गुरुवार, 22 जनवरी 2009

ये जो प्रेम ..

जापान के लोगों नें अपने लिए सम्पूर्ण समर्पित , चिरयौवना , रोबोटिक प्रेमिका का अविष्कार क्यों किया है ये तो वही जाने लेकिन हमें ये सब कुछ अपशकुन जैसा लग रहा है क्या अपनी पत्नी और प्रेमिका के साथ जीवन की लम्बी अवधि में होने वाली थोडी बहुत मतभिन्नता भी हमें बर्दाश्त नहीं है जो हम कमनीय किंतु क्रीत दासी जैसी हाँ में हाँ मिलाने वाली सर्वांग सुंदरी का सृजन कर रहे हैं जिसे अपने प्रेमी /मालिक से कोई अपेक्षाएं नहीं होंगी !
ये सच है कि रोबोटिक प्रेमिका अपने मालिक के प्रति एक पक्षीय तौर पर सतत समर्पित अनुगामिनी होगी ,हो सकता है उसमे भावनाएं और संवेदनायें भी सृजित कर दी जाए और वो बच्चे भी पैदा करने में समर्थ हो !
तो भी प्रेम क्या केवल एक पक्षीय दासवत समर्पण है याकि उसमे थोड़ी असहमति , थोड़ा मनुहार और थोड़ी तकरार की गुंजायश भी है ? क्या प्रेम नपे तुले सेक्सी फिगर (मांसल देहयष्टि) की निरंतरता तक ही सीमित है ? क्या हमें अपनी प्रेमिका / पत्नी , की कामनाओं और अपेक्षाओं के साथ साथ उसका बूढा होते जाना भी बर्दाश्त नही है ? हालाँकि हम स्वयं भी तुलनात्मक रूप से उतने ही बूढे होते जाते हैं !
पारस्परिक संबंधों में असहिष्णुता की इतनी भद्दी मिसाल देकर भी हम मर्द , मनुष्य रह जायेंगे क्या ?
.......और वो दुनिया भी क्या दुनिया होगी जबकि स्त्रियाँ भी हम मर्दों की कामनाओं अपेक्षाओं और बुढापे से उकता कर अपने लिए पूर्ण समर्पित, सुंदर ,बांका ,गठीला ,गबरू ,चिर युवा किंतु क्रीत दास जैसा रोबोटिक प्रेमी बना डालेंगी ?
तो हम यह जानने के इच्छुक हैं कि ये जो प्रेम है...... क्या वो एक तरफा स्वार्थ आधारित , अघोषित दासत्व है ? .....याकि उभयपक्षीय सम्मान और सुचिन्ताओं वाला इंसानी गठबंधन ?

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी जिज्ञासा सहज एवं स्वभाविक है. इसके निराकरण के लिए जरुर कुछ लिखा जायेगा जल्दी ही. :)

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  2. बढ़िया, इसपर सोचेगे


    ---आपका हार्दिक स्वागत है
    चाँद, बादल और शाम

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