उन दिनों मैं जगदलपुर में पहुंचा ही था इसलिए आफिस के बाहर ज्यादा जान पहचान नहीं हुई थी ! तब दूरदर्शन का जन्म भी नहीं हुआ था सो आकाशवाणी के कलाकारों की धूम थी जिसे देखो वही इन कलाकारों से चिपकने की कोशिश करता , वो भी इस उम्मीद से कि शायद इन कलाकारों की मदद से वो भी एयर ट्रांसमिशन का हिस्सा हो जाये ! भाईजान (सब उन्हें यही कहते ) जगदलपुर के पुराने बाशिंदे और देखने में अभिनेता फिरोज खान की मानिंद , आवाज़ बेहद खूबसूरत शायद जगजीत सिंह जैसी , आकाशवाणी में मकबूलतरीन अनाउंसर , उसपे तुर्रा ये कि रंगकर्म से गहरा जुडाव ! उन्हें अपनी मकबूलियत का अहसास ही रहा होगा कि जो भी मिलता , उनकी याददाश्त का हिस्सा नहीं बन पाता था या फ़िर वो जानबूझकर याद नहीं रख पाने का दिखावा किया करते थे ! वैसे जिससे भी मिलते मुस्कराकर ,बहुत गर्मजोशी से !
मोटे तौर पर मुझे आकाशवाणी से कोई लेना देना नहीं था और ना ही आवाज़ की दुनिया में नाम कमाने की कोई ख्वाहिश ही थी !.... एक दिन हमारे भ्रातसम / मित्र , टेलर मास्साब के यहां उनसे मुलाकात हुई जोकि उनके भी अभिन्न थे ! तपाक से बोले अरे आप जगदलपुर में इतने दिनों से हैं पहले कभी मिले नहीं ! मैंने कहा मेरे आफिस में काम ज्यादा है इसलिए शहर की तरफ़ कम ही निकलता हूं ! बात आई गई हो गई ! कुछ महीने बाद वो दोबारा ....हमारे कामन मित्र प्रोफेसर साहब के घर में टकरा गए ! प्रोफेसर साहब नें परिचय करवाया तो बोले अरे भाई कमाल है आप् जगदलपुर में हैं और अपनी मुलाकात ही नहीं हुई ! मुझे मज़ा तो नहीं आया लेकिन शिष्टाचार का तकाज़ा था मैं खामोश रहा ! बात फ़िर से आई गई हो गई !..... फ़िर एक दिन मैं अपने डाक्टर मित्र के पास बैठा हुआ था कि भाईजान का पदार्पण हुआ , निगाहों से ऐसा लगा कि उन्होंने मुझे पहचाना ही नहीं है ! डाक्टर ने लपक कर परिचय करवाया ! वो कह ही रहे थे : 'इससे पहले.......आपसे....' ... और मैं बोल पड़ा ....."जी ये तीसरा मौका है जब मैं आपसे पहली बार मिल रहा हूँ ! " डाक्टर भौंचक ! .....और भाईजान ? ? ?
इसके बाद फ़िर कभी उन्होंने अपनी मेमोरी से मुझे डिलीट नहीं किया !
मेमोरी में रजिस्टर करने के लिए एंटर दबान पड़ता है.!
जवाब देंहटाएंहाहाहा! वैसे याद तो मुझे भी नहीं रहता परन्तु मैं यह सब नहीं कहती। यदि कोई मिले, बात करे तो यह नहीं कहती कि नहीं मिले और क्यों नहीं मिले।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
बहुत सटीक..नहले पर दहला!
जवाब देंहटाएंशाबास !
जवाब देंहटाएंसेर को सवासेर वाली कहावत चरितार्थ हो गई....
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