गुरुवार, 13 अगस्त 2009

उसे मेरी फ़ोन काल का इल्म नहीं है

मौसम का मिजाज बदला हुआ है और मुझे भी कुछ ठीक नहीं लग रहा है , सोचता हूँ , छुट्टी कर ली जाये ! दो एक दिन ! लिहाज़ा फ़ोन कर दिया है ...हुज़ूर के दुश्मनों की तबियत नासाज़ है... आराम की सख्त जरुरत है.. आफिस पहुँच नहीं पायेंगे !....आह.....सिर भारी है , जैसे किसी नें जकड लिया हो ...शायद सर्दी की वज़ह से ! ख्याल आता है कि जब छुट्टी ली है तो चलो न्यूज़ वगैरह देख ली जाये !
बीबी पूछ रही है , पानी गर्म कर दूँ , नहायेंगे ? ...आफिस जाने में देर क्यों कर रहे हैं ? उसे मेरी फ़ोन काल का इल्म नहीं है , अपनी ही धुन में ....कहती जा रही है ...हल्की सर्दी है ?.... फ्लू तो नहीं लगता ? मैं भी सोचता हूँ ....फ्लू होना कितनी ख़तरनाक बात है पर होता तो क्या मैं घर पर रुकता ? ...नहीं शायद बिल्कुल भी नहीं ...क्या पता कुछ खास दोस्तों से दोस्ती निबाहने का इससे अच्छा मौका कब मिलता ...आह.... कितना सैडिस्ट ख्याल है ? लानत है बीमारी के नाम पर दोस्तों से .....तौबा तौबा !... सिर की तरह ख्यालात भी जकडन भरे और निहायत ही घटिया ...! चलो न्यूज़ देखी जाये ..रिमोट उठाता हूँ अब बीबी कुछ परेशान सी लगती हैं उसे मेरे लक्षण /मेरा व्यवहार आफिस जाने जैसा नहीं लग रहा है ! उधर गृह सेविका भी चिंतित लग रही है ...भैय्या कुछ पियेंगे ? मैं कहता हूँ , नहीं ....वो पूछती है आफिस कितनी देर बाद जायेंगे ...खाना अभी खायेंगे या लौट कर ? मैं न्यूज़ देखना चाहता हूँ ! मैं बीमार सा हूँ ,मुझे अच्छा नहीं लग रहा है ! वो दोनों भी फ़िक्र मंद हैं ? जानता हूँ वो दोनों मुझसे कह नहीं पा रही हैं कि आफिस नहीं जाना तो मत जाइये ..... पर रिमोट ?
फिलहाल मेरे पास कोई विकल्प शेष नहीं है...सो मैं सोने जा रहा हूँ , बीबी पूछ रही है , कफ सिरप दे दूँ ? आराम मिलेगा ! रिमोट मेरे हाथ से छूट चुका है और उन दोनों के चेहरों से चिंता की लकीरें मिटने लगी हैं !

3 टिप्‍पणियां:


  1. होता है... ऎसा होता है ।
    बेवज़ह छुट्टी लेने के कुछ नुकसानात भी तो होंगे ।

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  2. लगता है आपक पत्नी कुछ शर्मीली है या फिर आपसे कुछ सीधे कहने से घबराती है। नहीं तो रिमोट के लिए यूँ बहाने ना बनाती, सीधे कहती कि ठीक है घर में आराम कीजिए लेकिन, रिमोट इधर दे दीजिए। रिमोट और टीवी को लेकर इतना फ़ॉर्मल क्या होना।

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