नहीं लगता कि कोई ज्यादा वक्त गुज़रा होगा जबकि किसान खेतों पर और खेत ईश्वर की कृपा पर निर्भर हुआ करते , अगर बारिश हुई तो जिन्दगी वर्ना कम जिन्दगी तो थी ही ! इधर फसल कटती उधर रिश्ते जुड़ते ! भीषण गर्मी में नये कपड़ों से लदा फंदा , पसीने से बजबजाता दूल्हा , गाड़ी भर कुम्हड़े की सब्जी और थोक भाव से तली गई पूड़ियों से निपटते बारातियों के आशीष की बाट जोहता और सप्तपदी के लिये तैयार वेदी की ऊष्मा में अपने भविष्य के संकेत ढूंढता रहता !
निकट सम्बन्धी पहले से ही विलंबित ताल में बजते कार्यक्रम को अपने मान सम्मान के नाम पर मिनट दर मिनट अवरोधित करते हुए बमुश्किल आगे बढ़ने देते ! उनके जीवन के सारे गिले शिकवे ,सारी कुंठायें , सप्तपदी के अवसर पर निपटाए जाने के लिये पूर्व निर्धारित हुआ करतीं ! इस आपाधापी भरे माहौल में कोई एक व्यक्ति ग्रामोफोन में निरंतर चाभी घुमाता और गीतों के रिकार्ड , जितनी बार भी चाहा जाये , बजाता रहता ! लिहाजा बारम्बार बजने वाले रिकार्ड अक्सर ख़राब हो जाया करते , तब रिकार्ड पर चलने वाली सुई अक्सर किसी खास स्थान पर अटक जाया करती , सुर / शब्द / संगीत सब के सब रिकार्ड पर अटकी हुई सुइयों के साथ स्थिर और स्थितिप्रज्ञं हो जाते !
खैर अब वो ग्रामोफोन , रिकार्ड और उन पर अटकती हुई सुइयां अतीत के गर्त में दफन हो चुकी हैं ! लेकिन मैं अक्सर सोचता हूं कि तब के ग्रामोफोन और अब के इंसानों में किस कदर साम्य है ! ये भी किसी विशिष्ट धुन और ख्याल पर इतना बजते हैं कि कहीं न कहीं अटक ही जाते हैं ! मेरे अत्यंत निकटवर्ती मित्र हैं जिन्हें देख / सुनकर मेरी इस धारणा की पुष्टि होती है कि दूसरे हो ना हों किन्तु यह इंसान निश्चित रूप से ग्रामोफोन का पर्याय है ! मित्र टूटी सायकिल के साथ मेरे पड़ोस में अवतरित हुए ! धर्म आधारित राष्ट्रवाद उनका प्रिय विषय था जिसे दूसरों पर अपनी बौद्धिकता की धाक ज़माने के लिये अक्सर दुहरा लिया करते ! शुरू में मुझे भी लगा कि बंदा समर्पित राष्ट्रवादी है पर धीरे धीरे उनके अन्य गुणों का प्रकटीकरण भी होने लगा ! शिक्षकीय वेतन से गुजारा नहीं होने के नाम पर उन्होंने नौकरी के समानांतर बीमा व्यवसाय प्रारंभ कर , जनता पार्टी की सरकार बनते ही अपनी राष्ट्रवादी सोच और छवि को हथियार बना डाला ! पहले अधिकारियों को धमकाते फिर पॉलिसी देते ! आज उनके पास अकूत संपत्ति है !
वे अपनी सुविधा के अनुसार तर्क गढ़ते हैं ! मैं पूछता , भाभी को धोखा क्यों ?.. वे कहते हैं मैं क्षत्रिय हूं और एकाधिक स्त्री...? वे आज भी उसी राष्ट्रवाद पर अटके हैं जहां चार दशक पहले थे ! भला क्यों ? मैं जानता हूं ! उन्हें देखता हूं तो पुरु के हाथियों का ख्याल आता है , वे राष्ट्रवाद के हाथी हैं !
निकट सम्बन्धी पहले से ही विलंबित ताल में बजते कार्यक्रम को अपने मान सम्मान के नाम पर मिनट दर मिनट अवरोधित करते हुए बमुश्किल आगे बढ़ने देते ! उनके जीवन के सारे गिले शिकवे ,सारी कुंठायें , सप्तपदी के अवसर पर निपटाए जाने के लिये पूर्व निर्धारित हुआ करतीं ! इस आपाधापी भरे माहौल में कोई एक व्यक्ति ग्रामोफोन में निरंतर चाभी घुमाता और गीतों के रिकार्ड , जितनी बार भी चाहा जाये , बजाता रहता ! लिहाजा बारम्बार बजने वाले रिकार्ड अक्सर ख़राब हो जाया करते , तब रिकार्ड पर चलने वाली सुई अक्सर किसी खास स्थान पर अटक जाया करती , सुर / शब्द / संगीत सब के सब रिकार्ड पर अटकी हुई सुइयों के साथ स्थिर और स्थितिप्रज्ञं हो जाते !
खैर अब वो ग्रामोफोन , रिकार्ड और उन पर अटकती हुई सुइयां अतीत के गर्त में दफन हो चुकी हैं ! लेकिन मैं अक्सर सोचता हूं कि तब के ग्रामोफोन और अब के इंसानों में किस कदर साम्य है ! ये भी किसी विशिष्ट धुन और ख्याल पर इतना बजते हैं कि कहीं न कहीं अटक ही जाते हैं ! मेरे अत्यंत निकटवर्ती मित्र हैं जिन्हें देख / सुनकर मेरी इस धारणा की पुष्टि होती है कि दूसरे हो ना हों किन्तु यह इंसान निश्चित रूप से ग्रामोफोन का पर्याय है ! मित्र टूटी सायकिल के साथ मेरे पड़ोस में अवतरित हुए ! धर्म आधारित राष्ट्रवाद उनका प्रिय विषय था जिसे दूसरों पर अपनी बौद्धिकता की धाक ज़माने के लिये अक्सर दुहरा लिया करते ! शुरू में मुझे भी लगा कि बंदा समर्पित राष्ट्रवादी है पर धीरे धीरे उनके अन्य गुणों का प्रकटीकरण भी होने लगा ! शिक्षकीय वेतन से गुजारा नहीं होने के नाम पर उन्होंने नौकरी के समानांतर बीमा व्यवसाय प्रारंभ कर , जनता पार्टी की सरकार बनते ही अपनी राष्ट्रवादी सोच और छवि को हथियार बना डाला ! पहले अधिकारियों को धमकाते फिर पॉलिसी देते ! आज उनके पास अकूत संपत्ति है !
वे अपनी सुविधा के अनुसार तर्क गढ़ते हैं ! मैं पूछता , भाभी को धोखा क्यों ?.. वे कहते हैं मैं क्षत्रिय हूं और एकाधिक स्त्री...? वे आज भी उसी राष्ट्रवाद पर अटके हैं जहां चार दशक पहले थे ! भला क्यों ? मैं जानता हूं ! उन्हें देखता हूं तो पुरु के हाथियों का ख्याल आता है , वे राष्ट्रवाद के हाथी हैं !
हमें सिकंदर से पहले राष्ट्र को इन हाथियों से बचाना होगा !
सकरायेत तिहार के गाडा गाडा बधई.
जवाब देंहटाएंचिंता न करिए, उनके लिए मैं एक चन्द्रगुप्त भेज रहा हूँ.
जवाब देंहटाएंआपने वो मारा पापड वाले को.
एकदम सार्थक आलेख.
बहुत सही कहा आपने। वैसे इन हाथियों से ही ज्यादा खतरा रहता है।
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थोड़ी अक्ल लगाएं, खूब करें एन्ज्वाय...
विष का प्याला पी कर शिवजी नीलकंठ कहलाए।
अपनी अपनी सुविधा का खेल है.. जब तक खेला जाय खेल लिया जाय, कौन जाने कल हो न हो
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