बहुत समय पहले की बात है , एक विधवा स्त्री और उसका छोटा बच्चा साथ रहते थे ! बच्चा बहुत दयालु था और सभी उसे बेहद पसंद करते थे , किन्तु बच्चा उदास था क्योंकि उसकी कोई दादी नहीं थी , जबकि उसके सभी हमउम्र दोस्तों के पास दादियां थीं ! उसकी मां ने कहा ठीक है , हम तुम्हारे लिए दादी ढूंढेंगे ! एक दिन अपने घर के द्वार पर एक कमजोर और बूढ़ी भिखारिन को देख कर बच्चा बोला, तुम मेरी दादी होओगी ! उसने अपनी मां से कहा , बाहर जो भिखारिन स्त्री है , उसे मैं अपनी दादी बनना चाहता हूं ! उसकी मां ने उस वृद्ध स्त्री को अंदर बुलाया , चूंकि वह बहुत गंदी थी अतः बच्चे ने कहा मां इसे हम साफ़ करेंगे / नहलायेंगे ! उन्होंने ऐसा ही किया ! बूढ़ी स्त्री के सिर से बहुत सारे गोखरू (कटीली संरचनाएं) निकले जिसे उन्होंने एक जार में बंद कर दिया ! इसपर दादी ने कहा इन्हें फेंकना नहीं बल्कि बाग में गाड़ देना और तब बाहर निकालना जब बड़ी बाढ़ आयेगी ! बच्चे ने पूछा बड़ी बाढ़ कब आयेगी ? दादी ने कहा जिस दिन जेल के बाहर वाले दो पाषाण सिंहों की आंखें लाल रंग की हो जायेंगी तब ! बच्चा फ़ौरन सिंह देखने चला गया किन्तु उनकी आंखें लाल नहीं थी ! दादी की सलाह पर बच्चे ने एक लकड़ी की एक छोटी सी नाव बनाई और एक बाक्स में रख दी !
वो हर दिन सिंहों की आंखे देखने जाने लगा जिसके कारण से गली के सब लोग विस्मित होने लगे ! एक दिन चिकन विक्रेता ने उससे पूछा वह सिंहों को देखने क्यों आता है ? इस पर बच्चे ने सब हाल कह दिया , जिसे सुनकर वह हंसा , लेकिन अगली सुबह उसने चिकन का रक्त सिंहों की आंखों में लगा दिया ! बच्चे ने जैसे ही देखा कि सिंह की आंखें लाल हो गई हैं , वह घर की ओर भागा ! उसने दादी को बताया और उसके कहे अनुसार बाग में दबे हुए जार को बाहर निकाला जोकि विशुद्ध सुन्दर मोतियों से भर गया था ! इसके बाद उसने जैसे ही छोटी नाव वाला बाक्स खोला , वो एक बड़े जहाज जैसी बन गई ! दादी ने कहा अपने मोती लेकर इसमें बैठ जाओ और बाढ़ आने पर इसकी तरफ आ रहे सभी पशुओं / जीवों को बचा लेना पर ध्यान रहे काले सिर वाले इंसान को मत बचाना ! यह सुनकर माता और पुत्र जहाज में चढ़ गये और बूढ़ी दादी अन्तर्ध्यान हो गई !
धीरे धीरे बारिश शुरू हुई और फिर जल्दी ही ऐसे कि , जैसे स्वर्ग से पानी उड़ेल दिया गया हो ! बाढ़ आ गई थी ! एक कुत्ता जहाज की ओर आता दिखा उसे बचा लिया गया , फिर चूहे का एक जोड़ा और उसके छोटे बच्चे , जो भय से चिल्ला रहे थे , को भी बचाया गया ! अब तक पानी घरों की छत तक पहुंच चुका था , इसलिए म्याऊं म्याऊं करती एक बिल्ली को भी छत के ऊपर से उठाया गया ! फिर वृक्ष की फुनगी पर कांव कांव करते और जोर जोर से पंख फड़फड़ाते हुए कौव्वे को भी जहाज पर शरण दे दी गई ! इसके बाद भीगे पंखों से बड़ी मुश्किल से उड़ पा रही मधुमक्खियों के एक झुण्ड को भी बचा लिया गया ! तभी काले बालों वाला एक मनुष्य जान बचाने के लिए जहाज की ओर तैरता दिखाई दिया , बच्चे की मां ने कहा , याद रखो दादी ने कहा था कि काले सिर वाले इंसान को नहीं बचाना है ! बच्चे ने कहा जान जाने के भय से पानी में छटपटा रहे मनुष्य को देख कर मुझे दुःख हो रहा है , इसलिए मैं दादी के मना करने के बाद भी इस इंसान को बचाऊंगा ! उसने ऐसा ही किया !
धीरे धीरे बाढ़ कम हुई तो सारे जीव इधर उधर चले गये , जहाज फिर से छोटा हो गया तो उसे फिर से बाक्स में रख दिया गया ! इस बीच काले सिर वाले इंसान की नियत , इनके मोतियों पर लगी हुई थी सो उसने न्यायाधीश से इसकी शिकायत कर दी जिसने इन दोनों को जेल में डाल दिया ! तब चूहों ने जेल के नीचे एक सुरंग खोदी और कुत्ता भोजन के लिए मांस और बिल्ली रोटी लेकर आई , इसलिए वे जेल में भूखे नहीं रहे ! इसी बीच न्यायाधीश के लिए कौवा ,ईश्वर का पत्र लेकर पहुंच गया , जिसमें ईश्वर ने लिखा था कि मैं धरती पर गुप्त रूप से घूमता फिर रहा था , किसी ने मेरी ओर ध्यान नहीं दिया / किसी ने मेरी फ़िक्र नहीं की , किन्तु इन दोनों ने , एक गंदी कमजोर बुढ़िया होने पर भी , मुझे प्यार किया , दया की तथा सगी दादी के जैसा सम्मान दिया ! इसलिए तुम इन दोनों को छोड़ दो वर्ना दंड भुगतने के लिए तैयार हो जाओ ! इस पर न्यायाधीश ने फ़ौरन इन दोनों को बुलाकर बयान लिया , जोकि ईश्वर के कथन जैसा ही था इसलिए उसने इन दोनों को छोड़ कर झूठी शिकायत करने वाले , काले सिर वाले मनुष्य को जेल में डाल दिया !
जेल से मुक्त होकर बच्चा और उसकी मां दूसरे शहर में आ गये ! धीरे धीरे बच्चा बड़ा हुआ ! उस शहर की राजकुमारी अपने लिए सुयोग्य वर ढूंढ रही थी ! उसने एक सार्वजनिक स्थल में कई अन्य युवतियों के साथ स्वयं को कचरे के डिब्बों में छुपा लिया ! यह अच्छा वर ढूंढने की एक प्रतियोगिता थी ! राजकुमारी से विवाह के इच्छुक अन्य दावेदार संभ्रमित होकर सही डिब्बे को ढूंढ नहीं सके , तभी युवा हो चुका , वो बच्चा वहां पहुंचा ! उसने देखा कि बाढ़ के समय बचाई गई मधुमक्खियां एक डिब्बे के ऊपर मंडरा रही हैं ! सो , उसने उसे ही चुना , उसमें राजकुमारी थी ! राजकुमारी की सही पहचान कर पाने के कारण उन दोनों का ब्याह हो गया और वे खुशी खुशी साथ रहने लगे !
सबसे पहले इस चीनी लोक आख्यान से मिले एक संकेत की ओर ध्यान दिया जाये ! बाढ़ से बचने और जेल से मुक्त होने के बाद बच्चा / युवा किसी दूसरे शहर में चला जाता है , जहां एक राजकुमारी और बहुत से लोग रहते हैं ! इस कथा में बच्चे के कस्बे वाली बाढ़ की विपदा के समय , राजकुमारी और उसके शहर के अन्य लोगों का कोई उल्लेख नहीं है ! कहने का आशय ये है कि ना तो वे बाढ़ में डूब रहे होते हैं और ना ही उन्हें नाव के सहारे बचाया गया था इसलिए संभावना यह है कि बच्चे के कस्बे में आई बाढ़ केवल उसके कस्बे तक ही सीमित है और उससे दूसरे शहर के लोग प्रभावित नहीं हुए होंगे ! अतः इस कथा से , जलप्रलय के आख्यानों में उल्लिखित बाढ़ों के विश्वव्यापी होने के बजाये स्थानीय होने के कथन को ज्यादा बल मिलता है , यानि कि अपना समुदाय...अपनी जलप्रलय और अपना लोक आख्यान !
अब प्रश्न ये है कि एक ही कस्बे में बाढ़ की विपदा से बच्चा और दूसरे जीव जंतु प्रभावित हुए तो फिर न्यायाधीश और उसकी जेल क्यों नहीं ? संभावना ये है कि बाढ़ से बचाये गये जीव जंतुओं द्वारा उपकार का बदला चुकाने के दृष्टांत हेतु तथा दुष्ट मनुष्य की दुष्टता के प्रतिकार स्वरुप दंड के प्रावधान को दर्शाने के लिए , ये तत्व कथा में अलग से जोड़े गये होंगे , या फिर वे धरती पर ईश्वर के कर्मचारी / प्रतिनिधि है , जो अच्छों की जय का पाठ पढ़ाने के लिए तैनात हैं , शायद इसीलिए ईश्वर का पत्र उन्हें हुक्मनामे की तरह से स्वीकार्य भी हुआ ! एक प्रतीकात्मक संभावना ये भी है कि बाढ़ दुष्टों के विरुद्ध है ना कि न्याय करने वालों के विरुद्ध , और एक ये भी कि , संकट गरीब गुरबा पर आता है तो उन्हें बचने के लिए नाव चाहिये होती है , जबकि बड़े / समृद्ध लोगों के पास , बड़े भवन या दूसरे विकल्प होते ही होंगे ! बहरहाल इस कथा में , वे बाकायदा जीवित हैं और बाढ़ से अप्रभावित भी , तो बिना तर्क यह मान लिया जाना चाहिये कि ईश्वर ऐसा चाहता था ! वे कैसे बचे ? फिर ईश्वर ही जाने !
आख्यान का बच्चा दयालु है , वह विधवा का बेटा है इसलिए वंचित होने का दुःख उसे बेहतर ढंग से पता है , इधर ईश्वर अच्छे लोगों की खोज में सारी बस्ती भटकता फिरा पर किसी ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया क्योंकि वह वृद्ध और असहाय और अस्वच्छ दिखाई दिया ! बच्चे और उसकी मां की सहृदयता , बहुरूपिये ईश्वर को पसंद आती है इसीलिए वह उनके लिए , संकट से बचने और समृद्धि का इंतजाम कर देता है ! वह उन्हें काले सिर वाले मनुष्यों से दूर रहने की सलाह देता है किन्तु उसकी सलाह नहीं मानने वाले बच्चे से रुष्ट नहीं होता , उसकी प्रशंसा करता है ! उसे दोबारा कारगार वाले संकट से बचाता है ! संभवतः उस बस्ती के मनुष्यों को ईश्वर ने दुष्ट मान लिया होगा और बाढ़ से उनके सम्पूर्ण विनाश की कामना के अंतर्गत बच्चे से कहा कि किसी काले सिर वाले मनुष्य से दूर रहना ! हो सकता है कि कलुष हृदय मनुष्यों के लिए प्रतीकात्मक तौर पर काले सिर वाला संबोधन दिया गया हो जैसा कि बाढ़ से बचाये गये मनुष्य की नियत और उसके व्यवहार से उसकी हृदयगत कलुषता की अभिव्यक्ति होती ही है !
यह कथा अच्छे लोगों के लिए ईश्वर के आशीष और बुरे लोगों के लिए दंड का बखान करती है ! ईश्वर को दया और करुणा जैसे मानवीय गुण प्रिय हैं , इसलिए वह उनके लिए,जोकि दयावान होने की कसौटी पर खरे उतरते हैं , पशु / पक्षियों तक से उपकार का बदला चुकाए जाने जैसे कृत्य करवाता है और जो लालची तथा दुष्ट हैं , कृतघ्न हैं , उन्हें दण्डित करता है !
[ मित्रो लोक आख्यान श्रृंखला फिलहाल यहीं पर विश्राम करेगी ! कुछ समय बाद इसके अंक आहिस्ता आहिस्ता आते रहेंगे ]