वो समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति और दो खूबसूरत लड़कियों का
पिता था । एक दिन नदी पार के एक
सुदूर गांव में जा पहुंचा वहां उसने सुना कि गांव का मुखिया ब्याह करना चाहता है
और उसे सुयोग्य कन्या की तलाश है। अपने घर वापस लौट कर उसने अपनी पुत्रियों से
पूछा, क्या तुम दोनों में से कोई उस मुखिया की पत्नि
बनना चाहोगी ? उसकी बड़ी पुत्री ने कहा हां जरूर ।
पिता ने कहा कि तब तो तुम्हें वहां जाना होगा । लड़की ने कहा लेकिन मैं वहां अकेली
जाऊंगी । पिता ने कहा लेकिन हमारे समाज में ये परंपरा नहीं है । विवाहोत्सुक लड़की
को अपने साथ रिश्तेदारों को लेकर जाना चाहिए । लड़की ने हठ करते हुए कहा, लेकिन मैं अकेले ही जाना चाहती हूं । अंततः विवाहोत्सुक लड़की ने नदी के
दूसरे छोर पर बसे गांव की यात्रा अकेले ही शुरू कर दी । रास्ते में उसे एक चूहा
मिला उसने कहा, क्या मैं तुम्हें रास्ता दिखाऊं ? लड़की ज़ोर से हंसी और उसने कहा चूहे कब से पथ प्रदर्शक बनने लगे ? हटो भी । इसके कुछ देर बाद लड़की को एक मेढ़क मिला, उसने कहा क्या मैं तुम्हें रास्ता दिखाऊं ? तुम ? मुझसे बात करने लायक भी नहीं हो, क्योंकि मैं मुखिया की पत्नि बनने जा रही हूं । अगर तुम मेरे रास्ते में
आये तो मैं तुम्हें एक लात मारूंगी । ओह, मेढ़क ने कहा
और वो रास्ते से हट गया । लड़की चलते चलते थक चुकी थी, सो
एक पेड़ के नीचे थोड़ी देर आराम करने के लिए बैठ गई ।
वहां उसे बकरियां चराता हुआ एक लड़का मिला ।
लड़के ने कहा, दीदी तुम कहां जा रही हो ? लड़की ने कहा, मैं मुखिया की पत्नि बनने जा रही हूं...पर तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, मुझे दीदी कहने की । लड़के ने कहा, मैं भूखा हूं, अगर आपके पास कुछ खाने के लिए हो तो मुझे दे दीजिये । लड़की ने कहा क्यों
दूं ? जाओ यहां से मुझे अकेला छोड़ दो । इसके बाद
रास्ते में कुछ दूर एक बड़ी चट्टान पर बैठी हुई एक बूढ़ी ने कहा सुनो मैं तुम्हें एक
सलाह देती हूं अगर तुम्हें देख कर पेड़ हंसने लगे तो तुम खामोश रहना हंसना मत, वहां तुम्हें एक बड़ी मश्क़ भर गाढ़ा दूध मिलेगा, उसे
पीना मत, कोई एक आदमी जो अपनी बांहों में सिर छुपाए हो
उससे पानी मत लेना, जाओ यहां से मुझे अकेला छोड़ दो ।
लड़की ने कहा, ओ बूढ़ी, बकवास
मत कर और वो आगे बढ़ गई । रास्ते में उसे देख कर पेड़ हंसे जबाब में लड़की भी हंसने
लगी । उसने देखा वहां मश्क़ भर गाढ़ा दूध रखा था, वो
प्यासी थी उसने वो दूध पी लिया । कुछ दूरी पर उसे एक आदमी मिला जो अपनी बांहों में
सिर छुपाए हुआ था, लड़की ने उससे पानी मांगा और पी लिया
।
अब तक लड़की नदी पार के गांव पहुंच चुकी थी
उसने देखा, एक लड़की कुंड से पानी भर रही थी, उसने पूछा बहन
तुम कहां जा रही हो, विवाहोत्सुक लड़की ने कहा, तुम कौन होती हो मुझसे ये पूछने वाली । मैं यहां के मुखिया की पत्नि बनने
वाली हूं । पानी भरने वाली लड़की असल में मुखिया की बहन थी, उसने कहा, तुम गांव में इस तरफ से मत घुसना, मगर विवाहोत्सुक लड़की ने उसकी बात अनसुनी कर दी और जल्द ही वो मुखिया के
घर पहुंच गई । गांव के लोगों ने पूछा वो कौन है और यहां क्यों आई है उसने कहा वो
मुखिया की पत्नि बनने के लिए यहां आई है । गांव के लोग उसे देख कर हैरान थे
क्योंकि लड़की के साथ कोई नाते रिश्तेदार नहीं थे । उन्होने कहा, मुखिया अभी घर पर नहीं है, तुम उसके लिए खाना
बना लो ताकि लौटने पर वो भूखा ना रहे । उन्होने लड़की को अन्न दिया ताकि वो उसे पीस
कर रोटियां बना ले मगर लड़की ने पिसाई में ज्यादा मेहनत नहीं की सो उसकी बनाई
रोटियां कड़ी और सख्त बन गई थी । रात में मुखिया घर लौटा द्वार पर ज़ोरदार हिस्स की
आवाज सुनाई दी । असल में वो पांच फनों वाला एक नाग था, उसकी
आंखे बड़ी बड़ी थीं । लड़की बहुत डर गई थी । मुखिया द्वार पर ही बैठ गया और उसने कहा
भोजन लाओ । लड़की ने उसे रोटियां दीं जो वो खा भी नहीं सका । उसने कहा तुम मेरी
पत्नि बनने के लायक नहीं हो, अपने गांव वापस लौट जाओ और
लड़की अपने गांव वापस लौट आई ।
बड़ी बहन के लौटने बाद छोटी बहन ने अपने पिता
से कहा, मैं भी मुखिया की पत्नि
बनना चाहूंगी । पिता ने कहा ठीक है,तुम भी कोशिश कर के देख
लो, पिता ने अपने सगे संबंधियों, मित्रों
को बुलाया और छोटी लड़की के साथ भेज दिया । रास्ते में उसे एक चूहा मिला, उसने लड़की से कहा क्या मैं तुम्हें रास्ता दिखाऊं, लड़की ने कहा ज़रूर, मैं आपकी अहसान मंद होऊंगी, चूहे ने उसे रास्ता दिखाया, जो घाटी से होकर
गुज़रता था, वहां एक बूढ़ी औरत खड़ी थी, जिसने लड़की से कहा, आगे जाकर रास्ता दो हिस्सों
में बंट जाएगा, तुम छोटे रास्ते से जाना वर्ना बड़े
रास्ते में मुसीबत होगी । धन्यवाद मां,मैं छोटे रास्ते
से ही जाऊंगी।लड़की ने बूढ़ी को खाना दिया और आगे बढ़ गई,वहां उसे एक खरगोश मिला, उसने कहा मुखिया का घर
पास ही है, कुंड के पास तुम्हें एक लड़की मिलेगी, उससे अच्छे से बात करना, वो जो भी अन्न दे, उसे अच्छे से पीसना और जब अपने भावी पति से मिलना तो डरना नहीं । लड़की ने
कहा धन्यवाद मैं ऐसा ही करूंगी ।
आगे चल कर उसे पानी भरती हुई एक लड़की मिली, जिसने पूछा, कहां जा रही हो ? छोटी लड़की ने कहा, यहां मेरी यात्रा का अंत होने वाला है । पनहारिन असल में मुखिया की बहन थी, उसने पूछा यहां क्यों आई हो ? छोटी लड़की
ने कहा हम एक वैवाहिक समारोह के लिए आए हैं । पनहारिन ने कहा, अच्छा, मैं समझ गई, तुम
अपने पति को देख कर डर तो नहीं जाओगी ? छोटी
लड़की ने कहा, नहीं ऐसा नहीं होगा । पनहारिन ने उसे
रुकने का इशारा किया और थोड़ी देर के बाद बारातियों को भोजन कराया गया । इसके बाद
मुखिया की मां ने कहा मेरा बेटा शाम तक लौटेगा तुम उसके लिए खाना बना लेना । उसने
लड़की को अन्न दिया ताकि वो उसे पीस कर रोटियां बना सके । रात में जोरदार हिस्स की
आवाज़ के साथ मुखिया घर लौटा, झोपड़ी हिल गई, खंबे गिर गए ...पर लड़की डर कर बाहर नहीं भागी, मुखिया
पांच फनों वाला सांप ही था, उसने लड़की से कहा मुझे खाना
दो, लड़की ने उसे रोटियां दीं, रोटियां मुलायम और स्वादिष्ट थीं । मुखिया तृप्त हुआ, उसने कहा, वो चूहा,
खरगोश, बूढ़ी औरत, मैं ही था
मैंने हर जगह, तुम्हारी विनम्रता देखी है क्या तुम मेरे
पत्नि बनोगी ? यह कहते हुए मुखिया एक खूबसूरत युवा
में तब्दील हो गया और उसने लड़की का हाथ अपने हाथों में ले लिया ।
सांकेतिक रूप से यह कथा वर और वधु के चयन को
समर्पित है, कथानुसार किसी एक गांव के मुखिया की दो विवाह योग्य पुत्रियां हैं, जबकि
दूसरे गांव का मुखिया, जोकि अविवाहित है, के लिए सुयोग्य पत्नि की तलाश जारी है । इस
आख्यान का प्रथम संकेत ये है कि कथा कालीन समाज में युवतियां अपने लिए वर के चयन
की पहल कर सकती थीं, जैसा कि प्रथम मुखिया की बड़ी पुत्री ने किया । उसके पिता ने ब्याह
के लिए, अकेले प्रस्थान की उसकी जिद मान ली, हालांकि युवती अपने सगे सम्बन्धियों
के साथ जाकर भी विवाह का प्रयत्न कर सकती थी, किन्तु वो अपनी, आगत सफलता का श्रेय
किसी और को देना ही नहीं चाहती थी । उसके स्वभाव में अहंकार है और व्यक्तिवाद चरम पर ।
विवाहोत्सुक बड़ी लड़की के परिणय प्रयाण का कथा सार यह है कि उसे रास्ते में एक चूहा,
एक मेढक और एक चरवाहा मिलता है, वो उन सभी
से अशिष्ट व्यवहार करती है , उसे विश्वास है कि वो युवा मुखिया की पत्नि बनकर
रहेगी, इसलिए वो किसी भी सुझाव के उलट कृत्य करती है, जैसे कि उसने अनुभवी बूढी के
सुझाव एक कान से सुनकर दूसरे कान से बाहर निकाल दिए, उसके जीवन में किसी भी जीव
जंतु, वनस्पति, और इंसानी अनुभवों की कोई अहमियत नहीं थी। इतना ही नहीं वो युवा
मुखिया की बहन के साथ भी धृष्टता करती है
। बहरहाल युवा मुखिया, अपने छद्म रूप में, उसे अस्वीकार करता है, क्योंकि इस युवती
में खाना बनाने का हुनर भी नहीं था ।
कथा के अगले हिस्से में दर्ज विवरण के अनुसार, बूढ़े मुखिया की छोटी लड़की अपने परिणय प्रयास की अनुमति लेकर युवा मुखिया के गांव की ओर निकल पड़ती है । वो अपनी बड़ी बहन के बरक्स विनम्र स्वभाव की है, सो उसे, अपने पिता के निर्देश को मानने से कोई परहेज नहीं, अस्तु वो सगे सम्बन्धियों सहित प्रवास पर है । रास्ते में वो चूहे, बूढी स्त्री और खरगोश के साथ सदाशयतापूर्ण करती है । वो सभी के सुझाव ध्यान से सुनती है और उन पर अमल करती चलती है । यहां तक कि वो अपनी भावी ननद जोकि पनिहारिन के तौर पर उससे कुंड पर मिलती है , से भी विनम्रतापूर्ण व्यवहार करती है, परिणाम स्वरूप उसके सहयात्री, सगे सम्बन्धियों की आवभगत और भोजन की व्यवस्था सम्भव होती है । युवा मुखिया की मां, उसे, अपने पुत्र के लिए भोजन तैयार करने के सुझाव देती है । यह लड़की विनम्र भी है और पाक कला में निपुण भी सो छद्म वेश धारी युवा मुखिया उसे अपनी पत्नि के रूप में चुन लेता है और यह भी कहता है कि रास्ते भर भिन्न रूपों में, तुमसे मिलने वाला मैं ही था । बड़ी बहन की तुलना में छोटी बहन स्वभाव से विनम्र है, उसमें अहंकार नहीं, वो अपने साथ समाज को लेकर चलती है, उसमें व्यक्तिवाद नहीं । युवा मुखिया ख़ूबसूरत है और युवती खूबसीरत सो जोड़ी बनने में देर नहीं लगती...
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