कोमो बांका सजीला, ऊंचे पूरे कद का युवक था और कबीले की
परंपरा के अनुसार उसकी दो पत्नियां थी, एक उना जो बेहद
खूबसूरत थी और दूसरी चाहा जोकि साधारण शक्ल-ओ-सूरत की युवती थी किन्तु स्वभाव से
दयालु और कोमल हृदय थी । कोमो, उना को बहुत चाहता था लेकिन चाहा के स्वभाव
ने उसका दिल जीत लिया और वो चाहा की तरफ ज्यादा ध्यान देने लगा, इस वजह से उना की
ईर्ष्या और चाहा के प्रति उसकी नापसंदीदगी दिन-ब-दिन बढ़ने लगी । उसने कोमो से कहा कि आप मुझसे ज्यादा, चाहा को पसंद करते
हैं जबकि मैं आपके 3
बच्चों की मां हूं । इसलिए आपको चाहिए कि आप चाहा के बजाय सिर्फ मुझे पसंद करें । यह सुनकर कोमो मुस्कुराया और उसने उना की बात का कोई जवाब
नहीं दिया, इस पर उना को और ज्यादा गुस्सा आ गया, उसने कहा कि मैं आपको और आपके
बच्चों को छोड़कर कहीं दूर चली जाऊंगी ।
उना को यह उम्मीद थी कि कोमो उसे रोकेगा और कहेगा मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्यार
करता हूं और तुम मेरे बच्चों की मां हो, मुझसे दूर मत जाओ, लेकिन कोमो ने ऐसा नहीं
कहा, हालांकि वह उना को प्यार करता था और उसे अपने प्यार पर भरोसा था । इसलिए उसने कहा, अगर तुम चाहो तो जितनी जल्दी और जहां चाहो
वहां जा सकती हो । यह सुनकर उना, धीरे-धीरे अपना सामान बांधने लगी, उसने सभी प्रकार के बीज, कंद,
जड़ें और जामुनों को बांधा, सभी तरह के फूलों के पौधों को भी अपने सामान के साथ रख
लिया । उसकी
निराशा बढ़ती जा रही थी और वह भारी क़दमों
से कोमो से दूर जाने का दिखावा करने लगी । जिसे देखकर उसके तीनों बच्चे जोर जोर से रोने लगे । उना को लगा कि
बच्चों के रोते देख कर कोमो से उसे वापस बुला लेगा, किंतु ऐसा नहीं हुआ ।
वह अकेले ही पहाड़ से घाटी की ओर उतरने लगी, कुछ दूर जाकर, उसने पीछे मुड़कर
देखा, उसे उम्मीद थी कि, कोमो उसे रुक जाने के लिए कहेगा, थोड़ी दूर जाकर वह एक छोटी
पहाड़ी पर रुकी और उसने अपने पंजों पर खड़े होकर अपने बच्चों और कोमो को देखा, फिर
भी कोमो ने यह नहीं कहा कि उना वापस आ जाओ । वह रुक रुक कर दक्षिण दिशा में जा रही थी, जहां ढेर सारे पहाड़ और पहाड़ियां थे, जिनकी उनकी ऊंचाई,
कोमो जितनी नहीं थी । इसके बावजूद कोमो ने उसे वापस नहीं बुलाया, उना सुदूर दक्षिण में एक ऊंचे पहाड़
की चोटी पर चढ़कर, पंजों पर खड़ी हो कर कोमो और बच्चों को देखने लगी, उसे उम्मीद थी कि इतनी ऊंचाई पर कोमो और बच्चे
उसे देख लेंगे।
उना अब काफी ऊंचाई पर थी, हालांकि उसे यह विश्वास हो चला था कि, उसका पति नहीं चाहता कि वह घर वापस आए तो उसने
उसी ऊंचाई पर एक कुटिया बनाने का फैसला किया । अब तक के हालात से
उना को यह स्पष्ट हो गया था कि, इसी जगह से वह अपने परिवार को देख सकेगी, तो उसने,
अपने साथ लाए हुए सारे बीज, जड़े और कंद निकाल कर अपने चारों तरफ रोप दिए और पहाड़
पर रहते हुए, बागवानी करने लगी । कुछ महीने गुजरे तो चाहा ने कोमो से कहा मैं अपनी मां से
मिलना चाहती हूं क्योंकि मैं एक बच्चे की मां बनने वाली हूं इसलिए मुझे अपनी मां
से मिलने की इच्छा हो रही है, कोमो ने पूछा कि तुम अपनी मां के पास कैसे जा सकती
हो जबकि हमारे और तुम्हारे मायके के बीच में पेड़ों और पहाड़ों के अलावा कुछ भी
नहीं है । मुझे यह भी पता नहीं है कि, मैं तुम्हें तुम्हारे मायके तक कैसे पहुंचा सकता
हूं ।
चाहा ने कहा कि आपको मेरे लिए रास्ता बनाना होगा, क्योंकि मैं अपनी मां से हर
हाल में मिलना चाहती हूं । इस पर कोमो ने ऊदबिलाव, भालू, चूहे जैसे सभी जानवरों को एक
साथ बुलाया, जो अपने नुकीले पंजों का इस्तेमाल कर सकते थे । कोमो के कहने से, इन जानवरों ने एक गहरी खाई खोदी जो इतनी
चौड़ी थी कि उसमें से दो डोंगी एक साथ गुजर सकें, तब कोमों ने अपने इर्द-गिर्द के
पहाड़ों से इतना पानी उस खाई में डाला जब तक कि, वो खाई डोंगियों के तैरने लायक
नहीं हो गई । उसने इस खाई को नुक्सैक नदी का नाम दिया जोकि आगे चलकर खारे पानी में मिल जाती
है । यात्रा
शुरू करने से पहले चाहा ने अपने साथ कई तरह के खाद्य पदार्थ और बीज इकट्ठे किए,
फिर वह ढोंगी में बैठकर नदी में चली और आगे चलकर खारे पानी में जा पहुंची ।
चाहा राह में मिलने वाले हर द्वीप में कुछ ना कुछ खाकर छोड़ती जाती, जैसे कि, सीपी,
मछली, कैमास, बेर, जामुन वगैरह वगैरह । तो इन सारे द्वीपों में आज भी चाहा की छोड़ी हुई सामग्री, पौधे या जीव के रूप में मिलते हैं
जिसे गांव के लोग अपनी भोजन सामग्री के रूप में इकट्ठा करते रहते हैं । इसके बाद चाहा एक समतल भूमि पर जा पहुंची और उसने फैसला
किया कि वह यहीं बस जाएगी । वो बहुत देर तक अपने लिए एक बेहतर जगह चुनने की कोशिश कर
रही थी । इस समय उसके जिस्म के चारों तरफ तेज हवाएं चली और बवंडर बनते गए, जिन्होंने बहुत दूर-दूर के गांव के लोगों को भी
अपनी तरफ खींच लिया और निगल लिया ।
चाहा वहीं खड़ी रही और तेज हवाएं उसके चारों तरफ चलती रहीं, तब सृजनहारा, उसके
पास आया और उसने चाहा से कहा, तुम लेट क्यों नहीं जाती? जब तक तुम खड़ी रहोगी, इन हवाओं से बवंडर पैदा होते
रहेंगे और वे सभी लोगों को अपने अंदर खींच लेंगे । यह सुनकर चाहा लेट गई और सृजनहारे ने उसे स्पाइडेन द्वीप
में बदल दिया । इसके बाद उसके बच्चे के जन्म हुआ जो, एक छोटे से द्वीप के रूप में प्रकट हुआ
जो स्पाइडेन के समीप था जिसे आज के समय में सेंटिनल द्वीप कहते हैं । काफी लंबा वक्त गुजर चुका था । कोमो ने अपने बच्चों के साथ उत्तर पश्चिमी तट की सीमा के
पहाड़ों को छोड़ दिया और अपनी पत्नियों को देखने की कोशिश करने लगा ।
दक्षिण दिशा की लंबी यात्रा, में उन्हें अपनी बाहें फैलाए हुई, उना दिखी,
जिसके लगाए हुए बीज, माउंट रेनियर के चारों तरफ पेड़ बनकर बड़े हुए और फैल गए थे । पहाड़ की, निचली ढलान पर रंग बिरंगे फूल खिले दिखाई दिए । कोमो के साथ चल रहे उना के तीनो बच्चे ऊंचे ऊंचे पहाड़ों
में तब्दील हो गए और खुद कोमो एक सफेद चमकदार पहाड़ की तरह से खड़ा होकर, अपने
बच्चों और अपनी दोनों पत्नियों को लालसा के साथ देखता है ।
यह आख्यान लुमनी कबीले का है, जो प्रकृति प्रेमी है और पहाड़ों, मैदानों,
द्वीपों तथा फूलों, दरख्तों, पानी, हरियाली
यहाँ तक कि, प्रकृति की हर एक शय को
मनुष्यों से जोड़कर देखते हैं और जिनका मानना है कि, प्रकृति मनुष्यों से
अभिव्यक्त होती है । वह प्रेम में, विरह में, और जीवन के
तमाम आयामों में मनुष्यों से, प्रकृति के रूप में कायांतरित होती है । कुल मिलाकर यह कथा
प्रकृति और मनुष्यों के बीच बेहतर समझ की कथा है, जिसमें मनुष्य, प्रकृति
को अपने ही रूप में देखते हैं और प्रकृति मनुष्य के जीवन में रंग भरती है तथा उनके
जीवन यापन एवं अस्तित्व का आधार बनती है ।
इस कथा में कोमो को एक ऊंचे पहाड़ जैसा खूबसूरत मनुष्य बतलाया गया है जोकि शुभ्र वस्त्र पहनता है । यह सांकेतिक रूप से किसी पहाड़ के बर्फ से ढके होने का प्रतीक है। इसी के बरअक्स उना जो सुंदर है, किंतु स्वयं से कम सुंदर चाहा से ईर्ष्यालु हो गई है।वह कोमो पर एकाधिकार चाहती है,भले ही कोमो से उसके 3 बच्चे हो चुके हों और जिससे यह सिद्ध होता हो कि, कोमो उसे अत्यधिक प्रेम करता है । लेकिन कथा से यह तथ्य भी उदघाटित होता है कि उना की सुंदरता और उर्वरता, कोमो के प्रति सम्पूर्ण प्रेम समर्पण के लिए पर्याप्त नहीं है । कोमो उना की ईर्ष्यालु और एकाधिकारवादी प्रवृत्ति से संतुष्ट नहीं है, बल्कि उसे चाहा का दयालु और कोमल हृदय होना, भाने लगता है । हम कह सकते हैं कि लुमनी कबीला बहुपत्नी विवाही है और इस कबीले में स्त्रियों के सौंदर्य से अधिक उनकी दयालुता और कोमल हृदय होने के गुण को वरीयता दी जाती है ।
स्पष्ट है कि कोमो अपनी दूसरी पत्नी चाहा के स्वभाव पर आसक्त हो जाता है और
उससे प्रेम करने लगता है जबकि चाहा से उसकी कोई संतान भी नहीं है । इस कथा में अद्भुत तरीके से उना के मन में आ जा रहे विचारों
को अभिव्यक्त किया गया है।उना कोमो का घर छोड़ना नहीं चाहती लेकिन वह उसे बिछड़ जाने
का नकली भय दिखाकर, प्रेम समर्पण के लिए विवश करना चाहती है, परन्तु कोमो, ऊना के
इस मोह जाल से मुक्त रहता है । इसके बाद उना अपने बाहर जाने की तैयारी बड़े अनमने ढंग से
करती है , क्योंकि वह वास्तव में कोमो से दूर नहीं जाना चाहती और उसकी इच्छा है कि
कोमो से उसे मना ले और कहे कि मैं तुमसे, सबसे ज्यादा प्रेम करता हूं , तुम रुक
जाओ यद्यपि कोमो ऐसा नहीं करता और फिर बहिरागत होती हुई, उना अपने बच्चों के रुदन
पर यकीन करती है कि,शायद बच्चों से बिछड़ती हुई मां के लिए कोमो का हृदय पिघल जाए ।
कथा में यह बेहद मार्मिक बिंदु है कि पत्नी अपने पति को छोड़ना भी नहीं चाहती,
अपनी बात मनवाना चाहती है और इसके लिए वो घर से प्रस्थान का अभिनय भी करती है तथा
सोचती है कि कोमो उसे मना लेगा, वापस आने के लिए कहेगा, लेकिन ऐसा नहीं होता,
विवशता में उना घर से दूर होती जाती है और अंततः किसी ऊंचे पहाड़ की चोटी पर पंजों
के बल खड़े होकर, अपने परिवार को देखती है कि उसके परिजन उसे वापस बुला ले और यह
विश्वास होने पर कि परिजन उसे वापस नहीं बुलाने वाले हैं, वह वही बस जाती है, और
अपने साथ लाए हुए बीज, कंद मूल इत्यादि उसी ऊंचाई पर रोप देती है ताकि प्रकृति नए
सिरे से पुष्पित, पल्लवित हो और वह अपने बच्चों को उस ऊंचाई से देखती रहे। कथा आगे चलकर यह कथन करती है कि चाहा भी प्रसव पूर्व अपने
मायके जाने के नाम पर कोमो से आग्रह करती है कि वो पहाड़ों के दरमियान एक रास्ता
बनाए, जहां से चाहा अपने मायके की ओर प्रस्थित हो सके ।
यह कथा बेहद शानदार तरीके से आगे बढ़ती है, कोमो हतप्रभ है, किंतु चाहा के
मायके जाने वाले आग्रह को टाल नहीं सकता, वह पहाड़ों और पेड़ों के बीच में से एक
नदी नुमा रास्ते की कामना करता है और इसके लिए वो उन जीवो की सहायता लेता है,
जिनके नाखून बड़े हैं। पहाड़ों के बीच में से नदी का गुजरना और नदी में नाव तैरने लायक पानी का होना
बेहद दिलचस्प कथन है, क्योंकि पहाड़ों की बर्फ पिघल कर नदी नालों में रूपांतरित होती है और जिनका
उपयोग मनुष्य, छोटी-छोटी डोंगियों में यात्रा के समय कर लिया करते हैं।बहरहाल चाहा अपनी यात्रा के पूर्व सभी तरह की खाद्य सामग्री
रखती है और रास्ते में पड़ने वाले अलग-अलग द्वीपों पर अलग-अलग सामग्री छोड़ती जाती
है,जोकि कालांतर में उन द्वीपों की पहचान बन जाती है और जिसके आधार पर लुमनी
कबीले के लोग अपने जीवन यापन के लिए भिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री जुटा लेते हैं।चाहा गर्भवती है वो जब तक खड़ी रहती है,तब तक हवाओं के
बवंडर आते हैं लेकिन लेटते ही एक द्वीप बन जाती है और उसकी आगत संतान भी एक नन्हा
सा द्वीप बन जाता है ।
सांकेतिक रूप से यह कथन बेहद दिलचस्प है कि चाहा अनेकों द्वीपों में खाद्य सामग्री के स्रोत पैदा करती जाती है और अंततः स्वयं एक समतल द्वीप में परिवर्तित हो जाती है, तथ्य
यह कि कोमो की दो पत्नियों में से एक, पहाड़ों की ऊंचाई पर और दूसरी द्वीपों की
निर्मिति पर अपना ध्यान केंद्रित करती हैं । उना हरियाली और रंगत बिखेरती है जबकि चाहा जीवन के लिए
भिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री का प्रबंध कर देती है । इधर कोमो अपनी पत्नियों की
जुदाई को महसूस करता है और उत्तरी पश्चिमी दिशा से दक्षिण दिशा की ओर प्रस्थित होता
है, उसके साथ उसके तीनों बच्चे हैं, जो ऊंचे कद के हो गए हैं और वे सभी एक ही
स्थान पर जाकर अपनी मां उना को देखते हैं , उन्हें लगता है कि जैसे उना बाहें फैलाए उनका इंतजार कर रही है और वे तीनों
स्वयं भी पर्वतों के रूप में तब्दील हो जाते हैं ।
इस तरह से ऊना और उनकी संताने पर्वतों के रूप में दृश्यमान , अस्तित्वमान हुई
और स्वयं कोमो एक शुभ्र, धवल ऊंचे पर्वत के रूप में खड़ा रह गया है, वह कभी, उना
और उसकी संतानों को देखता है और कभी, द्वीपों के रूप में परिवर्तित हुई चाहा और
उसकी संतान जो कि, लुमनी कबीले की खाद्य सामग्री की उपलब्धता के लिए आजीवन कल्याणमयी
मानी जाएगी, को देखता है बस दूर ही से...