शनिवार, 28 सितंबर 2024

डेयरड्रे

राजा कॉनर मैक नेसा को ड्रयूड ने सावधान किया कि कथा वाचक फेलिम की, जो बच्ची जन्म लेने वाली है, वो बेहद खूबसूरत होगी और उसके कारण से अत्यधिक खून खराबा होगा । बहरहाल जन्म के उपरांत बच्ची का नाम डेयरड्रे रखा गया और कॉनर ने उसका पालन पोषण स्वयं करवाने का फैसला लिया ताकि उसके बड़ी होने के बाद उससे ब्याह कर सके । डेयरड्रे को वृद्ध लेबरचैम की देखभाल में रखा गया । कुछ सालों के बाद लेबरचैम ने कॉनर के दरबार में योद्धा और कवि नाओइस को डेयरड्रे से मिलवाया तो वे दोनों पहली ही नजर में, एक दूसरे के प्रति आसक्त हो गए और नाओइस के भाइयों के साथ स्कॉटलैंड भाग गए,हालांकि उनका दांपत्य जीवन सुदीर्घ काल तक नहीं टिका क्योंकि कॉनर ने उन्हें ढूंढ़ निकाला और नाओइस को उसकी नाफरमानी के लिए माफ करने के वादे के साथ वापस लौटने के लिए राजी कर लिया ।

प्रेमी युगल और परिजन जब कॉनर के दरबार में पहुंचे तो उसने लेबरचैम को यह देखने के लिए भेजा कि डेयरड्रे अभी भी खूबसूरत है याकि नहीं । लेबरचैम ने वापस लौट कर कॉनर से कहा कि डेयरड्रे अब आंचल से मुंह छुपाई हुई डायन जैसी दिखती है किन्तु कॉनर ने उसकी बात पर विश्वास नहीं किया और गेलबैन को भेजा, जिसने डेयरड्रे की एक झलक देखी और लौटकर कॉनर से कहा कि डेयरड्रे पहले की तरह खूबसूरत है । इसी बीच नाओइस ने सोने का एक टुकड़ा कदाचित शतरंज का एक मोहरा फेंका जिससे डेयरड्रे की एक आंख चोटिल हो गई । इसके बावजूद गेलबैन ने कॉनर से कहा कि डेयरड्रे अभी भी इतनी खूबसूरत है कि उसे एक लम्हे के लिए देखने के व्यक्त यह भूल जाना उचित होगा कि अब वो एक आंख वाली है ।

यह सुनकर कॉनर ने अपने योद्धाओं से कहा कि, नाओइस भाइयों को मार डालो और डेयरड्रे को बंदी बना लो, यद्यपि कुछ दरबारी योद्धा इस छल से दु:खी हुए लेकिन वो लोग नाओइस परिवार को बचा नहीं सके । इसके उपरांत डेयरड्रे को कॉनर से ब्याह करने के लिए मजबूर किया गया । कालांतर में डेयरड्रे की मृत्य  हो गई और उसे नाओइस की कब्र के निकट दफनाया गया तो उन दोनों की कब्रों से दो झाड़ीनुमा दरख्त उग आए, पूरी तरह से विकसित होने के बाद, उन दरख्तों के ऊपरी हिस्से कुछ यूं मिले कि कोई उन्हें फिर से जुदा ना कर पाए ।

यह मिथक दु:खांत प्रेम कथा की श्रेणी में गिना जाएगा, जहां फेलिम नामक एक किस्सा-गो है, जिसकी अजन्मी सुपुत्री के संबंध में कहे गए दो तथ्य नितांत अविश्वसनीय प्रतीत होते हैं । एक तो यह कि गर्भ में मौजूद भ्रूण लड़की का है और दूसरा ये कि वो जन्म लेने के उपरांत बेहद खूबसूरत होगी । इस पर तुर्रा ये कि करेला और नीम चढ़ा की तर्ज पर राजा कॉनर यौन लोलुपता की सारी हदें पार कर देता है । वो नवजात कन्या को अपनी देख रेख में पालने का प्रबंध करता है और एक वृद्ध को उसका संरक्षक नियुक्त करता है । कथनाशय यह है कि राजा को अपनी कामुकता के शमन के लिए वृद्ध संरक्षित, अक्षत यौवना चाहिए थी और उसे अपनी तथा डेयरड्रे के वय भेद से कोई फर्क नहीं पड़ता । हम कह सकते हैं कि सारी दुनिया में राजसत्ता में बैठे पुरुष प्रधान सामान्यतः ऐसे ही होते हैं । जिन्हें देहाचार के लिए खूबसूरत और कमसिन युवतियों की दरकार बनी रहती है ।

डेयरड्रे किस्सा-गो की संतान है । निःसंदेह वो राजा की तुलना में एक साधारण नागरिक अथवा दरबारी से अधिक की हैसियत नहीं रखता सो उसे अपनी पुत्री के अरमानों का ख्याल रखने का अख्तियार भी नहीं है । इस मिथक में पीड़ित युवती डेयरड्रे और उसके प्रेमी नाओइस के अतिरिक्त किस्सा-गो सर्वाधिक उपेक्षित किरदार है । राजा के पास सैन्यबल है, धनबल है । अस्तु उसे विश्वास है कि वह राज्य के अद्भुत सौन्दर्य का इकलौता मालिक है । वो युवती के कवि हृदय भावुक प्रेमी नाओइस से रुष्ट है और उसे छल पूर्वक दरबार में वापस बुलवाता है । वो इस बात की तसदीक करने की चेष्टा करता है कि डेयरड्रे अब भी खूबसूरत है और फिर डेयरड्रे की चोटिल आंख की परवाह किए बगैर उससे बलपूर्वक विवाह कर लेता है हालांकि इससे पूर्व वो उसके प्रेमी और उसके परिजनों की मृत्यु सुनिश्चित करना नहीं भूलता । राजा की मृत्यु के संबंध में यह आख्यान भले ही मौन हो किन्तु यह निष्कर्ष निकालना कठिन नहीं है कि उसकी मृत्यु आयु के नैसर्गिक नियमानुसार डेयरड्रे से पहले ही हुई होगी ।

कथा संकेत यह था कि कुछ दरबारियों ने नाओइस को राजा के छल से बचाने की कोशिश की थी, यानि कि वे लोग उक्त युवती के प्रेमी और ससुराल पक्ष के लोगों के प्रति न्याय की भावना रखते थे । वे दरबारी थे तो उनकी सहानुभूति दरबारी वर्ग तुल्य पीड़ित पक्ष के प्रति थी । कथा का अंत, सांकेतिक रूप से यह तथ्य उद्घाटित करता है कि डेयरड्रे मृत्यु के बाद अपने प्रेमी की कब्र के निकट दफनाई जाती है अर्थात उसे राजा की समाधि के निकट दफन नहीं किया जाना वर्ग द्वेष का प्रकटित रूप है । इससे यह भी स्पष्ट होता है कि जीते प्रेमी जोड़े की मदद नहीं कर सके तो मृत्यु उपरांत ही सही । उच्च वर्ग और उसके अन्याय के प्रति घृणा, विरोध को जताने का इससे बेहतर कोई रास्ता हो भी नहीं सकता था । झाड़ीनुमा दरख्तों के एकाकार हो जाने का कथन प्रेमी जोड़े के प्रति जनसमर्थन का प्रतीक है ।