अपना कहना :
पिछले काफी समय से संजीव जी का ख्याल था कि एक ही शैली में लिख लिख कर मैं उन्हें बोर करने लगा हूं सो बाकी के यार दोस्त भी बोर ही हो रहे होंगे , अनुमान लगाने में देरी ना हुई ! एक दिन राहुल सिंह साहब के आलेख 'फ़िल्मी पटना' पर टिपियाते हुए कह डाला कि "फोटो , पेंटिंग और फिर शब्दों में उतर कर कविता की तरह बही है यहां"...तो यूं समझिए कि कह कर फंस गए हम ! पिछली पोस्ट इन्हीं दो महानुभावों के प्रभामंडल से आतंकित होते हुए और टिपियाने में अपने बडबोलेपन ? को साबित करने की गरज़ से छापी थी और अब एक और छाप रहे हैं...आगे देखना ये है कि ये तस्वीरें, शब्दों और कथन की भरपाई कर पाती हैं कि नहीं ?
सामूहिक चिंता
अकेली चिंता
आखिरकार लोकेशन मिल ही गयी अगली ब्लागर्स मीट के लिए , कृपया पता नोट करें और सम्मति दें
बस ख्याल रहे :
गर्मियों का तापमान रायपुर की टक्कर में ,बिजली पानी की कटौती २४ घंटे ,आगे की रिस्क अपनी अपनी ! कार्यक्रम की घोषणा आपकी सम्मतियां मिलते ही !
हमें नहीं आना ....
जवाब देंहटाएंतीन मर्द
जवाब देंहटाएं(जैसा कि वे ख़ुद को कहते हैं)
बैठे थे चिंतन में रेस्त्राँ की टेबुल पर.
गर्मी में बस एक अकेला डटा रहा
आख़िर तक
एक बनियान पहनकर चिंतन करता
सोच रहा था नांदेड़ के चंचल रेस्त्राँ का लोकेशन
कैसा होगा अगले ब्लॉगर्स मीट की ख़ातिर!!
.
अली सा! जम गया आइडिया!! एक हक़ीक़त !!!
ऊपर की नज़्म को तुकबंदी समझें, ज़ाती बयानबाज़ी नहीं.
किम्कर्तव्यविमूढ़
जवाब देंहटाएंहम इत्ता जानते हैं कि तस्वीरों ने नाइंसाफी नहीं की है. वैसे नेमेड की जगह मद्देड भी ठीक ही है. नक्सलियों से NOC लेनी भी पड़ेगी?
जवाब देंहटाएं@ सतीश भाई ,
जवाब देंहटाएंआपने तो बड़ी बेदर्दी से ठुकराया हमारा आफर :)
@ रमेशकेटीए जी,
बिलकुल सही पढ़ा आपने ,रोड का नाम बदलना हमारे बस में नहीं जनाब !
@ संवेदना के स्वर बंधुओ ,
देखिये ना उस भद्दुर गर्मी में किस कदर चिंतित और निपट अकेला था मैं :)
@ मजाल साहब ,
अकेले चिंतित का पिछली पोस्ट वाले अंधेरे से ही ताल्लुक है ! ये चिंता अंधेरा घना होने से पहले की !
@ आदरणीय सुब्रमनियन जी ,
नैमेड या मद्देड जहाँ आप कहें ,एनओसी की ज़रूरत पडी तो देखेंगे ! बहुत दिनों से आप इस तरफ आये भी नहीं हैं !
भईया आपके पोस्ट सार में अंर्तनिहितदर्शन और उसके शब्दों में जितनी गहराई होती हैं वही सब आपके फोटूओं में भी है, हम तो तनिक मसखरी चाह रहे थे पर आपने हमारा ही भारत के कर्णधारों जैसी चिंतनमग्न फोटू डाल दिया साथ में अपना ओबामा टाईप साल्यूशन स्पीच देने के पहले वाला फोटू लगा के हमें हतप्रभ कर दिया.
जवाब देंहटाएंचिंतन से युग्मित लोकेशन चित्र में एमईएन फार मेन .... जगदलपुर से नैमेड तक चंचल अंग्रेजी डिक्शनरी की यात्रा भी कठिन ही रही होगी, आगे की रिस्कों के साथ जब हम बैठेंगें तो एमएआईएन फार मेन को स्थापित करने का प्रयत्न अवश्य करेंगें.
इस माह उडन तश्तरी छत्तीसगढ़ में उतरने वाली है, इस लोकेशन को लाक कर दें .... :):):)
ललित भाई और शरद भईया अपनी अपनी सहमति टिप्पणियों से अवश्य देवें तभी चिंतन सार्थक होगी :)
अली साहब रोहतक में तो ब्लोग्गेर्स काफी चंचल थे. उनकी चंचलता से सम्बंधित एक पोस्ट अभी तक टॉप पर है. अब होटल चंचल में उनका क्या कमाल होगा? शायद इसलिए ही सतीश जी ने आमंत्रण ठुकरा दिया है.
जवाब देंहटाएंइन्तजार रहेगा भाई ...आपके चिंतन में शामिल होने का
जवाब देंहटाएंचलते -चलते पर आपका स्वागत है
इत्ते सीरियस पोज़ दिखा कर अली साहब न्यौता दे रहे हैं या ....?
जवाब देंहटाएंहमारे भरोसे न रहना जी, खुद ही कर लेना ये सीरियस-वीरियस प्लानिंग:)
शुभकामनायें, सीरियस वाली।
@ संजीव भाई ,
जवाब देंहटाएंओबामा ना आते तो ये फोटो छापने का हौसला भी ना होता :)
लोकेशन लाक कर दी है बस उस पेंटर को ढूंढ रहा हूं जिसने होटल का बोर्ड पेंट किया था आखिर को ब्लागर्स मीट के लिए बैनर भी उसी से लिखवाना पडेगा ना :)
@ विचार शून्य साहब,
चंचल होटल में सीरियस टाइप की ब्लागर्स मीट का प्रस्ताव है भाई ! सतीश जी को सीरियसनेस जमी नहीं शायद :)
@ केवल राम जी ,
धन्यवाद ! आपके यहाँ ज़रूर पहुंचेंगे जी !
@ मो सम कौन ? जी ,
पहले सतीश जी खिसके अब आप भी ? लगता है ये सीरियसनेस मुझे कहीं का ना छोडेगी :)
बेचैन आत्मा तैयार है..संभलें और संभालें...
जवाब देंहटाएंखुदा हाफिज।
अकेला चिंता का पोर्ट्रेट लाजवाब है, लेकिन भाव चिंता के नहीं चिंतन, बल्कि मनन के हैं.
जवाब देंहटाएंआने वालों में अगर वो हों तो हम चिलचिलाती धूप और सनसनाती गर्मीं में भी आ जाएँ
जवाब देंहटाएंकब पहुँचना है जी?
जवाब देंहटाएंसब अपने बस में हो तो खगों की तरह उड़ आऊं . मिलना कितना कुछ सिखाता है , अंतर्मुखी रहा हूँ इसलिए बाहरी दुनिया - खट्टे तीखे अनुभवों के बाद भी - सदैव जिज्ञासा का लक्ष्य रही . हाँ , दिल्ली रुख कीजिये तो यह एक 'पाठक'-मात्र आपसे मिलना चाहेगा . आभार !
जवाब देंहटाएं