शनिवार, 21 जून 2025

यूसुफ खान और शेर बानो

शेर बानो एक पख्तून कबीले के मुखिया की सबसे छोटी लड़की थी, वो अनिंद्य सुंदरी और जन चर्चाओं का केंद्र हुआ करती थी जबकि यूसुफ खान कबीले के सम्मानित परिवार का खूबसूरत, जवान और बहादुर योद्धा था । वो दोनों पहली बार एक सामाजिक समारोह के दौरान मिले और उनका मिलन, गोया जन्म जन्म के बंधन में बंध गया । उनके दरम्यान रूमानियत का रिश्ता गहराने लगा था । दोनों चोरी छुपे एक दूसरे से मिलने लगे, यहां तक कि रातों के गहरे अंधेरे, उनके जीवन के उजाले बन गए थे । शेर बानो का पिता सख्त मिजाज कबीलाई सरदार था और उसे इस तरह के प्रेम संबंधों से परहेज था । वो उन दकियानूसी परंपराओं का संरक्षक था जो शताब्दियों से पारंपरिक शादियों की पक्षधर थी ।

संयोगवश  उसे अपनी लाड़ली के प्रेम संबंध की जानकारी सबसे पहले हो गई । उसने बिटिया से कहा कि अब वो यूसुफ खान से कभी नहीं मिलेगी और उसने शेर बानो  के लिए सामाजिक परंपरा के अनुसार रिश्तों की खोज शुरू कर दी । यह खबर मिलते ही यूसुफ खान ने अपने पिता और समाज के अन्य बुजुर्गों के माध्यम से अत्यंत विनम्रता पूर्वक, शेर बानो  से अपने ब्याह का प्रस्ताव भेजा, जिसे पारिवारिक दुश्मनी के चलते शेर बानो के पिता ने ठुकरा दिया । निराश यूसुफ खान और शेर बानो ने, घटना क्रम से दुखी होकर घर से भाग जाने की योजना बनाई और एक अंधियारी रात में अपने चेहरे को घूंघट में छुपा कर शेर बानो, यूसुफ के साथ घर से पलायन कर गई । इधर  शेर बानो  का पिता संभावित अनहोनी के लिए सतर्क था तो उसने अपने लोगों को कबीले के हर कोने, हर दिशा में तैनात कर रखा था ।

प्रेमी द्वय रंगे हाथों पकड़े गए और फिर दोनों पक्षों में भयंकर, हिंसक मुठभेड़ शुरू हो गई  । यूसुफ खान बड़ी बहादुरी से प्रेयसी शेर बानो के बचाव के लिए लड़ता रहा, यहां तक कि उसके जिस्म पर घावों की  गहरी घाटियां बनती गईं और उनसे खून के फ़ौवारे छूटने लगे । इस हाहाकारी युद्ध में यूसुफ खान लगातार कमजोर पड़ता गया क्योंकि उसके दुश्मनों की संख्या अधिक थी । बहरहाल कुछ घंटों की आस टूटना थी, सो टूट गई और यूसुफ खान निष्प्राण होकर जमीन पर गिर गया । शेर बानो की उम्मीदें टूट चुकी थीं । उसकी हताशा, ऊंचे आसमान के चरम तक जा पहुंची थी, वो अपने प्रेमी की मृत्य से अत्यधिक विचलित थी और फिर यूसुफ खान की मृत देह पर बिखर गई, हमेशा हमेशा के लिए ।

सच कहें तो यह आख्यान पख्तून आदिम कबीले की सदियों पुरानी मान्यताओं के आधार पर रचाई जाने वाली शादियों और युवा जोड़ों में नैसर्गिक रूप से पनपे प्रेम के विरोधाभास को संबोधित है । यह स्वभाविक है कि दकियानूसी पुरुष सत्ता पर आधारित समाज, स्त्रियों की आजादी का पक्षधर हो ही नहीं सकता था । वे स्त्रियों को दोयम दर्ज नागरिक मानते हैं, जिन्हें परदेदारी, गृह कार्य दक्षता, ज़र खरीद गुलामी जैसे हालात के दायरे में सिमट कर रहना ही होगा और उनकी अपनी नैसर्गिक इच्छाओं का कोई मोल नहीं । आख्यान स्पष्ट संकेत देता है कि परंपरा को स्वतंत्रता बर्दाश्त नहीं । शेर बानो के पिता को परंपरा के प्रतीक के रूप में स्वीकारें तो शेर बानो और यूसुफ खान स्वतंत्रता  के प्रतीक माने जाएंगे ।

कबीलाई सम्मान को रूढ़िवादी मान्यताओं से जोड़कर देखना और जीवित मनुष्य की मृत्यु की हद तक नवागत मूल्यों का विरोध करना । आख्यान युगीन समाज, पुरुष अधिसत्ता, उसके वर्चस्व और स्त्री के स्थायी सह अनैसर्गिक दासत्व का उद्घोष करता है । यहां, सामाजिक रूढ़िवादिता का सम्मान अनमोल है और व्यक्तिगत आकांक्षाओं सह व्यक्तिगत सहअस्तित्व के सपनों का मोल, धूल धूल। पख्तून समाज, सामुदायिक जीवन की तुलना में व्यक्तिगत जीवन और स्वयं चुने गए प्रेम संबंधों वाली देहों की अयाचित,असामयिक इहलोक लीला के समापन की हद तक सहज है। हम इसे दुर्दांत सहजता कह सकते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि, पख्तून कबीलों में प्रेम जीवन, सामाजिक ताने बाने के इर्द गिर्द ही घूमता है ।

यह मिथक, दुखांत प्रेम गाथा के रूप में स्वीकार जाता है । महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अभिभावकों की अस्वीकृति के उपरांत, प्रेमियों युगलों के जीने के अधिकार स्वयंमेव  समाप्त हो जाते हैं भले ही प्रेमी यूसुफ खान की तरह से खूबसूरत और कुलीन परिवार का वारिस तथा युद्ध निपुण भी हो । कथा के नायक नायिका के मिलन के लिए सहपलायन एकमात्र शेष विकल्प है । वो दोनों सहपलायन में जल्दबाजी इसलिए करते हैं कि नायिका का पिता, नायिका के लिए अपनी सुविधा का वर ढूंढ़ने लगा है और उसने नायक के परिजनों के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया है ।

संभव है कि नायिका का पिता अपनी पुत्री के कृत्य, यानि कि प्रेम सहयात्री चुनने के व्यक्तिगत निर्णय से, अपमानित और आहत अनुभव कर रहा है और वो उन दोनों के सहपलायन की संभावना के प्रति सतर्क भी है । यह आख्यान, प्रेम को सामाजिकता की सुनियोजित कृत्रिम बगिया में उपजाने का पक्षधर है । इस बगिया में प्रेम का नैसर्गिक और स्वभाविक होना निषिद्ध है । कुल मिलाकर इस धरती पर, वयगत, व्यक्तिगत आकर्षण अस्वीकार्य है । अंततः मिथक संकेत यह है कि ऐसे प्रेम को देहांत की हद तक खदेड़ा जाना तय है ।

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