शनिवार, 10 अक्तूबर 2009

वो बच्चा

कल रात बस यूंही ....टी.वी.पर न्यूज़ देखते / सुनते हुए...कुछ बेचैन सा...लगातार चैनल बदल रहा था ! उधर बीबी के फेसियल एक्सप्रेशंस से साफ ज़ाहिर था कि उसे यह सब बेहद नागवार गुजर रहा है ! उसने कहा ...जीटी.वी.लगाइए हम 'सारे गामा पा' देखेंगे ! मैंने रिमोट उसे दे दिया और ...सोचने लगा कि हम पुरूष दिन भर पिट /पक/थक कर घर लौटने के बाद भी मनोरंजनात्मक सीरियल्स देखने के बजाये न्यूज़ चैनल्स पर क्यों भिड जाते हैं ? और ये जनानियां दिन तमाम मनोरंजन से उलझते उलझते थकती क्यों नहीं ?
कई बार मुझे लगता है कि स्त्री बनाम पुरूष की पसंद / नापसंद /मानसिकता /बौद्धिकता पर आधारित ये चिंतन बेफिजूल है भला अलग अलग जीवन शैलियों पर दिन गुजारने के लिए 'प्रोग्राम्ड' देह रचनाओं /माइन्ड सेट के दरमियान इस तरह की तुलना / बहस / चिंतन क्यों ? सोशल कंडीशनिंग को दरकिनार कर , किया गया सामान्यीकरण.....जो भी हो ....उसे सत्य मान लेना.... मूर्खता के चरम के अतिरिक्त कुछ भी नहीं हो सकता ! मुझे महसूस होता है कि स्त्री और पुरूष ही क्यों ? हर उम्र , हर वर्ग / क्षेत्र /जाति /धर्म के तमाम इंसानों में जब तक सोशल कंडीशनिंग का अन्तर मौजूद हो तब तक बौद्धिकश्रेष्ठता / अभिजात्यता तथा प्रतिभा के होने या ना होने जैसे निष्कर्षों तक पहुँचाने वाला कोई भी चिंतन /अध्ययन दोषपूर्ण ही माना जाना चाहिए !....मैं सोच में हूँ ? कि मैं सोच में था ?
लगता है ...जैसे अन्तरिक्ष से कोई आवाज आ रही हो और मेरे ख्यालात ...खंड खंड हो कर बिखर गए हैं ! अब मैं कुछ भी नहीं हूँ ........सांवरे ...तेरे बिन जिया जाये ना.......वो बच्चा अनन्त प्रतिभा का धनी है ! उसका कंठ....उसके सुर , सब के सब उसके पूरे नियंत्रण में हैं ...उसके चेहरे पर कोई तनाव नहीं वो सिर्फ़ और सिर्फ़ गा रहा है और मैं ...उसके सुरों ने जैसे मुझ में आल्हाद भर दिया हो ...तालियों की गडगडाहट पर ...मैं जागता हूँ और फ़िर से सोच में पड़ जाता हूँ ...इस बच्चे नें कौन से धार्मिक ग्रन्थ पढ़े होंगे ? इसका धर्म... इसकी जाति क्या होगी ?
जो भी हो इसके जितनी उम्र में 'मैं' क्या था ? मैंने बहुत सारे धर्म /धर्मियों/ अधर्मियों /ज्ञान/विज्ञानं को पढ़ा और पोथियों को बांचा है... पर मैं ..........अमा लाहौल विला कुव्वत ...'मैं' तो आज भी इसके सामने कुछ भी नहीं हूँ !

4 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है बहुत दिनों बाद आज सब जगह अच्छा पढने को मिल रहा है आपके के लिए मेरी दुआएं साथ है बीबी नुमा जो प्राणी है वो इस संसार की अनुपम कलाकृति है जो सारा दिन काम करते हुए भी नहीं थकती वो भी ऐसे इंसान के लिए जो उसके लिए टाइम भी नहीं निकाल सकता है उसके साथ प्यार के दो मीठे बोल बोलने के लिए ...............

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  2. स्वीट_ड्रीम्स
    आपकी त्वरित टिप्पणी के लिए आभार ! स्त्रियों के बारे में आपके नेक ख्यालात की हम कद्र करते हैं ! आदर सहित !

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  3. nari dinbhar vyast rehne ke bad kisi na kisi tarah apne manoranjan ke liye samay nikal hi leti hai par purush aisa nahi kar pate.

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