ताकीमियां नाम के गांव में पांच भाई और एक बहन कनिशा निवास
करते थे । कनिशा से अलग-अलग जगह के सैकड़ों युवा विवाह करना चाहते हैं,
लेकिन वो शादी करने की इच्छुक नहीं थी । कनिशा हरेक दिन गांव के पास की छोटी सी
खाड़ी में तैरने जाया करती, किंतु एक दिन जब तैर कर लौट रही थी, तो उसने अनुभव
किया कि वह गर्भवती है । उसके भाई जानना चाहते थे कि ऐसा कैसे हुआ ? लेकिन कनिशा को जो
बात खुद ही पता नहीं थी, वो अपने भाइयों को क्या बताती । कुछ दिनों के बाद, उसने एक पुत्र को जन्म
दिया जोकि स्वभाव से बहुत ही चिड़चिड़ा था और हर समय रोता ही रहता था । उसे चुप कराने के लिए स्वजनों ने बहुत
मेहनत की, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला । कनिशा के भाइयों ने कनिशा से कहा कि, वह
अपने बच्चे को घर से बाहर ले जाए । ऐसा करते ही बच्चे ने रोना बंद कर दिया और एक
दिन कनिशा बच्चे को खाड़ी की तरफ घुमाने ले गई।कुछ देर बाद उसे आश्चर्य हुआ कि बच्चा,
सील का मांस खा रहा है । बच्चे को मांस किसने दिया, ये जानने के लिए, कनिशा चारों
तरफ देखती और घूमती रही, किंतु उसे यह पता नहीं चला कि आस पास कोई और भी मौजूद है ।
जैसे ही वो अपने घर पहुंची बच्चा फिर से रोने लगा और रात भर
किसी को सोने का मौका नहीं मिला । कनिशा के भाइयों ने, उससे कहा कि वह छुप जाए और देखे कि,
बच्चा क्या करता है ? बाहर जाकर कनिशा ने अपने आप को छुपा लिया, किंतु उसे दिन भर कोई दिखाई नहीं दिया, लेकिन शाम को एक युवक प्रकट हुआ और उसने कनिशा से कहा कि मेरे पीछे पीछे
आओ,असल में वो युवक ही, उसका पति था । पहले पहल तो कनिशा ने उस युवा को मना किया फिर यह सोच
कर कि उसके रिश्तेदार इस बारे में जान ना जाए, वो उस युवा के पीछे चली गई। युवक ने कनिशा से कहा कि वह सुरक्षित
रहेगी। बच्चे को अपनी गोद में लेकर चले। जब वो दोनों खाड़ी में पहुंचे तब, उस युवा ने कनिशा से कहा कि अपनी आंखें बंद करो और
मेरी करधन को कसकर पकड़ लो। इस तरह से उन्होंने एक साथ पानी में छलांग
लगा दी और समुद्र तल जितनी गहराई में,एक
गांव में जा पहुंचे,जहां पर बहुतेरे मूल निवासी / इंडियंस बसे हुए थे।उसका पति, गांव के मुखिया की पांच संतानों
में से एक था । अगले कुछ दिनों तक ये जोड़ा, संतुष्ट और प्रसन्न चित्त जीवन
व्यतीत करता रहा ।
कनिशा का बच्चा बड़ा होने लगा था और उसे अपने मातुलों के
गांव के कई बच्चे पसंद थे । जिनके साथ वो तीर कमान लेकर खेला करता था । कनिशा ने बच्चे को बताया कि, उसके पांचों
मातुल, सागर की सतह के ऊपर वाली धरती पर रहते हैं और बच्चा उनसे बहुत सारे तीर
कमान ले सकता है । एक दिन बच्चे ने अपनी मां से कहा कि,
मुझे धरती पर बसे हुए मामा लोगों से कुछ तीर दिलवा दो, लेकिन बच्चे के पिता ने इस बात
पर आपत्ति जताई, हालाकिं काफी बहस के बाद, उसने अपनी पत्नी को अनुमति दी कि, वह
अकेले धरती पर जाकर वापस आये । लिहाजा कनिशा, ऊदबिलाव की खाल पहन कर अपने साथ
में पांच अतिरिक्त खालें लेकर बड़ी सुबह अपने गांव की ओर चल पड़ी । खाड़ी के तट पर उसे, उसके भाइयों ने देखा
तो समझे कि, ये कोई ऊदबिलाव है और वे उस पर तीर बरसाने लगे, जिसके कारण से ऊदबिलाव
की खाल में जगह-जगह छेद हो गए और कई तीर उसके अंदर भी पहुंचने लगे । इस पर कनिशा, पानी में गहराई की ओर तैरने लगी,
लेकिन कई लोगों ने अपनी छोटी-छोटी डोंगियों के सहारे, उस पर तीर बरसाना जारी रखा, हालांकि
कोई भी तीर कनिशा को जिस्मानी नुकसान नहीं पहुंचा सका ।
धीरे-धीरे सभी शिकारियों ने ऊदबिलाव की खाल पहनी हुई, कनिशा
का पीछा छोड़ दिया, लेकिन उसका सबसे बड़ा भाई उसके पीछे लगा रहा और उसने ऊदबिलाव
की खाल के अंदर छुपी हुई कनिशा को पकड़ लिया । उसने देखा कि, यह तो उसकी खोई हुई बहन है । तब कनिशा ने अपने बड़े भाई को बताया कि,
उसकी ससुराल खाड़ी के तल पर है । कनिशा ने कहा कि जब भाटे के समय जल स्तर
घटता है, तो उसकी ससुराल के गांव को देखा जा सकता है । वहां गांव के मुखिया के पांच बेटों में से
एक उसका पति है और वह अपने पुत्र के लिए मायके से, तीर लेने आई है, तब बड़े भाई ने
अपनी बहन को अनेकों तीर भेंट में दिए । ससुराल
जाने से पहले बहन ने अपने भाइयों से कहा कि, कल सुबह एक व्हेल खाड़ी के तट पर
मिलेगी, और ऐसा ही हुआ । उस व्हेल के मांस का बटवारा गांव में बराबर से किया गया । कुछ महीनों बाद कनिशा फिर से मायके आई और
उसके भाइयों ने उसे दोबारा कुछ तीर दिए ।
भाइयों ने देखा कि उनकी बहन के कांधों की त्वचा समुद्री नागों के जैसी काली हो चली है और वहां
पर सिल्क की परत, दिखाई देने लगी है । कहते हैं कि उसके बाद कनिशा, कभी भी अपने
मायके वापस नहीं आई । माना जाता है कि, हर साल गर्मियों और सर्दियों में खाड़ी के
तट पर दो व्हेल मिलती हैं जोकि, समुद्री तल के गांव के नातेदार, धरती के अपने
नातेदारों को भेंट बतौर देते हैं ।
अक्सर कथाओं को उनकी सपाट बयानी के अनुसार नहीं बांचा जाना
चाहिए, बल्कि इन कथाओं को दिए गए विवरणों के सांकेतिक निहितार्थ के संदर्भ में
पढ़ा जाना चाहिए । यह कथा अमेरिकन इंडियंस में प्रचलित उस गांव की कथा है जोकि
किसी समुद्री खाड़ी के पास बसा था और जहां एक परिवार विशेष में पांच पुत्र और एक
पुत्री होने का कथन है । हालांकि कनिशा प्रतिदिन तैरने के लिए खाड़ी की दिशा में
जाती है और किसी एक दिन उसे गर्भवती होने की अनुभूति होती है । हम ये नहीं कह सकते कि कनिशा को तैरने के
दौरान अनायास ही गर्भवती होना पड़ा होगा, हमारा मानना है कि, कनिशा किसी अन्य गांव
के युवक पर आसक्त रही होगी और तैरने के बहाने, अपने गांव से बाहर, उस युवक के गांव
की दिशा में जाया करती होगी । अतः कनिशा के गर्भवती होने का कथन दैवीय
कथन या कनिशा के गोपनीय दांपत्य जीवन का कथन नहीं माना जा सकता । स्पष्टतः इसे , भिन्न बसाहटों में रहने वाले युवक और युवती
कनिशा के प्रणय सह दैहिक संसर्ग की कथा माना जाना चाहिए ।
युवक का गांव समुद्र तल में स्थित बताया गया है । यह उल्लेख भारतीय संदर्भ में मत्स्य कन्या
और मत्स्य देश के उल्लेख से साम्य रखता है, जहां एक भिन्न जीवन संसार, जल तल में
मौजूद होता है और जिसके बारे में धरती की सतह पर बसे हुए गांव के लोग सामान्यतः नहीं
जानते हैं ।
कनिशा अविवाहित है और उसके गर्भवती होने को लेकर किसी भी
तरह के विवाद की स्थिति नहीं है । कनिशा के भाई केवल इतना ही पूछते हैं कि
यह कैसे संभव हुआ ? उल्लेखनीय है कि, वे अपनी बहन से कोई विवाद नहीं करते । अतः हमें यह मानने में कोई कठिनाई नहीं
होना चाहिए कि, उक्त समाज में स्त्रियों को अपना प्रेमी चुनने और उसके साथ संसर्ग
करने तथा जीवन यापन करने का अधिकार रहा होगा । यह दृष्टिकोण, इस तथ्य से भी पुष्ट होता
है कि कनिशा अपने भाइयों के साथ रहते हुए, अपनी संतान को जन्म देती है । जिसे खुलेपन और पानी के सामीप्य की
अनुभूति प्रिय है और वह अपने मातुलों के घर के अंदर एक चिड़चिड़े बच्चे के रूप में
जाना जाता है । यह निश्चित है कि, बच्चा स्वयं के अनुरूप पारिस्थितिकी
तंत्र चाहता है और तदनुसार खुश होता है । आगे चलकर, आख्यान में यह उल्लेख मिलता है कि,
बच्चे को अपने मातुलों के गांव के अन्य बच्चों के साथ खेलने का अवसर मिला था । अतः यह मानने में कोई कठिनाई नहीं है कि,
बच्चा काफी दिनों तक अपने ननिहाल में रहा था और कालांतर में अपने पिता के गांव में
जाने के बाद भी, उसे अपने मातुलों के गांव
और वहां के बच्चों की याद आती है ।
आख्यान से यह भी स्पष्ट होता है कि, उक्त समाज, तीर कमान
जैसे हथियारों के माध्यम से आखेट, खासकर जलीय आखेट पर
आधारित समाज रहा होगा । कनिशा की ससुराल भी सामाजिक दृष्टि से उच्चवर्गीय सह कुलीन
मानी जाना चाहिए । कथा संकेत यह है कि, कनिशा को अपने बच्चे के
लिए तीर कमान लाने के बहाने से, मायके जाने की ललक जागी होगी । अतः कनिशा अपने पति से लंबी बहस करने के उपरांत अपने मायके
जाती है । एक बार पुनः यह स्पष्ट होता है कि, उक्त समाज या उन दोनों
गांव के लोग, स्त्रियों से विचार विमर्श के विरुद्ध नहीं थे और स्त्रियां सहज ही, चर्चा
कर स्वयं के अनुकूल निर्णय पा सकती थीं । इसके बाद कथा में यह उल्लेख मिलता है कि, कनिशा
अपनी ससुराल से ऊदबिलाव की खाल पहनकर और अतिरिक्त पांच खाल लेकर निकलती है ताकि
उन्हें उपहार स्वरूप अपने भाइयों को दे सके । मायके पहुंचने के लिए कनिशा जल मार्ग चुनती है। चूंकि उसने ऊदबिलाव की खाल पहनी हुई है । अतः उसके मायके के लोग, उसे ऊदबिलाव समझ
कर, उसका शिकार करना चाहते हैं और यहां भी तीर कमान के उपयोग का उल्लेख मिलता है । कनिशा, वापस गहरे पानी में भागती है और गांव
के लोग छोटी छोटी डोंगियों के सहारे, उस पर तीर छोड़ते रहते हैं । जिस के कारणवश उसकी पोशाक क्षत-विक्षत हो
जाती है और तीर उसके अंदर घुसने लगते हैं ।
कनिशा को पकड़ पाने या मार डालने में असफल रहे, लोग एक
स्थान पर ठहर जाते हैं, किंतु कनिशा का बड़ा भाई उस का पीछा नहीं छोड़ता और उसे
पकड़ लेता है, फिर उसे पता चलता है कि, यह तो उसकी खोई हुई बहन है जो आकस्मिक रूप
से कहीं लापता हो गई थी, जबकि कथा में इस बात का उल्लेख है कि कनिशा अपने भाइयों के
कहने से अपने बच्चे से छुपकर किसी व्यक्ति की तलाश में है या कहें कि, गुप्त मददगार
की तलाश में है, जो बच्चे को मांस खाने के लिए देता है । बड़ा भाई अपनी बहन को पहचान कर उसे अपने
साथ घर लाता है, तब कनिशा अपने पांचों भाइयों को ऊदबिलाव की खाल भेंट करती है और
बदले में उसे कई तीर कमान मिलते हैं और वो वापस अपनी ससुराल चली जाती है,लेकिन
इससे पहले वो ये घोषणा करती है कि,कल सुबह खाड़ी के तट पर एक व्हेल मिलेगी । कनिशा के कहने के अनुसार तट पर व्हेल मिलती है और उसके मायके के लोग उस व्हेल का मांस
गांव के सभी लोगों में बराबर से बांट देते हैं । अतः यह स्पष्ट होता है कि उक्त समाज, आखेट
में प्राप्त या भोजन के रूप में प्राप्त सामग्री को समाज में समान रूप से वितरित
करने में यकीन रखता है । यानि कि, उक्त समय में वहां, परिवार से अधिक
महत्वपूर्ण गांव था और प्राप्त खाद्य सामग्री को परस्पर बांट कर खाने की परंपरा प्रचलन
में थी तथा बटवारे में कम या ज्यादा का भेदभाव नहीं था ।
कालांतर में कथा में समुद्री सर्पों का उल्लेख मिलता है जोकि,
प्रतीकात्मक रूप से कनिशा से साम्य रखता है, क्योंकि कनिशा जब अगली बार मायके आती
है तो उसके कांधों पर शल्क दिखाई देते हैं, ठीक वैसे ही, जैसे कि समुद्री सांपों में
होते हैं, उसका कांधा स्याह हो चला था और वो अपने मायके से पुनः तीर कमान का उपहार
लेकर अपनी ससुराल वापस लौटती है । सामान्यतः यह कथा, कनिशा के द्वारा, अपने वर
के चयन के, अधिकार के प्रयोग का बयान करती है और इस बात की घोषणा करती है कि, ये कथा
दो युवाओं के मध्य पनपी और पल्लवित प्रेम कथा है । जहां परस्पर विजातीय समुदायों के साथ नातेदारी
का संबंध स्थापित होने के बाद, गांव के लोग एक दूसरे को उपहार देना नहीं भूलते । तभी तो कनिशा के मायके से अंतिम प्रस्थान
के उपरांत भी सर्दियों और गर्मियों में, गांव के लोगों को तट पर दो व्हेल उपहार
स्वरूप मिल जाया करती है । जिसकी एवज में, वे लोग अपनी सुकन्या के
ससुराल पक्ष को तीर कमान भेंट करते हैं । हमें इस कथा में कनिशा के प्रणय संगी
चुनने के अधिकार, विवाह पूर्व संतान को जन्म देने के अधिकार और सह पलायन के अधिकार
का स्पष्ट संकेत मिलता है और यह भी कि, तब युवक युवती के विजातीय होने पर भी विवाह
के संबंध स्थापित हो सकते थे और नातेदार अपनी सामर्थ्य के अनुसार उपहारों का लेन देन
करते थे।ये उपहार वही होते, जो उनके समाज में बहुतायत से प्रचलित या
सहजता से उपलब्ध होते थे ।