दुर्खानाई बेहद खूबसूरत लड़की थी और वो उच्च
बाज़दरा के वाशिंदे ताऊस खान की इकलौती संतान थी इसलिए उसके पिता ने खुले मन से उसकी
शिक्षा के द्वार खोल दिए हालांकि वो खुद पख्तून रीति रिवाजों के मुताबिक परदेदारी का
एहतिराम करती थी । उन दिनों पायू खान नाम के एक युवा ने दुर्खानाई की खूबसूरती और दानिशमंदी
के किस्से सुन रखे थे और वो उसे, बिना देखे ही उसके इश्क में मुब्तिला हो गया
लेकिन अपने इश्क की कामयाबी की कोई राह दिखाई नहीं देने की वज़ह से बीमार पड़ गया । पायू खान के पिता ने बेटे की बदहाली
देखकर उससे इस की वज़ह जानने की कोशिश की, वज़ह जान कर उसने हंसते हुए अपने बेटे से कहा, फिक्र मत करो, तुम्हारी शादी दुर्खानाई से जरूर होगी ये मेरा
वादा है । वादे के मुताबिक उसने, ताऊस खान के पास अपने बेटे की शादी का औपचारिक
प्रस्ताव भेजा जिसे ताऊस खान ने सहर्ष स्वीकार कर लिया और अब दुर्खानाई ऐसे शख्स से
ब्याह करने जा रही थी जो उसे, बिन देखे ही पागलों की तरह से प्यार करता था
।
इसी दौरान दुर्खानाई की मौसी के परिवार में
एक शादी का आयोजन होना था तो, वो ताऊस खान की मर्जी के बिना ही दुर्खानाई
को अपने घर ले गई हालांकि उसने वादा किया कि वो दुर्खानाई को सुरक्षित वापस पहुंचा
देगी । मौसी का परिवार निचले बाज़दरा में रहता था । मौसी के घर, शादी का माहौल था, तमाम रिश्तेदार दुर्खानाई की खूबसूरती, बुद्धिमत्ता और विनम्रता से प्रभावित थे और वो लोग उसके मंगेतर
पायू खान को किस्मत वाला मान रहे थे । रस्मों के दौरान सारी महिलायें हुजरे की ओट से
रबाब की मंत्रमुग्ध कर देने वाली धुनें सुन रहे थीं । दुर्खानाई मंत्रमुग्ध सी, संगीत में गहरे डूबती जा रही थी, उसकी आत्मा में गहरे एहसास जाग रहे थे । चचेरे भाई की शादी का
यह आयोजन दुर्खानाई की ज़िंदगी में तूफान लेकर आया था । चचेरे भाई ने हंसते हुए कहा, क्या तुम उसे देखना चाहोगी ? ये आदम खान है यहीं निचले बाज़दरा में रहता है और रबाब की सम्मोहित करने वाली धुनों, जितना ही खूबसूरत है, बस्ती के सारे लोग उसे बिगड़ैल,बेकाम और घुमक्कड़ युवक मानते हैं पर वो रबाब का जादूगर है।
सारी महिलायें आदम खान की एक झलक पाने के लिए
एक दूसरे को हुजरे से ऊपर उठाकर झांकने में
मदद कर रही थीं । उधर आदम खान ने परदे के ऊपर सिर्फ एक चेहरा देखा,जो दुर्खानाई का था । इधर, आदम खान को देख कर दुर्खानाई अपनी सुध बुध खो बैठी, वो नीचे गिर पड़ी और उसे बिस्तर पर ले जाया गया। आदम खान की एक
झलक और रबाब की संगत ने दुर्खानाई की दुनिया बदल डाली, वो समझ गई कि उसे आदम खान से इश्क हो गया है । बहरहाल आदम खान
का भी यही हाल था । पख्तून परंपरा के मुताबिक दुर्खानाई अब पायू खान की अमानत थी लेकिन
आदम खान उसके लिए बावला हो गया था सो दुर्खानाई भी । हसन खान ने अपने बेटे आदम खान
को बहुत समझाया पर वो चांद, तारों, सूरज में सिर्फ दुर्खानाई को महसूस करता । उसके दोस्तों ने चोरी छिपे उन दोनों
के मिलने के व्यवस्था की, जहां उन्होंने एक दूसरे के साथ जीने मरने की
कसमें खाईं । दुर्खानाई ने आदमखान को एक रुमाल दिया और आदम खान ने उसे एक अंगूठी बतौर
निशानी भेंट की, ये मुलाकात बेहद जोखिम भरी थी ।
इसके बाद दुर्खानाई अपने घर वापस चली गई क्योंकि
उसकी शादी का दिन बेहद करीब था, दुर्खानाई अपने पिता से कुछ कह नहीं पा रही
थी और प्रेमी आदम खान को दिए वचन से मुकर भी नहीं सकती थी । हताश होकर वो आदम खान को
बुलाती है और दोनों घोड़े पर सवार होकर पड़ोस के गांव भाग जाते है जहां एक बुजुर्ग से
शरण मांगते है । पख्तूनों के रिवाज के मुताबिक बुजुर्ग उन्हें शरण दे देता है । पत्नि
के पलायन की खबर पाकर, शिकार पर गया पायू खान शिकार छोड़ कर गांव वापस
लौटता है, वो बेहद शर्मिंदा है। वो गांव में जिरगा के
सामने अपना पक्ष रखता है। जिरगा उससे सहमत है और दुर्खानाई की वापसी का हुक्म सुनाता
है । पायू खान के दल के लोग आदम खान के दोस्तों पर हमला कर देते हैं । झगड़े में आदम
खान का एक खास दोस्त मारा जाता है। दुर्खानाई को वापस,पायू खान के घर लाया जाता है,जो पागलों की तरह से खान पीना, शृंगार करना, नहाना धोना छोड़ देती है ।
दुर्खानाई से बिछड़ कर आदम खान खुद भी पागलों की मानिंद भटकने
लगता है तभी उसे हिन्दू योगियों का एक जत्था मिलता है जो उसके हालात देखकर उसकी मदद
करने का भरोसा दिलाते हैं । बदहवास आदम खान का मुंडन करके उसे जोगिया कपड़े पहनाए जाते
हैं और इसके बाद वो सभी पायू खान के घर पहुंचते हैं जहां आदम खान को कोई नहीं पहचान
पाता । पायू खान, दुर्खानाई के लिए योगियों से रूहानी मदद मांगता
है,चीखती चिल्लाती दुर्खानाई योगी बने आदम खान
को पहचान लेती है और शांत हो जाती है । पायू खान के बागीचे में कुछ दिन ठहरने के बाद
योगियों का दल वहां से प्रस्थान कर जाता है
। पायू खान ने हालात से समझौता करते हुए दूसरी शादी कर ली, ठीक इसी तर्ज पर हसन खान ने गुलनाज़ नाम की खूबसूरत लड़की से आदम
खान का ब्याह कर दिया ।
गुलनाज़ पति की मदद करने की भरसक कोशिश करती है लेकिन आदम खान
रो रो कर लगभग अंधा हो जाता है और फिर से पायू खान के बागीचे जाने की जिद करता है लेकिन
उसका इंतकाल हो जाता है । इधर दुर्खानाई भी प्रियतम से बिछड़ कर अपनी इहलोक लीला समाप्त
कर लेती है । अपराध बोध के एक लम्हे में पायू खान उन दोनों को अगल बगल में दफनाया देता
है । कुछ अरसे के बाद उन कब्रों को भूलवश खोला गया तो दोनों प्रेमियों के शव आलिंगनबद्ध
पाए गए, उन्हे एक बार फिर से अलग अलग कब्रों में दफनाया
दिया गया लेकिन करीब एक सदी बाद देखा गया कि वो फिर से आलिंगन बद्ध थे यह देख कर उन्हें
हमेशा हमेशा के लिए एक साथ छोड़ दिया गया ।
पख्तून कबीले को सामान्यतः स्त्रियों के लिए बहुविध बंधनकारी
समुदाय माना जा सकता है । कदाचित यह मिथक मुगलकालीन है,जिसमें तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था में, पुरुषों के वर्चस्व और स्त्रियों के दोयम दर्जा होने के संकेत
मिलते हैं । स्त्रियां परदेदारी के लिए अभिशप्त हैं । उन्हें प्रेम के प्रकटीकरण का
अधिकार नहीं और अन्यान्य प्रतिबंध भी, यथा शिक्षा के अधिकार से वंचित रखा जाना।कथा की नायिका अपने पिता ताऊस खान की इकलौती संतान है और पिता की सुहृदयता के परिणाम
स्वरूप, औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने का अवसर पा जाती
है जबकि पख्तून सामाजिक ताना बाना स्त्रियों की धार्मिक शिक्षा के पक्ष में तो है किन्तु
उन्हें औपचारिक स्कूली शिक्षा से परहेज है। दुर्खानाई बुद्धिमान है, विनम्र है, शिक्षित है, सुंदर है किन्तु परंपरानुसार परदेदारी की अभ्यस्त भी है।
मिथक के अनुसार उसके जीवन में पायू खान का प्रवेश सुनी सुनाई, सौन्दर्य प्रशंसा का परिणाम है । इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि
पायू खान के पिता उसकी मनः स्थिति को ध्यान में रख कर ताऊस खान के समक्ष दुर्खानाई
से अपने पुत्र के ब्याह का प्रस्ताव रखते हैं जिसे ताऊस खान सहर्ष स्वीकार कर लेता
है । स्मरण रहे कि इस संबंध में दुर्खानाई के अभिमत की फिक्र ही नहीं की गई हालांकि
दुर्खानाई सामाजिक विधि से सुनिश्चित इस ब्याह के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं बोलती ।
बहुत संभव है कि सामाजिक परंपराओं के बोझ से लदी फंदी स्त्रियों का शताब्दियों लंबा
प्रशिक्षण ऐसे हालात में असहजता को मुखरित नहीं होने देता हो । मिथक के मुताबिक अभिभावकों
द्वारा सुनश्चित ब्याह के नायक पायू खान से नायिका की कोई भेंट नहीं है यहां तक कि दोनों ने एक दूसरे को देखा तक नहीं है ऐसे
में निचले बाज़दरा में रहने वाली मौसी के पुत्र और नायिका के चचेरे भाई का ब्याह नायिका
के जीवन में, दूसरे युवा,आदम खान को लेकर आता है जोकि बेहद खूबसूरत है और रबाब बजाने में निपुण भी।
सांगीतिक दक्षता और युवोचित सौन्दर्य के इतर
आदम खान की छवि एक घुमक्कड़, गैर जिम्मेदार, बे-काम और बिगड़ैल युवा की है । शादी के आयोजन में, उसकी रबाब सम्मोहन बिखेर रही थी और हुजरे में बैठी युवतियां
उसकी एक झलक पाने के लिए बेताब थीं । दुर्खानाई, आदम खान की रबाब से बिखरे सुरों को अपनी आत्मा की गहराई तक महसूस कर रही थी । वो
अभिभूत थी और उसने आदम खान की एक झलक पाने के लिए परदे के ऊपर तक अपना चेहरा निकाल
लिया था, इसे संयोग कहें या अनायास ही आदम खान उसे देख
कर बेचैन हो गया और दुर्खानाई तो जैसे आदम खान के इश्क में गोया बीमार हो गई हो । आदम
खान का पिता हसन खान पख्तून परम्पराओं का मान रखने के लिए अपने बेटे को बहुत समझाता
है पर आदम खान की दुनिया, दुर्खानाई तक सिमट गई थी, उसके दोस्तों ने, उन दोनों के चोरी छिपे मिलने और जान जोखिम
में डालने वाली कोशिश की । प्रेमी युगल रुमाल और अंगूठी के उपहार विनिमय और प्रेम की
वचनबद्धता के साथ एक दूसरे से विदा लेते हैं ।
दुर्खानाई घर लौटकर गुमसुम है और अपने पिता
से यह रहस्य उजागर नहीं कर पाती कि अब उसे सामाजिक परंपरा से निर्धारित दूल्हे और हृदय
की गहराई से स्वीकार किए गए प्रेम में, से किसी एक को चुनना था । उसने आदम खान को
चुना और घर से पलायन कर गई । पायू खान शर्मिंदा है पर जिरगे की सहायता से यह निर्णय
पा जाता है कि वो ही दुर्खानाई का हकदार है। इसके बाद दोनों पक्ष में हुए द्वंद में
आदम खान पक्ष को नुकसान होता है और बंदिनी दुर्खानाई, पायू खान के घर में पागलों की तरह से व्यवहार करती है । उधर आदम खान भी बावला हो गया
है । इसी समय कथा में एक दिलचस्प घटना घटती है । आदमखान बदहवास हालत में हिन्दू योगियों
के दल से मिलता है जो उसकी रूहानी सहायता करना चाहते हैं उसे जोगियों के कपड़े पहनाकर
और मुंडन करके जोगी के वेश में पायू खान घर ले जाया जाता है,जहां उसे केवल दुर्खानाई ही पहचान पाती है।
नायक का जोगिया लिबास और व्यवहार प्रातितिक रूप से यह संकेत देता है कि इश्क के आगे मजहबी संकीर्णता और बंधनों का कोई खास वजूद शेष नहीं रह जाता, कुछ दिन एक दूसरे के सामीप्य का एहसास उन्हें सामान्य होने मे मदद करता है । मुश्किल यह कि जोगियों को स्थायी तौर पर रमना कहां ? सो वो भी सुदूर देस निकल गए । इस दौरान आदम खान का गुलनाज़ से ब्याह भी उसे सुकून नहीं बख्शता और पायू खान सुकून के लिए दूसरा ब्याह करता है । कथा दुखांत है सो प्रेमी द्वय एक दूसरे की जुदाई मे परलोक सिधार जाते हैं । पायू खान को अपराध बोध है सो दोनों की कब्रें अगल बगल ही बनवा देता है । अब प्रचलित किंवदंती ये है कि जब भी दोनों कब्रें खुली आदम खान और दुर्खानाई एक ही कब्र में एक दूसरे से आलिंगनबद्ध मिले । जिन्हें इश्क हुआ हो वो युवा भी वहां जाकर दुआ मांगते है और नए नवेले संगीतकार कब्र में उग आई पीले फूलों वाली झाड़ी की टहनी तोड़ने जाते हैं ताकि आदम खान की तरह से रबाब बजा सकें ।