सोमवार, 9 नवंबर 2020

मुखिया की पत्नि...

 

वो समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति और दो खूबसूरत लड़कियों का पिता था । एक दिन नदी पार के एक सुदूर गांव में जा पहुंचा वहां उसने सुना कि गांव का मुखिया ब्याह करना चाहता है और उसे सुयोग्य कन्या की तलाश है। अपने घर वापस लौट कर उसने अपनी पुत्रियों से पूछाक्या तुम दोनों में से कोई उस मुखिया की पत्नि बनना चाहोगी ? उसकी बड़ी पुत्री ने कहा हां जरूर । पिता ने कहा कि तब तो तुम्हें वहां जाना होगा । लड़की ने कहा लेकिन मैं वहां अकेली जाऊंगी । पिता ने कहा लेकिन हमारे समाज में ये परंपरा नहीं है । विवाहोत्सुक लड़की को अपने साथ रिश्तेदारों को लेकर जाना चाहिए । लड़की ने हठ करते हुए कहालेकिन मैं अकेले ही जाना चाहती हूं । अंततः विवाहोत्सुक लड़की ने नदी के दूसरे छोर पर बसे गांव की यात्रा अकेले ही शुरू कर दी । रास्ते में उसे एक चूहा मिला उसने कहाक्या मैं तुम्हें रास्ता दिखाऊं ? लड़की ज़ोर से हंसी और उसने कहा चूहे कब से पथ प्रदर्शक बनने लगे ? हटो भी । इसके कुछ देर बाद लड़की को एक मेढ़क मिलाउसने कहा क्या मैं तुम्हें रास्ता दिखाऊं ? तुम ? मुझसे बात करने लायक भी नहीं होक्योंकि मैं मुखिया की पत्नि बनने जा रही हूं । अगर तुम मेरे रास्ते में आये तो मैं तुम्हें एक लात मारूंगी । ओहमेढ़क ने कहा और वो रास्ते से हट गया । लड़की चलते चलते थक चुकी थीसो एक पेड़ के नीचे थोड़ी देर आराम करने के लिए बैठ गई ।

वहां उसे बकरियां चराता हुआ एक लड़का मिला । लड़के ने कहादीदी तुम कहां जा रही हो ? लड़की ने कहामैं मुखिया की पत्नि बनने जा रही हूं...पर तुम्हारी हिम्मत कैसे हुईमुझे दीदी कहने की । लड़के ने कहामैं भूखा हूंअगर आपके पास कुछ खाने के लिए हो तो मुझे दे दीजिये । लड़की ने कहा क्यों दूं ? जाओ यहां से मुझे अकेला छोड़ दो । इसके बाद रास्ते में कुछ दूर एक बड़ी चट्टान पर बैठी हुई एक बूढ़ी ने कहा सुनो मैं तुम्हें एक सलाह देती हूं अगर तुम्हें देख कर पेड़ हंसने लगे तो तुम खामोश रहना हंसना मतवहां तुम्हें एक बड़ी मश्क़ भर गाढ़ा दूध मिलेगाउसे पीना मतकोई एक आदमी जो अपनी बांहों में सिर छुपाए हो उससे पानी मत लेनाजाओ यहां से मुझे अकेला छोड़ दो । लड़की ने कहाओ बूढ़ीबकवास मत कर और वो आगे बढ़ गई । रास्ते में उसे देख कर पेड़ हंसे जबाब में लड़की भी हंसने लगी । उसने देखा वहां मश्क़ भर गाढ़ा दूध रखा थावो प्यासी थी उसने वो दूध पी लिया । कुछ दूरी पर उसे एक आदमी मिला जो अपनी बांहों में सिर छुपाए हुआ थालड़की ने उससे पानी मांगा और पी लिया ।

अब तक लड़की नदी पार के गांव पहुंच चुकी थी उसने देखाएक लड़की कुंड से पानी भर रही थीउसने पूछा बहन तुम कहां जा रही होविवाहोत्सुक लड़की ने कहातुम कौन होती हो मुझसे ये पूछने वाली । मैं यहां के मुखिया की पत्नि बनने वाली हूं । पानी भरने वाली लड़की असल में मुखिया की बहन थीउसने कहातुम गांव में इस तरफ से मत घुसनामगर विवाहोत्सुक लड़की ने उसकी बात अनसुनी कर दी और जल्द ही वो मुखिया के घर पहुंच गई । गांव के लोगों ने पूछा वो कौन है और यहां क्यों आई है उसने कहा वो मुखिया की पत्नि बनने के लिए यहां आई है । गांव के लोग उसे देख कर हैरान थे क्योंकि लड़की के साथ कोई नाते रिश्तेदार नहीं थे । उन्होने कहामुखिया अभी घर पर नहीं हैतुम उसके लिए खाना बना लो ताकि लौटने पर वो भूखा ना रहे । उन्होने लड़की को अन्न दिया ताकि वो उसे पीस कर रोटियां बना ले मगर लड़की ने पिसाई में ज्यादा मेहनत नहीं की सो उसकी बनाई रोटियां कड़ी और सख्त बन गई थी । रात में मुखिया घर लौटा द्वार पर ज़ोरदार हिस्स की आवाज सुनाई दी । असल में वो पांच फनों वाला एक नाग थाउसकी आंखे बड़ी बड़ी थीं । लड़की बहुत डर गई थी । मुखिया द्वार पर ही बैठ गया और उसने कहा भोजन लाओ । लड़की ने उसे रोटियां दीं जो वो खा भी नहीं सका । उसने कहा तुम मेरी पत्नि बनने के लायक नहीं होअपने गांव वापस लौट जाओ और लड़की अपने गांव वापस लौट आई ।

बड़ी बहन के लौटने बाद छोटी बहन ने अपने पिता से कहामैं भी मुखिया की पत्नि बनना चाहूंगी । पिता ने कहा ठीक है,तुम भी कोशिश कर के देख लो, पिता ने अपने सगे संबंधियों, मित्रों को बुलाया और छोटी लड़की के साथ भेज दिया । रास्ते में उसे एक चूहा मिलाउसने लड़की से कहा क्या मैं तुम्हें रास्ता दिखाऊंलड़की ने कहा ज़रूरमैं आपकी अहसान मंद होऊंगीचूहे ने उसे रास्ता दिखायाजो घाटी से होकर गुज़रता थावहां एक बूढ़ी औरत खड़ी थीजिसने लड़की से कहाआगे जाकर रास्ता दो हिस्सों में बंट जाएगातुम छोटे रास्ते से जाना वर्ना बड़े रास्ते में मुसीबत होगी । धन्यवाद मां,मैं छोटे रास्ते से ही जाऊंगी।लड़की ने बूढ़ी को खाना दिया और आगे बढ़ गई,वहां उसे एक खरगोश मिलाउसने कहा मुखिया का घर पास ही हैकुंड के पास तुम्हें एक लड़की मिलेगीउससे अच्छे से बात करनावो जो भी अन्न देउसे अच्छे से पीसना और जब अपने भावी पति से मिलना तो डरना नहीं । लड़की ने कहा धन्यवाद मैं ऐसा ही करूंगी ।

आगे चल कर उसे पानी भरती हुई एक लड़की मिलीजिसने पूछाकहां जा रही हो ? छोटी लड़की ने कहायहां मेरी यात्रा का अंत होने वाला है । पनहारिन असल में मुखिया की बहन थीउसने पूछा यहां क्यों आई हो ? छोटी लड़की ने कहा हम एक वैवाहिक समारोह के लिए आए हैं । पनहारिन ने कहाअच्छामैं समझ गईतुम अपने पति को देख कर डर तो नहीं जाओगी ?  छोटी लड़की ने कहानहीं ऐसा नहीं होगा । पनहारिन ने उसे रुकने का इशारा किया और थोड़ी देर के बाद बारातियों को भोजन कराया गया । इसके बाद मुखिया की मां ने कहा मेरा बेटा शाम तक लौटेगा तुम उसके लिए खाना बना लेना । उसने लड़की को अन्न दिया ताकि वो उसे पीस कर रोटियां बना सके । रात में जोरदार हिस्स की आवाज़ के साथ मुखिया घर लौटाझोपड़ी हिल गईखंबे गिर गए ...पर लड़की डर कर बाहर नहीं भागीमुखिया पांच फनों वाला सांप ही थाउसने लड़की से कहा मुझे खाना दोलड़की ने उसे रोटियां दींरोटियां मुलायम और स्वादिष्ट थीं । मुखिया तृप्त हुआउसने कहावो चूहा खरगोशबूढ़ी औरतमैं ही था मैंने हर जगहतुम्हारी विनम्रता देखी है क्या तुम मेरे पत्नि बनोगी ? यह कहते हुए मुखिया एक खूबसूरत युवा में तब्दील हो गया और उसने लड़की का हाथ अपने हाथों में ले लिया ।

सांकेतिक रूप से यह कथा वर और वधु के चयन को समर्पित है, कथानुसार किसी एक गांव के मुखिया की दो विवाह योग्य पुत्रियां हैं, जबकि दूसरे गांव का मुखिया, जोकि अविवाहित है, के लिए सुयोग्य पत्नि की तलाश जारी है । इस आख्यान का प्रथम संकेत ये है कि कथा कालीन समाज में युवतियां अपने लिए वर के चयन की पहल कर सकती थीं, जैसा कि प्रथम मुखिया की बड़ी पुत्री ने किया । उसके पिता ने ब्याह के लिए, अकेले प्रस्थान की उसकी जिद मान ली, हालांकि युवती अपने सगे सम्बन्धियों के साथ जाकर भी विवाह का प्रयत्न कर सकती थी, किन्तु वो अपनी, आगत सफलता का श्रेय किसी और को देना ही नहीं चाहती थी । उसके स्वभाव में अहंकार है और व्यक्तिवाद चरम पर । विवाहोत्सुक बड़ी लड़की के परिणय प्रयाण का कथा सार यह है कि उसे रास्ते में एक चूहा, एक मेढक और एक चरवाहा मिलता है,  वो उन सभी से अशिष्ट व्यवहार करती है , उसे विश्वास है कि वो युवा मुखिया की पत्नि बनकर रहेगी, इसलिए वो किसी भी सुझाव के उलट कृत्य करती है, जैसे कि उसने अनुभवी बूढी के सुझाव एक कान से सुनकर दूसरे कान से बाहर निकाल दिए, उसके जीवन में किसी भी जीव जंतु, वनस्पति, और इंसानी अनुभवों की कोई अहमियत नहीं थी। इतना ही नहीं वो युवा मुखिया की बहन के साथ भी धृष्टता करती है । बहरहाल युवा मुखिया, अपने छद्म रूप में, उसे अस्वीकार करता है, क्योंकि इस युवती में खाना बनाने का हुनर भी नहीं था ।

कथा के अगले हिस्से में दर्ज विवरण के अनुसार, बूढ़े मुखिया की छोटी लड़की अपने परिणय प्रयास की अनुमति लेकर युवा मुखिया के गांव की ओर निकल पड़ती है । वो अपनी बड़ी बहन के बरक्स विनम्र स्वभाव की है, सो उसे, अपने पिता के निर्देश को मानने से कोई परहेज नहीं, अस्तु वो सगे सम्बन्धियों सहित प्रवास पर है । रास्ते में वो चूहे, बूढी स्त्री और खरगोश के साथ सदाशयतापूर्ण करती है । वो सभी के सुझाव ध्यान से सुनती है और उन पर अमल करती चलती है । यहां तक कि वो अपनी भावी ननद जोकि पनिहारिन के तौर पर उससे कुंड पर मिलती है , से भी विनम्रतापूर्ण व्यवहार करती है, परिणाम स्वरूप उसके सहयात्री, सगे सम्बन्धियों की आवभगत और भोजन की व्यवस्था सम्भव होती है । युवा मुखिया की मां, उसे, अपने पुत्र के लिए भोजन तैयार करने के सुझाव देती है । यह लड़की विनम्र भी है और पाक कला में निपुण भी सो छद्म वेश धारी युवा मुखिया उसे अपनी पत्नि के रूप में चुन लेता है और यह भी कहता है कि रास्ते भर भिन्न रूपों में, तुमसे मिलने वाला मैं ही था । बड़ी बहन की तुलना में छोटी बहन स्वभाव से विनम्र है, उसमें अहंकार नहीं, वो अपने साथ समाज को लेकर चलती है, उसमें व्यक्तिवाद नहीं ।  युवा मुखिया ख़ूबसूरत है और युवती खूबसीरत सो जोड़ी बनने में देर नहीं लगती...    

 

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