शनिवार, 24 जून 2023

अफ़रोडाइट और नेरीटिस


कहते हैं कि अफ़रोडाइट को नेरीटिस  से प्रेम था और नेरीटिस, ओकेनोस की पुत्री डोरिस और समुद्र के देवता नेरेस की संतान था । उसका जन्म पचास पुत्रियों के पश्चात हुआ था, किंतु वह दुनिया में सर्वाधिक सुंदर युवकों में गिना गया, यहां तक कि उसे देवताओं से भी अधिक सुंदर माना गया । प्रेम के आरंभिक समय में अफ़रोडाइट, नेरीटिस के साथ समुद्र में ही रहकर, सुख और प्रेम पूर्वक जीवन व्यतीत करती थी, किंतु समस्त देवताओं के पिता जिउस ने अफ़रोडाइट को देवलोक में निवास के योग्य मानते हुए आमंत्रित किया तो वह इस गौरवबोध का परित्याग नहीं कर सकी और देवलोक जा पहुंची, वह चाहती थी कि, नेरीटिस भी उसके साथ देवलोक जाए किंतु नेरीटिस अपनी बहनों और माता-पिता को छोड़कर देवलोक नहीं जाना चाहता था, जिसके कारण से अफ़रोडाइट उस पर अत्यधिक नाराज हुई और उसने, उससे वह उपहार छीन लिया, जो उसने नेरीटिस के लिए चुना था यानि कि नेरीटिस के पास पंख उगाने की क्षमता थी ।

यह एक तरह से अफ़रोडाइट का उपहार था, जिसे अफ़रोडाइट ने, नेरीटिस के इस इंकार के साथ कि, वह अपनी बहनों और पिता के साथ समुद्र में ही रहेगा, छीन लिया था। नेरीटिस, अफ़रोडाइट का पहला प्यार था और उसने अफ़रोडाइट के साथ देवलोक जाने से इंकार कर दिया था । जिससे नाराज अफ़रोडाइट ने नेरीटिस को शंख के रूप में बदल दिया । यह प्रेम में चोट खाकर, बदले की भावना जैसा कृत्य था जो कि, अफ़रोडाइट ने नेरीटिस के साथ किया । अब नेरीटिस एक सर्पिलाकार खोल जैसा शंख है, जो कि आकार में छोटा होने के बावजूद बेहद खूबसूरत है । नेरीटिस, परिवार के सानिध्य में रहने के लिए तथा देवलोक और प्रेम का परित्याग करने के कारण शंख हो गया, जबकि उसे, समुद्र के देवता का पुत्र होने के नाते स्वयं भी समुद्र का देवता माना गया है ।

अफ़रोडाइट का पहला, प्रेम समुद्र के देवता नेरेस के पुत्र नेरीटस को संबोधित है, और यह प्रकरण तब का है, जबकि देवताओं के पिता जिउस ने अफ़रोडाइट को देवलोक में रहने के लिए आमंत्रित नहीं किया था । प्रकरण की विशिष्ट बात यह है कि, समुद्र के देवता नेरीटिस जोकि अपनी पचास बहनों के बाद उत्पन्न इक्यावनवीं संतान था । देवलोक जाने के लिए आतुर प्रेयसी अफ़रोडाइट के साथ देवलोक जाने के स्थान पर भूलोक में ही बने रहना श्रेयस्कर  समझता है । वह अपने माता-पिता और बहनों के लिए समुद्र को छोड़कर देवलोक नहीं जाना चाहता । प्रेमी का यह व्यवहार अफ़रोडाइट को पसंद नहीं आया और उसने नेरीटस से पंख उगाने का उपहार छीन लिया ।

उसे एक खोखले शंख के रूप में बदल दिया । यह प्रसंग प्रतीकात्मक रूप से अद्भुत है कि, अपने प्रेमी को असंतुष्ट होने की स्थिति में अफ़रोडाइट ने उपहार स्वरूप दिए गए पंख छीन कर, जैसे कि, असफल और अतृप्त  प्रेम का बदला चुकाया हो । सुंदर प्रेमी के शारीरिक सौष्ठव और व्यक्तित्व को खोखले शंख के रूप में तब्दील कर देने से यह स्पष्ट हो जाता है कि, अफ़रोडाइट अपने प्रेमी के व्यवहार से किस कदर क्षुब्ध थी और उसने अपने तिरस्कार के दंड स्वरूप नेरीटस, खोखलापन दे दिया ।