मुद्दतों पहले फिलीपीन्स के एक आदिम कबीले के ख्यातनाम मुखिया
मकुसोग की इकलौती पुत्री का नाम दारागांग मागायोन था और वो अपने नाम के मायने की तरह
से बे-इंतिहा खूबसूरत थी। अनेकों गांवों के युवा उससे ब्याह करना चाहते थे लेकिन उसे
किसी भी युवा में दिलचस्पी नहीं थी।यहां तक कि इनिगा कबीले का मुखिया पगटुगा भी दारागांग
मागायोन की पसंद में शामिल नहीं था जबकि वो एक मशहूर शिकारी था और अक्सर दारागांग मागायोन
को मंहगे मंहगे उपहार दिया करता था। एक दिन तागालोग क्षेत्र के कबीले के मुखिया के
पुत्र पैंगानोरोन ने दारागांग मागायोन को यावा नदी में नहाते हुए देखा । वह युवती की
खूबसूरती से इतना सम्मोहित हुआ कि खुद ही फिसल कर नदी में जा गिरा।पानी मे गिरने के
बाद,पैंगानोरोन को समझ मे आया कि दारागांग मागायोन
वास्तव मे नदी में नहा नहीं रही थी बल्कि पानी में डूबने से बचने के लिए संघर्ष कर
रही थी। वास्तविकता समझ में आते ही पैंगानोरोन ने युवती को डूबने से बचाया।
कृतज्ञ युवती ने जीवनदाता
पैंगानोरोन को गौर से देखा । कदाचित इसी क्षण से उन दोनों के दिलों में एक दूसरे के
लिए गहरी मुहब्बत का एहसास जागा । इसके बाद
वो दोनों एक दूसरे से लगातार मिलने लगे। पैंगानोरोन ने युवती के पिता के सम्मुख दारागांग मागायोन से विवाह करने की पेशकश
की, जिसे पिता ने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया क्योंकि
युवक अपने कबीले के मुखिया का पुत्र था और उसे दारागांग मागायोन भी पसंद करती थी ।
मुखिया मकुसोग की सहमति के फौरन बाद,इन दोनों प्रेमियों की सगाई कर दी गई, जिसकी खबर मिलते ही इनिगा कबीले का शिकार निपुण मुखिया पगटुगा
बेहद गुस्से में आ गया और उसने लड़की के पिता मकुसोग को बंधक बना लिया । उसने मकुसोग
से कहा कि अपनी जान बचाना चाहते हो तो, दारागांग मागायोन का ब्याह मुझसे कर दो । इस
घटनाक्रम से नाराज पैंगानोरोन ने अपनी भावी दुल्हन के पिता की जान बचाने के लिए अपने
कबीले के योद्धाओं के साथ पगटुगा के कबीले पर हमला कर दिया,दोनों कबीलों में भयंकर युद्ध हुआ। जबरदस्त मुठभेड़ के बाद पैंगानोरोन
ने पगटुगा को मार डाला ।
यह देखते ही दारागांग मागायोन
दौड़ कर अपने प्रेमी पैंगानोरोन के सीने से जा लगी । वो दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे
तभी मृत पगटुगा के छिपे हुए एक सैनिक ने तीर चलाया जो पैंगानोरोन की पीठ से होकर, दिल में गहरे धंस गया, जिसके कारण से उसकी मृत्यु हो गई । प्रेमी
की मृत्यु का एहसास होते ही प्रेमिका ने अपनी कमर में बंधे हुए चाकू को निकाल कर खुदकुशी
कर ली क्योंकि वो अपने प्रेमी के बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकती थी । दारागांग
मागायोन आखिरी सांस तक पैंगानोरोन का नाम बुदबुदाते हुए मर गई । मुखिया मकुसोग ने युवा
प्रेमी जोड़े के सम्मान में, दोनों को एक साथ, एक ही कब्र में दफना दिया । कहते हैं कि उनके इश्क की आग कब्र
के अंदर दहक उठी और कब्र से एक खूबसूरत पहाड़ सिर उठाने लगा । कब्र का सीना चीर कर बाहर
निकला पहाड़, एक ज्वालामुखी की शक्ल में दारागांग मागायोन
की तरह खूबसूरत दिखाई देने लगा । स्थानीय लोगों ने माना कि इस पहाड़ के ठीक ऊपर भटकते
बादल वास्तव मे प्रेमी पैंगानोरोन हैं । बहरहाल किसी एक दिन दारागांग मागायोन का दहकता
इश्क फट पड़ा और जिससे निकले धुवें और बिखरे बादलों में कबीले के लोगों ने प्रेमी जोड़े
को आलिंगन बद्ध देखा।
यह मिथक फिलीपींस के तीन
आदिमजातीय कबीलों को लेकर गढ़ा गया है जिसमें से नायिका, एक कबीले के मुखिया की इकलौती और बेहद खूबसूरत पुत्री और नायक
दूसरे कबीले के मुखिया का पुत्र है जबकि तीसरे कबीले का मुखिया पगटुगा स्वयं ही नायिका
से ब्याह का इच्छुक है, वो एक निपुण आखेटक है । लेकिन यह अनुमान लगाना
कठिन नहीं है कि पगटुगा, समवयस्क नायक नायिका की तुलना में उम्रदराज
रहा होगा क्योंकि वो स्वयं ही अपने कबीले का मुखिया था । यहां मिथक से यह संकेत ग्रहण
करना उचित होगा कि नायिका, पगटुगा से प्राप्त उपहारों और उसकी प्रणय कामना
के प्रति दिलचस्पी नहीं रखती थी । बहरहाल यह आख्यान दो भिन्न कबीलों के मुखियाओं के
पुत्र, पुत्री की कथा है , जो प्रेम गली से गुज़रती हुई सगाई के पड़ाव तक जा पहुंची थी , इसके बर-अक्स तीसरे कबीले का मुखिया इस कथा का खलनायक है जो
युवती दारागांग मागायोन से नितांत एक पक्षीय प्रेम करता है । युवती, विवाहोत्सुक अन्य युवाओं के प्रति भी उदासीनता का भाव रखती है
। उसका प्रेम, कदाचित दैहिक आकर्षण से कहीं अधिक सामाजिक
सरोकारों, उत्तरदायित्वों वाला प्रेम था अतः वो मुखिया
परिवारों के उच्चवर्गीय गठजोड़ की कामना के इतर असामयिक और दुर्घटनाजन्य मृत्य के विरुद्ध
जीवनरक्षण का भाव रखने वाले युवा के प्रति समर्पित हो जाती है ।
इस दुखांत प्रेम कथा में नायक पैंगानोरोन का बहती नदी में गिर जाना एक असाधारण घटना है जो इस बात की पुष्टि करती है कि नायिका दारागांग मागायोन के सौन्दर्य से सम्मोहित नायक नदी के बहते पानी में गिरने से पूर्व स्वयं का अस्तित्व विस्मृत कर बैठा था, वो नायिका के दर्शन मात्र से अभिभूत है और तथ्यगत विश्लेषण- हीनता तथा विवेक शून्यता की स्थिति में खो गया है । उसे यह तक ज्ञात नहीं कि युवती नहा रही है अथवा डूबने वाली है । वो खुद को खोकर प्रेम को पाता है, सत्य का सहयात्री बनता है । कथा का बेहद दिलचस्प पहलू यही है कि नायिका देहाकर्षण के अतिरिक्त सामाजिक दायित्व बोध से बंधकर नायक की हो जाती है और नायक अपनी सुधबुध खोकर, जागता है तथा नायिका की आसक्ति का हकदार बनता है । उन दोनों के प्रेम को सामाजिक स्वीकृति प्राप्त है किन्तु एकपक्षीय प्रेम करने वाले व्यक्ति का नकारात्मक चरित्र और हिंसक गतिविधियां तथा छल पूर्वक नायिका को हासिल करने का यत्न, लगभग आखेटकीय तिकड़मों के जैसा है वो अपहरण और हिंसा के रास्ते लक्ष्य को पाना चाहता है लेकिन असफल रहता है । ये मिथक अद्भुत ढंग से नायक नायिका के प्रेम को तपिश, दहकन से जोड़ता है और प्रतीकात्मक रूप से ज्वालामुखी पर्वत के कब्र से बाहर निकल पड़ने तथा बादलों, धुवें और अग्नि की जुगलबंदी को प्रेमी युगल के पारस्परिक समर्पण और छल नियोजित मृत्यु के दुख से जोड़ देता है ।