रविवार, 24 दिसंबर 2017

मादकता


ईश्वर धरती पर उतरा तो उसने पाया कि यहां, बहुत गंदगी है, बुरी चीज़ों से भरी हुई, दुष्ट लोग, रहस्मय और नरभक्षी ! ईश्वर ने सोचा कि धरती को साफ़ करने के लिये जल प्रलय लाई जाए...और गंदे लोगों, राक्षसों को डुबा कर मार दिया जाए, फिर उसने ऐसा ही किया पानी, पहाड़ों की चोटियों तक भर गया, तब एक व्यक्ति और उसकी दो पुत्रियों को छोड़कर, सारे मनुष्य जलमग्न हो गये ! दरअसल वो तीनों एक डोंगी में बैठकर बाढ़ से बच निकले थे ! जलस्तर घटने पर उन्होंने देखा कि धरती स्वच्छ हो गई है ! उन्हें बेहद भूख लगी थी, उन्होंने इधर उधर देखा, ढूँढा पर वहाँ खाने लायक कुछ भी नहीं था ! कंद मूल वाला कोई छोटा मोटा पौधा तक नहीं, केवल भिन्न प्रजातियों के कुछ बड़े पेड़ थे !

उन्होंने फर के टुकड़े को पत्थर से कूट कर काढ़ा बनाया पर...वह पीने योग्य नहीं था सो उसे फेंक दिया, इसके बाद उन्होंने पाइन, भिदुर और अन्य लकड़ियों के काढ़े बनाए पर सब व्यर्थ, अंतत बेरियों की लकड़ियों का काढ़ा तुलनात्मक रूप से पीने योग्य था ! लड़कियों ने उसे पिया और...दिया ! ये काढ़ा थोड़ा सा मादक / नशीला था ! उन्हें नशा हो गया, नशे की हालत में लड़कियों ने अपने पिता से यौन से सम्बन्ध बना लिये, पिता को कुछ पता ही नहीं चला ! इधर धरती धीरे धीरे सूख रही थी और उन तीनों की भूख बढ़ती जा रही थी, इसलिए वे तीनों लगातार बेरियों की लकड़ी का काढ़ा बना कर पीते रहे ! पिता इस मादक द्रव्य का आदी हो चला था और लड़कियां उससे अक्सर दैहिक सम्बन्ध स्थापित करती रहीं !

परिणाम स्वरुप लड़कियों ने कई बच्चों को जन्म दिया...जिस पर नशेड़ी पिता अचंभित हुआ कि वे दोनों किस प्रकार से गर्भवती हो गईं ! कालान्तर में, वयस्क होकर, इन्हीं बच्चों ने आपस में ब्याह किये और फिर उनके भी बच्चे पैदा हुए, इस प्रकार से धरती पर, मनुष्यों की पुनर्बसाहट का सिलसिला जारी रहा ! ऐसे ही पशु और पक्षी भी बहुतायत से धरती में आबाद होने लगे थे...

आर्कटिक उप-क्षेत्र के निकट अलास्का की टिलिंगिट कबीले की ये जनश्रुति, ईश्वर के हवाले से, धरती में दुष्ट लोगों की संख्या बढ़ने का संकेत देती है, जिन्हें ईश्वर, बाढ़ लाकर समाप्त कर देना चाहता है ! दुनियां में प्रचलित अन्य जल प्रलय कथाओं के इतर इस कथा में शेष बच गये पात्रों को, ईश्वर ने समय पूर्व कोई चेतावनी दी हो ऐसा उल्लेख इस कथा में नहीं मिलता और ना ही इस बात का कोई संकेत कि बर्फीले क्षेत्र के निवासियों के पास डोंगी के मौजूद होने का आशय क्या है ? क्या यह डोंगी स्लेज के साथ संबद्ध कोई लकड़ी का बड़ा टुकड़ा थी, जिसे सामान ढोने / लादने के उपयोग में लाया जाता रहा हो ? बहरहाल बाढ़ से बच गये पिता, पुत्रियों के लिये ये डोंगी, दैवीय ना सही, भौतिक / जागतिक वरदान / उपलब्धता अवश्य मानी जा सकती है !

जल प्रलय के बाद खाद्य पदार्थों की कमी स्वभाविक है और ये भी कि भूखे लोग अपने जीवन रक्षण के लिये बहुविध प्रयोग करें, जैसा कि पिता और पुत्रियों ने, कंद मूल फलों की अनुपलब्धता को देखते हुए, भिन्न भिन्न लकड़ियों को कूट कर, तरल काढ़ा बना कर, अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिये किया ! इसे तुलनात्मक संयोग ही माना जाएगा कि अन्य लकड़ियों का काढ़ा पीने योग्य नहीं था और बेरियों का काढ़ा पीने योग्य पाया गया ! इसमें कोई संदेह नहीं कि, आयुगत कारणों से, पिता की अपेक्षा पुत्रियों में यौनेच्छायें अधिक प्रबल रही होंगी ! उल्लेखनीय है कि, उस काल खंड में, उनके योग्य कोई युवा नर, धरती पर जीवित नहीं था और...जीवन रक्षण के उपरान्त निज मूल प्रवृत्ति का शमन करना, उनकी विवशता हो गई होगी !

ये कथा ईश्वरीय कोप और जल प्रलय के मानदंड से विश्व की बहुचर्चित कथाओं जैसी ही है, किन्तु पुत्रियों द्वारा, अपने ही सगे पिता से देह संसर्ग स्थापित करना और कालांतर में उनसे जन्में बच्चों के पारस्परिक ब्याह के फलस्वरूप वंश वृद्धियों के कथन, बहुत संभव है कि यौन नैतिकता के मानकों से विचलित दिखाई दे, हालांकि यह स्वीकार करने में कोई कठिनाई नहीं है कि पुत्रियों ने अपनी मूल प्रवृत्ति का शमन करते समय यौन नैतिकता के उल्लंघन के अपराध बोध से उबरने के लिये मादक द्रव्यों का इस्तेमाल किया, यही कारण है कि पिता अपनी पुत्रियों के गर्भवती हो जाने को लेकर अचंभित बना रहा...