बुधवार, 25 सितंबर 2024

लस्सारा और संगीतकार

मुद्दतों पहले की बात है, एक शक्तिशाली आयरिश कबीले के मुखिया की बेटी का नाम लस्सारा था । मुखिया के दरबार में एक युवा संगीतकार था जो मंत्रमुग्ध करने वाली प्रस्तुतियां दिया करता उस दौरान लस्सारा चुपचाप मंच के पिछले हिस्से में चली जाया करती । असल में वो संगीतकार पर फिदा हो गई थी । कुछ ही दिनों बाद उन दोनों के दरम्यान गोपनीय खतों का आदान प्रदान शुरू हो गया । खत वफादार नौकरों की मदद से एक दूसरे तक पहुंचाए जाते थे । हालांकि उनके प्रेम के भविष्य के बारे में केवल दो संभावनाएं मौजूद थीं, एक तो यह कि मुखिया इस विवाह को कभी अनुमति नहीं देंगे और दूसरा ये कि संगीतकार को राज्य से निकाल दिया जाएगा या अन्य कोई दंड जो मुखिया को सूझे, दे दिया जाएगा । लस्सारा और उसके प्रेमी ने मुखिया के कोप से बचने के लिए कबीले से दूर भागने की योजना बनाई ।

उनका ख्याल था कि वे कहीं और जाकर बस जाएंगे और खुशी खुशी एक साथ ज़िंदगी बिताएंगे । उन्होंने पाल वाली नौका में बैठकर जल मार्ग से भाग निकलने का स्वप्न देखा था जोकि कभी पूरा नहीं हुआ उस रात तूफान आया हुआ था और उन्होंने नौका के सहारे पलायन कर जाने का सोच रखा था, किन्तु उन्हें यह भी ध्यान नहीं रहा कि वे जाएंगे कहां ? अतः प्रेमियों का पलायन किसी ठोस आधार सुरक्षित और नियोजित नहीं था । तय यह हुआ कि संगीतकार वीणा बजा कर संकेत देगा तब लस्सारा घर से बाहर निकलेगी।लस्सारा सोचती थी कि वो आयरलैंड की अभिशापित छाया से आजाद होकर ही खुश रहेगी । बहरहाल तूफ़ानी रात में दोनों प्रेमी नाव तक पहुंच गए और नाव में पाल को तान दिया । लेकिन उनका यह प्रयास अल्पकालिक आजादी तक ही सीमित रह गया । बहुमंजिली कोठी के पहरेदारों को नाव की गतिविधियां संदिग्ध लगीं तो उन्होंने त्वरित कार्यवाही करते हुए नाव को रोकने की चेतावनी दी ।

उन्हें पता नहीं था कि नाव में कोई मित्र है अथवा शत्रु । नाव नहीं रुकी तो उन्होंने तीर चला दिया जोकि संगीतकार के सीने पर जा लगा और उसकी इह लोक लीला तत्क्षण में ही समाप्त हो गई । अब नाव में केवल लस्सारा का रुदन गूंज रहा था । उसके सपने टूट चुके थे । उसका प्रेमी मर चुका था । पहरेदारों ने बेसुध लस्सारा को पकड़ लिया जोकि बारिश और आंसुओं से भीग रही थी । पहरेदारों ने उसे पहचान लिया और महल के अंदर ले गए । उसका पिता बेहद सख्त मिजाज आदमी था । उसने उसे बंदीगृह में डाल दिया जिसकी ठंडी दीवारें उसके दु:ख को बढ़ा रही थीं । कुछ समय बाद एक पहरेदार ने उसका हाल जानने के लिए बंदीगृह को खोला तो वो भागती हुई कोठी की सीढ़ियां चढ़ने लगी और सबसे ऊपर पहुंच कर उसने खाड़ी की ओर छलांग लगा दी और प्रेमी की मृत्यु के निकट स्थल पर अपनी लोक लीला समाप्त कर ली ।

इस आयरिश मिथक से दो तथ्य स्पष्ट होते हैं । एक तो यह कि लस्सारा मुखिया की पुत्री थी अतः उसे कुलीन वर्ग का सदस्य माना जाएगा और दूसरे यह कि संगीतकार भले ही मनोहारी संगीत की रचना करने वाला युवा था, किन्तु उसे मुखिया के दरबार में आजीविका के वास्ते संगीत सृजन करने और प्रस्तुतियां देने वाला युवक माना जाएगा अतः वो निश्चित रूप से दरबारी कारिंदा होने के आशय में, मुखिया के परिवार से निचले क्रम के सामाजिक,आर्थिक स्तर का युवक समझा जाएगा । कथनाशय यह कि प्रेमी युगल में से नायिका अभिजात्य वर्गीय और नायक तुलनात्मक रूप से सामान्य वर्गीय सामाजिक संस्तरण का सदस्य है । आख्यान के अनुसार नायिका की पहल पर, वे दोनों एक दूसरे पर मुग्ध हैं किन्तु उन्हें आशंका है कि मुखिया उनके प्रेम संबंध को स्वीकार नहीं करेगा । इसलिए उनका सह पलायन उन्हें अपरिहार्य प्रतीत होता है ।

वे सहपलायन के अवसर की तलाश में थे लेकिन उन्होंने भविष्य की बसाहट की कोई योजना नहीं बनाई थी। कथा का यह संकेत जन प्रचलित उक्ति का उद्धरण पेश करता है कि प्रेम अंधा होता है । वे प्रेम के प्रतिकूल स्थान से भागना चाहते थे पर कहां जाएंगे, कैसे बसेंगे ? इसका कोई चिंतन नहीं किया उन्होंने । यह संभव है कि नायक की सांगीतिक दक्षता के आधार पर वे भविष्य में, स्वयं को आर्थिक रूप सुरक्षित महसूस करते हों पर मृत्यु के भय से निरापद स्थल और सुरक्षित बसाहट का कदाचित उन्होंने विचार ही नहीं किया । आख्यान के अनुसार वे कोठी के निकट की खाड़ी से पाल नौका में भागना चाहते थे, जिसके खेवनहार वे दोनों ही थे । किसी नौका चालक का उल्लेख कथा में नहीं है अतः वे दोनों पलायन के समय किसी अन्य निष्णात व्यक्ति / मल्लाह पर विश्वास नहीं करते थे ऐसा प्रतीत होता है ।

यह अजीब लगता है कि सह पलायन के लिए उन्होंने तूफ़ानी रात को चुना जिसमें पाल नौका बेहद असुरक्षित मानी जाएगी । बहरहाल वे अपनी पहचान छिपाकर भागने के इच्छुक थे अतः सतर्क पहरेदारों की चेतावनी को अनसुना करने के यत्न में नायक अपने प्राण गवां बैठा । उसके देहांत से नायिका शोक संतप्त है और बंदीगृह से पलायन करते हुए आत्म हत्या के लिए, सांकेतिक रूप से खाड़ी की उसी दिशा को चुनती है जहां नायक की मृत्यु हुई थी । कथा दु:खांत है जहां कुलीन वर्ग, सामान्य वर्ग से होने वाले पारस्परिक संबंधों के विरुद्ध खड़ा है । अपनी ही पुत्री को बंदी बनाने से यह विरोध स्वतः स्पष्ट होता है । हालांकि  इस आख्यान से यह तथ्य भी मुखरित  होता है कि प्रेमलीन युवा पीढ़ी, वर्ग भेद के पक्ष में नहीं है । लेकिन एक सवाल यह भी है कि, यदि नायक पहरेदारों के हाथों नहीं मारा जाता तो क्या तूफ़ानी रात में खाड़ी की उत्ताल तरंगों के दरम्यान पाल नौका उन दोनों के जीवन की आश्वस्ति देती है ?