मुद्दतों पहले की बात है, जब अपाचे जनजाति का एक समूह, धरती के उस टुकड़े पर निवास
करता था, जिसे मिट्टी की रंगत के हिसाब से, पीली धरती कह सकते हैं । उस समूह
में चेतोन और एल्सू नाम के दो युवा दोस्त
थे । जिनमें
से चेतोन का विवाह मुखिया की पुत्री हुरित
से हुआ था । उन दिनों, उनका समूह किसी अन्य जनजाति के साथ संघर्षरत था जो उनसे
बहुत दूर निवास करती थी । अतः इन दोनों युवकों को शत्रु जनजाति के कुछ योद्धाओं के
शीश काटना थे और अपने समूह को चिंता मुक्त करना था । इसलिए एक दिन, उन्होंने अपने घोड़े तैयार किए और अपने
उद्देश्य की पूर्ति के लिए शत्रु जनजाति के गांव की ओर चल पड़े, रात होने पर उन्होंने,
रास्ते में ही पड़ाव डाला और आपस में बातें करने लगे कि उन्हें आगे क्या-क्या करना
है और अपने पीछे क्या छोड़ आए हैं । अविवाहित एल्सू ने चेतोन से कहा कि, आमतौर पर
जैसा कि, महिलाएं करती हैं, तुम्हारी पत्नी भी आज की रात किसी अन्य पुरुष के साथ
सो रही होगी । चेतोन ने कहा कि, तुम ऐसा सोच सकते हो किंतु मैं ऐसा कभी नहीं सोचूंगा,
मेरी पत्नी मेरे लिए विश्वसनीय है ।
बहरहाल उन दोनों में इस मुद्दे पर शर्त लगी और एल्सू गांव में लौट आया था । उसने चेतोन की झोपड़ी के चारों ओर चक्कर लगाए । उसने देखा कि चेतोन की पत्नी अपने घर की दहलीज में बैठी हुई
है, लेकिन उसने एल्सू की ओर देखा तक नहीं, यद्यपि एल्सू उसे देखकर मुस्कुराता रहा,
लेकिन हुरित ने उसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया, जिससे कि वह हुरित से बात करने
से डरने लगा । एल्सू को महसूस हुआ कि चेतोन की पत्नी हुरित उतनी ही विश्वसनीय है
जितना कि चेतोन सोचता है । शर्मिंदगी और
शर्त हारने के भाव से वह, वहां से वापस लौट रहा था, तभी उसे उस गांव की एक बूढ़ी
स्त्री का ख्याल आया जो उसकी मदद कर सकती थी । उसने कहा कि, दादी मां क्या मैं हुरित
को बिना कपड़ों के देख सकता हूं ? क्या आप मुझे यह बता सकती हो कि उसके शरीर में
किस किस तरह के निशान हैं, इसके लिए मैं आपको अच्छा पैसा दूंगा । बूढ़ी स्त्री, लालची
थी उसने कहा कि हां, मेरे बच्चे, मैं तुम्हें इसकी जानकारी जरूर दूंगी ।
तयशुदा योजना के अनुसार, बूढ़ी स्त्री एक बेंत के सहारे, फटी हुई जूतियां पहन
कर,लंगड़ाते हुई चेतोन की पत्नी के सामने से गुजरी।हुरित ने सोचा, बेचारी बूढ़ी । उसने बूढी से अपनी झोपड़ी के अंदर आने की गुजारिश की और
कोने में खाल का बिस्तर ठीक कर दिया, उसे खाना खिलाया, देर हो चुकी थी अतः बूढ़ी
स्त्री, कंबल ओढकर सोने का नाटक करने लगी । उसके कम्बल में एक छेद था, जिससे वह हुरित
को कपड़े बदलते हुए देखने में कामयाब रही । हुरित ने अपनी लंबी सुनहरी चोटी को
खोलकर फिर से सवांरा, मुंह धोया । उसने अपने शरीर पर पांच घाव किये जोकि उसके
योद्धा पति के लिए सांकेतिक प्रणय की निशानी थी । वो पीछे मुड़ी तो बूढ़ी ने देखा कि
उसकी पीठ पर एक काला निशान था । अगली सुबह बूढ़ी स्त्री ने हुरित से कहा कि पुत्री
मैं अपने घर वापस जाऊंगी ताकि अपनी मुर्गियों को दाना डाल सकूं ।
लेकिन बूढ़ी स्त्री वहां से निकलकर, सीधे एल्सू के पास पहुंची और उसने हुरित की
पीठ पर काला निशान होने की बात कही । एल्सू यह सुनते ही खुश हुआ और वापस युद्ध
शिविर में जा पहुंचा और उसने चेतोन कहा कि
दोस्त, तुम्हारी पत्नी कल रात मेरे साथ सोई थी । उसके लंबे सुनहरे बाल हैं लेकिन
पीठ पर एक काला निशान है । यह सुनकर चेतोन का चेहरा अपने कांधों पर झुक गया, वो उदास
था । उसने
कहा, चलो । वापस चलो, गांव में मेरे पास जो भी है, पैसा, घोड़े, जानवर और घर, वह सब मैं
तुम्हें दे दूंगा क्योंकि मैं शर्त हार चुका हूं । गांव लौट कर चेतोन ने सारी संपत्ति एल्सू को दे दी जैसे कि
उसका अंतिम संस्कार होने वाला हो । हुरित ने उससे पूछा यह क्या कर रहे हो, अपना सब कुछ एल्सू को
क्यों दे रहे हो ? चेतोन ने कोई जवाब नहीं
दिया और चमड़े का एक बड़ा संदूक बनाने लगा । जिसमें उसने कुछ पैसा, थोड़ा खाना और खाना बनाने का सामान रखा
।
इसके बाद उसने कहा कि, मैं मैदानों की यात्रा करना चाह रहा हूं, एक लंबी और
आनंदमयी यात्रा, तुम्हें अपने बेहतरीन कपड़े पहनना चाहिए और फिर उसने हुरित को उस
संदूक में लेटने कहा और बोला कि, ये मैंने तुम्हें सूरज की गर्मी से बचाने के लिए
बनाया है, इसके बाद उसने एक घोड़ा गाड़ी
में संदूक लादकर अपनी यात्रा प्रारंभ कर दी । एक लम्बा रास्ता तय करने के बाद उसे
एक नदी मिली, उसने संदूक को नदी में डाल दिया और गांव वापस लौट आया । गांव वालों
ने पूछा कि, हुरित कहां है और सारी संपत्ति तुमने एल्सू को क्यों दे दी है ? तो
उसने किसी को कुछ नहीं बताया । हुरित के बारे में
चेतोन की चुप्पी को लेकर मुखिया बहुत नाराज हुआ और उसने भूमि के अंदर एक
कुआं जैसा बनाकर चेतोन को कैद कर दिया । उधर
उस नदी में, जहां चेतोन ने संदूक फेंका था एक अपाचे मछुआरे ने जाल फेंका, जिसमें
संदूक फंस गया, उसे लगा कोई बड़ी मछली फंसी है ।
उसने जाल बाहर खींचा तो पाया कि उसमें मछली नहीं थी बल्कि एक सुंदर युवती लेटी
हुई थी । वह उसे अपने घर ले जाना चाहता था, लेकिन हुरित ने कहा कि उसके घर जाने से
पहले उसे कपड़े बदलना है । चूंकि वो मछुआरा, अपाचे समूह के साथियों के साथ युद्ध
में जाने की तैयारी कर रहा था, तो हुरित ने भी पुरुषों जैसे कपड़े पहन कर, मछुआरे
के साथ अपनी यात्रा शुरू की, ताकि वह योद्धाओं के दल में शामिल हो सके । उसे देखकर
कुछ नौजवान योद्धाओं ने कहा कि, इस युवा की आंखें लड़कियों जैसी दिखती है बल्कि यह
लड़कियों की तरह चलता भी है । अतः युवाओं ने तय किया कि वह पुरुष वेशधारी युवा की लैंगिक
पहचान करेंगे और इसके लिए उन्होंने उससे दोस्ती करने की योजना बनाई । हुरित ने कहा
कि वह एक औषधि विज्ञानी है और उसे सूर्य देव से दवा मिलती है । इसलिए उसका तंबू , दूसरों से अलग रखा जाएगा । उसने सफेद चील का एक पंख भी धारण किया हुआ था, ताकि अन्य लोग
उस पर शक न कर सके ।
एक लड़का जो उसे दोस्त बनाना चाहता था । उसके तंबू में गया और पूछा कि क्या मैं यहाँ पर सो सकता हूं
? हुरित ने कहा ठीक है।हुरित के पास सोने का नाटक करते हुए,उस योद्धा ने उसके
ऊपर अपना हाथ रखा तो हुरित ने कहा ऐसा मत करो। वह बार-बार कोशिश करता और हुरित उससे कहती कि तुम सो क्यों
नहीं जाते, इस तरह से वो पूरी रात, योद्धा की असफलता की रात सिद्ध हुई और उसने अगली
सुबह अन्य साथियों से यह बात कुबूल की कि,वह असफल हो गया है । इसी तरह से यात्रा
की हरेक रात अलग-अलग योद्धाओं ने इस अजनबी के असली लिंग का पता लगाने की बेकार
कोशिशें की, लेकिन वे सभी असफल रहे । अंत में इन योद्धाओं का जत्था, शत्रुओं के देश जा पहुंचा तो
हुरित ने सभी योद्धाओं को एक चेतावनी दी और कहा कि वे चुप रहें और अपने तंबू के
अंदर रहें । उसके पश्चात हुरित ने शत्रु पक्ष की दिशा में दवा फेंक दी
और बिना किसी की अन्य योद्धा की सहायता के अपने सभी शत्रुओं को मार डाला ।
फिर उसने युद्ध का बिगुल फूंका, जिससे सभी योद्धा अपने तम्बू से बाहर निकले । तब हुरित ने घोषणा की कि, मैंने
बड़ी लड़ाई लड़ी है और सभी शत्रुओं को मार डाला है।उसने कहा कि, अब मैं सभी मृतक
शत्रुओं के पास जाऊंगा और उनके कान काट डालूंगा,उनकी ढालें,तीर कमान या युद्ध की
तमाम सामग्रियां ले लूंगा और कुछ शत्रुओं के शीश भी काट लूंगा । युद्ध में जय के
बाद जब विजयी योद्धाओं का यह दल वापस अपने गांव लौटा तो इन योद्धाओं में से, हुरित
को विशेष आभार स्वरूप, उसके घर वापस वापस छोड़ने लिए, एक टुकड़ी की अगुवाई का प्रस्ताव दिया गया । किंतु हुरित ने अपने पुरुष वेश
को त्यागते हुए कहा कि मैं वह वफादार पत्नी हूं, जिसके पति ने उसे नदी में फेंक
दिया था, यद्यपि मैं एक युवती हूं,तब भी मैंने अपने युवा योद्धाओं के लिए यह
लड़ाई लड़ी और दुश्मनों को मार डाला है, जिनकी खोपड़ी या कान और हथियार आदि आदि आपको
समर्पित हैं । चेतोन मेरे पति हैं।
लेकिन आपने उन्हें कैद कर लिया है, चूंकि यह कुटिल योजना एल्सू की थी, जिसके
कारण से मेरे जीवन में अंधेरा छा गया है । अब उसे पकड़कर मेरे सामने लाओ । इसी
दौरान चेतोन को मुक्त कर दिया गया तो हुरित उसे देख कर रो पड़ी और उसे गले लगा
लिया।चेतोन बहुत दुबला पतला और उदास लग रहा था। हुरित ने कहा तुम्हें पीटा गया
था । लेकिन यह योजना एल्सू की थी, उसने तुम्हें धोखा दिया है । मैं तुम्हें
संपूर्ण समर्पण और ईमानदारी के साथ प्रेम करती हूं । इसलिए अब जाओ और एल्सू के साथ
बूढ़ी स्त्री को पकड़ कर लाओ । ऐसा ही किया गया तब हुरित ने अपने पिता से कहा कि
गलत काम करने वालों को दंड मिलना ही चाहिए । इसलिए घोड़ों की जगह दो जंगली टट्टू बुलवाइए
और फिर एक की पूंछ पर बूढ़ी स्त्री को और दूसरे की पूंछ पर एल्सू को बांध दिया गया
और उन्हें जंगली टट्टूओं के पीछे बांध कर दूर तक खदेड़ा गया, गांव के लोग उन्हें
लात से मारते रहे , उन पर कूदते रहे और शिविर से दूर ले जाकर । उन दोनों के
टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए ताकि अन्य कोई इस तरह की कुटिल योजना बनाकर किसी का घर
परिवार ना उजाड़ सके।
यह आख्यान मशहूर जनजातीय समूह अपाचे इंडियंस का है । जिसके गहरे निहितार्थ हैं
। इस आख्यान में वर्णित समूह ऐसी धरती पर निवास करता है, जहां की मिट्टी का रंग
पीला है और जहां दो मित्र, जिनका नाम क्रमशः चेतोन और एल्सू है, निवासरत हैं । इनमें
से चेतोन का विवाह उक्त समूह के मुखिया की पुत्री हुरित से हुआ है । कहने का आशय
यह है कि, चेतोन राजनीतिक सत्ता का वैवाहिक
स्वजन है, किंतु उसका मित्र एल्सू अभी अविवाहित है। मोटे तौर पर दोनों योद्धा हैं और
अपने समूह को शत्रु जनजाति से सुरक्षित रखना चाहते हैं, अस्तु दोनों युद्ध की
तैयारी के साथ शत्रु समूह की ओर प्रस्थान करते हैं और दूरी अधिक होने के कारण,
रास्ते में तंबू डालकर विश्राम करते हुए, अपने पीछे छूट गए नातेदारों तथा गांव के
संबंध में अपनी स्मृतियों को ताजा करते हैं एवं शत्रु समूह के साथ होने वाली,आगामी
मुठभेड़ की तैयारियों पर विचार विमर्श करते हैं । प्रतीत होता है कि एल्सू अपने
मित्र चेतोन के हुरित से विवाहित होने को
लेकर इर्ष्यालु है ।
वह बहाने से, अपने मित्र से यह कहता है कि गांव की अन्य स्त्रियों की तरह हुरित
भी चेतोन की अनुपस्थिति में किसी अन्य व्यक्ति के साथ रात्रि कालीन संबंध बना रही
होगी । यह स्थिति दर्शाती है कि उक्त समाज में, संभवत स्त्रियां, अपने पतियों की
अनुपस्थिति में पर-पुरुषों के साथ यौनाचार में लिप्त रहती होंगी । अतः एल्सू इसी
सूत्र को पकड़कर, चेतोन से शर्त लगाता है कि, वह भी हुरित के साथ रात बिता सकता है
। कथा से यह संकेत मिलते हैं कि एल्सू, चेतोन से द्वेष भाव रखता है और वह चेतोन और उच्चकुलीन,
हुरित के विवाह से खुश नहीं है । वह मित्र के वैवाहिक संबंधों को तहस-नहस करने के
लिए गांव में प्रचलित विवाहेत्तर संबंधों को आधार बनाकर चेतोन के मन में संदेह के बीज डालने की कोशिश
करता है । कथा में दोनों मित्रों के मध्य लगी शर्त के अनुसार संपत्ति के लेन देन
का विवरण मिलता है । एल्सू एक कुटिल युवक है, जो अपने मित्र की पत्नी पर कुदृष्टि
रखता होगा और उसके वैवाहिक जीवन को अस्त-व्यस्त करने के लिए कुछ भी कर सकता है ।
यहां तक कि गांव की किसी लालची बूढ़ी स्त्री से धन की एवज में, अपना काम भी
निकाल सकता है । यह कथा हुरित की पीठ के काले निशान और सुनहरे बालों के सार्वजानिक
प्रकटन के आधार पर चेतोन के मोहभंग का
संकेत देती है । किंतु इससे यह भी स्पष्ट होता है कि चेतोन में सामान्य दृष्टि बोध भी नहीं था कि वो
यह समझ पाता कि, गांव की स्त्रियां सामान्यतः नदी, तालाब में स्नान करते हुए भी इस
तरह के शारीरिक संकेतों को प्रकट कर सकती हैं । जिन्हें गोपनीयता का आधार बनाकर
एल्सू ने प्रस्तुत किया है । चेतोन अपनी पत्नी से निराश है और उससे कोई तर्क
वितर्क किए बिना ही एल्सू को अपनी सारी संपत्ति सौंप देता है तथा पत्नी की मृत्यु
का आयोजन करता है । हुरित अपने पति के अबोलेपन से व्यथित है, किंतु वो उसकी ये दलील
आंख मूंद कर स्वीकार कर लेती है कि,पति पत्नी को लंबी दूरी तक मैदानी यात्रा करना
है । इसके लिए हुरित को एक चमड़े के संदूक में समय बिताना होगा । उसका पति उसे
कहता है कि धूप की तेजी से उसकी रंगत पर असर पड़ेगा ।
अतः उसे संदूक के अंदर लेटे हुए यात्रा करना होगी, हुरित इस बात पर विश्वास कर
लेती है और उसका पति सुदूर बहती हुई नदी में, उसे मृत्यु के मुख में ढकेल देता है ।
गांव वापसी के उपरांत वह गांव वालों से हुरित की गुमशुदगी के बारे में कोई चर्चा
नहीं करता, अतः उसका स्वसुर, उससे रुष्ट हो जाता है, वो चेतोन को तलघर में कैद कर लेता है और शारीरिक
यातना भी देता है । दूसरी ओर हुरित के जीवित बचे रहने और उसके औषध ज्ञानी होने का कथन
मिलता है । यह संयोग ही है कि उसका जीवन किसी मछुआरे के माध्यम से बचता है और वह
जिद करके पुरुष वेश धारण कर के योद्धाओं के दल में सम्मिलित हो जाती है । युद्ध के
पूर्व युवा योद्धाओं में पुरुष वेश धारी हुरित को लेकर संशय की स्थिति है और वे
प्रत्येक पड़ाव में उसकी मित्रता के बहाने उसकी लैंगिक स्थिति को स्पष्ट करना
चाहते हैं । कथा का अंत इस तथ्य के साथ होता है कि युद्ध शारीरिक तौर पर लड़े बिना
ज्ञान के आधार पर भी जीते जा सकते हैं, जैसा कि हुरित जैसी युवती ने अपने औषध
ज्ञान को आधार बनाकर शत्रु पक्ष को हताहत कर दिया ।
यहां तक कि, उनके मृत शरीरों से, प्रतीकात्मक तौर पर, अंग विच्छेद किये और
उनके हथियारों को जब्त कर, अपने समूह के समक्ष प्रस्तुत किया । यह एक अकेली स्त्री
के ज्ञान की विजय थी । इसमें पुरुष योद्धाओं के शारीरिक सामर्थ्य का कोई योगदान
नहीं था । अपना परिचय हुरित तब देती है, जब गांव के लोग विजेता नायक के रूप में, उसका
सम्मान करते हुए, उसे एक सैन्य टुकड़ी के साथ उसके घर भेजना चाहते हैं । तब वह
कहती है कि उसने अपने समुदाय के लिए युद्ध जीता है । अतः उसके पति को मुक्त कर
दिया जाए । कथा के अंतिम चरण में हुरित के पति की मुक्ति और आरोपी द्वय की अपमान जनक
मृत्यु का विवरण मिलता है । जिसमें अंतर्गत गांव के लोग, एल्सू तथा बूढ़ी स्त्री
को हुरित की इच्छा के अनुसार टट्टू की पूंछ से बांधकर प्रताड़ित करते हैं और उनके
जिस्मों के टुकड़े-टुकड़े कर देते हैं ।
कथा से यह स्पष्ट होता है कि, नायिका हुरित अपने पति के इस व्यवहार से रुष्ट नहीं होती कि, उसने अपने संदेह के निवारण के लिए, हुरित की मृत्यु का आयोजन किया था, यहां तक कि, अपने संदेह के निवारण के लिए, हुरित से कोई चर्चा तक नहीं की थी । तो कथासार यह है कि हुरित अपनी विश्वसनीयता को सिद्ध करने के लिए अपने नासमझ पति की चुप्पी को अनदेखा करते हुए दोबारा जीवन व्यतीत करने की कोशिश करती है और वह अपने ज्ञान के आधार पर अपने समूह को शत्रु समूह की तुलना में सुरक्षित रखने के बंदोबस्त कर देती है । यह आख्यान स्त्रियों के सामर्थ्यवान एवं स्वयं सिद्धा होने का प्रतीक है ।