शनिवार, 19 जून 2010

चिलमन ...पोस्ट आयटम...और पीने वाले गधे ...

आहा मानसून...सुबह से झमाझम...बीबी मेहरबान...गर्मागर्म मूंग बड़े के साथ टमाटर की चटनी और एक चुटकी काला नमक...ये  बीबियां...शौहर को काबू  में करने के नुस्खे खूब जानती हैं...पेट के रास्ते सम्मोहन का हुनर कोई इनसे सीखे...खैर अब  मैं  तैयार हूं...देखें  वे क्या आदेश  देती  हैं ! बेशक दुनिया भर में तानाशाही के विरोध में चिल्ला चोट करने वाला मैं घर की तानाशाही का मुरीद हूं...जानता हूं...एजेंडा हिडेन है पर परवाह नहीं ...क्योंकि 'रिश्ता' 'हिडेन एजेंडे' के सामने दम तोड़ देने वाली मेरी 'असहमतियों' को भी प्रेमिल...स्नेहिल स्पर्श का मरहम देता है ! अर्ज़ ये है कि 'रिश्तों में स्पष्टता' हो तो हिडेन एजेंडा और असहमतियों का दमन दुखदाई नहीं हुआ करता लेकिन रिश्ता अगर छदम हो तो...मरहम आलेपन की संभावनाये समाप्त हो जाती है और केवल  पीड़ा ही शेष  रह  जाती है ! कई  बार  सोचता हूं...काश  ब्लाग जगत भी परिवार की तरह से 'स्पष्ट रिश्तों' के साथ हिडेन एजेंडे और असहमतियों के क़त्ल का रणक्षेत्र बन पाता तो कितना सुखकर होता...पर अफ़सोस ऐसा है नहीं...यहां  'चिलमन' की ओट में छुपी हुई 'प्रतिभायें' आखेट पर  हैं और...मैं  दुखी हूं ...

कल  रात अपने  संजीव   जी  से चर्चा हो रही थी मैंने  पूछा  मित्र...मेरे  शहर  में ...एक  ब्लागर  बंधु  के आने की खबर है...वैसे तो मैं उनसे परिचित नहीं पर शिष्टाचार के तक़ाजे से भेंट करने पर आपकी क्या राय है? वे बोले...हाहाहा...मस्त आदमी है, व्यावहारिक आदमी है, यार बाज़ / शौक़ीन आदमी है, जरुर मिलिये ! मैंने कहा यार बाज़ तो ठीक पर शौक़ीन ? उन्होंने कहा हाँ...मिलिये तो सही, मजा आयेगा फोटो शोटो होगी, चर्चा होगी...मुमकिन है वे आपको अपनी ब्लॉग पोस्ट में भी शामिल कर लें !...संजीव भाई मिल तो लूं पर उन्होंने 'खबर' में कोई 'पता' भी नहीं छोड़ा है...और ब्लाग पोस्ट में 'आयटम' बतौर शामिल होने वाली सम्भावना से आप मुझे भयाक्रांत कर रहे हैं...खैर कोशिश करता हूं कि 'बे'-पता को पकड़  पाऊं...लेकिन 'आयटम डांसर' की तर्ज़ पर 'पोस्ट आयटम' होने का ख्याल मेरे कदम वापस खींच रहा है ! कल रात ही धोबियों  की फिक्र में संजीव भाई , एक उदास गधे का बेहद खूबसूरत फोटो अपने ब्लॉग में चिपका चुके है...उन्हें मुझे पर्याप्त डरा चुकने के बाद भी ये फोटो छापने का ख्याल कैसे आया पता नहीं...पर मैं...पोस्ट आयटम...होने के खतरे बखूबी भांप रहा हूं , बस इसी  डर से उनकी धोबियों वाली पोस्ट पर एक कमेन्ट करना मेरी मजबूरी हो गया समझिये  !

12 टिप्‍पणियां:

  1. ...ललित शर्मा जी ... मिलिये ...जरुर मिलिये ... भरपूर मजा !!!!

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  2. अली भाई, जिस दिन आपकी पोस्ट पढ ली जाए तो समझिए कि पढने का दिन भर का कोटा उसी एक पोस्ट से पूरा हो जाता है :) हा हा हा

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  3. अली भाई,
    हा हा हा
    आयटम से भयाक्रांत-आक्रातं होने की आवश्यक्ता नहीं है। आपसे मिलने की इच्छा है,लेकिन कार्यक्रम की व्यस्तता के कारण मै संजीव भाई को फ़ोन नहीं लगा सका। नहीं तो बे पता को पता मिल ही जाता।

    कल हमारे अजीज मासूम भाई की बहन का विवाह है,इसलिए मुझे जल्द ही वापस आना पड़ गया।अब पुन: जगदलपुर आगमन पर आपसे भेंट अवश्य ही करुंगा।

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  4. अहा, बारिश में गर्मागर्म मूंग बड़े, मुंह में पानी आ गया. हमारा हिस्‍सा मत खा जाईयेगा, बचा के रखियेगा.

    प्रवासी ब्‍लॉगर बंधु जल्‍द ही अपना प्रवास बीच में ही छोड़कर वापस आ गये हैं नहीं तो उनका मोबाईल कैमरे का फलैश जरूर चमकता. 'पोस्ट आयटम' का अब कोई टेंशन नहीं है. :)

    मेरे गधे वाले पोस्‍ट पर आपकी लाजवाब टिप्‍पणी के लिए धन्‍यवाद :)

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  5. बेहतरीन :-) बहुत खूब!


    आप पढ़िए:

    चर्चा-ए-ब्लॉगवाणी

    चर्चा-ए-ब्लॉगवाणी
    बड़ी दूर तक गया।
    लगता है जैसे अपना
    कोई छूट सा गया।

    कल 'ख्वाहिशे ऐसी' ने
    ख्वाहिश छीन ली सबकी।
    लेख मेरा हॉट होगा
    दे दूंगा सबको पटकी।

    सपना हमारा आज
    फिर यह टूट गया है।
    उदास हैं हम
    मौका हमसे छूट गया है..........





    पूरी हास्य-कविता पढने के लिए निम्न लिंक पर चटका लगाएं:

    http://premras.blogspot.com

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  6. @ 'स्पष्ट रिश्तों' के साथ हिडेन एजेंडे और असहमतियों के क़त्ल का रणक्षेत्र ।

    यह बस पति-पत्नी के बीच ही सम्भव है। वह भी तब जब रिश्ते प्रेमिल हों।
    आइटम वाला हिस्सा तो एक आइटम ही है ;)

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  7. अली सा मैं भी आपकी इस पोस्ट के पहले प्रस्तर की सी ही मनस्थिति में हूँ -बरसात भी निगोड़ी अभी आयी नहीं स्नेहिल प्रेमिल रिश्ते सब ऐसे ही हैं -उन्ही का दंश झेलते हुए दुखी और क्षुब्ध चल रहा हूँ -पत्नी भी बरसात आने का इंतज़ार कर रही हैं तब वो कुछ बरसाती चीज खिलायेगी -पिलायेगी -मैं तो दोनों और से मारा और छला गया -दोनों जहां तेरी मुहब्बत में हारकर वो जा रहा है कोई शबे गम गुजारकर ...थोडा लिखा ज्यादा समझना !

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  8. महराज के प्रोफाइल में उस ब्लॉग का लिंक नहीं दिखा। "संजीव तिवारी गधा" लिख कर सर्च करना पड़ा ;)
    पोस्ट भी मस्त और आप की टिप्पणी भी मस्त। आप पीते हैं कि नहीं ?

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  9. आप भी, किसी को छोड़ते नहीं। वैसे आपके साहस की दाद देनी पडेगी।
    ---------
    इंसानों से बेहतर चिम्पांजी?
    क्या आप इन्हें पहचानते हैं?

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