रविवार, 18 अक्तूबर 2009

टोपी...दाढ़ी...लुंगी...तिलक...नारियल...आदि ...

बेहद खूबसूरत मुल्क के बेहद खूबसूरत वाशिंदों पर गर्व करते करते कई बार लगता है कि जैसे ये खूबसूरती महज़ छद्म आवरण सी है वरना धनिये में लीद , दूध में केमिकल्स , मावे में..... , नकली दवाइयां ,जहरीली शराब ! पैसे के लिए और ना जाने क्या क्या पाप कर्म ! इंसानियत के कातिल और हैवानियत के नग्न नर्तक के सिवा दूसरा और कौन सा विशेषण जोड़ा जा सकता है हमारे जैसे घटिया नागरिकों के नाम के आगे ? चीन हमसे बाद में आजाद हुआ , जापान ध्वस्त होकर जी उठा , जर्मनी टूट कर एकजुट हुआ .... अगर हम जैसे नागरिक इन मुल्कों में भी होते तो कल्पना की जा सकती है कि ......? ...अजब लोग हैं हम ! पहले प्रतिभा को दुत्कारते हैं और जब वो पलायन कर किसी दूसरे मुल्क की शान बन जाए तो बेशर्म होकर उसे भारतीय मूल का बताने में संकोच भी नहीं करते ! नारियों को देवी सामान पूजने का दंभ और केरोसिन में डुबा कर मार डालने का व्यवहार , हमारे डबल स्टेंडर्ड होने का ज्वलंत उदाहरण है ! यही नहीं हम तो ईश्वर के कण कण में विद्यमान स्वरूपों के हन्ता होने पर भी लज्जित नही हुआ करते ! आस्तिक होने का स्वांग रचाने में हमसे आगे शायद ही किसी दूसरे मुल्क के लोग होते हों ?
कई बार ....बल्कि हर बार ऐसा क्यों लगता है कि हम जो सोचते हैं वह बोलते नहीं और जो बोलते हैं वह करते नहीं और इन दिनों तो ऐसा लगने लगा है कि जैसे टोपी ... दाढ़ी ... लुंगी ...तिलक ... नारियल ...आदि....आदि ....आदि के सामने मनुष्य और मनुष्यता की कोई औकात नहीं है ! इन्हें ओढ़कर जब जो चाहे , जिसका जी चाहे ' रक्षक ' बन जाए ! अपने गिरेहबान में झांकने की हमारी आदत ही नहीं है ...जिसे मर्जी..... देशभक्त /राष्ट्र भक्त /ईश भक्त होने का सर्टिफिकेट दे डालें ! ....आज दिया कल छुडा लें ! असहमत आदमी और असहमति के सुर हमारे सबसे बड़े दुश्मन हैं और हम हाँ जी , हाँ जी ....के सबसे बड़े खैरख्वाह !
ये मुल्क बेहद खूबसूरत है और हम सब इसके बदतरीन नागरिक हैं ! आओ इसी जनम में पुश्तों के लिए पैसा जोडें , मुनाफा कमायें .... साबुन से दूध और विष्ठा से उबटन बनायें !

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