मुद्दतें गुज़री, तब कैलाबार का राजा
आफ़ियोंग बूढ़ा हो चुका था । उन दिनों उसके हरम में अनेकों रानियां हुआ करती थीं,
जिनमें से, अत्तेम बेहद खूबसूरत और कम उम्र युवती थी । उसका ख्वाब था, एक बांका
सजीला हम उम्र पति लेकिन उसके हिस्से आया बूढ़ा आफ़ियोंग । वो आफ़ियोंग से खुश नहीं
थी । उसने अपने भरोसेमंद कारिंदे से कहा कि वो शहर मे घूम कर किसी खूबसूरत जवान की
तलाश करे और आफ़ियोंग की नज़र बचाकर,उसे महल के पिछले दरवाजे से अत्तेम तक ले आए ।
कारिंदे ने शहर मे भटकने के बजाय बाजार में ऐसे जवान की तलाश शुरू कर दी क्योंकि
उसका ख्याल था कि शहर के तमाम, खास-ओ-आम लोग बाज़ार जरूर आते हैं । बहरहाल शाम तक
उसे कोई मुनासिब युवा नहीं मिला और वो निराश होकर घर लौटना ही चाहता था कि अचानक
उसने इतुएन को देखा जो जमीन में बिखर गई मकई और दूसरी सब्जियां उठा रहा था ।
असल में इतुएन बेहद गरीब परिवार की इकलौती
संतान था जो खूबसूरत होने के साथ ही साथ, अच्छी कद काठी और अपनी विनम्रता के लिए लोगों
में लोकप्रिय था । चूंकि उसके घर में खाने तक का कोई ठिकाना नहीं था इसलिए वो रोज
शाम बाजार जाता और वहां बची हुई और बर्बाद हो जाने वाली सब्जियां चुनकर घर ले आता
था । अत्तेम के कारिंदे को वो पहली नज़र में ही भा गया, उसने सोचा यही बेहतर प्रेमी
साबित होगा अत्तेम का । कारिंदे ने आगे बढ़कर इतुएन को, युवा रानी का प्रस्ताव दिया
लेकिन इतुएन बहुत डर गया, उसे अंदाज था कि अगर राजा ने उसको पकड़ लिया तो वो यकीनन
मारा जाएगा, इसलिए उसने कारिंदे से साफ साफ मना कर दिया, लेकिन कारिंदे ने उसकी
गुरबत का फायदा उठाया, उसे लालच दिया, अनुनय विनय की । इतुएन को अपनी पारिवारिक
दुर्दशा का ख्याल तो था ही वो डरते सहमते रात के अंधेरे में, रानी से मिलने के लिए
तैयार हो गया । हालांकि रानी के पास पहुंचने के वक्त वो थर थर कांप रहा था ।
अत्तेम उस वक्त सोने चांदी के जवाहरातों
से सजी धजी और बेहतरीन कपड़े पहने हुई थी, वो इतुएन को देखते ही खुश हो गई, इतुएन बिल्कुल
उसके सपनों के प्रेमी जैसा था । उसने अपने चहीते प्रेमी के सुगठित अंगों
की तारीफ की और रात भर प्यार में मुब्तिला रही । इतुएन सुबह का उजाला होने से पहले
अपने घर लौटना चाहता था लेकिन अत्तेम ने खतरा मोल लेते हुए उसे दो सप्ताह तक अपने
पास रोक लिया और छुपा कर रखा । दो सप्ताह गुज़रे तो इतुएन ने कहा कि वो अपनी मां से
मिलना चाहता है, अत्तेम मान गई, उसने इतुएन के साथ रतालू, काली मिर्च, नमक,
तंबाकू, शानदार कपड़ों जैसे उपहार अपने भरोसे मंद दासों के हाथ इतुएन के घर भेज दिए
। इतुएन की मां ये सब देख कर बहुत खुश हुई लेकिन जब उसे पता चला कि ये सब छोटी
रानी के नाजायज प्रेम का परिणाम है, तो वो डर गई, उसे पता था कि पकड़े जाने पर,
इसका दंड मौत के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं ।
उधर अत्तेम बेचैन थी, उसने इतुएन को वापस
बुलाया, इतुएन छुप छुपा कर दोबारा महल जा पहुंचा, लेकिन इस बार उसकी वापसी उसके
लिए खतरनाक साबित हुई, असल में उपहार पहुंचाने वाले कारिंदों ने ये किस्से राजा के
विश्वस्त कारिंदों से कह डाले थे । सो राजा इस बार होशियार था, उसने प्रेमी युगल
को रंगे हाथों पकड़ लिया, इतुएन को गिरफ्तार कर के जंगल ले जाया गया, जहां उसे दोषी
बतौर दंड दिया जाना था । राजा आफ़ियोंग के आठ विश्वस्त नातेदार, दरबारियों ने उसे
जंगल में एक दरख्त से बांध दिया और धारदार हथियार से उसका निचला जबड़ा काट डाला ।
इतुएन के साथ, अत्तेम को सजा नहीं देकर, राजा ने सुधरने का एक मौका दिया था, लेकिन
वो प्रेमी की दुर्दशा से अत्यंत आहत थी और दिन-ओ-रात बस रोये ही जा रही थी, तो
राजा ने उसे और उसके विश्वस्त कारिंदे को भी गिरफ्तार कर के जंगल भेज दिया और उन दोनों के जबड़े काट डाले गए लेकिन
कारिंदे की दोनों आंखेँ भी फोड़ दी गईं ।
उन तीनों को घायल, दर्द से छटपटाते, भूख
से बिलबिलाते हुए, मरने के लिए, जंगल में ही छोड़ दिया गया और राजा ने एक कानून
बनाया कि आगे चलकर बाजार के दिन, इतुएन परिवार का कोई सदस्य बाजार नहीं जाएगा और
कोई दूसरा इंसान भी शाम को खराब होने वाली सब्जियां नहीं चुनेगा । राजा ने कहा ये
प्रतिबंध कुत्तों और गिद्धों पर लागू नहीं होगा क्योंकि वे राजपरिवार की स्त्री के
साथ भाग नहीं सकते, बस उस दिन से ही लोग, बाजारों में घूमते हुए कुत्तों और
गिद्धों को देखते हैं ।
दक्षिणी नाइजीरिया का ये आख्यान सामाजिक
जीवन के द्वैध को प्रकटित करता है जिसे पुरुष श्रेष्ठता बनाम स्त्रियों की हीनता जैसे लैंगिक विभाजन
तथा अमीर बनाम गरीब की आर्थिक असमता के रूप में देखा जा सकता है । एक संपन्न
व्यक्ति की अनेकों पत्नियों के कथन से उक्त समाज के बहु विवाही होने का संकेत
मिलता है । कथाकालीन समाज में स्त्रियों की समुचित आयु और अतृप्त यौनेच्छाओं का
कोई मोल नहीं है । एक पति और अनेकों पत्नियों वाले उक्त परिवार में, स्त्रियों की
दबी कुचली यौन कामनाओं, दैहिक लालसाओं के अधूरेपन की भरपाई, सामाजिक मूल्यों के
अंतर्गत प्रावधानित नहीं है अतः दैहिक सुख के लिए विवाहेत्तर विकल्पों की खोज
स्वभाविक ही है, जैसा कि इस कथा के विवाहेत्तर प्रणय प्रसंग से स्पष्ट होता है कि
सामाजिक वर्जनाएं अक्सर दैहिक लालसाओं के सामने अपना अस्तित्व खो बैठती हैं ।
अत्तेम युवा पत्नि है उसे सुंदर और युवा प्रेमी चाहिए जो सुगठित देहयष्टि का मालिक
हो, स्पष्टतः अत्तेम को प्रणय लीला के लिए बूढ़ा पति स्वीकार्य नहीं । उसे महल के
रहवास में सुदर्शन युवा प्रेमी की प्रतीक्षा है ।
कथा का प्रेम, चोरी से घटित होना तय है
अतः सामाजिक आर्थिक विभाजन में निम्न क्रम के कारिंदे अपने स्वामी और स्वामिनी के
अनुचित आदेश को भी सहज स्वीकारते है अत्तेम का कारिंदा उसके लिए अविधिक प्रेमी की
खोज करता है और आफ़ियोंग के कारिंदे, जबड़ा तोड़ सजा और अनैसर्गिक यातनादाई मृत्यु के
सहायक बनते हैं । आफ़ियोंग और अत्तेम में वैवाहिक जीवन की शुभता के लिए आयु भेद,
शारीरिक दक्षता भेद और सौन्दर्य की तुलनात्मक श्रेष्ठता और हीनता का भेद है । राजा
आफ़ियोंग संपन्न है तो छोटी पत्नि भी विवाहेत्तर संबंधों के लिए मनमाने उपहार देने
में सक्षम है । इस आख्यान में कथा के नायक इतुएन को विनम्रता और स्वभावगत आधार पर
लोकप्रिय बताया गया है किन्तु उसकी आर्थिक विवशताएं है जिनके कारण से वो अनदेखी
अत्तेम का सहवास नायक बनना स्वीकार कर लेता है हालांकि उसे इस कारण से अपनी जान पर
आने वाले संकट का भान है । कथा का ब्याह, बेमेल श्रेणी का ब्याह है और स्त्री को
अपना प्रेमी चुनने का अधिकार नहीं। उसे पुरुष सत्तावादी समाज की कथित मान्यताओं
के अनुसार पतिव्रत धर्म का पालन करना ही होगा ।
अत्तेम का प्रेम दैहिकता का प्रेम है जबकि इतुएन का प्रेम नितांत आर्थिक विवशताओं का, जिसमे उन दोनों के प्राणों पर संकट की संभावना निहित है । आख्यान में राजा और युवा रानी के विश्वस्त कारिंदे अलग अलग हैं किन्तु उन सभी का कारिंदा होना उन्हें एक ही श्रेणी में ला खड़ा करता है । युवा रानी उपहारों के रूप में अपने प्रेमी को, जो धन / वस्तुएं, खुद के विश्वस्त कारिंदों के हाथ से भेजती है । उसका विवरण, कानफूसियों या उच्च वर्ग के उपहास उड़ाने की मानसिकता के अधीन राजा के कारिंदों तक साझा हो जाता हैं । इस आख्यान में बहु स्त्री-गामिता आफ़ियोंग का पक्ष है और सुंदर, सुदेह, प्रणय सहयात्री चुनने का नितांत दैहिक विकल्प, अत्तेम का । इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि कथा कालीन समाज में आफ़ियोंग का पक्ष समाज सम्मत ठहराया गया है जबकि अत्तेम का पक्ष, सामाजिक नैतिकता के विरुद्ध । कथा कहती है कि नायक इतुएन, नायिका अत्तेम और विश्वस्त कारिंदे के जबड़े काट डाले गए यानि कि यह प्रतीकात्मक रूप से मुंह को, असामाजिक वाचिकता के लिए दंड है । इसी तरह से कारिंदे की आंखें फोड़ना उस अवलोकन का दंड है जिसके द्वारा उसने बाजार में इतुएन को चुना था और सामाजिकता परंपरा की अनदेखी की थी। आख्यान में उल्लिखित इतुएन के परिवार और अन्य मनुष्यों की बाजार में उपस्थिति का निषेध और कुत्ते तथा गिद्धों की स्वीकार्यता इस आशय में स्वीकार की जाए कि सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन करने वाले मनुष्य, कुत्तों और मृत देह भक्षण करने वाले गिद्धों से भी गए गुजरे है ।