब वे जानवरों जैसा व्यवहार करते हैं . :)

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  10. बहुत ख़राब लग रहा है. कुछ समझ में भी नहीं आ रहा है. क्या परिंदों की सही पोस्ट मार्टम हो पाएगी? क्या इसके लिए स्थानीय पशु चिकित्सक सक्षम होंगे. मुझे इसमें भी शंका है. इंतज़ार में हूँ की कोई सुधि बन्धु सहायता कर दे.

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    1. आदरणीय सुब्रमनियन जी ,
      पोस्टमार्टम का सुझाव अभी तो आया है ! मैं पशु चिकित्सक मित्रों से चर्चा करूँगा कि यह जगदलपुर में संभव है कि नहीं !

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  11. अब घुघूती जी से बात करते समय मेघों का गर्जन तर्जन ,बहती मंद समीर आदि का ख्याल रखा करें
    जिन हालात में आपने पक्षियों का गिरना बताया है वह इनकी रहस्यमय आत्महत्या की ओर इशारा करते हुए असम के जतिंगा बर्ड मिस्ट्री की ही पुनरावृत्ति की याद दिला रहा है -कुछ ख़ास मौसमी मानदंडों पर पक्षी आत्महत्या करते हैं ....जैसे बरसात का मौसम ,हवा की एक गति ,बिजली की कौंध आदि .....पक्षी ही नहीं कुछ जानवरों में भी जान दे देने की प्रवृत्ति होती है -ह्वेलें भी अक्सर यही कारनामा दिखाती रहती हैं -परवाने शमा पर मर मिटते हैं .....आज फिर मरने का इरादा है ......
    मगर आप के लिए तो यही कहूँगा -
    किधर से बर्क चमकती है देख ले वाईज मैं इधर जाम उठाता हूँ तू किताब उठा :-)....या घुघूती जी से बात कर ..बात एक ही है ! जो मरते हैं उन्हें मरने दें !

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    1. अरविन्द जी ,
      अगर वे आत्महत्या करते हैं तो उसके कोई अन्य कारण होंगे ! मैं इस वज़ह से चिंतित हूं कि कहीं उनकी मृत्यु की वज़ह मेरे आस पास के हालात तो नहीं ?

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  12. कभी कभी मौसम की उलटफेर, जैसे भूकंप या चक्रवात भी पंछियों की मौत का कारण बनते हैं...
    बाकी इश्वर जाने :-(
    दुखद है...

    सादर
    अनु

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    1. अनु जी ,
      दुखद तो है ही !
      इस केस में भूकंप और चक्रवात को छोड़कर अन्य कोई कारण ही हो सकते हैं ! मसलन मौसम का उलटफेर याफिर कोई और कारण ?

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  13. आपने आम परिंदों की आमद का इंतज़ाम किया था पर उसमें यह तो मनाही नहीं थी कि शिकारी न आवैं !बाज जैसों को तो ऐसा ठिकाना मुफीद ही लगता है जहाँ आसानी से वह शिकार डबोक सकें .

    ...बहरहाल,आपके यहाँ परिंदों की शामत पता नहीं किन वजहों से हुई,पर बहुत अफसोसनाक है यह !

    ...अगर उनके चित्र न डाले जाते तो क्या ज़्यादा सही न रहता..?

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  14. संतोष जी ,
    चित्र और भी थे किन्तु मैंने मोटे तौर पर दो ही डाले हैं ! दूसरे चित्र को आप तीन फ्रेम में देखिये उसमें जीवन भी है !

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    1. ...मृत चित्र भले ही प्रासंगिक हों,पर अपन से यह सब देखा नहीं जाता !

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  15. अली साब,पढ़ और देखकर मन को आघात लगा.ये बेबस प्राणी किस वज़ह से अपनी जान गँवा रहे हैं,चिंता का विषय है !

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  16. ऑनलाइन पोस्‍टमार्टम के बजाय किसी पशु चिकित्‍सालय में ले जाकर एक का पोस्‍टमार्टम करवा लीजिए। इतने लंबे समय की परेशानी एक साथ खत्‍म हो जाएगी। :)

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    1. सिद्धार्थ जी ,
      पशु चिकित्सालय वाले पोस्टमार्टम का सुझाव कैसे मिलता अगर आनलाइन पोस्टमार्टम नहीं करवाया जाता :)

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  17. है तो दुखद घटनाक्रम लेकिन कारण ढूँढना भी चाहिए

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  18. ओह. क्‍या कि‍सी पशु चि‍कि‍त्‍सक से बात कर परीक्षण्‍ा का प्रयास हो सकता है ?

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    1. पक्का कह नहीं सकते पर कोशिश करने में हर्ज़ ही क्या है !

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  19. Is there a mobile tower very near your house? Radiations effect them. Specially when we make or disconnect calls, it may cause sparking in the air. This may also occur if your home is at a fringe area between two mobile towers and the call keeps switching between the two bases.

    Mobile radiations are very dangerous to birds as there body weight is low and bones are hollow.

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