सोमवार, 26 मई 2025

जीना और एतिबेन

जीना और एतिबेन मोपुंगचुकेट गांव में रहते थे।जीना,साधारण शक्ल-ओ-सूरत का युवा था जिसे कोटा-कोनी बजाने में महारत हासिल थी जबकि एतिबेन बेहद हसीन युवती थी। एक तरफ जीना बेहद गरीब  परिवार में जन्मा था और उसे अभावों में जीने की आदत पड़ चुकी थी,  दूसरी तरफ एतिबेन का जन्म एक सम्पन्न परिवार में हुआ था और उसकी  खूबसूरती के चर्चे आस पास के गांव तक में, हुआ करते थे । अनेकों धन संपन्न घरानों के सुंदर युवा एतिबेन से विवाह करना चाहते थे लेकिन संयोग ऐसा बना कि एतिबेन,जीना के प्रेम मे मुब्तिला हो गई और उन दोनों ने एक साथ, जीने मरने की कसमें खाईं। वो दोनों पहाड़ों, नदी, तालाबों के आस पास छुप छुप कर मिला करते,जहां जीना, कोटा कोनी बजाता और एतिबेन अपने स्वर्ण आभूषणों को साफ किया करती थी। वक्त गुज़रा और ये प्रेम कथा पूरे गांव में आम हो गई। 

एतिबेन के समृद्ध परिजन इस रिश्ते से खुश नहीं थे । उन्होंने जीना से कहा अगर वो वधु मूल्य बतौर गाय और बैलों की व्यवस्था कर सकता हो, तो वो उससे, एतिबेन का विवाह कर सकते हैं अन्यथा ये रिश्ता उन्हें मंजूर नहीं है, चूंकि जीना बहुत गरीब था तो, वो वधु मूल्य की व्यवस्था नहीं कर पाया, नतीजतन एतिबेन के माता पिता इस रिश्ते के सख्त खिलाफ हो गए । इसी दौरान सुंगरात्सु गांव का तेन्यूर नाम का युवा एतिबेन से विवाह की लालसा लिए एतिबेन के माता पिता से मिला, वो अपने साथ अनेकों गायों और बैलों की व्यवस्था करके आया था अतः एतिबेन के माता पिता ने इस रिश्ते के लिए हामी भर दी । अभिभावकों के फैसले से असहमत एतिबेन ने बीमार होने का अभिनय किया और भांति भांति के बहाने बनाए, लेकिन वो अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद तेन्यूर से अपना विवाह रोक नहीं पाई । 

एतिबेन के विवाह के तेन्यूर से विवाह के बावजूद दोनों प्रेमी छुप छुपा कर मिलने लगे, उन्होंने तय कर लिया था कि वे अपने प्रेम संबंध को बनाए रखेंगे । एतिबेन का पति तेन्यूर शक की बिना पर उन्हें अक्सर ढूंढता फिरता । वो एतिबेन को डांटता और जीना से नहीं मिलने की हिदायत देता रहता । एक दिन तेन्यूर ने उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया और गुस्से में एतिबेन को बुरी तरह से पीटा, इसके बाद घायल और बेहोश एतिबेन को खेत में छोड़ कर चल गया । जीना ने उसकी सेवा सुश्रुषा की लेकिन गहरी चोटों के कारणवश एतिबेन की मृत्यु हो गई इसके फौरन बाद प्रेमिका की जुदाई में शोकाकुल जीना ने भी दम तोड़ दिया । प्रेमी युगल ने मृत्यु से पूर्व एक दूसरे से वादा किया था कि वो पाताल लोक में दोबारा मिलेंगे । उन दोनों की अंतेष्टि के समय गांव वालों ने देखा कि दोनों चिताओं से धुवें की आकृति आसमान की तरफ उठ रही थी । यह आकृतियां एक दूसरे का हाथ इस तरह से थामी हुई थीं, कि जैसे, उनके प्रेम को हमेशा हमेशा के लिए जीवित रहना हो । 

वास्तव में ये कथा दुखांत प्रेम कथा है जो मृत्यु के उपरांत भी एक दूसरे का साथ देने की वचनबद्धता के प्रातीतिक संकेत पर समाप्त होती है उनकी अमर सहयात्रा को गांव वालों ने चिता से उठते धुवें के रूप में स्वीकार किया । धुवें के एक्य  पर गांव के लोग विस्मित थे । इस मिथक से कुछेक तथ्य स्पष्ट मुखरित होते हैं जैसे कि, प्रेमी जोड़ा नागालैंड के एक ही आदिवासी समुदाय से संबंधित था अतः उनके रिश्ते के सामने विजातीयता जैसी बाधा नहीं थी उनकी अमर सहयात्रा को अचंभित गांव वालों ने चिता से उठे धुवें के रूप में स्वीकार किया। उनमें अगर कोई भेद था तो वो विशुद्ध रूप से आर्थिक और दैहिक सौन्दर्य आधारित था । इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि अन्य आदिवासी कबीलों की तरह से प्रेमी युवक को विवाह के लिए वधु मूल्य चुकाना प्रस्तावित था जिसमें वो अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के चलते असफल रहा और युवती के माता पिता ने इसी आधार पर प्रेम से विवाह तक की उनकी यात्रा पर पूर्णविराम लगा दिया यानि कि उक्त कबीले में वैवाहिक जीवन का प्रारंभ वधु मूल्य चुकाये बिना संभव नहीं था।

कालांतर मे एतिबेन के माता पिता को तेन्यूर मिला जो वधु मूल्य चुकाने मे पूर्णतः समर्थ और देह सुदर्शन युवक भी था अतः उसके विवाह प्रस्ताव को स्वीकार करने में युवती के माता पिता को ज़रा सी भी देर  नहीं लगी। युवती ने बहुविध चेष्टाओं से इस विवाह को टालने का यत्न किया किन्तु असफल रही और उसे तेन्यूर से विवाह करना ही पड़ा। अपने ही कबीले के धन सम्पन्न और सुदर्शन युवा से विवाह होने के बावजूद वो अपने प्रथम प्रेम से विमुख नहीं हुई और नायक जीना से छुप छुप कर मिलती रही । प्रथम प्रेम के लिए यह समर्पण अद्भुत है । आर्थिक भेदभाव के इतर लोक कथा कहती है कि जीना खूबसूरत युवा नहीं था किन्तु एतिबेन असाधारण सौन्दर्य की स्वामिनी थी ऐसे में उनके प्रेम का कोई निश्चित फार्मूला दिखाई नहीं देता । क्या जीना का कोटा कोनी बजाने में निष्णात होना इसका आधार हो सकता हैं ? हम साधिकार, कुछ कह नहीं सकते। निष्कर्ष शायद सांगीतिक दक्षता की हां या शायद ना हो ।

बहरहाल प्रेम कहीं भी, कभी भी घट सकता है जो वैवाहिक मान्यता प्राप्त पति के धन अथवा सौन्दर्य से बंध कर रहे ऐसा आवश्यक नहीं है। पति का संदेह प्रबल था और जैसे ही प्रेमलीनता उजागर हुई पति ने पत्नि को शारीरिक बलाधारित दंड दिया। पति का यह कृत्य निंदनीय माना जाएगा पर इसे उस पुरुष अथवा स्त्री का सहज स्वभाव भी माना जाए है , जोकि स्वयं को प्रेम में पराजित  / छला हुआ महसूस कर रहा हो । गंभीर चोटों से मृत हुई एतिबेन और प्रेमिका के वियोग में कदाचित, हृदयाघात से मृत जीना, मृत्यु पूर्व एक दूसरे को आश्वस्ति देते हैं कि वो दोनों सदैव एक दूसरे के साथ रहेंगे । कथा में दिलचस्प तथ्य यह कि मृत्यु के उपरांत उनका स्वर्गलोक वास्तव में पाताल लोक है । 

कोई टिप्पणी नहीं: