गुरुवार, 10 जुलाई 2008

शब्द उम्मतें ही क्यों

मेरे ' अंतरजाल स्वजन ' अनन्या टी ने मुझसे पूछा है कि मैंने अपने ब्लॉग का नाम "उम्मतें" ही क्यों रखा और इसका अर्थ क्या है ! श्री अनन्या से मेरे ही ब्लॉग पर मुलाकातें हुई हैं ! शब्दों से वो भले मानुस जान पड़े इसलिए उन्हें 'अंतरजाल स्वजन' कहने और मानने का दिल किया ! उन्होंने पूछा है कि मैंने ब्लागिंग हेतु किसी खास शब्द का उपयोग क्यों किया है !

प्रिय अनन्या "उम्मत "एक उर्दू शब्द है जिसका अर्थ है किसी विशिष्ट अवतार या पैगम्बर को मानने वाला समुदाय ! यानि कि किसी अवतार या पैगम्बर के अनुयाइयों को उसकी " उम्मत "कह सकते हैं  !  ब्लाग में तमाम अवतारों और सारे पैगम्बरों के अनुयाइयों को एक साथ देखने और संवाद के सहअस्तित्व की मेरी ख्वाहिश ने एक वचन 'उम्मत ' को बहु वचन 'उम्मतें ' में बदल  डाला है !

मेरी व्यक्तिगत सोच यह रही है कि ब्लाग 'उम्मतें' मतान्तरों /मतभिन्नताओं और वैचारिक विविधताओं की चौपाल बने ! जिसमे सहभागी प्रत्येक स्वजन अपना मत रखने तथा दूसरे के मत से ससम्मान असहमति व्यक्त करने का अधिकार रखता हो !

वैसे तो 'उम्मतें' की जगह 'सर्व पंथ 'या 'सर्व संप्रदाय' शब्द भी चलन में लिया जा सकता था किंतु नेता टाइप बन्दों ने इन शब्दों की शाब्दिक अस्मिता तार तार कर दी है अतः मुझे तुलनात्मक रूप से 'उम्मतें' नामकरण ठीक लगा !