tag:blogger.com,1999:blog-34867130722934887522024-03-19T16:48:39.657+05:30ummatenउम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comBlogger466125tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-24406323275711156972023-07-08T20:30:00.053+05:302023-07-08T20:30:00.150+05:30नेरिविक<h2 style="background: white; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span style="font-size: medium;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-weight: normal; line-height: 115%;">मुद्दतों पहले की बात है जब एक जादूगर परिंदे को ख्याल आया कि, उसे पत्नी
के रूप में एक युवती चाहिए, तो उसने खुद को पुरुष के रूप में बदल लिया । उसकी
आंखें कमज़ोर थीं तो उसने वालरस के दांतों से अपने लिए चश्मा बनवाया और सील की खाल
का कोट सिलवाया । उसने हर मुमकिन कोशिश की, कि वो खूबसूरत दिखे । ब्याह के इरादे
से वो इंसानों की बस्ती में जा पहुंचा । जहां उसे एक युवती पसंद आई और फिर वो उसे
पत्नी बना कर अपने घर ले आया । उसकी पत्नी अमूमन घर में रहती और वो, हरेक दिन सील
के शिकार के लिए घर से बाहर जाया करता था । घर वापस लौटने पर, शिकार में हासिल सील
को अपनी पत्नी को सौंप देता ताकि वो उसे खाने के लिए तैयार कर सके । एक रोज हड़बड़ी
में उसका चश्मा खो गया और उसकी पत्नी ने उसकी आंखों को देखा । वो इंसानों जैसी
खूबसूरत नहीं थीं और बगैर चश्मे के वो बेहद बदसूरत दिख रहा था । उसकी पत्नी ये देख
कर रोने लगी । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-weight: normal; line-height: 115%;"><o:p></o:p></span></span></h2><h2 style="background: white; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span style="font-size: medium;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-weight: normal; line-height: 115%;">वो जोर से हंसा, उसने कहा, तुमने मेरी आंखों को देखा । तभी उसे याद आया कि
चश्मे को उसने अपने सिर पर टांग रखा था और उसने फिर से चश्मे को अपनी नाक पर चढ़ा
लिया । अगले किसी दिन, जब वो शिकार पर गया था, तब उसकी पत्नी के भाई, अपनी बहन से
मिलने उसके घर आये, क्योंकि वो अपनी बहन को देखने के लिए तरस रहे थे । पति की गैर
मौजूदगी में भाई, अपनी बहन को लेकर अपने गांव वापस चल दिए । पति जब घर लौटा तो
अपनी पत्नी को घर में नहीं पाकर, बहुत व्याकुल हो गया । उसे लगा कि, उसकी पत्नी को
कोई जबरदस्ती ले गया होगा । उसने शिद्दत से अपने पंख फड़फड़ाये, जिससे जबरदस्त तूफ़ान
उठा । समुद्र में ऊंची ऊंची लहरें उठीं और वो नाव डगमगाने लगी, जिसमें उसकी पत्नी
और ससुराल पक्ष के लोग यात्रा कर रहे थे। इधर वो अपने पंखों की फड़फड़ाहट को तेजतर
करता जा रहा था।उधर हवा भयंकर होती जा रही थी।</span> </span></h2><h2 style="background: white; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span style="font-size: medium;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-weight: normal; line-height: 115%;">हिचकोले खाती नाव कभी भी पलट सकती थी । नाव में बैठे लोगों को शक हुआ कि,
यह सब उस युवती के कारण हो रहा होगा? तो उन्होंने उसे उठाकर समुद्र में फेंक दिया
और जैसे ही युवती ने बचने के लिए नाव का किनारा पकड़ने की कोशिश की,उन्होंने उसका
हाथ काट दिया । वो पानी में डूब गयी और समुद्र के तल से जा लगी, तथा नेरिविक बन
गयी । यानि कि समुद्र के सभी जीवों की शासक हो गयी । धरती पर लोग जब सील का शिकार करने
में असफल हो जाते हैं, तो वे लोग नेरिविक के पास जाते हैं, चूंकि उसका एक हाथ है
ही नहीं, तो वे लोग उसे खुश करने के लिए उसकी कंघी कर देते हैं और वो, इसके बदले
धरती पर सील और अन्य प्राणियों को भेजती है, ताकि इंसान उन्हें खाकर जीवित रहें ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-weight: normal; line-height: 115%;"><o:p></o:p></span></span></h2><h2 style="background: white; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span style="font-size: medium;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-weight: normal; line-height: 115%;">यह आख्यान एस्किमों समुदायों की वाचिक परंपरा का हिस्सा है । जीवन की
बर्फीली दुरुहता के दरम्यान उन लोगों में इस तरह के जादुई तत्वों वाली कहानियों का
चलन कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है । उनकी वेशभूषा में जानवरों की खालें और यदाकदा
मिलने वाले परिंदों के पंख सम्मिलित होते हैं, तो कहानी भी किसी बदसूरत आदमी को
लेकर कही गयी है, जिसे ब्याह की इच्छा है तो वो अपनी बदसूरती छुपाने के लिए सील की
खाल का कोट पहनता है और कमजोर नजर वाली कदाचित बेढब आंखों पर वालरस के दांतों का
चश्मा लगता है । कहानी से यह स्पष्ट होता है कि, अपने पर्यावास में जो मिले उसे
खाओ, उसे पहनो और सुन्दर दिखने के लिए उसका इस्तेमाल करो । तो सील की खाल के कोट,
वालरस के दांतों के चश्मे और संभवतः परिंदों के पंखों की सजधज के साथ वो युवक
बदसूरत दिखने के बजाये, थोड़ा आकर्षक या सामान्य व्यक्तित्व का पुरुष दिखाई देता होगा
।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-weight: normal; line-height: 115%;"><o:p></o:p></span></span></h2><h2 style="background: white; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span style="font-size: medium;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-weight: normal; line-height: 115%;">उसे परिंदा कहने की सांकेतिकता में, शायद उसकी वेशभूषा में शामिल परिंदों
के पंखों का आधिक्य हो सकता है । अन्यथा वो सील का शिकारी है और उसे ब्याह के लिए
युवती की तलाश है, ना कि, किसी मादा परिंदे की। कठिन पर्यावासों में रहने वाले
इंसानों में जादुई और रहस्यमयी वृत्तांतों की भरमार होना अस्वाभाविक बात नहीं है ।
मुमकिन है, कथा में उल्लिखित युवा को ऐसे ही कारणों से जादुई शक्तियों वाला परिंदा
कहा गया हो। बहरहाल एक बात तो तय है कि, वो परिंदे के तौर पर संबोधित है और जादुई
शक्तियों का मालिक है या देह बदल सकता है,यह नितांत कल्पनाशीलता है । कदाचित वो,
ओझा, गुनिया नुमा कोई व्यक्ति है जोकि, युवती के समाज में कहीं और से आता है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-weight: normal; line-height: 115%;"> अतः
उसके विजातीय होने की सम्भावना बनती है । उसे पत्नी की चाहत है और पत्नी उसे मिल
भी जाती है । वो सील का शिकार करके हरेक दिन भोजन की व्यवस्था करता है और प्रेम
पूर्वक अपने गांव में रहता है।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-weight: normal; line-height: 115%;"><o:p></o:p></span></span></h2><h2 style="background: white; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span style="font-size: medium;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-weight: normal; line-height: 115%;">उसे स्मृति लोप होता होगा तभी वो अपना चश्मा भूल जाता है और पत्नी को यह
देख कर बहुत दुःख होता है कि, उसका पति उतना सुन्दर नहीं है जितना वो सज धज कर
दिखता है । एक सुन्दर सुदर्शन युवा के स्थान पर बदसूरत युवा की उपस्थिति उसे आघात
पहुंचाती है । इसके बरअक्स पति अपना रहस्य खुलने पर भी हंसता है क्योंकि वो जो
चाहता था, उसे पा चुका है । पत्नी के मायके वाले उसे देखने के लिए उसकी ससुराल पहुंचते
हैं संयोगवश पति घर पर नहीं है । वो आखेट पर निकला है । चूंकि अपने पति के
वास्तविक रूप को देख कर, पत्नी का मोहभंग हुआ है तो वो अपने मायके पक्ष के लोगों
के साथ घर से भाग निकलती है । समुद्र में नाव पर यात्रा का उल्लेख, यह स्पष्ट करता
है कि, पति का गांव, समुद्र तटीय इलाके में अवस्थित था । तूफ़ान एक संयोग हो सकता
है और युवती के साथ गए लोगों का अपने जीवन के प्रति मोह या स्वार्थ कि, नाव पर बोझ
कम करने के लिए युवती को समुद्र में फेंक दिया जाता है । उसका अंग भंग कर दिया
जाता है ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-weight: normal; line-height: 115%;"><o:p></o:p></span></span></h2><h2 style="background: white; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span style="font-size: medium;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-weight: normal; line-height: 115%;">वो डूब जाती है और कथित रूप से समुद्र की शासक या देवी तुल्य भी हो जाती
है, जिसे धरती के लोग पूजते हैं और इसके बदले वो, उन्हें समुद्री जीव देती है,
ताकि वे लोग जीवित रहें । जीते जी, उसे अपने पति के सौन्दर्य से प्रेम है पर मरने
के बाद वो सबके जीवन से प्रेम करती है । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-weight: normal; line-height: 115%;"><o:p></o:p></span></span></h2><h2 align="center" style="background: white; margin-top: 12.0pt; text-align: center;">
</h2><h2 style="background: white; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><br /></h2>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-23636654427368894412023-07-08T00:30:00.004+05:302023-07-08T00:30:00.143+05:30देशद्रोह<h1 align="center" style="margin-top: 12.0pt; mso-add-space: auto; text-align: center; vertical-align: baseline;"><br /></h1>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">उन दिनों जबकि गोरे लोग अमेरिका में पहुंचे नहीं थे, तब नानटाकेट
और मार्था के वाइनयार्ड में रहने वाले मूल निवासी हमेशा की तरह युद्धरत रहते थे </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"> एक दिन मार्था के
वाइनयार्ड के लोगों ने सोचा कि अगर वो आकस्मिक रूप से नानटाकेट के लोगों पर हमला
कर दें तो, दुश्मन के ज्यादा से ज्यादा लोगों को मार सकते हैं </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। हमला सूरज के उगने से पहले के अंधियारे में किया जाना था जबकि ज्यादातर लोग
गहरी नींद में सोते हैं । अभी तारे टिमटिमा रहे थे और वो लोग पूरी तैयारी के साथ </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">नानटाकेट पर हमला करने के लिए आगे बढ़े , लेकिन यह देखकर
हैरान रह गए कि, नानटाकेट के लोग पहले से ही मुस्तैद हैं, अपने हथियारों के साथ,
दुश्मन की चुनौती का सामना करने के लिए </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">इन हालात में आगे बढ़ना आत्मघाती होता सो मार्था के
वाइनयार्ड के सशस्त्र हमलावर निराश और
हताश होकर अपने देश वापस लौट गए </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">अगले कई सालों तक वो यह राज जान नहीं पाए कि, उनका दुश्मन उनके हमले की योजना
से आगाह कैसे हुआ होगा </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">?</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">बहरहाल कुछ अरसा बीता तो दोनों कबीले शांति के साथ रहने को
तैयार हो गए, क्योंकि मार्था के वाइनयार्ड का एक युवक लम्बे समय से नानटाकेट की
युवती से प्रेम करता था और उसने उस युवती से ब्याह कर लिया । हुआ यूं कि, उसने
अपने कबीले को बताया कि, हमले से पहले की रात को वह चोरी से नानटाकेट, गया था । उस
रात समुद्र की लहरें शांत थीं क्योंकि ज्वार उतर गया था । उसने वहां पर अपनी
प्रेयसी को देखा और उसे भोर से पहले होने वाले हमले से आगाह कर दिया । वापसी में उसे सुकून था कि, अब उसकी
प्रियतमा सुरक्षित रहेगी । इसके बाद वो अपने कबीले में लौट आया </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">उसके कबीले को उसकी इस
हरकत का पता ही नहीं चला किन्तु युद्ध टल गया । बहरहाल अगली सुबह वो उदास होकर,
अपने कबीले से बाहर निकला और दूसरों की तरह खुद भी हैरान रह गया, जब उसने दुश्मन
को अपनी बांहों में पाया ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">यह कथा समद्र द्वीपीय मूल निवासियों की पारस्परिक
प्रतिद्वंदिता या दुश्मनी की कथा मानी जायेगी । जिनके झगड़े का अंत और शांति पूर्ण सहअस्तित्व की शुरुआत, एक
प्रेम कथा के उजागर होने से होता है । उन दोनों कबीलों के मध्य संभव है कि,
दुश्मनी का कारण, उनके पास कृषि योग्य भूमि की कमी, समुद्र पर पूर्णतः निर्भर
अर्थव्यवस्था यथा मत्स्याखेट अथवा अन्य जलीय उत्पाद, रहे होंगे, जोकि, उनके
अस्तित्व के लिए अपरिहार्य थे । अतः लगता यही है कि, दोनों द्वीपों के मध्य,
जलक्षेत्र के समुचित बटवारे की समस्या रही होगी । इसीलिए हरेक द्वीप, दूसरे द्वीप
की जनसंख्या का समूल नाश करना चाहता था । संकट का यह समय, अतीत कालीन माना जाएगा,
अन्यथा मैसाचुसेट्स के दक्षिण पूर्वी, समुद्र में स्थित, इन दोनों द्वीपों में आज
की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार पर्यटन है । कथनाशय यह है कि, समय के साथ अर्थव्यवस्था
के नए आयाम विकसित होते है, जो अतीत काल में बेहद सीमित थे ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">यह आख्यान, प्राकृतिक दृष्टि से समुद्र में मौजूद धरती के
नन्हें नन्हें टुकड़ों पर आधारित देशों की कल्पना और सामाजिक राजनैतिक मान्यता को
संबोधित है । जहां द्वन्द, अस्तित्व के लिए अपरिहार्य माना गया और द्वन्द के समय
देशद्रोह की अवधारणा भी स्पष्ट हुई । देशद्रोह, जो युद्ध के संकट को टालने और
नरसंहार को रोकने का कारण बना, अगर युवक प्रेम में नहीं होता तो, वह अपनी प्रेयसी
की जान बचाने के लिए, अपने देश की, आक्रामक योजना को अगोपन नहीं करता । उसके कृत्य
से ना केवल उसकी, प्रेमिका बल्कि उभयपक्ष के सैकड़ों लोगों के, जीवन सुरक्षित हुए ।
वो अपने देशद्रोह को स्वीकार करता है और अपने किये पर उदास है, लेकिन उसका कृत्य,
दोनों कबीलों के दरम्यान, समझ का नया द्वार खोलता है । जहां मृत्यु से पहले, जीवन
और सहअस्तित्व के लिए, प्रेम की स्वीकार्यता पर जोर दिया गया है । दोनों कबीले इस
प्रेम के ब्याह में बदल जाने के बाद से, शांति पूर्ण सहजीवन के लिए सहमत हुए । देश
और विदेश के मध्य आबादियों की पारस्परिक घृणा, शत्रुता और विनाश जैसे मानवता
विरोधी, लक्ष्यों की तुलना में, प्रेम, हमेशा हमेशा, धरती पर, नवजीवन के बीज बोता
है... </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-79237226449825239262023-07-07T20:30:00.019+05:302023-07-07T20:30:00.141+05:30सुफैद घोड़ा और नीली हवा<p align="center" style="line-height: 115%; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; margin: 12pt 0in 0in; text-align: center;"><span face=""Arial Unicode MS", "sans-serif""> </span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; margin: 12pt 0in 0in; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">गर्मियों की रुत में, शाम के ढलते
ही ठंडक के अहसास के बाद या फिर सर्दियों के मौसम में, जब अलाव जल उठते हैं,</span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-bidi-language: HI;"> </span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">तब रूटाबागा के लोग अपने बच्चों को
कहानियां सुनाते हैं </span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-bidi-language: HI;">। </span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">खासकर सुफैद घोड़े पर सवार लड़की और
नीली हवा के मालिक लड़के की कहानी </span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-bidi-language: HI;">। कहते हैं कि</span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" style="mso-bidi-language: HI;">,<span lang="HI"> लड़की को घुड़सवारी का बेहद शौक था और वो,
अक्सर पश्चिमी रूटाबागा की नदियों, झीलों के किनारे, पहाड़ों के इर्द गिर्द, घोड़े
की लगाम को नर्म हाथों से थामे हुए घूमती रहती । उसके पास तीन घोड़े थे । एक बर्फ
की तरह से सुफैद, दूसरा भेड़ की धुली हुई सुफैद ऊन की मानिंद और तीसरा चांदी सी
शुभ्र रंगत वाला घोड़ा । लड़की के लिए यह तय करना मुश्किल था कि, इनमें से कौन सा
घोड़ा उसे सबसे ज्यादा पसंद है । उसे सभी घोड़ों की सुफैद अयाल, सुफैद जिस्म और
सुफैद पांव बेहद पसंद थे और वो कहती कि, तीनों घोड़ों के कानों के करीब से लटकती
अयाल उसे बेहद खूबसूरत लगती है । </span><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; margin: 12pt 0in 0in; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">लड़की के ही देश में, बेहद करीब
रहने वाला लड़का, जो नीली हवाओं का दोस्त था और हवाओं की आवाजें सुनते हुए, घास और
मिट्टी पर चहलकदमी करना पसंद करता </span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-bidi-language: HI;">। उसके ऊंचे जूते बेहद मज़बूत थे, इसलिए उसे रूटाबागा की
नदियों , झीलों और पहाड़ों के आस पास पैदल चलने में कोई दिक्क़त नहीं होती थी । वो
दूर दूर तक हवाओं की सोहबत में लम्बी लम्बी यात्राओं का शौक़ीन था।वहां गर्मियां
सुबह छै बजे और सर्दियों की सुबह आठ बजे शुरू होती थी । उसे गर्मियों और सर्दियों
की रात में चमकते सितारों वाली नीली हवा, फिर दिन और रात के दरम्यान, शाम को बहती
नीली हवा, इसके अलावा भोर की नीली हवा, अच्छी लगती थी, पर वह यह तय नहीं कर पाता था
कि, कौन सी हवा उसे ज्यादा पसंद है । वह सुबह की हवा पर यकीन करता, उसे याद करता,
रात की हवा उसके अन्दर समा जाया करती और उसके सारे राज जानती थी । वो मानता था कि,
शाम की हवा, उससे इंतजार करने को कहती है और उसे वो सब देने वाली है , जो वह चाहता
है ।</span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="EN-IN" style="mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; margin: 12pt 0in 0in; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">बहरहाल एक दिन वो दोनों मिले,
नदियों, झीलों और पहाड़ों के दरम्यान भटकते हुए, सुफैद घोड़े पर सवार लड़की और अपने
मजबूत जूते पहने हुए पैदल घूमता हुआ लड़का</span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-bidi-language: HI;">।</span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">आखिरकार वो दोनों पश्चिमी रूटाबागा के रहने वाले पड़ोसी तो
खैर थे ही</span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-bidi-language: HI;">।</span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">लड़की ने लड़के को अपने तीनों घोड़ों की रंगत के बारे में बताया, जिन पर सवार
होकर वो घूमा करती थी और लड़के ने लड़की को तीनों नीली हवाओं के बारे में बताया,
जिनकी सोहबत में वो था </span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-bidi-language: HI;">।</span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;"> जिस पर यकीन करता, जो उसके राज
जानती और जो उससे सवाल पूछती और इंतज़ार करने को कहती </span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-bidi-language: HI;">। इसके
बाद एक दिन, एक साथ, वो दोनों चले गए । कोई नहीं जानता कि, दोनों कहां गए ? क्यों
गए ? यहां तक कि,</span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;"> रातों में कहानी कहने वाले, बड़े बूढों में से, किसी को कुछ
पता नहीं </span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-bidi-language: HI;">। </span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">वे आज तक हैरान हैं </span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-bidi-language: HI;">। </span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="EN-IN" style="mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; margin: 12pt 0in 0in; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">यह आख्यान उत्तरी अमेरिका के
प्रेयरी के मैदानों का है, जहां पर बुजुर्गवार अपने बच्चों को रात होते ही कथाएं
सुनाते हैं, कभी अलाव के इर्द गिर्द और कभी गर्मियों के मौसम में बिना अलाव </span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-bidi-language: HI;">। इस कथा के नायक और नायिका रूटाबागा नामक देश के पश्चिमी हिस्से में रहते हैं
और दोनों की रुचियां एक दूसरे से भिन्न हैं । नायक को पैदल घूमना पसंद है तो
नायिका को घुड़सवारी का शौक है।नायक को नीली रंगत पसंद है तो नायिका को सुफैद। नायक को हवाओं की खुश्बू का ख्याल है तो, नायिका
को घोड़ों की अयाल।बहरहाल उन दोनों को यायावरी समान रूप से प्रिय है और नदी,
झीलें, पहाड़ भी ।</span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" style="mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; margin: 12pt 0in 0in; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-bidi-language: HI;">उनकी पसंद, प्रकृति से वाबस्ता है और दोनों ही प्रकृति को
अपने भीतर तक महसूस करते हैं । नायिका प्राकृतिक पर्यावास के जीव विशेष पर आसक्त
है तो नायक को जीवन दायिनी हवा से बातें करना पसंद है । चूंकि वे दोनों घास के
मैदानों में कही गयी कथा के किरदार हैं , तो नायिका को ऊंची घास के दरम्यान घोड़ों
के ऊपर बैठकर घूमना निरापद लगता होगा जबकि नायक घास में मौजूद ज़हरीले जीव जंतुओं
से बचने के लिए मजबूत और ऊंचे जूते पहनता है । कथा में उन्हें प्रकृति मित्र बताया
गया है जो पड़ोसी तो हैं पर मिले उम्र के खास मोड़ पर ।</span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" style="mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; margin: 12pt 0in 0in; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="mso-bidi-language: HI;">बहरहाल नायक नायिका, मिलने के अवसर पर, एक दूसरे की रुचियों
और ख्यालातों को साझा करते हैं । उनका साझापन बेहद निजी है, यानि कि, उन दोनों के
अलावा कोई नहीं जानता कि, उनके सह पलायन के मायने क्या हैं और दोनों एक के साथ
कहां चले गए हैं । उन बुजुर्गों से दूर जो उनकी कथाएं कहते हैं, उनके बारे में
हरेक रात बयान बाजियां करते हैं । उनके साझापन कदाचित प्रेम को बच्चों तक से कह
डालते हैं। सो हरेक प्रेमी की तरह से इस कथा के नायक,नायिका भी सचेत हैं।उन
गल्पों से जो उनके लिए कही जाने वाली हैं। वे साथ जाते हैं पर उनका जाना कथा
वाचकों के लिए रहस्यमयी है । निश्चय ही वो दोनों प्रेम में रहे होंगे । उनके दिलों
में एक दूसरे के लिए थोड़ा बहुत मोह ज़रूर होगा । आसक्ति होगी । लेकिन उन्होंने गोपन
को अगोपन नहीं किया । कथाकालीन समाज के बूढों के लिए वो दोनों दीर्घकालिक अनिश्चय
छोड़ गए हैं । लेकिन उम्र के विशिष्ट काल खंड में उनका मिलना और यह कथा संकेत कि,
उन्होंने एक दूसरे के साथ विचार विमर्श किया और फिर चले गए,कदाचित वहां,जहां
अफवाहें नहीं होंगी। उनके साझापन के विरोध का संकट नहीं होगा । कोई उन पर ताने
नहीं कस पायेगा और वे रह सकेंगे एक साथ प्रेम से, जी सकेंगे अपनी अनुभूतियों की
दुनिया में बे-रोक टोक, प्रकृति के इशारों पर धड़कते दिलों की शाश्वत जुगलबंदी में...
</span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" style="mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; margin: 12pt 0in 0in; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" style="mso-bidi-language: HI;"> </span></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-807769701705835712023-07-07T00:30:00.015+05:302023-07-07T00:30:00.143+05:30कटहदीन का ब्याह<h1 align="center" style="margin-top: 12.0pt; mso-add-space: auto; text-align: center; vertical-align: baseline;"><br /></h1>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">उस रोज युवती, कटहदीन पहाड़
के पास जामुन इकट्ठे कर रही थी । उसने दोपहर की धूप में चमकते पर्वत को देखा उसकी
चोटी भव्य सुफैद रंगत में चमक रही थी । युवती ठंडी सांस लेते हुए फुसफुसाई, काश
तुम पुरुष होते और मैं तुमसे ब्याह कर पाती । वहां जामुन इकट्ठे कर रही, दूसरी
स्त्रियों ने उसे उपहास की नज़र से देखा । युवती को लगा कि, पहाड़ ने उसकी बात
अनसुनी कर दी है । तो वो और ऊंचाई की ओर बढ़ गयी । ऊंचे और ऊंचे । फिर उसे किसी ने
देखा नहीं । अगले तीन साल तक उसके कुल, कबीले ने उसे पहाड़ पर मर खप गयी मान लिया ।
लेकिन एक दिन वो गांव वापस लौटी । उसकी गोद में एक खूबसूरत बच्चा था । जिसकी
भौंहें पत्थर के जैसी थीं । उस बच्चे में अद्भुत शक्तियां थीं । अगर वो किसी
परिंदे या जंगली जानवर की तरफ इशारा करता तो, वे वहीं पर बेसुध होकर गिर जाते और
उसके कबीले के लोगों को, शिकार पर नहीं जाना पड़ता था, क्योंकि उनका शिकार उन्हें
घर बैठे ही मिल रहा था । वो बच्चा असल में कटहदीन पहाड़ और उस युवती का पुत्र था ।
जिसे अपने पिता का नाम नहीं बताने का निर्देश दिया गया था । अगले कई सालों तक
युवती और उसका पुत्र इस सवाल पर मौन साधे रहे । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">लोग ताने मारते, सवाल करते
, बच्चे को चिढ़ाते कि, वो एक अनाम पिता की संतान है । लगातार सवालों से बेचैन होकर
युवती ने कहा, कटहदीन इसका पिता है । इस बच्चे का जन्म, हमारे कबीले की आगत पीढ़ियों
के सामर्थ्यशाली, गौरवशाली होने के लिए, संस्थापक बतौर हुआ है । आगे चल कर ये
कबीला पूरी दुनियां में अपनी नस्ल बढ़ाएगा और राज करेगा । फिर एक दिन किसी बात पर
नाराज युवती ने अपने कबीले को धिक्कारते हुए कहा, बेवकूफो जिन हाथों से तुम पानी
में तैर सकते हो, उन पर नन्ही सी ततैया भी डंक मार देती है । क्या ये तुम्हें
दिखता नहीं । ये सब जानते हुए भी तुम लोग मुझे परेशान करते हो । क्या तुम्हें
बच्चे की भौंहों में कटहदीन के निशान दिखते नहीं ? तुम्हारा व्यवहार तुम पर अभिशाप
है । अबसे तुम अपना ही अहित करोगे । अपने पालतू पशुओं का मांस खाओगे, जो जहर की
तरह से तुम्हारी नस्लों को बर्बाद कर देगा । इसके बाद युवती, अपने बच्चे की अंगुली
पकड़ कर, पहाड़ की दिशा में बढ़ी और गायब हो गयी। शानदार भविष्य के हकदार, कबीले के
लोग,पहाड़ के प्रेम और आशीर्वाद के प्रति अहसानमंद होने के बजाय अपनी जुबानों पर
काबू नहीं रख सके । वे महान हो सकते थे ।
अब मुट्ठी भर शेष रह गए हैं ।</span><i><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></i></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">यह कथा सांकेतिक रूप से
अद्भुत है । कथा में उद्धरित समाज, उत्तरी अमेरिका के अर्वाचीन समुदाय यानि कि,
मूल निवासियों की, एक युवती के हवाले से प्रकृति और समाज के एक्य का विवरण देता है
। हम सभी जानते हैं कि, आदिम समुदाय मूलतः आत्मावादी और प्रकृति पूजक होते हैं, सो
युवती का कबीला भी इस विशिष्टता से मुक्त नहीं है । युवती खाद्य संग्राहक के रूप
में अपनी सखियों, नातेदारों के साथ प्रकृति प्रदत्त उपहार, जामुन का संग्रहण कर
रही है । वो कटहदीन पहाड़ का सौन्दर्य देखकर अभिभूत है और पति के रूप में उसकी
कामना करती है । पहाड़, जोकि, आदिम कबीलों की मान्यताओं के अनुसार, प्रकृति के अन्य
तत्वों की तरह से देव शक्ति है अथवा देव पुरुष या प्रातीतिक रूप से कोई सुदर्शन,
सुगठित देहयष्टि वाला युवा । कथनाशय यह है कि, कथा की नायिका द्वारा, किसी देवता
या सामर्थ्यवान युवक से ब्याह की कामना, अस्वाभाविक नहीं है । युवती, देवता के शीश
को, चमकीली धूप में शुभ्र, धवल रूप में देखती है, गोया यह उस खूबसूरत युवा के सिर
पर सुफैद पगड़ी हो । वह अपनी मनोकामना को फुसफुसा कर कहती है, जैसे कि, अन्यान्य
लज्जावान युवतियां करती हैं । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">उसकी सखियां और सगे
सम्बन्धी, कदाचित अपने खाद्यसंग्राहक कबीले जैसी
निर्धन अर्थव्यवस्था की पृष्ठभूमि में, और युवती द्वारा जोड़ीदार के रूप में
चिन्हित किये गए, देवता या कुलीन युवा की तुलनात्मकता पर उपहास करती हैं, पर युवती
उनकी चिंता किये बगैर आगे बढ़ जाती है और अपने कबीले से पलायन कर जाती है । ज़ाहिर
है कि, युवती को अपना वर चुनने का अधिकार था और उसने इसका इस्तेमाल किया । बहरहाल अपने
प्रेमी को लेकर, सहपलायन कर गयी युवती, अगले तीन वर्षों तक अपने ही कबीले द्वारा
लगभग विस्मृत कर दी गयी है और आकस्मिक रूप से एक दिन घर वापस लौटती है, एक पुत्र
के साथ, जो अपने पिता के जैसा दिखता है । बच्चे की भौं के पिता जैसे होने का कथन
दिलचस्प है क्योंकि यह तो जैविक सत्य है कि संतति, अपने अभिभावकों के शारीरिक
लक्षणों से साम्य रखती हो । अल्पवय बच्चे में शिकार करने की विलक्षण शक्ति होने का
कथन कबीले के दिव्य शक्तिमान जामाता या अप्रकट बने रहे युवा दामाद के स्तुतिगान
जैसा है । हालांकि यह कथन इस बात का संकेत करता है कि, युवती के पुत्र के कारण से
वो कबीला खाद्य संग्राहक अर्थव्यवस्था से इतर आखेटकों जैसे खाद्य उपहारों का सुख
ले रहा है, वो भी बिना मेहनत किये । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif";">सामान्यतः यह प्रचलित
जनविश्वास और मान्यता है कि, मुफ्तखोरी, काहिली, और अकर्मण्यता मनुष्यों के चरित्र
में सकारात्मक ऊर्जा नहीं भरती बल्कि वे, अपने सुखकर भविष्य के बारे में सोचने समझने
की शक्ति भी खो बैठते हैं । अब कबीले की फ़िक्र रोजी रोटी नहीं है, बल्कि युवती के
पति और बच्चे के पिता की खोज परख, कानाफूसी, अफवाहों और उपहास उड़ाने जैसे कृत्यों
तक सीमित हो गयी है । उन्हें किंचित भान भी नहीं कि, उनसे अथिक सामर्थ्यवान शक्ति,
उनके साथ है और बच्चा दुनिया में, उनके गौरवशाली भविष्य का नायक है । वो युवती जो
अपने कुल की उन्नति की आस लिये वापस आई थी । लेकिन नासमझ, निठल्ले, कुंठित समाज की
फुसफुसाहटों से मुक्त होकर प्रियतम के घर वापस चली गयी और वो कबीला, जिसे पूरी दुनिया
में छा जाना था । अपने करनी के दंड स्वरूप सिमटता जा रहा</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif";"> </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif";">है । विलुप्त होते समाज सा, जो, अपनी समृद्धि
और ऐश्वर्यपूर्ण जीवन के सपने को, भोर होने से पहले ही विस्मृत कर गया हो । वहां
उनके लिए प्रेम था, जो अब नहीं रहा...</span></p>
<p align="center" style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-35195211721443132392023-07-06T20:30:00.012+05:302023-07-06T20:30:00.151+05:30थर थर कांपती पत्तियां<p align="center" style="background: white; line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center; vertical-align: baseline;"><br /></p>
<p style="background: white; line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span lang="HI" style="border: 1pt none windowtext; font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; padding: 0in;">मुद्दतों
पहले कनाडा के अंध महासागरीय तट पर एक महान योद्धा रहता था </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif";">।<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">
जिसके पास अद्भुत शक्तियां थीं, मसलन खुद को अदृश्य बना लेना, शत्रुओं की साजिशों
को गुप्त रूप से जान पाना वगैरह वगैरह </span>। उसकी बहन जोकि तेज हवाओं
की मलिका थी, समुद्र तट पर खेमा बना कर रहती थी । वो अपने भाई के कामों में मदद
करती । वो उन लड़कियों का इम्तहान लेती जो उसके पराक्रमी भाई से ब्याह करना चाहतीं
थीं । लेकिन लम्बे समय तक कोई लड़की मलिका के इम्तहान की कसौटी पर खरी नहीं उतरी ।
चूंकि उसका भाई अक्सर अदृश्य बना रहता तो वो ब्याह के लिए इच्छुक लड़की के साथ
समुद्र तट पर टहलते हुए पूछती, क्या तुमने मेरे भाई को देखा है ? लड़कियां मलिका का
दिल जीतने के लिए झूठ बोल देतीं हां हमने उसे देखा है । मलिका पूछ्ती तो बताओ वो
अपनी स्लेज कैसे खींचता है ? कोई लड़की कहती बड़ी डोरी से, कोई कहती डंडे से और कोई
कहती मूस की खाल से । मलिका जानती थी कि, ये कपोल कल्पित जबाब हैं तो वो उन्हें अस्वीकृत कर देती । संयोग
से उसी गांव में एक मुखिया के तीन लड़कियां थीं जिनमें से सबसे छोटी लड़की बेहद
खूबसूरत और नर्म दिल थी । उसकी दोनों बड़ी बहने उससे ईर्ष्या करती थीं और उसके
प्रति क्रूर व्यवहार भी किया करतीं । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="background: white; line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif";">वे</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif";"> </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif";">अपनी बहन को फटे पुराने बदरंग कपडे पहनने देतीं
। उसके बाल काट देतीं, इतना ही नहीं, उन्होंने उसके चेहरे को आग में झुलसा दिया
ताकि वो बदसूरत दिखे । वो दोनों अपने पिता से कह देतीं कि, छोटी बहन ने यह सब खुद
ब खुद किया है, हालांकि छोटी बहन सब्र करती और अपने काम में व्यस्त रहती । उसकी
दोनों बड़ी बहने योद्धा से ब्याह करना चाहतीं थीं तो वो दोनों एक शाम को, मलिका के
साथ समुद्र के किनारे टहलने पहुंच गईं ताकि उसे बेवकूफ बना कर अपनी तमन्ना पूरी कर
लें । मलिका ने सबसे बड़ी से पूछा क्या तुमने योद्धा को देखा है ? उसने कहा हां, तब
मलिका ने कहा कि योद्धा के कंधे का पट्टा कैसा है ? उसने कहा वो चमड़े का है सो
योद्धा उसे अपने पास नहीं रखता । यह झूठ था तो मलिका ने उससे कहा तुमने झूठ बोला
है । जाओ यहां से । इसके बाद दूसरी बहन ने भी झूठ बोला, उसने कहा कि, मैंने योद्धा
को देखा है । उसके कंधे का पट्टा घास से बुना गया है । मलिका ने उसे भी अस्वीकार
कर दिया । इसी दरम्यान सबसे छोटी बहन ने अपने फटे हुए कपड़ों, जले हुए चेहरे के साथ,
इस इम्तहान में शामिल होने का फैसला किया ।</span></p>
<p style="background: white; line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">उसने
अपने कपड़ों को बर्च की छाल से ढंक दिया और अपने साधारण से गहने पहन कर वो योद्धा
को ढूंढने जा पहुंची। गांव की अन्य युवतियां और उसकी बड़ी बहने उसकी इस कोशिश को
बेवकूफी मानकर बहुत हंसीं । लेकिन वो चुपचाप अपने रास्ते पर आगे बढ़ती गई । शाम का
समय था । मलिका ने उससे पूछा क्या तुमने मेरी स्लेज को देखा, उसने कहा नहीं मैंने
आपकी स्लेज को नहीं देखा । मलिका हैरान हुई इससे पहले कभी, किसी युवती ने सच नहीं
बोला था । उसने पूछा क्या, तुमने मेरे योद्धा भाई को देखा है, वो अपनी बे-पहिया
स्लेज को कैसे खींचता है ? छोटी बहन ने कहा योद्धा अपनी स्लेज इन्द्रधनुष के साथ
खींचता है । मलिका ने फिर पूछा उस धनुष की डोरी क्या है ? छोटी बहन ने कहा, आकाश
गंगा उसकी डोरी है। ये सच था, मलिका उसे अपने साथ घर ले गयी।उसे नहलाया, उसके
चेहरे के दाग गायब हो गए । उसके बाल कौव्वे के पंखों की तरह से काले हो गए, फिर
मलिका ने उसे शानदार कपड़े और गहने दिए । तभी योद्धा प्रकट हुआ उसने कहा हां , यही
मेरी पत्नी है । यह झूठ नहीं बोलती । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="background: white; line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">उनका
ब्याह हो गया और वे प्रेम से जिन्दगी गुजारने लगे । बहरहाल इस घटना से उसकी दोनों
बड़ी बहने हैरान रह गईं । उनका गुस्सा चरम पर था और वे उसने नुकसान पहुंचाने के
बारे में सोचने लगीं । आदिम योद्धा उनकी क्रूरता से वाकिफ था, वो नहीं चाहता था कि,
उसकी प्यारी पत्नी को कोई नुकसान या दुःख हो । उसने अपनी दिव्य ताकतों से दोनों
बड़ी बहनों को एस्पन वृक्ष में बदल दिया और धरती पर रोप दिया तबसे लेकर आज तक हवा
के डर से, एस्पन की पत्तियां थर थर कांपती हैं, चाहे वो तेजी से आये या आहिस्ता से
। वो अपनी क्रूरता और झूठ के लिए अब भी दिव्य आदिम योद्धा के कोप को याद करती हैं ।
</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="background: white; line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">यह
आख्यान</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">,<span lang="HI"> अंध महासागर के तटीय कनाडा में रहने वाले
जनजातीय समुदाय का आख्यान है । जिसमें सांकेतिक रूप से तेज हवा, जो दिखती नहीं है,
वो अपने योद्धा भाई की बहन है । योद्धा भी तेज हवाओं की शक्तियों और अन्यान्य शक्तियों का मालिक है । जिसमें वह अदृश्य रहकर
दुश्मनों से निपट सकता है, किंतु वो अविवाहित है और उसकी बहन को उसके ब्याह की
चिंता है । हम यह मान सकते हैं कि, ये अमेरिका के मूल निवासियों का जीवन कथन है,
जिसकी साम्यता, सिंड्रेला की कथा से की जा सकती है । कथा की नायिका, सबसे छोटी बहन, अपनी बड़ी बहनों
से खूबसूरत है, और कोमल हृदय भी । उसकी बड़ी बहने उसे बदसूरत दिखाने के तमाम जतन
करती हैं । उसे फटे कपड़े पहनाती हैं । उसका चेहरा उन्होंने जला दिया है और उसके लम्बे बाल
काटकर छोटे कर दिए हैं । यही नहीं उन्होंने अपने पिता से यह भी कहा कि, छोटी बहन
ने स्वयं ही यह सब कुछ कर लिया है ।
बहरहाल इस कथा में, दिव्य आदिम योद्धा के ब्याह के लिए तत्पर, उसकी बहन है,
जो समुद्र के किनारे एक ठिकाना बनाकर रहती है । यह अद्भुत कथन है कि, हवा समद्र के
किनारे ठिकाना बना कर रहे । उसे हम इस कथा में, कहन की सुविधा के लिए, मलिका के
नाम से संबोधित कर रहे हैं क्योंकि वह हवा की मलिका है । </span><o:p></o:p></span></p>
<p style="background: white; line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">वह
अपने भाई के लिए सुयोग्य पत्नी की तलाश में है और इच्छुक युवतियों के इम्तिहान
लेती है । खासकर शाम के समय समुद्र के तट पर । ज्यादातर युवतियां झूठ बोलकर दिव्य योद्धा
को अपना पति बनाना चाहती हैं, लेकिन योद्धा की बहन ऐसी तमाम युवतियों को अस्वीकृत करती
जाती है, यद्यपि वह सांकेतिक रूप से बदसूरत दिख रही, छोटी बहन का स्वागत भी करती
है, जिसने अपने फटे कपड़ों में बर्च की छाल का पैबंद सा लगा लिया है और साधारण से
गहने भी पहन रखे हैं । हम यह मान सकते हैं कि, मलिका हर युवती में अपने भाई की अच्छी
पत्नी की संभावनाएं खोजती है, जो भी उसकी कसौटियों
पर खरी उतर जाए । वह केवल देखकर छोटी बहन को ठुकराती नहीं बल्कि उससे सवाल पूछती
है और वाजिब जवाब मिल जाने पर उसे अपने योद्धा भाई की पत्नी के रूप में स्वीकार कर
लेती है । उसका भाई भी युवती के लिए दृश्यमान
हो जाता है । वह मान लेता है कि लड़की, उसकी पत्नी बनने के योग्य है । कथा से
स्पष्ट होता है कि, बर्फीले इलाके में निवासरत आदिम कबीले में बेहतर जीवन संगिनी
खोजने के लिए किये गए सवाल, उस पर्यावास के अनुकूल हैं, मिसाल के तौर पर स्लेज और प्रातितिक रूप से,
अदृश्य शक्तियों का अस्तित्व में होना, ऐन इन्द्रधनुष के जैसा या आकाश गंगा के
जैसा ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="background: white; line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">बहरहाल
उनकी दिव्य शक्तियां, लड़की के चेहरे के दागों को मिटा देती हैं और उसकी केश रचना
पहले की तरह से खूबसूरत कर देती है । यहां केशों की रंगत काले कौव्वे के जैसी होने
का कथन, पर्यावास के अनुकूल और अद्भुत कथन है । मलिका, युवती को शानदार कपड़े और
गहने देती हैं और फिर आदिम योद्धा तथा युवती का ब्याह हो जाता है । ब्याह के बाद
दिव्य आदिम योद्धा और युवती सुख पूर्वक, प्रेम पूर्वक रहते हैं , किंतु युवती की
बड़ी बहनें अब भी, ईर्ष्यावश युवती को नुकसान पहुंचाने की सोचती हैं । इस स्थिति
में आख्यान में एक अद्भुत सांकेतिक विवरण मिलता है कि, युवती का का पति । उन्हें एस्पन के दरख़्त में तब्दील कर देता है । जिसकी पत्तियां हमेशा
कांपती रहती हैं । चाहे हवा तेज हो या मद्धम । इंसानों के बरअक्स पत्तियों का भय
से कांपना, शानदार प्रतीकात्मक कथन है ये । वे अपनी करतूतों का फल पा रही हैं, पता
नहीं शर्मिंदा है अथवा नहीं । लेकिन कथा से यह संकेत अवश्य मिलता है कि, अगर आप सच
बोलते हों तो आपको उसका सुखकर परिणाम ही मिलता है और अगर आप क्रूर हृदय हैं तो
आपकी आशंकाएं हमेशा जीवित रहती है । यह कथा प्रेम से विवाह की कथा नहीं है, बल्कि
विवाह के पश्चात प्रेम की कथा है, जहां पर पति अपनी पत्नी के दु:खद अतीत को सुखद
भविष्य में बदलने की कोशिश करता है, क्योंकि उसकी पत्नी ही उसकी प्रिया है, जिसका सुख
स्वयं पति का भी सुख है...</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="background: white; line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"> </span></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-58294880193432124542023-07-06T00:30:00.015+05:302023-07-06T00:30:00.142+05:30नार्सिसस<p align="center" style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">इको एक परी थी । जिसकी तकदीर में यह लिखा था कि, वह सिर्फ दूसरों
की आवाजों और उनके आखिरी लफ़्ज़ों को दोहरा पायेगी। इसके अलावा वह खुद ब खुद कुछ
बोल नहीं सकेगी। एक रोज उसने नार्सिसस को
देखा और उसे मन ही मन में चाहने लगी । वह उसका पीछा करती रही । लेकिन जब तक नार्सिसस
कोई बात बोलता नहीं, तब तक वह उसको दोहरा नहीं सकती थी । नार्सिसस का जन्म, नदी के
देवता और लिरिओप नामक की परी के प्रणय संबंधों के दौरान हुआ था । लिरिओप को एक
भविष्यवक्ता ने यह बता दिया था कि, जैसे ही नार्सिसस खुद को पहचानना भूल जाएगा । उसका
बुढ़ापा आ जाएगा । बहरहाल बचपन बीता और नार्सिसस एक खूबसूरत युवक हो गया । उसे जो
भी देखता, उससे मुहब्बत करने लगता, हालांकि नार्सिसस ने अभी तक, किसी के इश्क में
मुब्तिला होने का कोई संकेत नहीं दिया था । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">एक रोज उसे यह अनुभूति हुई कि, कोई उसका पीछा कर रहा है । तब
उसने उससे बात करने की कोशिश की, लेकिन उसकी यह कोशिश बेनतीजा रही, क्योंकि इको सिर्फ
नार्सिसस के लफ्जों को दोहरा सकती थी । वो अपनी तरफ से कुछ बोल नहीं सकती थी । इको
ने एक दिन नार्सिसस को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">नार्सिसस ने, उसे स्वीकार नहीं किया और फिर दु:खी इको
अदृश्य हो गई । उसका जिस्म, जैसे हवा में घुल गया हो । जब वह नार्सिसस को नहीं पा
सकी, तो हमेशा हमेशा के लिए पहाड़ों और गुफाओं, जंगलों के दरमियान छुप गई, क्योंकि
अब उसके पास कोई जिस्म नहीं था । उसकी
हड्डियां गोया पहाड़ों की चट्टान बन गई हों । उसे पहाड़ों की चोटियों, घाटियों और
गुफाओं में सुना जा सकता था । लेकिन उसके लिए नार्सिसस की मुहब्बत में नाकामी,
सबसे बड़ा दंड था ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">देवताओं ने कहा था कि, नार्सिसस के पास ऐसा कुछ भी नहीं
होगा, जिससे कोई इश्क करे, सो नार्सिसस के पास जो भी आता, उससे नाउम्मीद होकर
लौटता । एक रोज नार्सिसस, शिकार करने निकला था और उसे प्यास लगी, तो वह तालाब में पानी
पीने के लिए झुका, लेकिन पानी में अपनी ही छवि को पहचान नहीं सका । उसे अपनी छवि
से इश्क हो गया । यह उस भविष्यवाणी के जैसा
समय था, जो उसकी मां को भविष्यवक्ता ने बताया था । वह वहां से हिल भी नहीं पा रहा
था और पानी में अपनी छवि को पकड़ भी नहीं पा रहा था । जिससे वह अत्यधिक प्रभावित
था । उसने देवताओं को आवाज दी कि, उसे इश्क से वंचित क्यों किया जा रहा है जबकि वो
उन दोनों के दरम्यान, मौजूद है । वह जिसे इश्क करता है । उसकी पकड़ में क्यों नहीं
आ रहा है ?</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">वह अपनी छवि से बातें करने लगा । उसने</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">तय किया कि, वह जिसकी मुहब्बत में गिरफ्तार हुआ है । उसे
छोड़कर कहीं नहीं जाएगा।वह बिना नींद और खाने के वहीं ठहर गया । खुद से मुहब्बत में पागल नार्सिसस
बर्बाद हो गया । उसकी बर्बादी को देखकर, इको वापस आई।वह शोक करने लगी जैसे ही नार्सिसस
ने अपनी छवि को आखिरी विदाई दी । इको ने उसके लफ़्ज़ों को दोहराया । इसके बाद
नार्सिसस, जमीन की शैया पर लुढ़क गया । परियों ने उसकी मृत्यु पर शोक मनाया और मुर्दा
जिस्म को, अपने बालों से ढक दिया । वो उसका
अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार हो चुकी थीं पर जैसे ही वापस मुडीं तो वहां पर
कोई इंसान नहीं था, बल्कि एक फूल था, जिसे नार्सिसस कहते हैं ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">यह आख्यान प्रतीकात्मक रूप से बेहद दिलचस्प है, क्योंकि नार्सिसस,
नदी के देवता और लिरिओप नाम की परी की संतान है । नदी, जो एक जल स्रोत है और
सांकेतिक रूप से किसी अन्य जलस्रोत पर नार्सिसस की मृत्यु हुई । जल स्रोत जो उसके
पिता का घर है । भविष्यवाणी यह थी कि, जब भी नार्सिसस अपने आप को पहचान नहीं पाएगा,
तब उसका बुढ़ापा आ जाएगा यानि कि, उसकी मृत्यु हो जाएगी । शिकार के एक दिन वह प्यासा है और जल स्रोत के किनारे अपनी ही
छवि पर मुग्ध हो गया है । वह उससे दूर नहीं जाना चाहता, बल्कि उसकी मोहब्बत के नाम
पर देवताओं से शिकवा करता है और उसी जगह पर अपनी ही छवि को अनाम प्रिया के रूप में
पुकारते हुए मर जाता है । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">कथा कुछ इस तरह से आगे बढ़ती है कि, नार्सिसस बेहद खूबसूरत युवा हो चुका है और सभी उससे
मोहब्बत करने लगते हैं । लेकिन वह किसी की और की तरफ ध्यान नहीं देता और सभी की उन्सियत
को ठुकरा देता है । हालांकि खुद से उन्सियत और अपने आप को ना पहचानने के हालात में,
उसकी मौत यकीनी हो जाती है, जैसा कि, भविष्यवाणी की गई थी । आख्यान कहता है कि,
इको नाम की परी, नार्सिसस से पहली ही भेंट में मोहब्बत करने लगती है । लेकिन
नार्सिसस उसकी तरफ ध्यान नहीं देता और वह दु:खी होकर, अपना जिस्म को बैठती है, और
पहाड़ों कंदराओं और जंगलों में छुपकर रहने लगती है, क्योंकि उसके पास, अब खुद का
कोई जिस्म नहीं है । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">इको जो असल में किसी भी आवाज की प्रतिध्वनि है, एक नायिका
परी के रूप में नार्सिसस से मोहब्बत करती है जोकि एक खूबसूरत युवा की जगह, अपनी
मृत्यु के स्थान पर, एक शानदार फूल बन जाता है । यह आख्यान अद्भुत तरीके से एक
युवती और एक युवक की असहमति से उपजी अफ़सोसनाक घटनाओं का विवरण देता है, जिसके
मुताबिक, दोनों ही अपने जिस्म को त्याग कर कायांतरित हो जाते हैं वो युवती केवल आवाज की प्रतिध्वनि बन जाती है,जबकि
नार्सिसस एक खुशबूदार फूल । यह कथा
इंसानों और परियों के दरमियान मुहब्बत की नाकामी की कथा है। लेकिन उनका प्रेम, रूप
बदल कर अमर हो जाता है। युवती, प्रतीकात्मक रूप से प्रतिध्वनि के रूप में और युवक,
नार्सिसस के फूल के रूप में तब्दील हो जाता है । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">परियां युवक की मृत्यु का शोक करती हैं, लेकिन वे देह का
अंतिम संस्कार करने से पहले देखती है कि, वह एक फूल में बदल चुका है।फूल जो अनंत
काल तक धरती पर रहने वाला है और प्रतिध्वनि जो आवाजों के अमरत्व तक, इस दुनिया में
जीवित रहेगी । इस कथा में कथित रूप से यह संकेत भी दिया गया है कि, नार्सिसस, किसी
की मोहब्बत को क़ुबूल नहीं करता और एक रोज खुद से मोहब्बत करते हुए, अपने जिस्म को
खो बैठता है । यह कहानी एक खास समय में असफल प्रेम की कहानी है, किंतु अनंत समय तक
एक दूसरे के समानांतर जीवित रहने वाले, प्रेमी जोड़े के रूप में यह कथा भी हमेशा
हमेशा के लिए जीवित रहेगी। लोग नार्सिसस से इश्क करेंगे और पहाड़ों में अपनी
आवाजों की प्रतिध्वनि सुनकर खुश हुआ करेंगे...</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-77928282405834663852023-07-05T20:30:00.002+05:302023-07-05T20:30:00.138+05:30फ्रेया<p align="center" style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">मुद्दतों पहले की बात है, जब नॉर्स देवताओं के दो कुनबे
होते थे । एक तो वे जो, एसर यानि कि, पुराने नॉर्स देवता थे, जिनमें, विली, वे और ओडिन
प्रमुख थे, जबकि दूसरा कुनबा वनीर देवताओं का था, जिनमें समुद्रों के देवता नजोर और
उसकी दो बेटियां, फ्रेया और फ्रीयर शामिल थे । सामान्यत: यह माना जाता है कि, वनीर
समूह के देवता, खेती और उर्वरता के देव थे जबकि एसर देवता, शक्ति और युद्ध के देवता
थे । इन दोनों समूहों में अक्सर युद्ध होता रहता और वे एक दूसरे को बंदी बनाते फिर
संधि होने पर छोड़ते रहते । एक बार फ्रेया और फ्रीयर के बंदी बनने का उल्लेख भी
मिलता है । कहते हैं कि, एक पुरातन नॉर्स देव मिमिर जोकि, अपने ज्ञान के लिए
प्रसिद्ध था । उसने दोनों कुलों के मध्य युद्ध
रोकने के लिए एक सुझाव दिया कि, वनीर देवताओं में से फ्रेया, एसर देवता ओडिन से
ब्याह करे, तो दोनों कुलों में स्थाई युद्ध बंदी हो जाएगी । हालांकि फ्रेया ने मजबूरी
में ही सही, यह ब्याह कर लिया, लेकिन उसने कभी भी इस समाधान को पेश करने वाले मिमिर
को क्षमा नहीं किया । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">उसे मालूम था कि, युद्ध और रक्तपात रोकने के लिए यह समाधान,
दोनों पक्षों के दरम्यान, स्थाई शान्ति का मार्ग प्रशस्त करता है । वो अपने कुल के
परंपरागत शत्रु ओडिन से प्रेम नहीं करती थी लेकिन वो, ज्ञान के देवता मिमिर के
सुझाव पर हिंसा और रक्तपात को रोकने के लिए ओडिन से ब्याह करने के लिए राजी हो गई,
भले ही उसके मन में मिमिर के प्रति दुर्भावना बनी रही । उसका, ओडिन से ब्याह युद्ध
टालने वाले समझौते के तहत किया गया था, अतः नवदंपत्ति के आपसी संबंधों में प्रेम
और आसक्ति की खोज करना व्यर्थ है । बहरहाल ओडिन और फ्रेया के समागम से बालदुर नाम के, बहादुर
राजकुमार का जन्म हुआ, लेकिन फ्रेया इस शादी से अब भी, संतुष्ट नहीं थी । वो अपने पति
की लालसाओं के कारण से तनाव में आ गई थी और जैसे ही उसे यह पता चला कि, भविष्य में
उसके बेटे की जान खतरे में पड़ सकती है, तो उसने बालदुर को अजेय बनाने के लिए उस
पर जादू करने का फैसला किया । उसके जादू से बालदुर को कोई दर्द नहीं हुआ, लेकिन वो
चाहता था कि, उसे इस जादू से मुक्त रखा जाए । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">उसकी मां फ्रेया ने उसके अक्षय जीवन को ध्यान में रखकर उससे
यह झूठ बोला था कि, वह कालांतर में इस जादू से मुक्त हो सकता है । कहते हैं कि, बालदुर
लंबे समय तक जादू तोड़ने का तरीका खोजता रहा जोकि, उसे कभी मिला ही नहीं । इधर शादी के बाद फ्रेया वल्क्रीज कही जाने वाली अप्सराओं
की मुखिया बन गई जोकि ओडिन की सेवकायें थीं और जो युद्ध के समय मारे गए योद्धाओं
की आत्मा को दिशा दिखाने का कार्य करती थीं । चूंकि फ्रेया तनाव में थी और अपने
ब्याह के प्रति उसमें गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था तो उसने ओडिन से अपनी शादी तोड़
दी । जिसके कारण एसर समूह के देवता नाराज हो गए, खासकर थोर ने वनीर पक्ष के अनेकों
दिग्गजों को बेरहमी से मार डाला । उसने देवी फ्रेया को श्राप दिया कि, वह कभी भी
अपनी ससुराल को छोड़ नहीं पाएगी तथा किसी जीवित प्राणी को नुकसान नहीं पहुंचा
पाएगी । थोर ने सभी अप्सराओं को छोड़कर फ्रेया के पंख छीन लिए ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">उस समय ज्यादातर लोग यह मानने लगे थे कि, फ्रेया में उसके
कुनबे की खेती और उर्वरता जैसे देवत्व की भावना के स्थान पर एक योद्धा जैसी भावना
निहित हो गई हैं । थोर की बंदिशों के बावजूद फ्रेया जानती थी कि, उसकी ससुराल की अभेद्य
दीवारों में एक गुप्त कमजोरी भी है, इसलिए वो वहां से निकल भागी और उसने एक विशाल
कछुए के साथ नाइन झील में निवास करना प्रारंभ कर दिया । उसी समय उसने एक शूकर देवता
से भी मित्रता की, जो ये भूल गया था कि, वह वास्तव में शूकर नहीं है । दरअसल यह
कथा प्रेम कथा नहीं है बल्कि ओडिन और फ्रेया
के मध्य एक संधि तथा संधि के एवज में फ्रेया के साथ ओडिन के सहवास की कथा है ।
फ्रेया इस संधि और दाम्पत्य सम्बन्ध से मुक्ति चाहती थी, क्योंकि वह इस ब्याह के
लिए पहले ही अनिच्छुक थी । ससुराल से मुक्त हुई, फ्रेया को बाद में पकड़कर ससुराल
वापस ले जाया गया । उसे फिर कभी, किसी ने नहीं देखा और चिंता यह है कि, वह मर खप
गयी होगी ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">यह आख्यान जर्मन मूल के लोगों में प्रचलित है । इसके
मुताबिक नॉर्स देवताओं के दो अलग-अलग वैचारिक समूह थे, एक खेती और उर्वरता का तथा दूसरा
युद्ध और शक्ति का । उनमें युद्धों की निरंतरता थी, जिनके कारण से रक्तपात और मृत्यु की अपरिहार्यता के संकेत यह
कथा देती है । इस कथा में एक ही मूल के देवताओं में पारंपरिक दुश्मनी का विचार नया
नहीं है, क्योंकि यह पूरी दुनिया में दृष्टव्य सह प्रचलित सत्य है । ज्ञान के नॉर्स
देवता मिमिर इस रक्तपात से मुक्ति चाहते हैं और वे इसके लिए संधि का प्रस्ताव देते
हैं, जिसके तहत एक पक्ष दूसरे पक्ष के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित कर लेता है और फिर
उभय पक्ष शांति के साथ रह सकते हैं । कथा में वनीर देवता समूह में से फ्रेया इस
संधि से प्रसन्न नहीं है, लेकिन उसके पास अन्य कोई मार्ग भी नहीं है । अतः वह दुश्मन
पक्ष के देवता ऑडिन से विवाह करने के लिए सहमत तो होती है, लेकिन इसमें उसकी
अनिच्छा भी सम्मिलित है । वह इस तरह का सुझाव देने वाले देवता मिमिर से अप्रसन्न
है । संभवत इसका कारण यह हो कि, एक युवती के रूप में उसकी अपनी अस्मिता, अपनी
पहचान है और वो अपने अनुकूल वर या प्रेमी की कामना करती होगी, लेकिन युद्ध ने उसके
ऊपर एक नई तरह की संधि आरोपित कर दी । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">जिसमें उसे न केवल अनिच्छा से, पति का चयन करना पड़ा बल्कि उसके
साथ अनेकों वर्ष तक दैहिक संबंध भी स्थापित करना पड़े । क्या यह उचित है कि, किसी
युवती की अनिच्छा के बावजूद, उस पर कोई वर थोप दिया जाए, जोकि उसके ना चाहने पर भी उसकी देह का,
इस्तेमाल करे । बहरहाल इस विवाह में प्रेम नहीं था, किंतु अनचाहे सहवास से एक बहादुर
बच्चे का जन्म होता है । जिसकी मृत्यु की भविष्यवाणी को ध्यान में रखकर फ्रेया,
अपने पुत्र पर जादू करती है, ताकि वह अनश्वर और अजेय बना रहे, जबकि बच्चा अपनी
बहादुरी के चलते, इस जादू से मुक्त होना चाहता है । यह कथा असल में युद्ध रोकने और
शांति की कथा तो है, लेकिन इसमें एक युवती की अस्मिता का सौदा भी सम्मिलित है । युद्ध
रोकने के लिए उसका इस्तेमाल होता है, भले ही वह इस संबंध को पसंद नहीं करती । पूरी
दुनिया का इतिहास, ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है, जहां स्त्रियों देह की बर्बर लूट किया
जाना अथवा युद्ध को रोकने के लिए वैवाहिक संबंधों की स्थापना किया जाना हो । इस
अर्थ में यह आख्यान धरती के इतिहास का पुनः प्रकटीकरण करता है । स्पष्ट तथ्य ये
कि, पुरुष युद्ध तो लड़ते हैं पर उनके युद्धों का अंत, स्त्रियों की देह पर बलात
कब्जे और सहवास पर निहित होता है । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">यह अजीब बात है कि, वे लोग, युद्ध के स्थान पर शांति के
लिए, भूखंडों और अन्य किसी वैकल्पिक उपाय की तुलना में स्त्रियों देह की गारंटी को
प्राथमिकता क्रम में रखते हैं । संभव है कि, स्त्रियों में निहित प्रेम तत्व या
सामर्थ्य के आधार पर यह विश्वास किया जाता
हो कि, आगे चलकर हिंसा नहीं होगी ? क्या
यह उचित है कि, शांति और अहिंसा के नाम पर स्त्रियों की इच्छाओं का दमन कर दिया
जाए । फ्रेया व्यक्तिगत रूप से ऑडिन के प्रेम में नहीं थी, किंतु अपने देश के
सम्मुख आन पड़ी, विपत्ति के निवारण के लिए उसे समझौता करना पड़ा । चूंकि वो समझौते
के पति ओडिन की लालसाओं से विरक्त थी । इसलिए उसने एक विशिष्ट समय में संधि के
मार्ग को त्याग कर, वैवाहिक सम्बन्ध को तोड़ने का मार्ग चुना और ओडिन से अपने
ब्याह को तोड़ दिया । हालांकि उसका यह निर्णय विलंब से लिया गया निर्णय था, अगर वह
चाहती तो ब्याह से पहले भी यह निर्णय ले सकती थी । संभव है कि, उस समय वह और उसकी
बहन, एसर कुनबे के देवताओं की बंदिनी थीं और बंदिनी के तौर पर जीवन जीने के बजाय
स्वयं की मुक्ति चाहती हो । हो सकता है कि, उसने संधि के समय, स्वयं के कुनबे की
सुरक्षा के लिए, अपनी इच्छाओं को हाशिए पर डाल दिया हो ? </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">आख्यान से स्पष्ट संकेत मिलता है कि, ब्याह टूटने और संधि
टूटने में कोई अंतर नहीं था । अतः एसर समूह के देवताओं ने सम्बन्ध टूटने के बाद काफी
हिंसा की और देवी फ्रेया को बंदी बनाए रखने का जतन किया । उन्होंने चाहा कि, वह
अपनी ससुराल का परित्याग ना कर सके । यहां तक कि, एसर समूह के देवता ओडिन की
सेविका, अप्सराओं को छोड़कर उसके पंख भी छीन लिए गए, किंतु फ्रेया उस परिवार की निर्बलताओं
को जानती थी, अतः वो वहां से भाग निकली और जल में रहने वाले विशाल कछुए के साथ
निवास करने लगी । स्मरण रहे कि, उसके पिता
नेजोर स्वयं, जल के देवता थे । इस कथा में एक दिलचस्प उल्लेख यह है कि, एक
भुलक्कड़ देवता जो यह भूल गया है कि, वह शूकर नहीं है किन्तु स्वयं को शूकर समझता
है । उसकी मित्रता फ्रेया से हो जाती है । दुर्भाग्यवश फ्रेया पकड़ी जाती है और उसे पुनः
ससुराल में बंदी बना लिया जाता है । मुमकिन
है कि उसे मृत्यु का मुख देखना पड़ा हो क्योंकि बाद में उसे किसी ने देखा नहीं । इस आख्यान में देवताओं के संघर्ष लगभग वैसे ही है
जैसे वास्तव में नश्वर मनुष्यों और राजाओं के संघर्ष हो सकते हैं । जमीनों के लिए ।
स्त्रियों के लिए । उनकी संधियां भी वैसी ही है, जिनमें स्त्रियों की अस्मिता का
कोई मोल नहीं होता...</span></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-31347969282082007222023-07-05T00:30:00.005+05:302023-07-05T00:30:00.142+05:30नेफरतारी और रामसेस महान<p align="center" style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">मिस्र के फिरौन सम्राट, रामसेस महान ने ईसा से </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";">1312 </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">साल
पहले नेफरतारी से विवाह किया था और उसकी लगभग दो सौ पत्नियों में से नेफरतारी
मुख्य रानी थी, पत्नी थी । असल में रामसेस महान के हरम में उसकी सभी पत्नियों में
से, आठ </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif";"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">रानियां मुख्य थीं, जिनमें सबसे पहला स्थान नेफरतारी का था ।
रामसेस महान से ब्याह के फौरन बाद रानी नेफरतारी ने रामसेस महान के ग्याहरवें
उत्तराधिकारियों में से सबसे पहले उत्तराधिकारी को जन्म दिया । रामसेस महान नेफरतारी
से इतना ज्यादा प्रभावित था कि, वो कहता कि, मेरा प्यार बेमिसाल है, अन्य कोई इसके
मुकाबले में नहीं है, नेफरतारी दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला है, जिसने मेरा दिल
चुरा लिया है । फिरौन रामसेस महान के हरम में पत्नियों की भरमार थी, लेकिन नेफरतारी
उसकी परम प्रिय पत्नी थी । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">रामसेस महान ने अपने जीते जी अपनी और अपनी प्रिय पत्नी के
शानदार मकबरे की कल्पना की थी और उसने मकबरे के निर्माणकर्ताओं, वास्तुकारों और
कलाकारों को यह निर्देश दिया था कि, नेफरतारी हर तरह से उसके समान महत्व की है, ऐसा
मानकर मकबरे का निर्माण किया जाए । यही वजह है कि, नेफरतारी और रामसेस महान के
मकबरे और उनकी प्रतिमायें आज भी भव्य और खूबसूरत हैं, जोकि मिस्र की पुरातात्विक
धरोहर का अनूठा उपहार हैं । यह मिस्र के फिरौन राजाओं की परंपरा थी कि, वे स्वयं
की अमरता के लिए अपने जीते जी अपने भव्य मकबरों का निर्माण करवाते थे, जहां पर
उनकी मृत्यु के उपरांत, उनके ममीकृत शरीर संरक्षित रखे जाते थे, ताकि वे उचित समय
पर पुनर्जीवित हो सकें और पुनः अपनी देह का इस्तेमाल कर सकें।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">उसने, नेफरतारी के लिए, मृत्यु पूर्व मकबरा बनवाने से पहले
अपने समकक्ष ऊंचाई और समान सजधज की मूर्ति बनाने की व्यवस्था की थी । रामसेस महान
मानता था कि, नेफरतारी का मंदिर भव्य होगा, जोकि मिस्र की वास्तुकला में गिने-चुने
उदाहरण में से एक होगा । पुरुष प्रधान समाज में अपनी पत्नी के लिए इतना गहन प्रेम
और उसकी मृत्यु के बाद उसके महत्त्व को अपने जैसा रखने की व्यवस्था करके रामसेस
महान ने यह सिद्ध कर दिया कि, वह नेफरतारी के प्रति अत्यधिक समर्पित था</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">पुरुष प्रधान समाज में सत्ता के शीर्ष पर बैठे फिरौन सम्राट
रामसेस महान की दो सौ पत्नियां, उसकी कामुकता और मिस्र में पुरुषों के मुकाबले
स्त्रियों की हीनदशाओं का स्पष्ट संकेत देती है । वह मिस्र के ख्यातनाम फिरौन सम्राटों
में से एक था। उसने तत्कालीन मिस्री समाज में प्रचलित परंपरा के अनुसार बहुस्त्रीगामिता
और हरम में अनेकों पत्नियां रखने की परंपरा का पालन किया, लेकिन इनमें से उसे आठ पत्नियां
विशेष प्रिय थीं, और उनमें से सर्वाधिक प्रिय नेफरतारी थी । उसने अपने जीते जी
अपने और नेफरतारी के भविष्य की योजना तैयार कर रखी थी कि, मृत्यु के उपरांत वे
दोनों फिर से जी उठेंगे । इसलिए उसने
दोनों के लिए समान महत्व, समान ऊंचाई और समान सौंदर्य मानकों से सुसज्जित प्रतिमाएं
तैयार करवाईं और मकबरे बनवाएं । असल में रामसेस या नेफरतारी के जन्म और दैनिक
जीवनचर्या के बारे में तथ्यगत जानकारियों का विलोप हो चुका है ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">फिर भी मृत्यु के बाद, उन दोनों के मकबरों से प्राप्त
वास्तुकला की निशानियां, यह स्पष्ट करती हैं कि, रामसेस महान, नेफरतारी से किस कदर प्रेम करता था । जब मिस्र
में पुरुषों की तुलना में बनाई गई, स्त्री प्रतिमाओं की ऊंचाई कम हुआ करती थी, उस
समय फिरौन रामसेस महान ने नेफरतारी की प्रतिमा अपने समान कद में बनवाई, जिससे
स्पष्ट होता है कि, वह नेफरतारी से कितना प्रभावित था । हम जानते हैं कि रामसेस महान
की प्रिय पत्नी नेफरतारी का पूरा नाम नेफरतारी मेरिमुट था, जिसमें से, नेफरतारी से
आशय, सुंदर साथी और मेरिमुट का अर्थ है, मातृ देवी मुट की प्रिया । रामसेस महान और
उसकी पत्नी की प्रेम कथा, इतिहास के बजाय मिथकों में भले ही कही जाती हो, लेकिन
उनका प्रेम अद्भुत था । मिस्री समाज में प्रेम के ऐसे अनेकों प्रकरण मिलते हैं,
किंतु सम्राट रामसेस महान और नेफरतारी के प्रेम के इस आख्यान को, उनमें से
सर्वाधिक प्रचलित आख्यान माना जा सकता है। कहते हैं, यदि आप प्रेम में हों, तो
आपका सिर, पूज्यनीय देवताओं से पहले प्रियतमा के आगे ही झुकेगा... </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p align="center" style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><span style="color: #00b050; font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-size: 18pt;"> </span></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-15780414938586636912023-07-04T20:30:00.006+05:302023-07-04T20:30:00.135+05:30तूतनखामन और अनखेसेनामुन<h2 align="center" style="margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></h2>
<p class="MsoNormal" style="line-height: normal; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">मिस्र में, फिरौनो का युग था जब कि, अनखेसेनामुन के पिता की
मृत्यु हो गई थी और उसे अपने पिता से की गयी वचनबद्धता के अनुसार, तूतनखामन से
ब्याह करना पड़ा । वो मिस्र की शाही परंपरा में, सबसे बड़ी शहजादी थी और तूतनखामन,
उससे उम्र में लगभग दो साल छोटा था । ब्याह के बाद, अनखेसेनामुन के दो बेटियां
असयय ही मर गईं । तूतनखामन का शासन काल
बेहद संक्षित रहा । उसके शासन का अधिकांश समय, उससे पहले के फिरौन अखनातन के
कार्यकाल में लिए गए फैसलों को सुधारने में बीता । खास तौर पर धार्मिक सुधार और केवल, सूर्य देव
एटन की पूजा जैसे फैसले से निपटने में, उन दिनों, मिस्र में लगभग अस्थिरता के
हालात थे । जनसामान्य और पुजारीगण, मिस्र
की पुरानी धार्मिक परम्पराओं की पुनर्बहाली चाहते थे और तूतनखामन को यह करना पड़ा ।
कहते हैं कि, देवता आमुन की पूजा की
पुनर्बहाली के समय में, उसकी पत्नी ने अपना नाम बदल कर अनखेसेनामुन किया था जबकि,
पहले उसका नाम अनखेसेनपाटन था । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="line-height: normal; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">बहरहाल वो अट्ठारह साल जैसी कम उम्र में स्वर्ग सिधार गया ।
जिससे अनखेसेनामुन को अत्यंत शोक हुआ, किन्तु
उसने वैधव्य को स्वीकार कर लिया और दूसरा ब्याह नहीं किया । उन दिनों में, फिरौन
शासकों की अनेकों पत्नियां होना सहज बात थी, लेकिन तूतनखामन ने सिर्फ अनखेसेनामुन
से ब्याह किया, जोकि शासकीय परम्परा से इतर बात थी, लेकिन इससे यह भी पता चलता है
कि, तूतनखामन, अनखेसेनामुन से बेइंतिहा मुहब्बत करता था । उसके जीवन में किसी अन्य
स्त्री, पत्नी के लिए कोई स्थान नहीं था । विवाह के बाद, अपनी दो पुत्रियों को खो
चुका, तूतनखामन, अपनी मृत्यु के समय तक, अनखेसेनामुन के प्रेम से कभी भी विरक्त
नहीं हुआ । उसने किसी अन्य पत्नी की कामना नहीं की । अपने शादी शुदा जीवन में,
तूतनखामन और अनखेसेनामुन एक साथ शिकार पर जाते, एक दूसरे को उपहार देते । उनका आपसी समर्पण बे-मिसाल था । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="line-height: normal; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">उन दोनों का दिल एक दूसरे की मुहब्बत में धड़कता । वो मानते कि, वे अभिन्न हैं, उनका कोई और नहीं, दूजा
कोई ठौर नहीं । उन्हें एक दूसरे की फ़िक्र है, तो वे सेहतमंद हैं, खुशहाल हैं ।
उनका युवापन, उनका सामर्थ्य, एक साथ होने में है । उन्हें
इश्क है, तो कोई दुःख नहीं, किंचित भी मनःताप नहीं । </span><b><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></b></p>
<h2 style="line-height: normal; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">इस आख्यान में तूतनखामन ना केवल अल्पवय पति
था बल्कि अल्पवय फिरौन भी था </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;"> उसका शासनकाल अत्यंत संक्षिप्त था </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">उसके शासनकाल में अधिकांश समय, उसके पूर्ववर्ती फिरौन अखनातन द्वारा लिए
गए, धार्मिक फैसलों को बदलने में निकल गया </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;"> यह अत्यंत महत्वपूर्ण सत्य है कि,
प्रत्येक सम्राट, जनगण पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए धार्मिक सम्मोहन का
इस्तेमाल करता है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;"> तूतनखामन
ने भी अपने पूर्ववर्ती फिरौन के समय में लिए गए इस फैसले पर, पुनर्विचार किया कि, राजशाही
और मिस्री प्रजाजन, एकेश्वरवादी होंगे </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">उसके पहले के फिरौन</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">के
निर्णय से असंतुष्ट जनता और रूढ़ीवादी पुजारीगण, अल्पवय तूतनखामन पर दबाव बनाने लगे,
जिसके कारण से उसे सूर्य देव की पूजा की एकेश्वरवादी व्यवस्था को बदलकर, आमुन को
फिर से मिस्र का महत्वपूर्ण देवता घोषित करना पड़ा, उसकी पूजा बहाल करना पड़ी, जोकि
बहुदेववादी धार्मिक व्यवस्था का नायक है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">हम यह मान सकते हैं कि, पुजारियों के
निजी स्वार्थ, इस मामले में प्रबल रहे होंगे, इसीलिये उन्होंने तूतनखामन पर
एकेश्वरवाद के स्थान पर बहुदेवतावाद लाने के लिए अपनी आवाज उठाई होगी</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;"> । </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;"> </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></h2>
<h2 style="line-height: normal; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">यह स्पष्ट है कि, उस समय के सम्राट के
रूप में उसके पास, बहुदेववादी, धार्मिक आस्थाओं की पुनर्बहाली के अलावा कोई अन्य विकल्प
शेष नहीं था </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">उसके पूर्ववर्ती फिरौन के बाद मिस्र में अस्थिरता थी, और तूतनखामन का
ज्यादातर समय, इस अस्थिरता को दूर करने में बीत गया संभव है कि, इसी तरह दबाब में, उसकी मृत्यु भी
हुई हो </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;"> यह
स्पष्ट है कि, धर्म, राजसत्ता पर पकड़ बनाए रखता है और धर्म के माध्यम से राजसत्ता,
राज्य पर अपना आधिपत्य कायम रखती है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;"> बहरहाल, तूतनखामन के समय को मिस्री साम्राज्य में धार्मिक अतीत की
पुनर्बहाली का समय माना जाएगा </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;"> गौरतलब
है कि, उसकी पत्नी ने देवता आमुन, के लिए अपना नाम तक बदल लिया था, तो यह स्वीकार
करने में कोई हर्ज़ नहीं कि, देश की स्थिरता और सत्ता पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने
के लिए तूतनखामन और उसकी पत्नी ने धर्म का इस्तेमाल किया, हालांकि वे सत्ता के सुख
को अधिक समय तक भोग नहीं सके </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></h2>
<h2 style="line-height: normal; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">तूतनखामन अपनी पत्नी से आयु में छोटा था
और अट्ठारह वर्ष की अल्पायु में स्वर्ग सिधार गया </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">उसका अपनी पत्नी से प्रेम प्रगाढ़ था </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">संभव है कि, उसने पत्नी से मोह आधिक्य के चलते, अन्य स्त्रियों से विवाह
नहीं किया होगा, जबकि मिस्री समाज, फिरौनों और राजपुरुषों को, एक से अधिक पत्नी
रखने के लिए सामाजिक स्वीकृति देता था, किंतु तूतनखामन, अपनी पत्नी के अतिरिक्त अन्य किसी स्त्री के
संपर्क में नहीं आया </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">स्पष्टत: वह, अपनी
पत्नी के इतर, किसी अन्य स्त्री बारे में नहीं सोचता था, जबकि वह ऐसा कर सकता था</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;"> । </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">संभव है कि, उसकी दोनों पुत्रियां, कदाचित जन्म लेने से पहले अथवा तत्काल
बाद मर गईं थीं, उनकी मृत्यु का कारण, यह हो कि वह स्वयं अल्पवय, ब्याह का भागीदार
था और उसका शरीर, अत्यधिक प्रेम, विशेषकर सहवास के लिए तैयार नहीं था </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></h2>
<h2 style="line-height: normal; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">वह अपनी पत्नी से छोटा था और पत्नी से
पहले, मात्र अट्ठारह वर्ष की आयु में मर गया था, इस स्थिति में हम केवल कल्पना कर
सकते हैं कि, उसकी पुत्रियों का मरना, उसकी शारीरिक अल्पवयस्कता अथवा दौर्बल्य का
परिणाम रहा होगा</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">उसकी पत्नी ने उसकी मृत्यु के बाद, किसी अन्य पुरुष अथवा राजपुरुष से विवाह
नहीं किया, क्योंकि वह अपने पति के प्रति मोहासक्त थी, जैसा कि, उसका पति स्वयं भी
उसके प्रति </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">तूतनखामन यह मानता था कि, वे दोनों अभिन्न हैं</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">एक दूसरे के लिए ठौर हैं, आश्रय तुल्य हैं
</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">वह यह भी मानता था कि, उन दोनों को एक दूसरे की फिक्र है, इसलिए वो दोनों खुशहाल
हैं </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">उनका एक साथ रहना, उनके यौवन और सामर्थ्य की श्रीवृद्धि का कारण है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">यदि उन दोनों के मध्य इश्क है तो, मनःताप, संताप की कोई गुंजाइश नहीं </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;">
बहरहाल अपनी पत्नी अनखेसेनामुन </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;"> अपनी प्रेयसी अनखेसेनामुन के प्रति
बेहद रूमानियत भरे ख्याल लिए, तूतनखामन, दो दशक से भी कम समय में, दुनिया के लिए
एक ख्याल बनकर रह गया...</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; font-weight: normal; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></h2><p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><br /></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-64409406775810995042023-07-04T00:30:00.008+05:302023-07-04T00:30:00.149+05:30आइसिस और ओसिरिस<p align="center" class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">ओसिरिस और देवी आईसिस ने सम्राट, साम्राज्ञी के रूप में मिस्र में हुकूमत की थी । ओसिरिस और
देवी आईसिस दोनों ही, पृथ्वी के देवता गेब और आकाश की देवी नेट की संतान होने के
नाते परस्पर भाई बहन थे, किंतु उन्होंने आपस में ब्याह किया था । हालांकि अपने ही भाई
सेठ के साथ कट्टर दुश्मनी के चलते ओसिरिस मारा गया । प्रचलित जनविश्वास कहता है कि,
ओसिरिस के सेठ की पत्नी नेफथिस के साथ अनैतिक संबंध थे । नेफथिस जोकि, ओसिरिस की
पत्नी देवी आईसिस की बहन थी और इस नाते उसकी भी बहन हुई । इस झगडे का अंत ये हुआ
कि, सेठ ने ओसिरिस की हत्या करके, उसके शरीर को टुकड़ों में बांट कर पूरे मिस्र में
बिखेर दिया और स्वयं मिस्र का सम्राट बन गया । ओसिरिस की मृत्यु के बाद आईसिस
व्याकुल हो गई थी और वह अपने परिवार में, उत्तराधिकारी की कमी को महसूस कर रही थी
। ओसिरिस के वारिस की तलाश में आईसिस को सूझा कि, वो देवताओं से प्रार्थना करेगी
कि, उसे कम से कम एक संतान होना चाहिए । अपने इस अभियान की सफलता के लिए, वह मिस्र
की सेना में शामिल हो गयी और पूरे देश में ओसिरिस की मृत देह के टुकड़े ढूंढती रही । कहते हैं कि,
ओसिरिस का लिंग छोड़कर, शरीर के पूरे टुकड़े आईसिस को मिल गए थे ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">ओरिसिस के शरीर के टुकड़ों को लेकर आईसिस, मिस्र के देवता
अनुबीस और थोथ पास गई, जिन्होंने सभी टुकड़ों को जोड़ दिया और फिर ओसिरिस की लगभग ममीकृत
देह से लिपटकर, आईसिस ने देवताओं से यह
कामना की कि, उसके और ओरिसिस के एक संतान होना चाहिए । देवताओं के आशीष से इस
असंभव तरह की जोड़े बंदी से उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम होरस रखा गया
और जिसने सेठ से अपने पिता की हत्या का बदला लिया तथा सेठ की हत्या के बाद, मिस्र
का सम्राट बन कर सफलता पूर्वक शासन किया । कहते हैं कि, वास्तव में ओसिरिस,
उर्वरता और पुनर्जीवन का देवता था । उसकी मृत्यु के पश्चात भी यह मान्यता प्रचलित
रही कि, वह पाताल लोक और वहां के मृतकों का शासक था। जिसने नील नदी की बाढ़ और मिस्र
की प्रकृति को नवजीवन दिया था । जनधारणा यह भी है कि, मिस्र का हर एक व्यक्ति ओसिरिस
से जुड़ा हुआ था, क्योंकि मान्यता यह थी कि, ओसिरिस से जुड़कर, पुनर्जीवन पाया जा
सकता है, अतः ओसिरिस ना केवल मृतकों का राजा था, बल्कि उसे जीवित लोग भी मृत्यु
उपरांत जीवन के लिए पूजते रहे...</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">सामान्यतः भाई बहन के ब्याह को हम अनैतिक मानते हैं, किंतु
ओसिरिस और आईसिस जोकि, धरती और आकाश के देवता और देवी की संतान होने के नाते, सगे
भाई बहन थे। उन्होंने प्राथमिकता के साथ परस्पर
विवाह किया । देवी और देवता की संतान होने के नाते, वे दोनों ना केवल सगे भाई बहन
थे, बल्कि देवता और देवी तुल्य भी थे, जैसा कि, कथा के अंत में यह पता चलता है कि,
ओसिरिस अपनी मृत्यु के पश्चात् पाताल लोक के देवता के रूप में विख्यात हुआ । उसकी
मृत्यु वास्तव में अनैतिक यौन संबंधों के कारण हुई थी । सेठ ओरिसिस का निकट संबंधी
था लेकिन उसकी पत्नी से यौनाचार की सजा ओसिरिस को मिली । उसके लिए सेठ के मन में
अत्यधिक घृणा थी, इसलिए उसने ओसिरिस के क्षत-विक्षत शरीर के टुकड़े करते हुए पूरे मिस्र
में बिखेर दिया था और उसने मिस्र की सत्ता
पर अधिकार भी कर लिया था ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">दिवंगत ओसिरिस देव पुत्र था, किंतु उसकी मृत्यु हुई, अतः यह
मानना कठिन नहीं है कि, अमर कहे जाने वाले देवताओं की हत्या भी हो सकती है, अगर यह
कृत्य किसी अन्य देवता के द्वारा किया जाए तो । कथा से स्पष्ट होता है कि, सेठ भी,
उसका भाई था । एक तरह से देवपुत्र । जिसके पास ओसिरिस की हत्या करने के लिए, दो
कारण मौजूद थे । एक ओसिरिस का, उसकी पत्नी के साथ अनैतिक संबंध होना और दूसरा
मिस्र के शासन पर खुद का कब्जा कायम कर लेना ।उसने ओसिरिस की हत्या के पश्चात, उसके
अंग, मिस्र के हर छोर पर में बिखेर दिए थे । बदले की आग में झुलस रही,
संतानहीन,आईसिस सेना में भर्ती होने के बाद, मृत ओसिरिस की देह के टुकड़े ढूंढती
रही। लेकिन उसे, ओसिरिस का लिंग मिला ही नहीं । अतः यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है
कि, सेठ ने शरीर के अन्य अंगों की तरह से मिस्र की धरती पर ओसिरिस का लिंग फेंका ही
नहीं होगा, क्योंकि वह अपनी पत्नी के साथ ओसिरिस के यौन संबंधों से अत्यधिक क्रुद्ध
था ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">संभवत इसीलिए उसने, दूसरे अंगों की तरह से, लिंग को फेंका ही
नहीं और वह आईसिस को मिला भी नहीं । आगे की कथा यह है कि, ओसिरिस को देवताओं के
आशीर्वाद से, टुकड़े टुकड़े हुए शरीर की जगह में, एक ममीकृत शरीर मिलता है, जिसके
साथ लिपटकर, आईसिस एक पुत्र की कामना करती है और देवताओं से यह आशीष मांगती है कि,
उसे ओसिरिस से ऐसा पुत्र मिले जोकि उसकी हत्या का बदला चुका सके । यह कथन अजीब है कि,
मृत देह के संसर्ग से कोई बच्चा पैदा हो जाए । लेकिन यह विश्वास स्वभाविक है कि,
ईश्वर की कृपा से सब संभव हो सकता है । बहरहाल आईसिस को पुत्र के रूप में होरस का
मिलना और उसका युवा होना, फिर अपने पिता के हत्यारे सेठ की हत्या करना और स्वयं
मिस्र का सम्राट बन बैठना, बदले की आग में जलती हुई, आईसिस के संतोष का विषय हो
सकता है । ओसिरिस की मृत्यु के पश्चात प्रचलित यह मान्यता है कि, वह पाताल लोक का
देवता हुआ और मृतकों का आराध्य होने के साथ ही साथ मिस्र की जीवित जनता का भी
आराध्य रहा, क्योंकि वह उर्वरता और पुनर्जीवन का प्रतीक था ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">अतः जीवित जनसामान्य अपनी मृत्यु के उपरांत पाताल लोक या
मृत्यु लोक में अपने बेहतर जीवन की कामना के अधीन ओसिरिस की पूजा करते थे। यह विचार कि, मृत्यु के उपरांत कोई जीवन है ।
भारतीय परंपरा और जनविश्वास से साम्य रखता
है । हम यह मान सकते हैं कि, भाई बहनों के अनैतिक संबंध की कल्पना और मान्यता
हमारी नहीं है, किंतु मिस्र में इस तरह के संबंधों का प्रचलन सामान्य और सहज था । संतानों
की, उत्पत्ति, जीवन और पुनर्जीवन, देवताओं की कृपा पर भी निर्भर होता है, भले ही
पति पत्नी दैहिक संसर्ग में लीन ना भी हुए हों तो । यह धारणा हमारे चिंतन और हमारी
मान्यताओं के बेहद निकट है । अतः इस कथा को दु:खद कथा मानते हुए, हम हत्या के बदले
हत्या और देवताओं की पूजा की अनिवार्यता के तत्व को स्वीकार करते हैं और यह भी
मानते हैं कि, ओसिरिस, पुनर्जीवन, उर्वरता और मृत्यु लोक का देवता था, जिसकी संतान
ने अपने पिता की मृत्यु का बदला लिया और सिंहासन पर उसका, उत्तराधिकारी बन बैठा,
जैसा कि देवी आईसिस यानि, उसकी मां की कामना थी...</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-78147310831139537942023-07-03T20:30:00.003+05:302023-07-03T20:30:00.148+05:30अखनातन और नेफरटीटी<p align="center" class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-size: 12pt; text-align: justify;"> </span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">अखनातन मिस्र के फिरौन शासकों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण
किंतु विवादित सम्राट था । उसने अपने समय की सबसे खूबसूरत युवती नेफरटीटी से विवाह
किया था । अखनातन और नेफरटीटी के दरम्यान बेहद रूमानियत भरे ताल्लुकात थे ।
उनके पारस्परिक प्रेम और दैहिक नैकट्य का परिणाम था कि, नेफरटीटी से उसकी छै
पुत्रियों का जन्म हुआ । नेफरटीटी और अखनातन में, मिस्र के राजकाज और पदानुक्रम की
दृष्टि से लगभग समता का भाव था । अखनातन और नेफरटीटी, मिस्र के सर्वोच्च शासक होते
हुए भी, अपने घरेलू कार्य स्वयं करते थे, जैसे भोजन बनाना । इसके इतर उनके शौक में
गायन और नृत्य भी सम्मिलित था । कहते हैं कि, अखनातन पर नेफरटीटी का प्रेम सिर चढ़
कर बोलता था । नेफरटीटी मिस्र की सबसे
प्रसिद्ध रानी थी । ऐसा लगता है कि, अखनातन अपनी पत्नी को अत्यधिक प्रेम करता था
और उसकी पत्नी नेफरटीटी अपनी छै पुत्रियों के ऊपर अत्यधिक अनुरक्त बनी रहती थी ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">उसने अपने शासन काल में मिस्र के प्रचलित धर्म में अभूतपूर्व परिवर्तन
किया और तत्कालीन देवताओं को हाशिये पर रखते हुए, अपना ध्यान सूर्य देव एटन पर
केंद्रित किया और इस धार्मिक सुधार को मिस्र की जनता पर भी लागू कर दिया, जिससे
नील नदी के इस देश में खलबली मच गई । अक्सर
देखा जाता कि, अखनातन के दिन प्रतिदिन के जीवन में नेफरटीटी को इतनी अधिक स्वायत्तता
प्राप्त थी कि, कभी कभी वह सूर्य देव एटन की पूजा के बिना भी, अखनातन को प्रसाद दे
दिया करती थी । अखनातन ने तय किया कि, सूर्य देव एटन की पूजा, मिस्र की भावी पीढ़ी
की प्रजनन क्षमता और नवजीवन की अवधारणा है । उसके धार्मिक विचारों से एकेश्वरवाद
की झलक मिलती है । अखनातन का मानना था कि, वह राजा के रूप में धरती पर एटन का प्रतिनिधि
है और एटन के लिए कार्य करता है । इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि, उसके इस विचार को नेफरटीटी
का समर्थन प्राप्त था । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">मुमकिन है कि, अखनातन ने मिस्र में प्रचलित धार्मिक मान्यताओं
को इसलिए बदला हो कि, वो शाही परिवार में अपनी प्रिय पत्नी की सर्वोच्चता स्थापित
कर सके और उसे अपने समतुल्य होने का दर्जा दे सके क्योंकि, प्राचीन धार्मिक
मान्यताओं के साथ चलते हुए ऐसा करना संभव नहीं रहा होगा । बहरहाल इस प्रेम की उम्र
अधिक लम्बी नहीं रही क्योंकि अखनातन ने केवल सोलह साल राज किया और अल्पायु में ही
उसकी मृत्यु हो गयी । उसकी मृत्यु के बाद, नेफरटीटी को महिला शासक बतौर फिरौन का
दर्जा हासिल हो सकता था । लेकिन वह भी जल्द ही अपने पति, अपने प्रेमी अखनातन से जा
मिली । नि:संदेह इस कथा का नायक अखनातन अपनी पत्नी को अत्यधिक सम्मान देता था और
यही सफल दाम्पत्य जीवन का मूल मन्त्र है । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">मिस्र की बागडोर संभालते समय अखनातन और नेफरटीटी की उम्र
ज्यादा नहीं थी, लेकिन अखनातन, नेफरटीटी से अत्यधिक प्रेम करता था और उसने अपनी
प्रेयसी से ही विवाह किया । वह अपनी पत्नी को इतना ज्यादा प्यार करता था कि, उसके
अल्पकालिक राजकाज के दौरान ही उसकी छै पुत्रियों का जन्म हुआ । नि:संदेह अखनातन के
इस व्यवहार में प्रेम भी है और कामुकता भी । नेफरटीटी, अखनातन से उत्पन्न हुई
संतानों के प्रति अनुरक्त थी और वह उसके द्वारा किये जा रहे, धार्मिक क्रिया कलापों में सुधार की सशक्त समर्थक भी । उन दोनों में
पहले अखनातन और बाद में मिस्र की सबसे ज्यादा प्रसिद्ध रानी नेफरटीटी की मृत्यु हुई
। संभव है कि, नेफरटीटी अगर चाहती तो मिस्र की महिला फिरौन के रूप में राजपाट
संभाल सकती थी । उन दोनों प्रेमियों में सहजता और सरलता का समावेश था । वह अपने
दैनिक कार्य स्वयं करते यथा रसोइयों के बजाय अपना भोजन स्वयं तैयार करते । इसी
प्रकार से दरबारी संगीत के स्थान पर अपने ही गीत और नृत्य से लुत्फंदोज़ हुआ करते ।
</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">एक सामान्य विचार यह है कि अखनातन, नेफरटीटी से प्यार करता
था, वह उसे राजप्रसाद में सर्वोच्च स्थान देकर मिस्र की जनता के मध्य, यह संकेत
देना चाहता था</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: Calibri; mso-ascii-theme-font: minor-latin; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-hansi-font-family: Calibri; mso-hansi-theme-font: minor-latin;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">कि, नेफरटीटी, उसकी
प्रेमिका ही नहीं बल्कि उसकी वैचारिक मान्यताओं की सशक्त समर्थक भी है । कहते हैं
कि, उसने नेफरटीटी को सम्मान दिया, प्रेम दिया, जिसकी वह हकदार थी और मुमकिन है कि,
इसी धारणा के अंतर्गत उसने प्राचीन मिस्र के प्राचीन धर्म तथा देवी-देवताओं और
पुजारियों को हाशिये पर डालते हुए, धार्मिक मान्यताओं में आमूलचूल परिवर्तन कर
दिया । उसने स्वयं को एकेश्वरवादी धर्म का उपासक माना, जोकि सूर्य देव एटन की पूजा
को प्रधानता देता था । सूर्य देव जो मिस्र की जनता की प्रजनन क्षमता और नवजीवन के
लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण और एकमेव देवता है और अखनातन स्वयं धरती पर सूर्य देव का
प्रतिनिधि है ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">उसकी इस धारणा को उसकी पत्नी का समर्थन प्राप्त था और प्रतीत
होता है कि, प्राचीनतम धार्मिक मान्यताओं को चोट पहुंचाए बिना तथा लम्बी परंपरा से
मौजूद पुजारियों को हाशिये में डाले बिना, वह अपनी पत्नी को राजप्रमुख के समतुल्य
सम्मान नहीं दे पाता और ना ही राजसभा में उसकी उपस्थिति को स्थापित कर पाता । अतः उसने
अपने प्रेम के लिए, पुरानी धार्मिक मान्यताओं और उसके रूढ़िवादी समर्थकों को
किनारे कर दिया ताकि उसकी पत्नी स्वतंत्र रूप से उसके समकक्ष सम्मान पाए । बहरहाल
उनका प्रणय जीवन और उनकी सत्ता भले ही अल्पकालिक थी लेकिन प्रेम, अमर हो गया
क्योंकि वे एक दूसरे के लिए समादृत और वचनबद्ध थे । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"> </span></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-12638288060700192922023-07-03T00:30:00.013+05:302023-07-03T00:30:00.140+05:30ईस्टर<p align="center" class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">ईस्टर, प्रेम, कामुकता, राजनीति, सामाजिक न्याय</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">,<span lang="HI"> पर्यावरण, उर्वरता, अन्न भण्डार और युद्ध
की देवी है जोकि</span>,<span lang="HI"> मेसोपोटामिया की बहुदेववादी सभ्यता की सर्वाधिक महत्वपूर्ण देवी है । उसे शुक्र
तारे की देवी भी कहते हैं । वह चंद्रमा के देवता नन्ना और नरकट, सरकंडों की देवी निंगाल
की पुत्री है । देवता के रूप में पूज्य तम्मुज़ से उसका विवाह हुआ था । खूबसूरत और
युवा तम्मुज उर्वरता, प्रकृति में नवजीवन, वसंत और चरवाहों का देवता है । शुक्र की
देवी और वसंत के देवता के मध्य यह विवाह स्वभाविक था, किन्तु पति तम्मुज़ के साथ
आनंदमय समय गुजारते हुए, ईस्टर के दाम्पत्य जीवन में ग्रहण सा लग गया जबकि, उसके पति
तम्मुज को डाकुओं ने मार डाला और उसके निधन पर गहन शोक व्यक्त करते हुए जब ईस्टर,
पाताल लोक जाती है तो उसे, उसकी बहन देवी इरिश्कगाल द्वारा मार दिया जाता है । ईस्टर
और तम्मुज़ के दरम्यान गहरी मुहब्बत तो थी, लेकिन तम्मुज़ के अनुयायियों का मानना था
कि, ईस्टर, अपनी बहन इरिश्कगाल के द्वारा मारी नहीं गयी थी बल्कि, वो सहज ही पाताल
लोक गयी थी, जहां उसकी युद्ध आकांक्षा, राजनीतिक चातुर्य सह अन्यान्य कारणों से
सशंकित, इरिश्कगाल ने उसे बंदी बना लिया था । </span></span></p><p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><span lang="HI">ईस्टर लम्बे समय तक बंदिनी की स्थिति
में नहीं रहना चाहती थी, इसलिए पाताल लोक से, देव लोक में आने से पहले, अपनी सकुशल
वापसी और पुनरुत्थान के नाम पर, अपने पति तम्मुज़ को बलि के रूप में पेश करती है । इन
हालात में वह या तो डाकुओं द्वारा मारे गए तम्मुज़ की विधवा है या स्वयं की रिहाई की
ख्वाहिश के लिए, अपने पति तम्मुज का बलिदान करने वाली स्त्री । तम्मुज की मृत्यु
के फ़ौरन बाद वह मेसोपोटामिया के नायक तुल्य गिलगमेश से अपने ब्याह की पेशकश करती
है, लेकिन गिलगमेश, उसकी बेइज्जती करता हुआ, उससे ब्याह करने से इंकार कर देता है ।
अपनी बेइज्जती और तिरस्कार से तिलमिलाई हुई ईस्टर, गिलगमेश की हत्या के लिए स्वर्ग
के बैल को भेजती है, जिससे गिलगमेश का प्रिय साथी, एन्किडु मारा जाता है । कथानुसार
ईस्टर झंझावात की देवी भी है, जिसे प्यार करने में उतना ही आनंद आता है, जितना कि
युद्ध करने में, उसके पास सभी महान दिव्य शक्तियां हैं और वह स्वयं को, स्वर्ग के
पवित्र सिंहासन के योग्य मानती है ।</span></span></p><p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><span lang="HI">वो अपने सौंदर्य से अभिभूत करने वाली किन्तु असहमति
या क्रोध के समय,भयंकर देवी है,जो सात शेरों पर चढ़कर युद्ध करती है । वह
बुद्धिमान भी है और राजनीतिक तौर तरीकों से अपने विरोधियों को पछाड़ने में सक्षम
भी । वो जानती है कि, शताब्दियों के बाद दुनिया में उसका वर्चस्व क्षीण हो जाएगा,
लेकिन प्रेम की देवी के रूप में वह दुनिया की स्त्रियों और पुरुषों के दिलों और
देहों में हमेशा हमेशा राज करेगी । एक सामर्थ्यशील देवी के रूप में मेसोपोटामिया
में उसके अनेकों मंदिर हैं, जहां पर पुजारी, विवाह संस्कार के लिए ईस्टर की पूजा
करते हैं और संतानहीन लोग, उसका आशीर्वाद लेने आते हैं, भले ही और वो स्वयं एक
अच्छी पत्नी सिद्ध नहीं हुई किंतु उसे प्रेम और सहवास की प्रथम देवी माना जाता है ।
जो तम्मुज़ की मृत्यु के फ़ौरन बाद गिलगमेश से नए तरीके से ब्याह करने तैयार हो जाती
है ।</span><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">यह आख्यान वर्तमान इराक की दजला और फरात नदियों की भूमि पर
हजारों साल पहले मौजूद सभ्यता के बहुदेवता वाद की कथा है । जिसकी नायिका ईस्टर, चांद
के देवता और धरती पर सरकंडों की देवी की संतान है । वो एक ही समय में भयंकर, युद्ध
पिपासु और क्रूर दिखने वाली देवी है तो उसके समानांतर प्रेम, सहवास और उर्वरता की
बेहद खूबसूरत देवी है । इस आख्यान से ईस्टर के दैवीय रूपों की विविधता आश्चर्य
चकित करती है, जहां वो अपने सुन्दर पति तम्मुज़ से अटूट प्रेम करती है, वहीं पाताल
लोक से अपनी मुक्ति के नाम पर तम्मुज़ की बलि चढाने से भी नहीं चूकती । सामान्य तौर
पर यह माना जाता है कि, ईस्टर के पास केवल प्रेम और कामुकता सह उर्वरता मात्र की
शक्तियां थीं किन्तु समय के साथ जन मानस में यह विश्वास गहरा गया कि, उसके पास
युद्ध, राजनीतिक चातुर्य, पर्यावरण, न्याय और अन्न भंडारण की शक्तियां भी मौजूद
हैं । आख्यान से यह धारणा प्रबल होती है कि, प्रेम की देवी कालांतर में युद्ध और
संहार की देवी भी बन जाती है । उसके सामर्थ्य का विस्तार मानव जीवन को प्रभावित
करने वाले बहुआयामों में दिखाई देने लगता है ।</span></p><p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">जन समुदाय उसे, प्रथम दृष्टया, प्रेम
और संतानों के लिए, पूजता है तथा उसकी अन्यान्य शक्तियों से भयभीत भी रहता है। इस
कथा का एक दिलचस्प पहलू ये है कि, प्रेम, सहवास और उर्वरता को लेकर वो ग्रीक देवी
अफरोडाइट जैसी दिखती है। अफरोडाइट की तरह से वो भी शुक्र तारे की देवी गोया वीनस
है । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-size: 12pt;">कथा में देवताओं और देवियों के मध्य ईर्ष्या द्वेष और एक
दूसरे को पीछे छोड़कर, ज्यादा से ज्यादा अधिकार पा लेने की होड़ दिखाई देती है,
जिसका उदाहरण ये है कि, स्वयं ईस्टर की बहन इरिश्कगाल उससे सशंकित है और उसे सहज
मिलन के दौरान बंदी बना लेती है और उसे तब मुक्त करती है, जब वो अपने पति तम्मुज़
के प्राण वहां गिरवी रख देती है । तम्मुज़ से उसे प्रेम था लेकिन तम्मुज़ की याद में
विरह के लम्बे समय को गुज़ारने के बजाय, वो दूसरे ब्याह आकांक्षा रखती है और
मेसोपोटामिया के नायक गिलगमेश द्वारा उसका प्रणय निवेदन ठुकराए जाने से इतना
क्रुद्ध हो जाती है कि, वह उसकी हत्या का प्रयास भी करती है । </span></p><p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-size: 12pt;">स्पष्ट है कि, बतौर
देवी उसका व्यक्तित्व, चिंतन और व्यवहार धरती के साधारण नश्वर मनुष्यों के जैसा
है, लगभग यही स्थिति इरिश्कगाल की भी है । अतः देवी देवताओं को मनुष्यों की मानस
संतान माने जाने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है । कम-ओ-बेश यही बात देवी अफरोडाइट के
प्रकरण से भी मुखरित हुई थी । कहने का आशय यह है कि, चाहे ग्रीक देवी देवता हों या
मेसोपोटामियाई देवी देवता वे सभी आचरण और चिंतन में नश्वर मनुष्यों से भिन्न नहीं
है । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-size: 12pt;">इस आख्यान में युद्ध की देवी के रूप में, युद्ध के समय, ईस्टर का रौद्र रूप
और सात बड़े शेरों की सवारी का कथन, भारतीय परिदृश्य में सिंहों पर आरूढ़ देवी की
छवि से अद्भुत साम्य रखता है । यानि कि मेसोपोटामियाई देवी का उल्लेख भारतीय
दृष्टान्तों के जैसा । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-size: 12pt;">यह कथा देवी ईस्टर के बढ़ते, सामर्थ्य विस्तार, प्रभाव, समानांतर
सुन्दरता और रौद्र रूप , प्रेम और हिंसा, स्वयं की मुक्ति के लिए पति की बलि,
दूसरे ब्याह की तत्परता, अवसरवादिता, संसार में अन्न और पर्यावरण की बेहतर स्थिति,
जैसे विरोधाभासी, कथनों से भरी पड़ी है ।</span></p><p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-size: 12pt;">कहते हैं कि, देवी ईस्टर को यह भान था कि,
देर सवेर जनमानस पर उसका प्रभाव, क्षीण होता जाएगा, किन्तु वह प्रेम, कामुकता,
उर्वरता और युद्ध प्रियता के हवाले से धरती पर हमेशा मौजूद रहेगी और धरती पर धर्म
और संस्कृति को सदैव प्रभावित करती रहेगी । फिलहाल दुनिया के हर छोर में प्रेम है,
बलात्कार भी, युद्ध और घृणा सह धर्म और संस्कृति नामित, भयावह पुनरुत्थानवाद भी,
जो समय के कैनवास को नूर से बेनूर करता चलता है, और धरती के लोग देखते हैं, मुड़
मुड़ कर... </span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"> </span></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-61909379269403334802023-07-02T20:49:00.000+05:302023-07-02T20:49:13.422+05:30सस्सी पुन्नू <p align="center" style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">सस्सी के जन्म के बाद ज्योतिषियों ने कहा था कि सस्सी जवान
होकर, अपने खानदान की इज्जत मिट्टी में मिला देगी </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। उस
वक्त </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">उसकी अजीब-ओ-गरीब मुहब्बत के किस्से से शाही खानदान शर्मसार हो जाएगा </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;"> सस्सी के पिता भम्बूर के राजा थे, ज्योतिषियों के कथनानुसार सस्सी को
अभिशापित मानकर, उन्होंने सोचा कि सस्सी को मार दिया जाए, बाद में अपने दरबारियों
और परिवार के परामर्श से, सस्सी को सोने से भरे संदूक में रखकर सिन्धु नदी में बहा
दिया </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;"> संयोग से वो संदूक एक धोबी के हाथ लग गया और उसने,
मौजूद खूबसूरत बच्ची को अपनी पुत्री की तरह से पालना तय किया </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। सस्सी जैसे जैसे जवान हुई उसके चन्द्र परी मानिंद हुस्न की ख्याति दूर दूर
तक फ़ैल गयी । इसी दरम्यान किसी सौदागर ने भम्बूर के वृद्ध हो चले राजा को धोबी की
पुत्री सस्सी की खूबसूरती के किस्से बताये तो उसने धोबी के घर सस्सी से खुद के
ब्याह का प्रस्ताव भेज दिया । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">ब्याह की बातचीत के दौरान धोबी ने राजा को यह किस्सा बताया
कि, वो उसे नदी में बहते हुए एक संदूक में मिली थी । उसने राजा को वो हार भी
दिखाया जो, नन्हीं सस्सी ने उस वक्त पहना हुआ था । ताबीजनुमा उस हार को देखकर,
राजा बेहद शर्मिन्दा हुआ, उसे याद आ गया कि सस्सी उसकी ही पुत्री है । अब राजा
अपने ब्याह के प्रस्ताव को लेकर बहुत लज्जित था । वो अपने कलंकित व्यवहार के
प्रायश्चित स्वरूप, अपनी पुत्री को महल वापस लाना चाहता था । लेकिन सस्सी ने महल जाने से साफ़ इनकार कर दिया ।
वो अपने पालक पिता के परिवार में ही रहना चाहती थी । उसे अपने बचपन में, जैविक
पिता द्वारा किया गया व्यवहार अस्वीकार्य था । बहरहाल राजा ने धोबी के घर को ही एक
महल में तब्दील कर दिया ताकि उसकी पुत्री उससे माफ़ कर दे और खुशहाल रहे । एक रोज
वहां से गुज़र रहे काफिले में से किसी के पास पुन्नू की तस्वीर थी जिसे देखकर सस्सी
अपना दिल हार बैठी वो पुन्नू को पाना चाहती थी । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">पुन्नू असल में बलोच था और उसके पिता मीर होथ खान मकरान की
छोटी सी रियासत के राजा थे । पुन्नू ने सौदागरों से सस्सी की ख़ूबसूरती के किस्से
सुने और वह सस्सी से मिलने उसके घर जा पहुंचा हालांकि उसे यह पता नहीं था कि,
सस्सी भी उसे चाहती है । पुन्नू ने जैसे ही सस्सी को देखा । वो उसका दीवाना हो गया
। उसने सस्सी से ब्याह के लिए धोबी से मनुहार की । पहले धोबी ने कहा कि पुन्नू को
धोबी बनकर उसके ही घर पर रहना होगा । बाद में अपनी पुत्री सस्सी की चाहत का ख्याल
कर वो इस रिश्ते के लिए सहमत हो गया । उधर पुन्नू के भाइयों को यह रिश्ता पसंद
नहीं था वे शादी में शामिल तो हुए लेकिन उन्होंने पुन्नू को इतनी शराब पिला दी कि,
वो बेसुध हो गया और वे लोग उसे लेकर अपने घर वापस चले गए । ये खबर सुनकर परेशान
हाल, सस्सी किसी भी सूरत, पुन्नू को पाना चाहती थी सो वो अपने माता पिता के समझाने
के बावजूद, पैदल ही पुन्नू को ढूंढने निकल पड़ी ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"> रेगिस्तान की तपिश
में उसके पैर झुलस गए । उसके ओंठ खुश्क थे पर उन पर सिर्फ पुन्नू का नाम था । उसे
पुन्नू के घर जाना था पर वो, रास्ता नहीं जानती थी । उसने भेड़ और ऊंट चराने वाले
चरवाहे से मदद मांगी पर चरवाहे की नीयत ख़राब हो गयी, सस्सी बड़ी मुश्किल से उससे
अपनी जान बचा कर भागी । उसके सामने रेगिस्तान था । आंधियां थीं । भयानक गर्मी थी
और भटकाव था । अगर नहीं था तो पुन्नू । उसने ईश्वर से दुआ की कि, मेरा सब्र ख़त्म
हुआ । अब और नहीं सह सकती, मेरी जान ले लो । फिर रेगिस्तान उसे लील गया । उधर
पुन्नू जब शराब के नशे से आज़ाद हुआ तो पागलों की तरह से सस्सी के गांव की तरफ भागा
रास्ते में उसे चरवाहा मिला, उसने पुन्नू को बताया कि, सस्सी रेगिस्तान में दफन हो
गयी है । शोकाकुल पुन्नू वहीं ठहर गया, उसकी ज़िन्दगी में अब कोई आस बाकी नहीं थी ।
उसने विलाप किया और रेगिस्तान की गर्म रेतीली आंधी उसे भी उसी जगह दफ़न कर गयी । </span><span lang="EN-IN" style="color: red; font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 13.5pt; line-height: 115%; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-font-size: 12.0pt; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">यह कथा सिंध और बलूचिस्तान की रियासतों की दूरियों को नापती
एक दुखांत प्रेम कथा है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">जिसे सिंध के सूफी कवि शाह अब्दुल लतीफ भिटाई ने कहा
है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">कथा के अनुसार सिंध की छोटी सी रियासत भम्बूर का राज
परिवार, अंधविश्वास का शिकार है और वह ज्योतिषियों की कथित भविष्यवाणी से परेशान
है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। वो </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">अपनी नवजात पुत्री को जान से मार देने और नदी में बहा देने में से दूसरा विकल्प चुनता
है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">संदूक में, सोने के साथ, नन्ही सी पुत्री भी है, जो
सिंध नदी में बहती हुई, एक धोबी को मिल जाती है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">बच्ची बेहद खूबसूरत है और धोबी उसे
पालना चाहता है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">विकल्प के तौर पर उसे संदूक में सोना भी मिल गया है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">अगर हम सांकेतिक रूप से सोचें तो कथा का पालक पिता, धोबी, धोता है कदाचित पाप दूसरों के </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">मैल दूसरों का </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">यहां भी उसने धोया, अंधविश्वास भम्बूर के राजा का </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">यह एक अजीब सी कथा है, जिसमें बच्ची का नाम सस्सी
यानि कि शशि रखा जाता है अर्थात चांद जैसी </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">वह बच्ची धोबी के घर में पाली जाती
है और जवान होते होते,उसके सौंदर्य के चर्चे दूर-दूर तक फैल जाते हैं </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">सस्सी के युवा होने तक भम्बूर का राजा जो प्रौढ़ावस्था को
पार कर, वृद्धावस्था की दहलीज पर है, लेकिन उसकी यौन पिपासा, उसमें अब भी शेष है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">वह धोबी के घर, अपने विवाह का प्रस्ताव भेजता है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">।
चर्चा के दौरान यह जानकर कि, </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">सस्सी उसकी अपनी पुत्री है, जिसे उसने, बचपन में त्याग
दिया था </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">वह शर्मिंदा है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">खासकर अपने विवाह के प्रस्ताव को
लेकर </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;"> वह अपनी पुत्री को वापस भम्बूर ले जाना चाहता है,
लेकिन सस्सी अपने पिता के व्यवहार से क्षुब्ध है और शर्मिंदा भी </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">वह इस प्रस्ताव को ठुकरा देती है और अपने जैविक पिता के बजाये अपने पालक पिता
के यहां रहना पसंद करती है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">चूंकि भम्बूर का राजा करनी का प्रायश्चित करना चाहता
है, तो वह धोबी के घर को एक शानदार महल के रूप में तब्दील कर देता है, ताकि उसकी पुत्री
सुख चैन से रह सके </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। फिर ये </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">कथा कुछ इस तरह से आगे बढ़ती है कि, धोबी के महल के
सामने से सौदागरों के काफिले गुजरते हैं और उनके पास पुन्नू की तस्वीर है, जिसे
देखकर सस्सी मुग्ध हो जाती है, वह पुन्नू को पाना चाहती है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">पुन्नू जोकि मकरान की रियासत और
बलोच मूल का सुंदर युवा है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">पुन्नू को सस्सी के बारे में उड़ती उड़ती खबरें मिली हैं कि,
वह बहुत खूबसूरत है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। ऐन </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">परियों के जैसी </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">वह सस्सी को देखने के मकसद से अपनी रियासत से सस्सी के घर जा
पहुंचता है और उसे देखकर हतप्रभ रह जाता है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">उसके प्यार में सम्मोहित सा </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">सस्सी, पन्नू से पहले ही प्रेम कर बैठी थी अतः उसे इस रिश्ते से इंकार नहीं था,
लेकिन पुन्नू की राजसी पृष्ठभूमि से आशंकित धोबी पुन्नू के ब्याह के प्रस्ताव को
स्वीकार करने की शर्त रखता है कि, पुन्नू को धोबी की तरह जीवन व्यतीत करना होगा,
लेकिन बाद में वह मान जाता है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">हालांकि पुन्नू के भाई इस रिश्ते से नाखुश है कि,
पुन्नू एक राजसी परिवार को छोड़कर, एक साधारण से धोबी की पुत्री से ब्याह करे, लेकिन
उनके सामने कोई विकल्प नहीं था, तो वे, ब्याह
की रस्मों में शामिल होकर पुन्नू को इतनी शराब पिलाते हैं कि, पुन्नू बेसुध हो जाता
है और वे मदहोश पुन्नू को वापस मकरान ले जाते हैं, जिससे दुखी सस्सी, पुन्नू को पाने
के ख्याल से, उसकी रियासत में जाना चाहती है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">वो पुन्नू को ढूंढना चाहती है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">उसके पालक माता-पिता उसे समझाते हैं कि, रास्ते में
रेगिस्तान है और बेपनाह कठिनाइयां है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">लेकिन सस्सी प्रेम के लिए सारी
कठिनाइयों का सामना करने के लिए तैयार है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">वह रेगिस्तान में झुलसती है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">वह प्यासी है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">भटकती है</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;"> किसी चरवाहे से सहायता की कामना करती है, लेकिन
चरवाहा अंततः मर्द है जो भटकती हुई युवती के साथ अपनी यौन लिप्सा को शांत करना
चाहता है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">सस्सी उससे बचकर तो भाग निकलती है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">पर, रेगिस्तान उसका नसीब है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">वह भटकते भटकते अपना धीरज खो बैठती है और ईश्वर से प्रार्थना
करती है कि, उसके भटकाव का अंत कर दे </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। अब </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;"> ईश्वर ने उसकी दुआ सुनी या नहीं, कह नहीं सकते
पर रेगिस्तान उसकी गुहार सुन लेता है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">उधर पन्नू शराब के नशे से जैसे ही
होश में आता है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">वह सस्सी की तलाश में उसके गांव की तरफ भागता है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">उसे राह में मिला एक चरवाहा कहता है कि, सस्सी को रेगिस्तान निगल गया है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। हताश और स्तब्ध, पुन्नू </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">अपनी प्रियतमा की रेतीली समाधि में स्वयं भी
समाधिस्थ होने निश्चय कर लेता है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">अंततः पुन्नू भी अपने प्रेम को, जलते हुए रेगिस्तान में पा
लेता है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">गर्म और रेतीली आंधियां उसे, सस्सी के पास दफन कर
देती हैं </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">कथा का सार यह है कि, लड़कियां चाहे कितनी भी खूबसूरत
हों, अंधविश्वास उनका जीवन दूभर कर देता है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;"> अगर वे साधारण परिवार की हों, तो कुलीन परिवार
उनके रिश्तो को सहज ही स्वीकार नहीं करते </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">प्रेम के मार्ग में रेत की आंधियां
आती है और कदाचित आती ही रहेंगी </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; line-height: 115%; mso-ansi-font-size: 13.5pt; mso-ansi-language: EN-IN; mso-bidi-language: HI;">इस कथा के इश्क की तपिश, रेगिस्तान की तपिश के इतर, आज
दिन तक, चाहने वालों को हौसले देती है,भले ही यह कथा दुःख पर समाप्त हुई हो </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt;"><o:p> </o:p></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-6880522924431483702023-07-02T00:30:00.009+05:302023-07-02T00:30:00.144+05:30मोमल रानो<span face="'Arial Unicode MS', sans-serif" lang="HI" style="color: #0071ff; font-size: 13pt; line-height: 115%;"><p align="center" style="line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></p><p style="background: white; line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span lang="HI" style="border: 1pt none windowtext; font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; padding: 0in;">मोमल राठौर
जैसलमेर के लोद्रवा नाम की रियासत की राजकुमारी थी </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif";">।<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;"> जिसका शानदार महल काक नदी के
किनारे निर्मित था </span>।<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">
उसके महल के बारे में यह मशहूर था कि, वहां पर जादुई शक्तियां वास करती हैं </span>।<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;"> तब मोमल अपनी बहनों, सखियों और सेविकाओं
के साथ उस महल में रहती थी </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">उन्हीं दिनों राणा महेंद्र सोधा सिंध की एक
रियासत अमरकोट के युवा महाराज थे </span>।<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;"> जिनके साहस और शौर्य की प्रशंसा
उनके शत्रु भी करते थे </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">अमरकोट,
लोद्रवा से लगभग </span></span><span style="border: 1pt none windowtext; font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; padding: 0in;">100
</span><span lang="HI" style="border: 1pt none windowtext; font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; padding: 0in;">कोस की दूरी पर होगा </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif";">। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">कहते हैं कि, एक बार राणा
महेंद्र सोधा अपने युवा बहनोई हमीर के साथ शिकार करते हुए भटक गए और वह काक नदी के
किनारे खूबसूरत महल देखकर आश्चर्यचकित हो गए </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">उन्होंने सोचा कि, इस महल में
आराम किया जा सकता है इसलिए इसे अन्दर जाकर देखना चाहिए, तभी महल के अन्दर से आवाज
आई कि, एक समय में एक ही आदमी महल के अंदर आ सकता है </span>।<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;"> चूंकि हमीर बड़े थे, तो अन्दर
जाने का पहला अवसर उनके हिस्से आया </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">जब वह महल में घुसे तो उन्होंने
वहां पर एक बाघ और एक सांप को देखा और आशंकित होकर वापस लौट आए </span>।<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;"> उन्हें लगा कि, महल में जादू है
और अंदर चुड़ैलें रहती होंगी </span>।<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;"> </span></span><span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;"><o:p></o:p></span></p><p style="background: white; line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span lang="HI" style="border: none windowtext 1.0pt; font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI; mso-border-alt: none windowtext 0in; padding: 0in;">इसके बाद
राणा महेंद्र सोधा महल में घुसे और उन्होंने बाघ को देख कर, उस पर भाला चलाया तो
उन्हें पता चला कि वह खाल में भूसा भर के तैयार किया हुआ नकली बाघ था और फिर राणा
महल के अंदर जा पहुंचे,</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"> <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">तथा
खूबसूरत राजकुमारी मोमल को देखकर मुग्ध हो गए </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">राणा खुद भी एक खूबसूरत युवा थे,
तो उन्हें देखकर मोमल भी उन पर आसक्त हो गई और इस तरह से वो दोनों एक दूसरे के
इश्क में मुब्तिला हो गए </span>।<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">
अब हुआ यह कि, हर शाम राणा एक तेज रफ्तार ऊंट पर बैठकर अमरकोट से लोद्रवा आया करते
और रात भर मोमल के पास रहकर, बड़ी सुबह अमरकोट लौट जाया करते </span>।
राणा की <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">पहले
भी कई शादियां हो चुकी थीं </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">जब उनकी रानियों को यह पता चला कि, राणा, रात भर
मोमल के पास रहते हैं तो उन्होंने, ईर्ष्यावश उस ऊंट की पैर तोड़वा दिए, जिस पर
बैठकर राणा, हर रात मोमल के पास पहुंचते थे </span>।<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;"> उस शाम राणा ने ऊंट के विकल्प
के तौर एक तेज रफ्तार ऊंटनी का प्रबंध किया, लेकिन ऊंटनी लोद्रवा के रास्ते से
अपरिचित थी तो उसकी रफ़्तार काम नहीं आई और राणा बहुत देर तक भटकने के बाद ही मोमल
के महल में पहुंच पाए </span>। </span><o:p></o:p></p><p style="background: white; line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">उस शाम
मो<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">मल और उसकी बहन, सखियां और
सेविकायें, पुरुष वेश में एक दूसरे के साथ खेल रही थीं, अभिनय कर रही थीं </span>।
चूंकि <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">राणा
उस रात बहुत देर तक महल में पहुंचे ही नहीं थे </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">तो मोमल की पुरुष वेशधारी बहन,
मोमल के साथ ही सो गई और जैसे ही राणा वहां पहुंचे </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">उन्होंने किसी पुरुष को मोमल के
साथ सोते हुए देखा तो उन्हें गहरा आघात पहुंचा उन्हें लगा कि मोमल बेवफा है और वो
वहां से वापस अमरकोट लौट गए </span>।<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;"> मोमल को सुबह अंदाज हुआ कि, घटना किस तरह से
घटी होगी तो वो राणा को मनाने के लिए लोद्रवा से अमरकोट पहुंच गई </span>।
<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">राणा को भी लगा कि, मोमल, मासूम
हो सकती है, फिर भी वह अपने इश्क का इम्तहान लेना चाहते थे </span>।<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;"> उन्होंने अपने नौकर के माध्यम
से मोमल को ये सन्देश भेजा कि राणा को काले नाग ने डस लिया है और उनकी मृत्यु हो
गई है </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">यह
खबर सुनते ही मोमल हृदयाघात से मर गई और मोमल की अयाचित मृत्यु का समाचार पाकर
राणा महेंद्र, रेगिस्तान में पागलों की तरह भटकते हुए मर गए </span>।<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;"> </span></span><span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;"><o:p></o:p></span></p><p style="background: white; line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span lang="HI" style="border: none windowtext 1.0pt; font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI; mso-border-alt: none windowtext 0in; padding: 0in;">यह कथा
भारत में विभाजन की रेखा खींचे जाने से पहले के सिंध की रियासत अमरकोट के युवा
महाराज और जैसलमेर की लोद्रवा रियासत की राजकुमारी मोमल के प्रेम की दु:खांत कथा
है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">इस
कथा को सिंध के सूफी कवि शाह अब्दुल लतीफ भिटाई ने लिखा था और इस कथा के अनुसार तब
की छोटी छोटी रियासतों में या तो जमीन और स्त्रियों को लेकर युद्ध होते थे या
संयोगवश ऐसे प्रेम जैसा राणा और मोमल के दरम्यान हुआ </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि, वह
समय स्त्री बहुगामिता का समय था और राणा मोमल से प्रेम करने से पहले ही कई
पत्नियों का पति था </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">इसके
बावजूद वह मोमल के प्रति आसक्त हुआ इसके बरक्स संभव है कि, मोमल को राणा की पूर्व
पत्नियों का संज्ञान ना रहा हो </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">हालांकि कथा कहती है कि, मोमल प्रथम दृष्टया ही
राणा की मोहब्बत में गिरफ्तार हो गई थी </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">यह अजीब बात है कि, राणा सैकड़ों
कोस दूर से एक तेज रफ़्तार ऊंट के भरोसे मोमल के महल पहुंचता और रात भर मोमल के साथ
रहता है फिर अलसुबह, अमरकोट लौट जाया करता
है </span>।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p><p style="background: white; line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span lang="HI" style="border: none windowtext 1.0pt; font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI; mso-border-alt: none windowtext 0in; padding: 0in;">हम यह
निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि, नायिका मोमल से उसका रात्रिकालीन सामीप्य, सानिध्य
मनः प्रेम के साथ दैहिक भी था, जिसमें अपनी नई नवेली प्रिया के साथ रात बिताना
राणा के लिए अपरिहार्य हो गया होगा, भले ही उसके पास पहले से ही कई रानियां थी </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">जिनके
साथ वो अपनी देह की मांग को पहले भी पूरी करता रहा होगा </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">इसके बावजूद वह अपनी ब्याहता
पत्नियों को छोड़कर, एक अन्य खूबसूरत युवती के मोहपाश में बंध गया था, जो कि उसकी
ब्याहता पत्नी भी नहीं थी </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">तो मोमल और राणा की प्रेम कथा, विवाहेत्तर प्रेम
की कथा भी है, जहां नायक, नायिका से ब्याह किए, बगैर केवल रात के अंधेरे में उससे
मिलता है और भोर होने से पहले अपनी रियासत लौट जाता है </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">कुछ अर्थों में इस प्रेम को
अनैतिक भी माना जा सकता है और नैतिक केवल इस अर्थ में कि, जिसके हाथ में शक्ति होती
है, वह कितनी भी स्त्रियों से संबंध रख सकता है, चाहे ब्याह के माध्यम से या बिना
ब्याह के </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">इस
कथा में एक आश्चर्यजनक घटना यह हुई कि, राणा अपनी पत्नियों की ईर्ष्या के कारण
अपने ऊंट को खो बैठा है और ऊंटनी के माध्यम से लोद्रवा पहुंचने की उसकी कोशिश
नाकाम तो नहीं हुई लेकिन भटकाव का शिकार जरूर हो गई </span>। लोद्रवा में
<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">राजकुमारी मोमल, उसकी बहन, सखियां
और सेविकायें हैं </span>। जो <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">मनोरंजन
की गतिविधि के अंतर्गत पुरुषवेश धारण करते हैं </span>।<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;"> अभिनय करते हैं </span>।
<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">चूंकि वे सब थक कर चूर हो गए हैं
और राणा अपने भटकाव के चलते महल में पहुंचा ही नहीं है, तो मोमल और पुरुषवेश धारी
युवती का एक साथ सोना, देर से पहुंचे राणा को खटक जाता है क्योंकि प्रेम ने उसकी
सोच समझ और बुद्धि हर ली थी </span>।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p><p style="background: white; line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span lang="HI" style="border: none windowtext 1.0pt; font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI; mso-border-alt: none windowtext 0in; padding: 0in;">उसे मोमल
से बात करना चाहिए थी, किंतु वह एक दुर्बल मन: प्रेमी की तरह से अपनी प्रियतमा पर
अविश्वास कर बैठा और वहां से लौट गया </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; mso-bidi-language: HI;">। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">मोमल ने इस घटनाक्रम को समझ लिया
था, इसीलिए वह अपने प्रेमी के राज्य में, उसे मनाने के लिए जा पहुंचती है </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">लेकिन राणा उसकी मोहब्बत का
इंतिहान लेना चाहता है </span>। वो<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;"> अपने नौकर के माध्यम से मोमल को यह संदेश देता
है कि, उसे सांप ने डस लिया है और वह मर गया है </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">यह सुनकर पूर्ण रूपेण प्रेम
समर्पिता, मोमल हृदयाघात से मर जाती है </span>। कदाचित इसके बाद राणा को
<span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">अपने कथित इम्तहान और शक के
बेबुनियाद होने का एहसास हुआ होगा </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">इसीलिए वह मोमल के लिए रेगिस्तान
में भटका और अपने प्राण गंवा दिए </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">कहते हैं कि, प्रेम को, एक दूसरे
पर विश्वास होना चाहिए अन्यथा वह नायक नायिका को हमेशा हमेशा के लिए एक दूसरे से
जुदा कर देता है </span>। <span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;">इस
घटना में मोमल तुलनात्मक रूप से निर्दोष प्रतीत होती है और नायक अपनी पुरुषवादी,
एकाधिकारवादी शंकालु प्रवृत्ति का शिकार हो गया है अन्यथा वह अपनी प्रियतमा को
खोकर स्वयं के लिए मृत्यु के द्वार नहीं खोलता...</span></span><span style="border: 1pt none windowtext; padding: 0in;"><o:p></o:p></span></p><p style="background: white; line-height: 115%; margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph; vertical-align: baseline;"><span style="border: 1pt none windowtext; font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; padding: 0in;"><o:p> </o:p></span></p></span>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-60529607325786115062023-07-01T20:30:00.008+05:302023-07-01T20:30:00.141+05:30रुदाबा और ज़ाल<p align="center" class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">वर्षों पहले पर्सिया में सैम नाम का एक बहादुर योद्धा रहता जोकि
संतानहीन था । उसने ईश्वर से प्रार्थना की कि, वह उसे और उसकी सुन्दर पत्नी को संतान
का उपहार दे । कुछ अर्से के बाद उसकी पत्नी गर्भवती हो गई और उसने एक पुत्र को
जन्म दिया जो स्वस्थ तो था, लेकिन उसकी त्वचा और बालों की रंगत दूध जैसी सफेद थी ।
जब सैम ने अपने पुत्र को देखा तो उसे ईश्वर के ऊपर बहुत गुस्सा आया । उसे लगा कि, ईश्वर
ने उसे पुत्र के बजाये दंड दिया है, इसलिए उसने ज़ाल नामित पुत्र से छुटकारा पाने
का निर्णय लिया और उसे अलबुर्ज नाम के पहाड़ की चोटी पर मरने के लिए छोड़ आया । वहां
पर सिमोर्घ का नाम का सुंदर, विशाल और बुद्धिमान पक्षी, घोंसला बनाकर रहता था । उसने
शिशु ज़ाल को उठाया और अपने घोंसले में ले जाकर अपने चूजों को खिलाने की बात सोची, लेकिन
उसे बच्चे की सूरत देखकर, उस पर दया आ गई और उसने ज़ाल को गोद ले लिया और अपने घोंसले
में रखकर पालने लगा ।<o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">कुछ साल बीते और ज़ाल एक सुंदर युवक बन गया, अलबुर्ज पहाड़
पर जाने वाले लोगों ने उसकी एक झलक देखी थी, जिसकी खबरें सैम तक पहुंची, लेकिन
उसने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया । फिर एक रोज उसने सपना देखा कि कोई व्यक्ति
उससे कह रहा है कि, तुम्हारे घर एक सुंदर पुत्र का जन्म हुआ है । सैम ने जागते ही
बुद्धिमान सलाहकार से अपने सपने का अर्थ पूछा, तब सलाहकार ने बताया कि, दुनिया में
सभी तरह के जीव जंतु अपने बच्चों को प्यार करते हैं, चाहे वह कैसे भी दिखते हों, लेकिन
तुमने अपने पुत्र को इसलिए छोड़ दिया कि,उसके बाल और त्वचा की रंगत सफेद है । तुम
खुद के सफ़ेद बालों को देखो और कहो, क्या यह पाप है ? तब सैम को अपनी मूर्खता का अहसास
हुआ और वह अलबुर्ज पहाड़ पर जा पहुंचा, उसने सिमोर्घ से अनुरोध किया कि, वह उसे,
उसका पुत्र लौटा दे, हालांकि यह निर्णय उस
विशाल पक्षी के लिए दुखदाई था । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">सिमोर्घ को लगा कि अपने कृत्य पर पछता रहे, पिता को उसका पुत्र
सौंपना ही बेहतर होगा। हालांकि ज़ाल अपने पालक पिता के घर को नहीं छोड़ना चाहता था,
लेकिन सिमोर्घ ने उसे तीन पंख देकर विदा किया और कहा कि, अगर तुम्हारा पिता अगर
तुम्हें धोखा देता है, तो तुम मेरे पंखों में से, एक को पवित्र अग्नि में डाल देना,
मैं तुम्हारे पास पहुंच जाऊंगा । कुछ समय बाद पर्सिया में, ज़ाल को उसके सुडौल शरीर
के साथ ही साथ, एक कुशल योद्धा के रूप में विकसित होते हुए देखा गया, जिसकी ख्याति काबुल की राजकुमारी रुदाबा के
कानों तक जा पहुंची । ज़ाल के व्यक्तित्व के बारे में सुनकर उसे, ज़ाल से प्यार हो
गया और उसने शपथ ली कि, वह ज़ाल से ही ब्याह करेगी।इसके बाद उसने,अपनी नौकरानी को बहुत
सारा धन और उपहार देते हुए, एक पत्र दिया,जिसे ज़ाल तक पहुंचाया जाना था। जब ज़ाल ने
वो पत्र पढ़ा,तो वह बहुत प्रभावित हुआ, वैसे भी उसने काबुल की राजकुमारी की
सुंदरता की बहुत चर्चा सुनी थी,अतः वो स्वयं भी राजकुमारी रुदाबा से प्रेम करने
लगा था ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">उसने तय किया कि, वह रुदाबा तक पहुंचेगा और उससे मिलेगा । उसे
पता चला कि रूदाबा, महल के सबसे ऊपरी कक्ष में रहती है । सबसे छुपते छुपाते वो
रुदाबा के महल के नीचे पहुंच गया । कहते हैं कि, ज़ाल को अपने कमरे में लाने के लिए
रुदाबा ने अपने लंबे बाल नीचे लटका दिए थे । जिनके सहारे ज़ाल रुदाबा तक पहुंच गया
और उसे देख कर, उसने तय किया कि, वह रुदाबा से ही ब्याह करेगा । हालांकि यह काम
आसान ना था क्योंकि रुदाबा के पिता मूर्तिपूजक थे और पर्सिया के राजा भी इस विवाह
के लिए राजी नहीं थे, वैसे भी काबुल और पर्सिया परस्पर शत्रु राज्य थे । इसलिए
दोनों राज्य हमेशा युद्ध की स्थिति में बने रहते । लेकिन इस मामले को लेकर युद्ध
प्रारंभ होने से पहले ही ज्योतिषियों ने ग्रहों की चाल देखी और कहा कि, यह जोड़ी
बहुत शानदार होगी और इनके ब्याह का विरोध ना किया जाए, क्योंकि इन दोनों के संयोग से
एक अपराजेय पुत्र का जन्म होगा, जोकि दुनिया का सबसे बड़ा योद्धा होगा और उसकी ख्याति,
दुश्मनों में दहशत पैदा कर देगी ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">बहरहाल दोनों राजा उनके ब्याह के लिए तैयार हो गए और बड़ी
धूमधाम से रुदाबा और ज़ाल की शादी कर दी गई । कुछ महीने बाद रुदाबा को प्रसव पीड़ा
हुई और लगा कि, वह बच्चे को जन्म देने से पहले ही मर जाएगी । तब ज़ाल को याद आया कि,
सिमोर्घ ने उसे पंखों का उपहार दिया था । उसने आग जलाकर, तीन में से एक पंख को आग
की लपटों में डाल दिया तो आसमान में तूफ़ान सा छा गया इसके बाद सिमोर्घ ज़ाल के पास
पहुंच गया । सिमोर्घ ने दवा बनाने का सामान देते हुए राज्य के चिकित्सकों को जरूरी
निर्देश दिए, जिसके जादुई असर से रुदाबा ने एक स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया । जिसका
नाम रुस्तम रखा गया और जो पर्सिया का सबसे महान योद्धा कहलाया ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">यह आख्यान वर्तमान समय में ईरान और अफगानिस्तान के</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">,<span lang="HI"> अतीत कालीन कुलीन वर्ग को संबोधित है और यह
कुलीन वर्ग राजतांत्रिक समाज का हिस्सा है, भले ही वो, एक दूसरे का शत्रु है । यह
शत्रुता उपासना पद्धति की विभिन्नता पर आधारित है। दोनों कुलीन समुदाय अपने अपने
मतानुसार ईश्वर की आराधना पर विश्वास करते हैं । जो उनकी पारस्परिक शत्रुता का कारण है । धर्म पर विश्वास
करने वाले इन दोनों अभिजात्य समुदायों में, जादू टोना अथवा ज्योतिषीय परामर्श या
धार्मिक दक्षता प्राप्त सलाहकारों की भूमिका महत्वपूर्ण है । कथा के अनुसार नायक, ज़ाल
का पिता नि;संतान है और संतान के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है, लेकिन नवजात संतान
की शारीरिक एवं केश धवलता, उसे, उसकी
अपेक्षा के अनुसार संतुष्टि नहीं देते तथा वो उस ईश्वर से नाराज हो जाता है, जिसने
उसे पुत्र का उपहार दिया है । वह योद्धा है । उसकी पत्नी सुंदर है लेकिन उसमें, अपनी
श्वेत त्वचा और केश रचना वाली संतान के, प्रति घृणा का भाव है । वह अपने मनोनुकूल संतान
नहीं पाकर दुखी है और अपनी नवजात संतान के नामकरण के साथ ही उसे एक पहाड़ की चोटी
पर छोड़ देता है, ताकि उसकी मृत्यु हो जाए ।</span></span><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-size: 12pt;"> </span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">यह एक कठोर निर्णय है जोकि, राजतांत्रिक समाजों की पहचान है
। जहां युद्ध और मृत्यु सामान्य तथा सहज घटना होते हैं । अतः स्वयं के नवजात शिशु
को मरने के लिए छोड़ देना, उस कुलीन समुदाय में कोई विशेष घटना नहीं मानी गई होगी,
ऐसा प्रतीत होता है । कथा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है कि,एक बुद्धिमान और
विशालकाय परिंदा पहाड़ की चोटी पर अपने चूजों के साथ घोंसला बनाकर रहता है तथा वह नवजात शिशु
के प्रति सहानुभूति का भाव रखते हुए उसे गोद ले लेता है । उसे पालता है । कहने का
आशय यह है कि, नायक का पिता, मनुष्य होकर भी अपनी संतान का परित्याग केवल इसलिए कर
देता है कि, वह देखने में उसकी इच्छाओं के जैसा नहीं है, जबकि परिंदा अपने कुल की
तुलना में विजातीय नवजात को गोद लेकर युवा होने तक पालता है । स्पष्ट कथन यह है कि,
राजतांत्रिक समाजों में, अभिजात्यों में क्रूरता के अंश बहुतायत से मिलते हैं जबकि
अन्य जीव जंतु या परिंदे अपेक्षाकृत सहृदय होते हैं । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">कथा के अनुसार नायक को अपने पिता की तरह से बलशाली, युद्ध प्रिय,
युद्ध निपुण होना चाहिए । बहरहाल जवान हो चुके नायक के बारे में पर्वतारोहियों से सुन
कर, पिता को अपने पूर्व निर्णय पर पछतावा होता है और वह उसे, उसके पालक पिता यानि
कि विशालकाय बुद्धिमान परिंदे से वापस मांगने पहुंच जाता है । नायक अपने पिता के
व्यवहार के प्रति सशंकित है, किंतु आख्यान में एक दिलचस्प और सांकेतिक कथन यह है कि,
पालक पिता पक्षी, नायक को आश्वस्त करता है कि, संकट के समय, याद किए जाने पर, वह उसकी
सहायता के लिए अवश्य पहुंचेगा । यानि कि, उसने जिस संतान का पालन पोषण किया है,
उसके भविष्य का संरक्षण भी वह करेगा । इस आशय की घोषणा वह करता है, भले ही कथा
में, इस घोषणा की गारंटी के तौर पर, जादुई पंखों का उल्लेख किया गया है, जिन्हें नायक
की आश्वस्ति से जोड़कर देखा जाना चाहिए । इसके उपरांत नायक अपने जैविक पिता के साथ
रहता तो है, लेकिन उसकी उम्र रूमानियत की उम्र है और उसने काबुल की राजकुमारी रुदाबा
के सौंदर्य के विषय में बहुत कुछ सुन रखा है । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">वह रुदाबा के प्रति प्रेम का भाव रखता है, लगभग इसी तरह से,
उसकी युद्ध कला में दक्षता तथा शारीरिक सौष्ठव के किस्से सुनकर, कथा की नायिका भी,
उसके प्रति अनुरक्त है । नायिका और नायक के मध्य एक दूसरे की ख्याति को सुनकर, एक
दूसरे के प्रति प्रेम का भाव रखने का संकेत इस कथा में मिलता है । कथा में, नायिका
के सौंदर्य के प्रतीक के तौर पर उसके लंबे केशों का उल्लेख किया गया है, जिन्हें वह,
नायक को अपने कक्ष तक पहुंचाने के, आशय से नीचे लटका देती है । इस आख्यान का
महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि, प्रेम की पहल नायिका स्वयं करती है । वो अपनी सेविका को
धन, उपहार आदि देकर, नायक को देने के लिए एक प्रेम पत्र सौंपती है । नायिका की यह
पहल कुलीन समाज में महत्वपूर्ण मानी जानी चाहिए । नायक दोनों राज्यों की शत्रुता
की परवाह किए बगैर अपनी नायिका से मिलने जा पहुंचता है और दोनों ही अपनी वैवाहिक
जिंदगी शुरू करने का निर्णय ले लेते हैं । आरंभिक तौर पर दोनों राज्य इस निर्णय के
विरुद्ध हैं, किंतु ज्योतिषीय परामर्श, विरोध के इस निर्णय को बदल कर दोनों राज्यों
में सहमति का माहौल बनाता है ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">अंततः नायक, नायिका पति, पत्नी हो जाते हैं । भले ही उनकी
पैतृक धार्मिक आस्थायें परस्पर भिन्न है, किंतु प्रेम प्रबल है और ज्योतिषीय
परामर्श, शत्रुता पर भारी है । लेकिन इस परामर्श का आधार बिंदु, पुनः शारीरिक
दक्षता वाले रुस्तम के जन्म पर आधारित है । जो दुनिया का सबसे पराक्रमी योद्धा
होने वाला है । अतः ज्योतिषीय परामर्श, प्रेम से अधिक योद्धा के जन्म के मार्ग को प्रशस्त
करता दिखाई देता है । कथा के अंत में उल्लेख है कि, नायिका गर्भवती है और उसे प्रसव
के समय में बहुत कष्ट हो रहा है । तब नायक अपने पालक पिता परिंदे को आहूत करता है
और उसकी मदद से, चिकित्सा लाभ लेकर नायिका, एक विश्व योद्धा संतान को जन्म देती है
। कुल मिलाकर कथा में सौंदर्य, युद्ध की निपुणता तथा कुलीनता को महत्वपूर्ण माना
गया है और इसके लिए, राजकुलों की निर्भरता, धार्मिक सलाहकारों पर आधारित है । कथा
के नायक नायिका परस्पर प्रेम करते हैं किंतु उनके प्रेम की सफलता का आधार
ज्योतिषियों की गणना और विजातीय पालक पिता परिंदे की बुद्धिमत्ता और चिकित्सकीय
परामर्श है अन्यथा यह कथा सुखद कथा नहीं हो सकती थी। </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-66967966917412992692023-07-01T00:30:00.024+05:302023-07-09T18:25:51.536+05:30ट्रिस्टन और इसोल्डा<p align="center" class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">इसोल्डा आयरलैंड की राजकुमारी है । उसके सौंदर्य की चर्चा
दूर-दूर तक फ़ैली हुई है जबकि ट्रिस्टन, कार्नवाल के राजा मार्क की बहन का पुत्र है
। ट्रिस्टन के बचपन में ही उसके माता पिता की मृत्यु हो गई थी और अपने मामा मार्क
के राज्य में पालन पोषण के दौरान वह एक बेहतर तलवारबाज और वीणा वादक संगीतकार बन
गया था । एक बार कॉर्नवाल, आयरलैंड के प्रति अपनी निष्ठा जताने के लिए लगान के रूप
में युवक और युवतियों को आयरलैंड भेजता है, लेकिन वहां पर चर्चा होती है कि, अगर
आयरलैंड के राजा के बहनोई मोरहॉल्ट को कोई कुश्ती में हरा सकता है तो इस लगान को देने
की आवश्यकता नहीं होगी। ट्रिस्टन, मोरहॉल्ट को हरा देता है किंतु जहर बुझे भाले
से स्वयं भी घायल हो जाता है और उसे मरने के लिए उस जहाज पर छोड़ दिया जाता है जो
तैरते तैरते पुनः आयरलैंड के समुद्र तट पर पहुंच जाता है । जहां उसे शाही महल में
एक जादूगर स्त्री मंत्रोपचार के द्वारा ठीक करती है । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">इसी दरम्यान ट्रिस्टन को इसोल्डा से प्रेम हो जाता है और
जैसे ही इसोल्डा को वह अपनी वास्तविक पहचान बताता है, तो वह जान जाती है कि, उसके
चाचा की मृत्यु का कारण ट्रिस्टन है और वह प्रेम के बजाय ट्रिस्टन से नफरत करने
लगती है । इसके बाद ट्रिस्टन वापस कार्नवाल लौट जाता है । कुछ समय के बाद राजा मार्क,
इसोल्डा से शादी करने का इच्छुक होकर ट्रिस्टन को अपने दूत के बतौर आयरलैंड भेजता
है । राजपरिवारों की चर्चा के उपरान्त इसोल्डा और मार्क की शादी तय हो जाती है, तब इसोल्डा की
विदाई के समय जादूगरनी, इसोल्डा के साथ एक नौकरानी के हाथों प्रेम औषधि भेजती है ।
कार्नवाल वापसी के दौरान, ट्रिस्टन और इसोल्डा को प्यास लगती है और वो दोनों गलती
से उस प्रेम औषधि को पी लेते हैं तथा प्रेमपाश में बंध जाते हैं, चूंकि यह भूल, औषधि
को रखने वाली नौकरानी बैंजियन के कारण होती है, तो नौकरानी अपने अपराध बोध से
पीड़ित होकर, सुहागरात में राजा मार्क के बिस्तर पर इसोल्डा की जगह ले लेती है । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">मार्क उसे इसोल्डा समझकर प्रेम करता है,जबकि इसोल्डा,ट्रिस्टन
की बाहों में समय बिताने लगती है।मार्क को कुछ समय तक इस धोखे का पता नहीं चलता
किंतु जैसे ही वह इस सत्य से परिचित होता है। वो ट्रिस्टन को अपने महल से भगा देता है लेकिन ट्रिस्टन
और इसोल्डा गुप्त रूप से मिलते रहते हैं और इस गुप्त मिलन की खबर मिलते ही उन
दोनों को जलाकर मार डालने की सजा दी जाती है,किन्तु वे दोनों वहां से भाग जाते
हैं और जंगल में छुपकर रहने लगते हैं। जब मार्क को यह खबर मिलती है तो वह उन
दोनों की हत्या के लिए उस जगह पहुंचता है,जहां वे दोनों गहरी नींद में सो रहे
होते हैं और उनके दरम्यान एक तलवार मौजूद होती है,जिसे देखकर मार्क अपने भांजे ट्रिस्टन
के लिए खेद महसूस करता है और इसोल्डा की अंगुली पर सांकेतिक रूप से अपनी अंगूठी को
बदलते हुए माफ कर देता है तथा उन दोनों के बीच अपनी तलवार भी रख देता है। </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">नींद से जागने के बाद वो दोनों मार्क की दया से प्रभावित
होकर दरबार में लौटते हैं । मार्क इसोल्डा का स्वागत तो करता है, लेकिन ट्रिस्टन
को कार्नवाल से निष्कासित कर देता है और ट्रिस्टन, ब्रिटनी नाम की जगह पर रहने चला
जाता है, जहां वह इसोल्डा के नाम की अन्य महिला से ब्याह कर लेता है, हालांकि वह
अपनी नई पत्नी से प्यार नहीं करता और अपनी पूर्व प्रेमिका इसोल्डा के प्रति ही वफादार
बना रहता है । आगे घटनाक्रम कुछ इस तरह से घटित होता है कि ट्रिस्टन, एक नए युद्ध
में घायल हो जाता है, लेकिन उसका समय पर, कोई इलाज नहीं हो पाता तब उसका एक मित्र कार्नवाल
जाकर उसकी पूर्व प्रेमिका इसोल्डा से कहता है कि ट्रिस्टन मर रहा है और इसोल्डा को
आखिरी बार देखना चाहता है । ट्रिस्टन अपने मित्र से कहता है कि, अगर इसोल्डा वापस
आ रही हो तो वो अपने जहाज पर सफेद पाल फहरा दे और नहीं तो काला पाल, बदकिस्मती से ट्रिस्टन
की पत्नी इसोल्डा इस योजना के बारे में सुन लेती है । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">वो अपने पति ट्रिस्टन से झूठ बोलती है कि उसने, उसके मित्र
के जहाज पर काला पाल देखा है, यह सुनकर ट्रिस्टन, हृदयाघात से मर जाता है । जब प्रेमिका
इसोल्डा, ट्रिस्टन के मित्र के साथ उसके पास पहुंचती है । उसे पता चलता है कि ट्रिस्टन मर चुका है तो वह
भी उसके ओंठ पर आखिरी चुम्बन लेते हुए अपने जीवन का परित्याग कर देती है ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">ट्रिस्टन बचपन में ही अपने मां-बाप को खो चुका था और उसका
पालन पोषण उसके मामा</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">,<span lang="HI"> कार्नवाल के राजा मार्क के यहां
हुआ था । जहां वह एक कुशल तलवारबाज और वीणा वादक के रूप में प्रशिक्षित हुआ । मामा
के संरक्षण में युवा होने के उपरांत, उसे आयरलैंड राज्य जाना पड़ता है क्योंकि,
उसके मामा का राज्य, आयरलैंड को लगान देने वाले, अधीनस्थ राज्य जैसा है । आयरलैंड
में</span>,<span lang="HI"> वह मामा के राज्य से अनेकों युवक-युवतियों को बतौर लगान
लेकर जाता है, लेकिन वहां पर हुई चर्चा के अनुसार, आयरलैंड का राजा</span>,<span lang="HI"> अपने दिग्गज कुश्ती चैंपियन मोरहॉल्ट, जोकि उसका बहनोई भी है, को कुश्ती
में हरा देने की स्थिति में</span>,<span lang="HI"> कार्नवाल की लगान माफी का वचन
देता है । कथा के अनुसार ट्रिस्टन को पहले मोरहॉल्ट से और लम्बे समय बाद, किसी
अन्य शत्रु से युद्ध लड़ना होता है, जिसमें मोरहॉल्ट को पराजित कर देने के बाद वह
अपने मामा के राज्य का लगान तो माफ करवा लेता है, किंतु स्वयं भी विष बुझे भाले से
घायल हो जाता है और उसे मरने के लिए, समुद्र में एक जहाज में छोड़ दिया जाता है ।</span><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">दिलचस्प बात यह है कि जहाज बहते बहते पुनः आयरलैंड के तट पर
आ पहुँचता है, जहां उसे, आयरलैंड के शाही महल में चिकित्सा का लाभ मिलता है और इसोल्डा
के साथ सोहबत का मौका भी । वह स्वस्थ तो होता है लेकिन इसोल्डा को, अपना वास्तविक
परिचय देने के साथ ही, खो बैठता है, क्योंकि, जैसे ही इसोल्डा यह जानती है कि वो
उसके पिता के बहनोई की मृत्यु का कारण है तो वो उससे नफरत करने लगती है । संयोगवश उसे
इसोल्डा के साथ, पुनः प्रेम जीवन शुरू करने का अवसर मिलता है, यद्यपि यह अवसर उसके
मामा के वैवाहिक जीवन के शुरू होने के साथ जुड़ा हुआ है । कथा मैं यह प्रकरण
महत्वपूर्ण है कि एक अधीनस्थ राज्य कार्नवाल के राजा मार्क, बड़े राज्य आयरलैंड की
राजकुमारी से ब्याह करने का इच्छुक है । संभवतः इसके राजनीतिक निहितार्थ भी हो
सकते हैं । वो अपने भांजे ट्रिस्टन को इस संबंध की शुरुआत के लिए आयरलैंड भेजता है
और इसोल्डा के उसके वैवाहिक जीवन पर सहमति बन जाती है ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">संयोगवश महिला चिकित्सक के द्वारा दी गई, प्रेम औषधि, राजा मार्क
के बजाए ट्रिस्टन और इसोल्डा के मध्य प्रेम का बीज अंकुरित कर देती है । वह
नौकरानी जो इसोल्डा के साथ मार्क के पास जा रही थी, अपनी गलती को लेकर अपराध बोध
से ग्रस्त है । वह स्वयं को मार्क के सम्मुख समर्पित कर देती है, हालांकि मार्क बाद
में यह जान जाता है कि उसके सम्मुख समर्पित स्त्री इसोल्डा नहीं है । वह अपने
भांजे और इसोल्डा को अपराधी मानते हुए, अग्नि स्नान के आदेश देता है, लेकिन वे
दोनों वहां से बचकर भाग निकलते हैं । इसके उपरान्त राजा मार्क उस जंगल में जहां
पहुंचता है, जहां वो दोनों गहरी नींद में सो रहे होते हैं और प्रतीकात्मक रूप से
उनके दरम्यान एक तलवार रखी होती है । उन्हें गहरी नींद में देख कर राजा मार्क का
हृदय पसीजता है और वह अपनी अंगूठी इसोल्डा की अंगुली में डालकर तथा अपनी तलवार, उन
दोनों के मध्य रखकर, उनकी हत्या किए बगैर वापस लौट जाता है ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">राजा मार्क की इस सहानुभूति से प्रेरित होकर प्रेमी जोड़ा
वापस कार्नवाल लौटता है । आगे ये कथा कहती है कि, मार्क, इसोल्डा के प्रति अधिक
सहृदय हो जाता है किंतु अपने भांजे ट्रिस्टन के प्रति कठोर बना रहता है और उसे देश
से निष्कासित कर देता हैं । इसके उपरांत कथा एक निर्णायक मोड़ लेती है, जहां पर ट्रिस्टन
अपनी प्रेमिका इसोल्डा के नाम की किसी अन्य स्त्री से विवाह तो कर लेता है लेकिन वह
अपनी प्रेमिका को भूलता नहीं है और इसी समय हुए युद्ध के घायल सैनिक की तरह से,
उसकी मृत्यु होना सुनिश्चित है, तो उसका मित्र, उसकी प्रेमिका इसोल्डा को यह बताता
है कि उसे मृत्यु शैया में पड़े हुए, उसके प्रेमी ट्रिस्टन से मिल लेना चाहिए, यह
अंतिम अवसर होगा । मित्र के इसोल्डा के पास जाने के समय ट्रिस्टन ने कहा कि, लौटते
समय अगर इसोल्डा साथ हो तो मित्र, जहाज पर सफेद और ना हो तो काला पाल इस्तेमाल करे,
जिससे ट्रिस्टन यह जान जाए कि इसोल्डा उससे मिलने आ रही है अथवा नहीं । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">लेकिन ट्रिस्टन की पत्नी इसोल्डा इस बातचीत को सुन लेती है
और वह ट्रिस्टन से कहती है कि, ब्रिटनी वापसी कर रहे मित्र के जहाज पर काला पाल
लहरा रहा है । यह सुनकर घायल ट्रिस्टन हृदयाघात से मर जाता है और उसकी प्रेमिका इसोल्डा
जब उस तक वापस पहुंचती है तो उसे, अपने प्रेमी की मृत देह को देखकर अत्यंत दुःख
होता है और वो उसके होठों पर चुंबन अंकित करते हुए स्वयं भी मृत्यु का वरण कर लेती
है । अंततः यह कथा संबंधों में विश्वासघात, वीरता, प्रेम और नफरत पुनः प्रेम और
मृत्यु के दु:खद हालात पर समाप्त हो जाती है ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"> </span></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-90538912525703130902023-06-30T20:30:00.002+05:302023-06-30T20:30:00.147+05:30हीरो और लिएंडर<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt;"><o:p> </o:p></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">देवी अफ़रोडाइट की पुजारी के रूप में हीरो, ऊंची पहाडी पर
स्थित अफरोडाइट के मंदिर में रहती थी और देवी अफरोडाइट की पूजा अर्चना किया करती
थी । चूंकि यह मंदिर समुद्री खाड़ी, गलियारे के ऊपर की पहाड़ी पर था, जहां से, रात
के अंधियारे में भटके हुए समुद्र यात्रियों के लिए मंदिर की रौशनी, सही रास्ता, दिखाने
के काम आया करती । अफ़रोडाइट की पुजारी होने
के नाते हीरो, किसी पुरुष के साथ प्रेम संबंध नहीं रख सकती थी । पुरुषों से
सम्बन्ध उसके लिए वर्जित था । उस मंदिर के निकट के समुद्री गलियारे के दूसरे छोर पर
लिएंडर नाम का सुदर्शन युवक रहता था । उसने एक दिन हीरो को देखा और उसके प्रेम में
मुब्तिला हो गया । उसने अपने वाक् चातुर्य से हीरो के हृदय में अपने प्रेम के बीज
बो दिए । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">लिएंडर की मुहब्बत में गिरफ्तार पुजारिन हीरो, हर रात में
रोशनी किया करती ताकि उसका प्रियतम लिएंडर, खाड़ी में तैर कर उसके पास रात गुजारने
के लिए आ जाए, किंतु एक रात बहुत भयंकर तूफान आया । तेज हवाओं ने मंदिर की रोशनी को बुझा दिया । लिएंडर
उस रात हीरो तक पहुंचा ही नहीं । क्योंकि समुद्र की प्रचंड लहरों और तेज हवाओं के
कारण, रास्ता भटक गया और डूब कर मर गया गया । अगली सुबह हीरो ने अपने प्रेमी को
समुद्र में मृत देखा तो वह अवसाद में घिर गई । उसने ऊंची पहाड़ी से कूदकर आत्महत्या
कर ली और बाद में उन दोनों के मृत शरीर एक दूसरे के आलिंगन में पाए गए, इसके बाद उन्हें
एक साथ दफना दिया गया ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">यह कथा अजीब है, जहां देवी अफ़रोडाइट, अपने प्रेम और सहवास के
एक से अधिक प्रकरणों के लिए कुख्यात या विख्यात रही है । वहीं उसकी पुजारिन हीरो
को पुरुषों के सानिध्य से वंचित किया गया । हीरो को देवी के मंदिर में केवल देवी
की पूजा अर्चना करना थी । मंदिर पहाड़ की ऊंचाई पर बना हुआ था, जिसके नीचे,
समुद्री खाड़ी थी । रात के समय में मंदिर की रोशनी से, समुद्र में भटके हुए
मुसाफिर अपनी मंजिलें पा जाते, लेकिन हीरो को अपनी आराध्य देवी की तरह से प्रेम
करने या पुरुष के सानिध्य में रहने की वर्जना थी । हमें इस तरह के निषेध, अन्य
परम्परागत रूढ़ीवादी धार्मिक समुदायों में भी देखने को मिलते हैं और कोई आश्चर्य
नहीं कि, इन समुदायों में यौन कुंठाओं के कारण यौन अपराधों की भरमार दिखाई देती है
। यौन जीवन मनुष्य की दिन प्रति दिन की अपरिहार्यता है, यदि उसका निषेध किया जाए
तो उसके दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">स्त्रियों तथा बच्चों के विरुद्ध यौन हिंसा में लिप्त, धार्मिक
नेतृत्व कर्ताओं के हजारों प्रकरण, आज भी हमें, पूरी दुनिया में देखने को मिलते
हैं । जहां सुधारवादी धार्मिक संप्रदायों की तुलना में परंपरागत धार्मिक संप्रदाय
में लागू की गयी, कथित यौन वर्जनाओं के अधिकतर परिणाम यौन अपराधों के रूप में
परिलक्षित होते हैं । इस कथा में पुजारी महिला है और उसे खाड़ी के उस पार रहने
वाले सुदर्शन युवक से मोहब्बत हो गई है, किंतु वह दिन के समय, इस मोहब्बत को सार्वजानिक
रूप से स्वीकार नहीं कर सकती, क्योंकि उस पर वर्जनायें आरोपित हैं कि, वह पुरुषों
के सानिध्य में नहीं रहेगी, अस्तु हीरो रात के समय में अपने प्रेमी को मंदिर की
रोशनी के माध्यम से रास्ता दिखाती है और प्रेमी उस समुद्री गलियारे को तैर कर पार
करने का जोखिम उठाता है और अपनी प्रेयसी तक पहुंचता है । वो रात अपनी प्रेमिका के
साथ गुजारता है और भोर होते ही अपने निवास स्थान में वापस चला जाता है ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">बहरहाल जिस तरह से मनुष्यों में प्रेम और यौन संबंध,
अपरिहार्य होते हैं, उसी तरह से विशाल समुद्रों और धरती में शान्ति तथा तूफानों का
आना भी अपरिहार्यता है । हीरो का प्रेमी लिएंडर इस अपरिहार्यता के चलते, उस रात मंदिर
तक नहीं पहुंच पाता और प्रकृति के कोप का शिकार हो जाता है । उसकी प्रेमिका अगली सुबह,
समुद्री गलियारे में उसकी लाश देखकर, स्वयं भी आत्महत्या कर लेती है । उन्हें बाद
में एक ही कब्र में दफन कर दिया जाता है । कथा से यह तथ्य भी स्पष्ट होता है कि,
अंधकार और वर्जनायें अक्सर, समुदायों को, मनुष्यों को, प्रेमियों को, सहज जीवन
जीने नहीं देती...</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"> </span></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-40447051278144306042023-06-30T00:30:00.006+05:302023-06-30T00:30:00.135+05:30पोसीडॉन और एम्फीट्राईटी <p align="center" class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">पोसीडॉन पाताल लोक का देवता है, जो कभी किसी भी बात पर
नाराज और खुश हो सकता है । यह उसके मूड पर निर्भर है कि, धरती पर कब सुनामी या
भूकंप आ जाए । देवलोक का राजा जिउस उसका भाई है, जिसे फ़िक्र थी ,कि किस प्रकार से
पोसीडॉन को शांत और खुशहाल रखा जाए । उसने सोचा अगर पोसीडॉन का विवाह कर दिया जाए
तो इससे उसके स्वभाव में फर्क पड़ेगा । उसने समुद्र के देवता नेरेस से कहा कि, वो
अपनी पुत्रियों में से किसी एक का ब्याह पोसीडॉन के साथ कर दे । नेरेस, जिउस के इस
प्रस्ताव से बेहद प्रसन्न हुआ । संयोगवश पोसीडॉन ने नेरेस की एक पुत्री एम्फीट्राईटी
को समुद्र में नाचते गाते, अठखेलियां करते हुए देखा था । वो उस पर मुग्ध हो गया था
फिर उसने सोचा कि, उसे अप्सरा एम्फीट्राईटी से ब्याह करना चाहिए, एम्फीट्राईटी से
ब्याह की उत्सुकता वश उसने हडबडी से काम लिया । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">बहरहाल जिउस और नेरेस द्वारा संयुक्त रूप से तय समय पर
नेरेस की सभी पुत्रियां पोसीडॉन के सामने उपस्थित हुईं, लेकिन पोसीडॉन ने कहा वो एम्फीट्राईटी
से ब्याह करेगा। एम्फीट्राईटी उसके
व्यवहार को लेकर पहले भी खुश नहीं थी, उसने पोसीडॉन से ब्याह करने से साफ़ इनकार कर
दिया और समुद्र की असीम गहराई में छुप गयी । पोसीडॉन, एम्फीट्राईटी की अस्वीकृति
से बेहद नाराज था और उसने समुद्र के चप्पे चप्पे की खोज करवाई, लेकिन एम्फीट्राईटी,
उसे कहीं नहीं मिली, इधर देवता जिउस भी एम्फीट्राईटी
की मां से कहता है कि, वो अपनी पुत्री को ढूंढ निकाले । इस घटना के बाद पोसीडॉन का गुस्सा तो बढ़ रहा था,
लेकिन वो हतोत्साहित नहीं हुआ । उसने अपनी सबसे वफादार डालफिन को एम्फीट्राईटी को
खोजने और समझा बुझा कर वापस लाने के लिए भेजा । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">डालफिन ने एम्फीट्राईटी को खोज निकाला और उसे समझाया कि,
पोसीडॉन बुरा देवता नहीं है और वो एम्फीट्राईटी को अत्यधिक प्रेम करता है । उसने
यह भी कहा कि, देवता जिउस और एम्फीट्राईटी के पालक इस ब्याह के लिए सहमत हैं । अंतत: डालफिन की मेहनत रंग लाई और एम्फीट्राईटी,
पोसीडॉन से ब्याह के लिए राजी होकर वापस आ गयी । पोसीडॉन अपनी वफादार डालफिन के इस कारनामे से
अत्यधिक प्रसन्न था, इसलिए, नेपच्यून ग्रह की हैसियत से, उसने डालफिन की छवि को अपने
नक्षत्र मंडल में स्थान दिया, फिर एम्फीट्राईटी और पोसीडॉन का ब्याह हुआ । वे सुख
पूर्वक समय व्यतीत करने लगे । इस ब्याह से समुद्र देवता, प्रशासित क्षेत्र में
शांति हुई और पाताल लोक के देवता का स्वभाव भी अस्थिर न रहा, कालांतर में उन्हें
अपने प्रणय जीवन का फल भी मिला। एक पुत्र ट्राईटन और दूसरी पुत्री रोड्स । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">यह आख्यान, अन्धकार यानि कि, पाताल लोक के देवता की
स्वभावगत उग्रता की ओर संकेत करता है, जोकि प्रेम के अभाव में अस्थिर चित्त है,
गुस्सैल है । किसी युवा पुरुष अथवा देवता के अस्थिर चित्त की शांति का एक उपाय इस
कथा से प्रकटित होता है कि, एकाकी युवा, देवता को प्रेम में होना चाहिए, अस्तु उसका
ब्याह कर दिया जाए । देवता जिउस ने सोचा कि, स्त्रियों का सानिध्य,सहवास, बीमार को
शिफा देता है,तो उसने ये उपाय अपने क्रोधी भाई के लिए आजमाया । नि:संदेह बात बात
पर क्रोधित होना एक बीमारी ही है, जिससे व्यवस्था असंतुलित होती है, चाहे वह धरती
की हो, समुद्र अथवा देवलोक की । पोसीडॉन की मनःअशांति को दर्शाने के लिए, समुद्र
और धरती में सुनामी तथा भूकंप के प्रातीतिक संकेत दिए गए हैं । आख्यान कहता है कि, अगर देवता अशांत है तो
समुद्र और धरती भी अशांत रहेंगे । अतः
स्त्रियां और उनका प्रेम, देवलोक, पाताल लोक, धरती में जल थल या फिर देवताओं के
चित्त में व्यापित, अशांति का निवारण कर सकता है, यह तथ्य देवता के राजा जिउस भी
मानते हैं ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">कथा प्रकट रूप में कहती है कि, भाई अपने भाई की चिंता करता
है, लेकिन उसका अप्रकट निहितार्थ भी है कि, देवताओं के राजा जिउस को अपने भाई के
साथ ही साथ, व्यवस्थाजन्य चिंता भी है क्योंकि, पोसीडॉन के व्यवहार से धरती और
समुद्र में अव्यवस्था, हिंसा और अस्थिरता फैल रही थी । वो पाताल लोक का प्रभारी
देव है अतः उसकी चिकित्सा अपरिहार्य है । कथनाशय यह है कि, स्त्रियों के सानिध्य
से वंचित होना, उनके प्रेम से दूरी, देवताओं को भी अयाचित असंतुलन देती है जोकि,
उनके और सृष्टि के स्वास्थ्य के लिए कदापि उचित नहीं है । मोटे तौर पर हम यह
स्वीकार कर सकते हैं कि,सृष्टि, धरती, नश्वर मनुष्य और अनश्वर देवता, सभी में,
स्त्रियां तथा उनका प्रेम पूर्णता का अपरिहार्य तत्व है । स्त्रियों के बिना सब जग
अधूरा है, व्यर्थ है, कदाचित पागलपन है । कथा कहती है कि, डालफिन,जोकि, एक
बुद्धिमान जीव है, एम्फीट्राईटी को समझाती है कि, देवता और स्वयं उसके परिजन क्या
चाहते हैं, पोसीडॉन की अस्थिरता, व्यग्रता, उग्रता का मूल कारण क्या है ? </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">डालफिन का समझाना, उसका बुद्धि कौशल है, एम्फीट्राईटी का
समझ जाना उसकी परिपक्वता है, जो कारणों, समस्या, के निवारण में, उसकी भूमिका के
महत्व को रेखांकित करती है । पोसीडॉन, डालफिन के उपकार के बदले में, उसे नक्षत्र
मंडल में स्थाई जगह देता है , क्रोध और अशांति से, व्यवस्था की मुक्ति के,
व्यवहारिक समर्थन के लिए, एक तरह से अमरत्व देता है । ये ब्याह देवता और अप्सरा के अमरत्व का गठबंधन
है, लेकिन डालफिन ने व्यवस्था के स्वास्थ्य लाभ के लिए , कोशिश की और अमरता अर्जित
कर ली है, सो कथा सार यह भी है कि, कोई नश्वर जीव अगर चाहे तो, अमरत्व को हासिल कर
सकता है और स्त्रियां, देवियां, कायनात का मूल एवं संतुलनकारी तत्व हैं । अगर सब
कुछ शुभ और निरंतर है, तो उनका प्रेम, इसके लिए उत्तरदाई है । धरती, पाताल या
देवलोक में । ट्राईटन, रोड्स के रूप में या फिर, आख्यानों को कहने वाले, असंख्य जन
समुदायों की शक्ल में... </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-82463965813166165432023-06-29T20:30:00.003+05:302023-06-29T20:30:00.146+05:30पिरामस और थिस्बे<p align="center" class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">पिरामस और थिस्बे पड़ोसी थे और बचपन से ही एक दूसरे को
जानते थे, हालांकि उनके परिवारों में दुश्मनी थी और उन दोनों परिवारों ने अहाते के
बीच में एक दीवार खड़ी कर दी थी, ताकि वे एक दूसरे के संपर्क में ना रहें । बहरहाल
पिरामस और थिस्बे बचपन से ही, एक दूसरे के
प्रति आकर्षित थे और जवान होते होते, उनका आकर्षण, प्रेम में बदल गया । वे एक
दूसरे के साथ इशारों में बात करते, लेकिन किसी सार्वजनिक स्थान पर बात करने से
डरते, क्योंकि उनकी जग हंसाई का खतरा था । उन्हीं दिनों, उनके कस्बे में एक हल्का
सा भूकंप आया, जिसकी वजह से उनके घर की विभाजन रेखा पर खड़ी दीवार में एक हल्की सी
दरार पैदा हो गई, जिसमें एक नन्हा सा छेद भी था । भूकंप भले ही प्राकृतिक आपदा था,
लेकिन इन दोनों प्रेमियों के लिए संपर्क का द्वार खोल गया । उन्होंने दीवार के छेद
का इस्तेमाल आपसी बातचीत के लिए किया । वे जानते थे कि, उनके परिवार एक दूसरे के
लिए नफरत के भाव रखते हैं, इसलिए उन्हें यह पक्का पता था कि, दोनों परिवार उनके
प्रेम संबंध को किसी भी तरह से स्वीकार नहीं करेंगे, इसलिए उनके दरम्यान जो भी
बातचीत थी, वह छुप छुपाकर थी और परिजनों को इस बात का जरा भी अंदेशा नहीं था, कि पिरामस और थिस्बे एक दूसरे से प्यार करने लगे हैं । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">जल्द ही उन दोनों को यह एहसास हो गया कि, पारिवारिक दुश्मनी
के चलते उनका विवाह संभव नहीं है, अतः उन्होंने भागकर शादी करने की ठान ली । उन्होंने
तय किया कि, कस्बे की सीमा रेखा पर बह रही नदी को एक सुनिश्चित समय में पार करके वो,
एक दूसरे के साथ, कहीं दूर पलायन कर जाएंगे और ब्याह कर लेंगे, उन्हें यह भी उम्मीद
थी कि, विवाह के बाद जैसे-जैसे समय बीतेगा, उनके परिजन, उनके संबंधों को स्वीकार
कर लेंगे, बस इसी उम्मीद के सहारे उन दोनों ने किसी से बताए बिना पलायन करने की योजना
बना ली । अब हुआ यह कि थिस्बे तयशुदा दिन
को, नदी के किनारे पहुंच गई, उसने सबसे छुपने के लिए अपने सिर पर एक बड़ा सा आंचल
डाला हुआ था, तभी उसने देखा कि, एक शेरनी जोकि शिकार करके नदी में पानी पीने आई थी
और जिसके पंजे और मुंह पर खून लगा हुआ था । उसे देखकर थिस्बे, डर गई और छुपने के
लिए पास की गुफा में भागी । उसकी बदहवासी के चलते, उसका आंचल वहीं पर गिर गया और पानी
पीकर लौट रही शेरनी ने उस आंचल को देख कर उसे टुकड़े-टुकड़े कर दिया, जिससे आंचल
के टुकड़ों पर खून के दाग लग गए फिर थोड़ी
देर बाद, शेरनी उकता कर जंगल में वापस चली गई ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">इसी दौरान पिरामस वहां पहुंचा और आंचल के खून लगे टुकड़े
देखकर वह स्तब्ध रह गया । उसे कुछ सूझा ही नहीं, उसे लगा, कि किसी जंगली जानवर ने थिस्बे
के प्राण ले लिए हैं और उसकी निशानी बतौर आंचल तार तार होकर, जेमीन पर पर पड़ा हुआ
है । वह बहुत दुखी था और घटनाक्रम के लिए स्वयं को जिम्मेदार मान रहा था,क्योंकि
वह थिस्बे के मुकाबले, वहां पर देर से पहुंचा था । उसने अपनी ही तलवार से
आत्महत्या कर ली । उसे लगा कि, मृत्यु के बाद वो अपनी प्रेयसी के पास पहुंच जाएगा ।
तभी निरापद समय जानकर थिस्बे भी गुफा से बाहर आई और उसने देखा पिरामस मर चुका है ।
वह गहन दुख और अवसाद से घिर गई । उसे अपने आंचल के टुकड़े और प्रेमी की मृत देह के
सिवा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था । उसने तय किया कि, यदि नियति को यही मंजूर है,
तो यही सही । उसने देवताओं से प्रार्थना की, कि, उन दोनों के परिजन मृत्यु के
उपरांत उन्हें क्षमा कर दें और दुश्मनी भुलाकर एक ही कब्र में दफन कर दें । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">इसके बाद उसने खुद भी पिरामस की तलवार से आत्महत्या कर ली ।
दोनों प्रेमियों के शव जिस दरख़्त के नीचे गिरे थे, उसमें सफेद फल लगते थे, लेकिन
प्रेमियों के खून से उसकी जड़ें लाल हो गई और उसमें लाल रंग के फल आने लगे । कालांतर
में, इस दरख्त को शहतूत के नाम से जाना गया। प्रेमियों की मृत्यु के बाद उनके
परिजनों को आघात पहुंचा और उन्होंने पारस्परिक शत्रुता को भुला कर पिरामस और
थिस्बे के मृत शरीर को एक ही कब्र में दफना दिया तथा अपने घरों के बीच की दीवार
तोड़ दी । उन्होंने तय किया कि, प्रेमी युगल की मृत देह, जिस वृक्ष के नीचे मौजूद थी
। वे उसे सदा जीवित रखेंगे ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">यह आख्यान, पड़ोस में रहने वाले, किंतु दिलों में दूरियां
बनाए हुए दो परिवारों के, मासूम बच्चों से जवान हो चुके और एक दूसरे के प्रति
अनुरक्त हो गए, जोड़े की कथा कहता है । उन युवाओं को समाज की निंदा का भय है और
अपने परिवार के लोगों से यह उम्मीद नहीं है कि, वह परस्पर समझौता करते हुए उन
दोनों को क्षमा कर देंगे । बहरहाल प्रकृति ने उनके ऊपर एक उपकार किया कि, दुश्मन
परिवारों के दरम्यान जो दीवार बनी हुई थी, उसमें आई दरार और उस दरार में मौजूद एक
नन्हे से छेद ने उन्हें पारस्परिक संवाद का अवसर दिया । दोनों बहुत दिनों तक
छुप-छुपकर मिलते रहे । संकेतों में बात
करते किंतु अपने परिवार और समाज से भयभीत बने रहे । उन्होंने तय किया कि, उन्हें
अपने प्रेम को ब्याह की दिशा में ले जाना चाहिए और इसके लिए उन्होंने सह पलायन का
मार्ग खोजा । कथा कहती है कि, सह पलायन की पृष्ठभूमि में एक नन्हीं सी उम्मीद की
किरण भी छुपी थी कि, शायद उनके परिजन ब्याह के पश्चात उन्हें और उनके संबंध को
स्वीकार कर लेंगे और पारस्परिक शत्रुता का त्याग कर देंगे । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">उन्होंने यह तय किया कि, शहर के छोर से बहती हुई नदी को पार
करके, वे अपना लक्ष्य पूरा करेंगे और एक निश्चित समय पर दोनों ने नदी के तट पर
मिलने का वादा किया, लेकिन निर्धारित दिन, थिस्बे समय से थोड़ा पहले नदी तट पर पहुंच
गई । उसने अपनी पहचान छुपाने के लिए, अपने ऊपर एक आंचल डाल रखा था । यह माना जाना
चाहिए कि, उनका प्रेम भी इसी तरह से अदृश्य था, जिसकी जानकारी समाज और परिवार को
नहीं थी, यानि कि, उनके प्रेम पर भी एक आंचल पड़ा हुआ था । नदी के तट पर शेरनी को
देखकर थिस्बे डर जाती है और अपनी जान बचाने के लिए पास की गुफा में छुप जाती है । इसी
आपा धापी में उसका आंचल वहां पर छूट जाता है, जिससे, पानी पीने के बाद लौट रही
शेरनी, खिलवाड़ करती है और अपने खून आलूदा मुंह और पंजों से, उस आंचल के
टुकड़े-टुकड़े कर देती है तथा उकताकर जंगल वापस लौट जाती है । उसी समय पिरामस नदी के
तट पर पहुंचता है और अपनी प्रेमिका का आंचल देख कर गहन अवसाद से घिर जाता है ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">वह सोचता है कि, यह उसकी भूल थी कि, वह अपनी प्रेमिका से
पहले तट पर नहीं पहुंचा और उसकी देरी की वजह से उसकी प्रेमिका को अपने प्राणों की
आहुति देना पड़ी । उसमें एक अपराध गहरा गया था कि, अपनी प्रेमिका की मृत्यु का
कारण वह स्वयं है । वह अपनी प्रेमिका से इतना अधिक प्रेम करता था कि, उसे वहां ना
पाकर, उसे कुछ और सूझा ही नहीं, उसने यह भी नहीं सोचा कि, अगर आंचल के खून आलूदा टुकड़े
यहां पर हैं, तो थिस्बे की कुछ हड्डियां और मांस के कुछ टुकड़े भी वहां पर होना
चाहिए, यानि कि, उसे अपनी प्रेमिका के जीवित होने की संभावना पर भी विचार करना
चाहिए था, किंतु वह प्रेम में अंधा, विवेकहीन होने की कहावत को पूरा करने वाला
इंसान लगता है । उसने उस वृक्ष के नीचे आत्महत्या कर ली, जहां पर उसकी प्रेमिका के
आंचल के टुकड़े बिखरे पड़े थे । कुछ समय बाद उसकी प्रेमिका यह मानकर कि, शेरनी
वापस चली गई होगी, गुफा से बाहर निकलती है और देखती है कि उसका प्रेमी उसके खून
आलूदा, आंचल के टुकड़ों के पास मृत पड़ा हुआ है । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">वह स्तब्ध हो जाती है और गहन दु:ख के क्षण में, देवताओं का
आह्वान करती है कि, वह अपने प्रेमी के बिना जीवित नहीं रहना चाहती, अतः देवता आशीष
दें कि, उन दोनों की मृत्यु के बाद उनके परिजनों की शत्रुता समाप्त हो जाए और उन
दोनों को एक ही कब्र में दफना दिया जाए ।
हुआ भी यही, कि, उनकी मृत्यु की खबर पाते ही, उनके परिजन अत्यंत विचलित हो
गए और उन्होंने पिरामस और थिस्बे को एक ही कब्र में दफना दिया तथा उस दरख़्त को
जीवित रखने की बात अपने मन में ठान ली, क्योंकि उनकी जवान संतानों का खून उस दरख़्त
की जड़ों में समा गया था और वे उसका रक्षण भी अपने बच्चों की तरह से करना चाहते थे
। उन्होंने उस पेड़ को जीवित रखने और अपने घरों के बीच की दीवार को नष्ट करने की
बात तय कर ली । हमें इस कथा के दु:खांत होने का प्रमाण मिलता है, किंतु इस कथा का प्रेमी
जोड़ा, सबसे छुपकर अपने प्रेम को पाना चाहता था । वे दोनों छुपकर नदी तट पर पहुंचे
थे ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">जहां उन्हें समझने बूझने का अवसर भी नहीं मिला और अपने
प्राण त्यागना पड़े, जिसके कारणवश सफेद फलों वाला वृक्ष लाल फलों वाले वृक्ष में
कायांतरित हुआ और उनका अप्रकट प्रेम सब पर प्रकट हो गया । उस प्रेम ने परिवारों की
दुश्मनी को खत्म कर दिया । यह कथा इस अर्थ में अप्रकट प्रेम होने पर शत्रुता के
जीवित रहने और प्रेम के प्रकट होने पर शत्रुता के मर जाने की कथा है । यहां प्रकृति
उस जोड़े की आहुति लेती है और एक फल लदे पेड़ के रूप में, उनके जीवन का प्रतीक बन कर
अस्तित्वमान बनी रहती है । यही नहीं, शिकारी शेरनी और देवतागण इस घटनाक्रम के मुख्य
किन्तु प्रतीकात्मक किरदार हैं । जिन्होंने प्रेमियों की मृत्यु को दुश्मनी की
मृत्यु के रूप में बदल कर रख दिया...</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p align="center" class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-31729853677758386002023-06-29T00:30:00.008+05:302023-06-29T00:30:00.141+05:30आर्फियस और यूरीडाइस <span face="'Arial Unicode MS', sans-serif" lang="HI" style="color: #0071ff; font-size: 13pt; line-height: 115%;"><p align="center" class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><span style="color: red; font-family: "Arial Narrow", "sans-serif"; font-size: 12pt;"> </span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">आर्फियस और यूरीडाइस में मोहब्बत थी</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">यूरीडाइस जो कि, एक
सुंदर अप्सरा थी </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">आर्फियस,
अपोलो का पुत्र था और स्वयं अपोलो ने उसे वाद्य यंत्र बजाने, विशेषकर वीणा वादन की
शिक्षा दी थी </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">आर्फियस का संगीत लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता था और लोग
चाहते थे कि, वे इसे लगातार सुनते ही रहें </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">यूरीडाइस भी आर्फियस की दीवानी थी और फिर उन दोनों ने ब्याह
कर लिया और एक साथ खुशी से जिंदगी बिताने लगे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">यूरीडाइस
की सुंदरता से प्रभावित होकर एरिसस्टियस नाम के चरवाहे ने उसे बहकाने की कोशिश की,
जिससे यूरीडाइस, बेहद नाराज हुई और उसने इसका आक्रामक तथा नकारात्मक जवाब दिया </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">जब वह
वहां से वापस निकल रही थी तो उस जगह पर उसे एक सांप ने काट लिया परिणामस्वरूप यूरीडाइस
की मृत्यु हो गई </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">अपनी पत्नी की मृत्यु से आर्फियस हताश, निराश और दुखी हो
गया </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">।</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";"> उसने पाताल लोक के देवता हेडेस से प्रार्थना की कि, वो
उसका संगीत सुन लें </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">उसके संगीत को सुनकर हेडेस आनंद से भर गए और उन्होंने
आर्फियस से पूछा तुम क्या चाहते हो?</span><span style="font-family: "Arial Narrow","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: "Arial Unicode MS"; mso-bidi-language: HI; mso-fareast-font-family: "Arial Unicode MS";"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">आर्फियस ने कहा कि वह अपनी पत्नी यूरीडाइस को जीवित धरती पर
ले जाना चाहता है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">। हेडे</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">स उसके संगीत से मंत्रमुग्ध थे, अतः उन्होंने एक शर्त रखते
हुए कहा कि, पाताल लोक से धरती तक जाते हुए तुम मुड़कर नहीं देखोगे तो यूरीडाइस
तुम्हारे साथ धरती लोक पर चली जाएगी, लेकिन आर्फियस अपनी पत्नी को देखने का लोभ संवरण
नहीं कर सका और उसने बीच रास्ते में ही मुड़कर यूरीडाइस को देखने की भूल कर दी, इसलिए
हेडेस की शर्त के अनुसार वह अपनी दिवंगत पत्नी को पाताल लोक से धरती पर नहीं ला
सका </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">उसे अकेले ही धरती पर लौटना पड़ा </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">उसने
एक बार फिर से वीणा वादन किया ताकि, वह दिव्य
संगीत के माध्यम से अपनी पत्नी के साथ जुड़ सके </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">अपनी
पत्नी को धरती पर वापस नहीं ला पाने और उसकी असामयिक मृत्यु से आर्फियस इतना दुखी था कि, उसने कसम
खाई कि अब वह कभी भी, किसी से प्रेम नहीं करेगा </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">।</span><span style="font-family: "Arial Narrow","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: "Arial Unicode MS"; mso-bidi-language: HI; mso-fareast-font-family: "Arial Unicode MS";"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">यह कथा कुलीन परिवारों,विशेषकर देवता और अप्सराओं के संयोग
का उदघाटन करती है , लेकिन यह भी स्पष्ट करती है कि, अप्सराओं की मृत्यु हो सकती
है और उन्हें मृत्यु के उपरांत, पाताल लोक जाना पड़ सकता है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">इस
आख्यान से स्पष्ट होता है कि,आर्फियस और यूरीडाइस का प्रेम उन्हें पति-पत्नी के
रूप में एक दूसरे के साथ जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित करता है,किंतु सुंदर
यूरीडाइस के प्रति आकर्षित चरवाहा,उसे बहकाने का यत्न करता है, जिससे नाराज होकर
वह नकारात्मक प्रक्रिया देती है, किंतु घर वापस लौटते समय सांप के काट लेने से
उसकी मृत्यु हो जाती है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">अपनी पत्नी की असामयिक मृत्यु से आर्फियस दुखी है और चाहता
है कि, वह अपनी पत्नी को पाताल लोक से धरती पर वापस लाये </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: "Arial Narrow"; mso-bidi-language: HI; mso-hansi-font-family: "Arial Narrow";">इसके
लिए वह अपने दिव्य संगीत के माध्यम से पाताल लोक के देवता हेडेस को प्रसन्न करता
है और उनसे वरदान प्राप्त करता है कि, यूरीडाइस उसके साथ धरती पर वापस जा सकती है,
बशर्ते पाताल लोक से धरती लोक के रास्ते के दरम्यान ऑर्फियस अपनी पत्नी की ओर मुड़कर नहीं देखे,
लेकिन यह आख्यान इन दोनों के गहन आकर्षण की बात कहता है, तो ऑर्फियस अपना लोभ
संवरण नहीं कर पाता और रास्ते में ही अपनी पत्नी की ओर मुड़ कर देख लेता है, जिसकी
परिणति यह होती है कि, हेडेस की शर्त भंग हो जाती है और यूरीडाइस की धरती लोक पर
वापसी का प्रकरण समाप्त हो जाता है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">।</span></p><p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-size: 12pt; line-height: 115%;">अपनी पत्नी के वियोग में धरती पर ऑर्फियस अपने संगीत की
साधना करता है और लोग उससे मंत्रमुग्ध होते रहते हैं, लेकिन वो यह सौगंध लेता है
कि, अब जीवन में किसी अन्य स्त्री से प्रेम नहीं करेगा </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-size: 12pt; line-height: 115%;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-size: 12pt; line-height: 115%;">यह
कथा सौंदर्य और संगीत निपुणता के पारस्परिक आकर्षण की कथा है, जहां प्रेम, दांपत्य जीवन में
प्रवेश तो करता है, किंतु परपुरुष के हस्तक्षेप के कारण, संयोग ऐसा बनता है कि,
सौंदर्य अपना जीवन खो बैठता है और मृत्यु लोक जा पहुंचता है </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-size: 12pt; line-height: 115%;">। </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-size: 12pt; line-height: 115%;">संगीत
की दक्षता यह प्रयास करती है कि, सौंदर्य को जीवित ही पाताल लोक से धरती पर वापस
ला सके, किंतु प्रबल आकर्षण, शर्तों की बाध्यता नहीं मानता और यही, ऑर्फियस और
यूरीडाइस के प्रकरण में हुआ कि, शर्त भंग होने के कारण यूरीडाइस जीवित धरती पर
नहीं लौट सकी, अंततः ऑर्फियस अपनी पत्नी के प्रति अपनी वफादारी का सबूत देता है और
यह शपथ लेता है कि, वह यूरीडाइस के बाद किसी अन्य स्त्री से प्रेम नहीं करेगा </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-size: 12pt; line-height: 115%;">। यह </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-size: 12pt; line-height: 115%;">कथा दु:खद
तो है किंतु इस कथा से यह भी स्पष्ट होता है कि, प्रेम हो, प्रेम की परिणति,
दांपत्य जीवन के रूप में भी हो, लेकिन पारस्परिक वफादारी जीवित रहे, भले ही जीवन
संगी सामने मौजूद हो अथवा नहीं...</span></p></span>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-55937900349372529662023-06-28T21:28:00.000+05:302023-06-28T21:28:32.144+05:30हेडेस और पर्सेफोन<p align="center" class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">कहते हैं कि, पाताल लोक के देवता हेडेस को प्रकृति की देवी डेमेटर
की पुत्री पर्सेफोन को देखते ही प्यार हो गया था और उसने अपने भाई, देवलोक के राजा
जिउस से सहायता की मांग की और यह तय हुआ कि, वह पर्सेफोन का सुनियोजित अपहरण
करेंगे।अपहरण के बाद पर्सेफोन को, पाताल लोक ले जाया गया और हेडेस ने उसे अपनी
पत्नी बना लिया हालांकि पर्सेफोन शुरू में बहुत दुखी थी, लेकिन कालांतर में उसे
हेडेस से प्रेम हो गया । हुआ ये कि, एक सुबह देवी डेमेटर धरती पर उतरी, उसने अपनी
पुत्री पर्सेफोन को खेलने के लिए नेरीडस और नायड, सायन आदि के साथ खेलने छोड़ दिया,
जोकि नदियों, झरनों और झीलों के मीठे पानी की अप्सराएं थीं । डेमेटर धरती पर अपनी फसलों की देखभाल करने में व्यस्त
हो गई, जब, पर्सेफोन अप्सराओं के साथ खेलने में व्यस्त थी, तभी उसका ध्यान घाटी के
सुगंधित पीले फूलों, नार्सिसस की ओर चला गया और उसने कहा कि, अप्सराएं उसके साथ
घाटी तक चले, लेकिन अप्सराएं, अगर अपने मीठे पानी के स्रोत को छोड़कर जातीं तो
उनकी मृत्यु हो जाती । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">पर्सेफोन ने इन फूलों को तोड़ने की बहुत कोशिश की, जिससे
उसकी शक्ति क्षीण होने लगी लेकिन नार्सिसस का फूल, अत्यधिक बल लगाने के बाद टूटा और
उसका तना फिर भी धरती पर बना रहा, अचानक उसने देखा कि, तने की आकृति बढ़ने लगी है
और उसमें एक छेद जैसा प्रकट हुआ, जिसे देखकर वह डर गई । अचानक उसे धरती पर एक
विशाल छेद दिखाई दिया, जिसमें से घोड़ों के रथ की आवाज आई । उसने पाया कि, हेडेस
उसका अपहरण करना चाहता है, उसकी चीख पुकार सुनकर, अप्सरा नायड और सायन ने उसे
बचाने की कोशिश की, किंतु पाताल लोक के देवता हेडेस के सामने उनका कोई मुकाबला
नहीं था । अपनी सखि पर्सेफोन के अपहरण का दुख मनाते हुए सायन के आंसू बहने लगे ।
जब पर्सेफोन की मां डेमेटर उस स्थान पर वापस पहुंची, जहां उसने अपनी पुत्री को
छोड़ा था, तो अप्सराओं ने रोते हुए पर्सेफोन के अपहरण का हाल कहा, लेकिन वे लोग साफ
साफ यह नहीं बता पाईं कि, पर्सेफोन को कौन ले गया । डेमेटर ने क्रोध में आकर सभी
अप्सराओं को बदसूरत और क्रूर किस्म की महिला बनने का श्राप दे दिया, हालांकि सायन
के रुदन से वह प्रभावित थी, इसलिए उसने सायन को नदी के रूप में बहने का वरदान दिया
।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">इसके बाद डेमेटर पागलों की तरह से अपनी पुत्री को ढूंढने
लगी, उसके हाथों में एक मशाल थी और वह पूरी पृथ्वी पर नौ लंबे दिन और नौ लंबी रात
लगातार घूमती रही । अंत में उसकी भेंट जादू टोने और आत्माओं के देवता हैकेट से हुई,जिसने
उसे सूर्य देव हेलिओस से मदद मांगने को कहा । हेलिओस ने डेमेटर को बताया कि, किस
तरह से हेडेस ने पर्सेफोन को पाताल लोक में खींच लिया है । डेमेटर ने हेडेस से
अनुरोध किया कि, वह जवान पर्सेफोन को पाताल लोक में ना रखे, बल्कि उसे धरती पर
रहने के लिए वापस भेज दे, जिसने अपने भाई जिउस से चर्चा की और यह तय किया कि पर्सेफोन
शुरू के छह माह तक धरती पर रहेगी और बाकी
के छै माह पाताल लोक में । लिए गए निर्णय के अनुसार पर्सेफोन को अनार के बीज खाने
के लिए कहा गया, जिसके अनुसार उसे छै माह के लिए, पाताल लोक में लौटने की शर्त को
मानना था और शेष समय अपनी मां डेमेटर के साथ व्यतीत कर सकती थी । बहरहाल जब भी पर्सेफोन
पाताल लोक को छोड़कर धरती पर आती है तो यह समय धरती पर वसंत का समय होता है और जब वापस
पाताल लोक चली जाती है तो, उस समय धरती पर सर्दी की ऋतु होती है । पर्सेफोन का
वापस आना ग्रीस राष्ट्र में महान उत्सव के अवसर देता है और यह भी कहता है कि, पर्सेफोन
को जिउस और हेडेस की शर्तों के अनुसार, छै माह हेडेस की रानी की तरह से पाताल लोक
में बिताना है...</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">यह ग्रीक की अद्भुत कथा है, जिसके अनुसार पर्सेफोन प्रकृति
की देवी डेमेटर की पुत्री है जो, धरती पर हरियाली और फसलों की देख रेख करने वाली
देवी है । जब वह अपनी पुत्री को लेकर धरती पर आती है तो अपनी फसलों के निरीक्षण के
समय अपनी पुत्री को मीठे पानी की अप्सराओं के हवाले कर के काम से चली जाती है और
अपहरण का सारा घटनाक्रम उसकी अनुपस्थिति में घटता है । यह एक पक्षीय प्रेम है ।
पाताल लोक का देवता, अपनी तुष्टि के लिए पर्सेफोन का अपहरण करता है और पर्सेफोन
पाताल लोक पर जाने तथा अपहरण और विवाह हो
जाने के, लंबे समय के बाद हेडेस से प्रेम कर पाती है । नि:संदेह ये ब्याह हो जाने
के उपरांत का प्रेम है । जो शुरुआती दौर में केवल हेडेस का प्रेम था । हेडेस ने
अपने प्रेम के लिए, अपने भाई देवता जिउस से मदद ली और वे दोनों, इस अपहरण के मुख्य
षडयंत्रकारी थे, जबकि, पर्सेफोन की धरती वापसी के समय वे दोनों, निर्णायक भी बन गए
कि, पर्सेफोन अपनी मां के पास केवल छै माह रह सकेगी और उसे अगले छै माह अपने पति हेडेस
के साथ गुजारना होंगे । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">अपहरण के समय कमनीय अप्सराएं शक्तिशाली हेडेस का मुकाबला
करके पर्सेफोन को बचा नहीं सकीं और वे यह संकेत देने में भी असफल रहीं कि, पर्सेफोन का अपहरण किसने किया ? केवल सायन ही
ऐसी अप्सरा थी जो, हेडेस से मुकाबला तो नहीं कर सकी, लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी में
असफल रहने के कारण शोकाकुल रही । अतः उसके आंसुओं का एक नदी के रूप में बदल जाने
का कथन शानदार है, जबकि अन्य अप्सराओं को क्रूर तथा बदसूरत स्त्रियों के तौर पर
जीवन गुजारने का श्राप मिलता है । एक उल्लेखनीय कथन यह भी है कि वे, पर्सेफोन की
मदद के लिए, उसके साथ फूलों की घाटी पर नहीं गईं थी, क्योंकि उनके जीवन का स्रोत
मीठा जल था, जिससे दूर जाने पर स्वयं उनकी मृत्यु का संकट उनके सामने खड़ा हो जाता,
बहरहाल उन्होंने, अपनी मृत्यु तो टाल दी, लेकिन क्रूर और बदसूरत स्त्रियों का जीवन
जीने के लिए अभिशापित हो गई । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">जहां पर्सेफोन की मां पूरी धरती पर मशाल की नन्ही रोशनी में
अपनी पुत्री को ढूंढती फिरती है । वहीं उसे जादू टोने के देवता के माध्यम से असीमित
रोशनी के देवता सूर्य की मदद मिलती है । यद्यपि वो अपनी पुत्री की, धरती पर शत
प्रतिशत वापसी तो नहीं करवा पाती, लेकिन धरती और पाताल के बीच यानि कि, धरती के
सामान्य नागरिकों और पर्सीफोन के पति देवता हेडेस, के बीच समय को दो हिस्सों में
जरूर बांट पाती है । पर्सेफोन का धरती पर आगमन, वसंत ऋतु और त्योहारों का समय है,
जबकि धरती से उसकी विदाई के उपरान्त पाताल लोक यानि कि, प्रतीकात्मक रूप अन्धकार
के देवता हेडेस के साथ गुजारने का काल, धरती पर शीत ऋतु का समय है...</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p align="center" class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><span style="font-family: "Arial Narrow", "sans-serif"; font-size: 16pt;"> </span></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-34313938901423456672023-06-28T00:30:00.002+05:302023-06-28T00:30:00.148+05:30अफ़रोडाइट और जिउस<p align="center" class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><span style="font-family: "Arial Unicode MS", "sans-serif"; font-size: 16pt;"> </span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">अफ़रोडाइट के जीवन में प्रणय प्रसंगों की कमी नहीं थी । उसकी
सुंदरता अक्सर देवताओं के लिए आसक्ति का कारण बन जाया करती । कहते हैं कि, एक बार
देवताओं के राजा जिउस ने क्रिपोस द्वीप पर अफ़रोडाइट के साथ बलात्कार करने की
कोशिश की थी, लेकिन अफ़रोडाइट उस समय किसी प्रकार से जिउस के इस प्रयास से बच गई
थी । जिउस, अफ़रोडाइट को पाने के लिए तरस रहा था, भले ही वह उसे प्राप्त नहीं हो
रही थी, तब जिउस ने जमीन पर अपने बीज बिखेर दिये । शुरू में अफ़रोडाइट देवता जिउस से
बचकर भागती रही और वह उसे पकड़ नहीं सका, लेकिन जिउस के द्वारा धरती पर की गई प्रेम वर्षा से अफ़रोडाइट
बच नहीं सकी और बाद में उसने स्वेच्छा से जिउस के साथ शारीरिक संबंध बनाए हालांकि
जिउस की पत्नी हेरा, इस प्रेम प्रसंग से अत्यंत क्रुद्ध और ईर्ष्यालु हो गई थी और
उसने अफ़रोडाइट के पेट पर हाथ रखकर, उसकी सभी संतानों को कुरूपता का श्राप दिया,
इसलिए जिउस और अफ़रोडाइट का बच्चा प्रियापोस, बेहद बदसूरत हुआ । इस बच्चे को जन्म
के बाद अफ़रोडाइट ने एक पहाड़ पर फेंक दिया था । जिसे एक चरवाहे द्वारा उठाया गया,
लेकिन चरवाहे ने देखा कि, बच्चे के पृष्ठान्ग पर गुप्तांग उग रहे थे और बच्चा बेहद
कुरूप, मांस के लोथड़े जैसा था । यह एक आश्चर्यजनक घटना थी जोकि, देवी हेरा के
क्रोध और ईर्ष्या की परिणति मानी जायेगी ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">अफ़रोडाइट ने देवलोक की व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिउस, जोकि
देवताओं का राजा और पिता तुल्य है, के अपंग पुत्र शिल्पी देव हेफिस्टोस के साथ
वैवाहिक संबंध स्वीकार कर लिया था, जबकि, उस समय वह एरेस से प्रेम करती थी, लेकिन उसने,
जिउस की पत्नी, और जन्म के फ़ौरन बाद अपने अपंग पुत्र हेफिस्टोस का वितृष्णा पूर्ण
परित्याग करने वाली मां हेरा को, हेफिस्टोस
के बंधनों से मुक्त कराने के लिए, इस बेमेल वैवाहिक संबंध के लिए, हां कर दी थी,
भले ही यह संबंध अधिक समय तक नहीं चला क्योंकि अफरोडाइट, एरेस के साथ अनैतिक संबंध
रखने के आरोप में पकड़ी गई थी । इसके बाद जिउस ने देवता हेमीज को अफ़रोडाइट से
एकतरफा प्रेम करने और असफल रह जाने के समय दया करते हुए, अफ़रोडाइट की जूतियां,
चोरी करवाईं और हेमीज को सौंप दीं ताकि वह अफ़रोडाइट का भयादोहन करते हुए
अफ़रोडाइट से दैहिक संबंध बना सके । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">यह अजीब सी स्थिति है कि, देवलोक की व्यवस्था और अपनी पत्नी
हेरा की मुक्ति के नाम पर, अपने अपंग पुत्र से अफरोडाइट का ब्याह करा देना और
देवता हेमीज के, अफ़रोडाइट से भयादोहन के आधार पर बनने वाले, दैहिक संबंधों का समर्थक
बनना, देवों के राजा जिउस के अनैतिक कृत्य थे, किंतु जिउस स्वयं भी, अफ़रोडाइट के
प्रति आकर्षित था और उसने अफ़रोडाइट के साथ बलात्कार करने की चेष्टा भी की थी,
यद्यपि अफ़रोडाइट उसके इस प्रयास से सुरक्षित बच निकली थी । यह बेहद गंभीर बात है
कि, जिउस, अफ़रोडाइट के प्रति आसक्त हुआ और यह आसक्ति बलात्कार की सीमा तक जा
पहुंची और जब अफ़रोडाइट वहां से बचकर भाग निकली तो जिउस ने धरती पर अपने आत्म के
बीज बिखेर दिए, जिनके सम्मोहन और प्रेम वर्षा से अफ़रोडाइट बच नहीं सकी । फिर उसने
कालांतर में जिउस के साथ स्वेच्छा से दैहिक संबंध बना लिए, जिसके कारणवश जिउस की
पत्नी देवी हेरा अत्यंत क्रुद्ध हुई और ईर्ष्या से भर गई ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">हेरा ने अफ़रोडाइट के पेट पर हाथ रखते हुए उसकी सभी संतानों
को कुरूपता का श्राप दे दिया था , जिसके फलस्वरूप जिउस और अफरोडाइट का बच्चा,
प्रियापोस बेहद कुरूप और मांस के लोथड़े की तरह से पैदा हुआ, जिसे अफ़रोडाइट ने
देवलोक से धरती लोक के एक पहाड़ के ऊपर फेंक दिया । इस कथा से यह स्पष्ट होता है
कि, देवताओं का राजा जिउस भी अफ़रोडाइट को पाने के लिए देह बल का प्रयोग करता है
और सफल नहीं होने पर सम्मोहन के माध्यम से उसके साथ सहवास के संबंध स्थापित करने
में सफल हो जाता है, भले ही उसकी पत्नी हेरा ने उन दोनो की संतान को कुरूपता का श्राप
दे दिया था । सो इस कथा में, देवता जिउस की, सौंदर्य के प्रति आसक्ति और आसक्ति के
चरमोत्कर्ष के रूप में, देह संसर्ग के उपरान्त, उसकी पत्नी हेरा की ईर्ष्या का
प्रदर्शन देखने को मिलता है, किंतु कथा में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि, अपंग
शिल्पी देव हेफिस्टोस</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">से ब्याह करते ही, अफ़रोडाइट उसकी पुत्र वधु हो गई थी फिर
भी उसने अपनी पुत्र वधु से प्रेम संबंध स्थापित किए और एक बच्चे का पिता भी बना । वह
ना केवल देवताओं का राजा था बल्कि अफ़रोडाइट के लिए ससुर होकर पिता तुल्य भी था,
लेकिन उसने येन केन प्रकारेण दैहिक संसर्ग
का मार्ग चुना...</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">ये सारे आख्यान देवी अफ़रोडाइट को संबोधित हैं जो लालसा, सुंदरता, प्रसन्नता, प्रेम और प्रजनन की
देवी है, जोकि अपने अनिद्य सौंदर्य के चलते विख्यात रही है । इस देवी के साथ
अनेकों प्रेम कथाएं जुड़ी हुई हैं </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">, <span lang="HI">अनेकों देवताओं के से लेकर नश्वर मनुष्य तक उसके अल्पावधि अथवा
दीर्घाकालिक यौन संबंध रहे हैं । आमतौर पर अफ़रोडाइट को युद्ध के देवता सेरेस की
पत्नी माना जाता है, लेकिन उसके प्रेम संबंधों की भरमार से ऐसा लगता है कि, ग्रीक
देवी देवताओं को सौंदर्यप्रिय, प्रजननशील और सहवास के उत्सुक, यहां तक कि बलात्कार
की चेष्टा करने वाले देवताओं के रूप में भी स्वीकार किया जा सकता है । कुल मिलाकर
इन कहानियों से कुछ स्पष्ट संकेत मिलते हैं, मिसाल के तौर पर यह कि, ब्रह्माण्ड
में जीवन दो तरह का है, एक धरती पर नश्वर मनुष्यों का जीवन और दूसरे देवलोक तथा
पाताल लोक में अमरत्व प्राप्त देवी देवताओं का जीवन । </span><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">इसके इतर इन कथाओं से यह संकेत भी मिलते भी हैं कि, प्रेम
और यौन संबंधों के सामान्य अथवा असामान्य प्रारूपों में देवता और देवियां, नश्वर
मनुष्यों की तरह की लालसाएं रखते हैं और जीवन जीते हैं । देवी देवताओं और साधारण
मनुष्यों में यौनिक लोलुपताओं, सह जीवन, वैवाहिक प्रणय सम्बन्ध अथवा विवाहेत्तर
अनैतिक सम्बन्ध बहु-पुरुष / देव या
बहु-स्त्री / देवी गामिता का साम्य देखने से, यह भी प्रतीत होता है कि जैसे देवी
देवता, मुनष्यों की मानस संताने हैं और वे मनुष्यों से भिन्न हो ही नहीं सकते ।
अमरत्व प्राप्त देवी देवताओं में मनुष्यों की तरह से वर्जनाओं के उल्लंघन या जीवन
संगी से प्रणय संबंधों में धोखेबाजी के वृत्तांत बहुतायत से कहे गए हैं । अतः
देवत्व का कल्पना लोक, मनुष्यों के वास्तविक भूलोक से मिलता जुलता है । कामुकता इन
दोनों लोकों की प्राथमिक वरीयता है, सो इन कथाओं में मनुष्यों का हस्तक्षेप
स्पष्टतः परिलक्षित है । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"> </span></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-75376195858804436582023-06-27T20:30:00.003+05:302023-06-27T20:30:00.152+05:30अफ़रोडाइट और एडोनिस<p align="center" class="MsoNormal" style="margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; margin: 12pt 0in 0in; text-align: center;"><span face=""Arial Unicode MS", "sans-serif"" style="font-size: 12pt; text-align: justify;"> </span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; margin: 12pt 0in 0in; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="font-size: 12pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">एडोनिस एक दरख्त से पैदा हुआ बच्चा था, जिसकी मां को अपने पिता
के क्रोध से बचने के लिए भागना पड़ा था, क्योंकि उसकी मां और उसके दादा के बीच
अनैतिक संबंध थे, जिसके कारण से एडोनिस की मां गर्भवती हो गई थी, लेकिन एडोनिस के
नाना इस बात से अत्यंत कुपित थे और अपनी पुत्री की जान लेना चाहते थे । वे चाहते
थे कि, एडोनिस की मां और उसके ससुर की कलंक कथा को मृत्यु दंड देकर समाप्त कर दिया
जाए, इसीलिए एडोनिस की मां अपनी जान बचाती हुई भागती फिरती रही, इस संकट काल में देवी
अफ़रोडाइट ने एडोनिस की मां को एक दरख्त में बदल दिया, जिससे कुछ समय बाद एडोनिस
का जन्म हुआ । बड़ा होकर वह नश्वर संसार में एक बेहद खूबसूरत युवा बन गया । जिससे
अफ़रोडाइट को प्यार हुआ और पाताल लोक की रानी पर्सेफोन भी उसके प्रेम में पड़ गई, हालांकि
पर्सेफोन ने एडोनिस का पालन पोषण भी किया था ।</span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" style="font-size: 12pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; margin: 12pt 0in 0in; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="font-size: 12pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">एडोनिस, सांसारिक रूप से साइप्रस का राजकुमार था और उससे
प्रेम के नाम पर देवी अफ़रोडाइट और पाताल लोक की रानी पर्सेफोन एक दूसरे से युद्ध
करने जा रही थीं । यह युद्ध एडोनिस को प्रेमी बतौर पाने का युद्ध था, किंतु देवता जिउस
ने इस युद्ध की संभावना को समाप्त कर दिया और उसने यह व्यवस्था दी कि,एडोनिस साल
का एक तिहाई समय अफ़रोडाइट के साथ और दूसरा तिहाई समय पर्सेफोन के साथ बिताएगा और
तीसरा तिहाई समय वह जिसे चाहे ,उसके साथ व्यतीत कर सकता है। एडोनिस ने देवता जिउस के
द्वारा दी गई व्यवस्था के अंतर्गत सबसे पहला कालखंड देवी अफ़रोडाइट के साथ बिताया ।
उसे अफ़रोडाइट के एकमात्र नश्वर प्रेमी के रूप में जाना जाता है । कहते हैं कि,
जंगली सुअर के हमले से एडोनिस की मृत्यु हो गई, तो देवी अफ़रोडाइट ने उसे अपने
हाथों में उठाकर अत्यंत शोक मनाया और चीख चीख कर रोई । जब उसके आंसू एडोनिस के खून
से मिल गए तो उसने एडोनिस को एनीमोन का
फूल बना दिया।</span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" style="font-size: 12pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; margin: 12pt 0in 0in; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="font-size: 12pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">यह कथा दो कारणों से महत्वपूर्ण है । एक तो यह कि, एडोनिस,
नश्वर मनुष्य था और साइप्रस का राजा भी, कहते हैं कि, एडोनिस के दादा और उसकी मां
के मध्य अनैतिक संबंध थे, जिन्हें ससुर और बहु के संबंधों का नाम भी दिया जा सकता
है । दूसरा यह कि, एडोनिस के नाना इन अनैतिक संबंधों से अत्यधिक कुपित थे और अपनी
पुत्री को मृत्युदंड देना चाहते थे । कुल मिलाकर एडोनिस की मां अपनी जान बचाती हुई
बहगम भाग कर रही थी, तब प्रेम और लालसा की देवी अफरोडाइट ने एडोनिस की मां को एक
दरख़्त में बदल दिया । जिससे कुछ समय बाद एडोनिस का जन्म हुआ । हमें यह मान लेना
चाहिए कि, एडोनिस अपने दादा और अपनी मां की संतान था, भले ही प्रतीकात्मक तौर पर
उसे दरख़्त से पैदा हुआ बताया गया है । कथा से पता चलता है कि, युवा एडोनिस बेहद
खूबसूरत था और दो देवियों के मध्य ईर्ष्या और वैमनस्य का कारण बन गया था ।</span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" style="font-size: 12pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; margin: 12pt 0in 0in; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="font-size: 12pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">हुआ यह कि, देवी अफ़रोडाइट उसे पसंद करने लगी थी और उसी समय
पाताल लोक की रानी पर्सेफोन भी उस से प्रेम करने लगी, हालांकि पर्सेफोन ने एडोनिस का
पालन-पोषण किया था, इस नाते वह एडोनिस की पालक मां मानी जायेगी, किंतु इस कथा में,
सभी तरह की नैतिकताओं का घनघोर उल्लंघन किया जाना स्पष्ट होता है । ससुर का बहु से
अनैतिक संबंध, दादा के पुत्र के तौर पर एडोनिस का जन्म और जन्म के पश्चात युवा
होने पर उसकी मां की रक्षक देवी अफ़रोडाइट और पाताल लोक की रानी पर्सेफोन, जोकि,
उसकी पालक मां भी कहीं जाएगी, का एडोनिस के प्रति आकर्षण किसी भी तरह से उचित नहीं
कहा जा सकता । इस प्रकरण में देवी पर्सेफोन और अफरोडाइट के मध्य युद्ध होने की
संभावना थी, जिसे देवताओं के राजा जिउस ने एक व्यवस्था के तहत समाप्त कर दिया,</span><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; mso-ascii-font-family: Calibri; mso-ascii-theme-font: minor-latin; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-hansi-font-family: Calibri; mso-hansi-theme-font: minor-latin;"> </span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="font-size: 12pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">उसने कहा
कि एडोनिस, वर्ष का एक तिहाई समय अफ़रोडाइट के साथ और दूसरा तिहाई समय रानी पर्सेफोन
के साथ बिताएगा, इसके अतिरिक्त बचा हुआ, एक तिहाई समय जिसके साथ चाहे व्यतीत कर
सकता है ।</span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" style="font-size: 12pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; margin: 12pt 0in 0in; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" lang="HI" style="font-size: 12pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">अतः यह कथा, बहुस्त्रीगामिता की कथा भी है, जिसे देवों के
राजा जिउस का समर्थन प्राप्त है । संबंधों में अनैतिकता का घालमेल होते हुए भी, यह
कथा अनश्वर देवियों और नश्वर मनुष्य के मध्य प्रणय का महत्वपूर्ण उदाहरण है, जिसका
समापन, जंगली सूकर के हमले से घायल एडोनिस की मृत्यु के पश्चात् एडोनिस के रक्त और
अफरोडाइट के आंसुओं के मिल जाने और एडोनिस के एनीमोन का फूल बन जाने पर होता है,
वैसे भी वो एक दरख़्त से पैदा हुआ था... </span><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" style="font-size: 12pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; margin: 12pt 0in 0in; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span face=""Arial Unicode MS","sans-serif"" style="font-size: 16pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"> </span></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-71118259001284915002023-06-27T00:30:00.000+05:302023-06-27T00:30:00.149+05:30अफ़रोडाइट और डायोनिसस<p align="center" class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">डायोनिसस शराब के देवता हैं, जिनके साथ अफरोडाइट का
संक्षिप्त सा प्रेम प्रसंग रहा है । कहते हैं डायोनिसस, देवता जिउस और शेल नाम की
नश्वर महिला की संतान है । इस प्रसंग में जिउस की पत्नी देवी हेरा को संदेह था,
अतः उसने डायोनिसस की मां को अत्यधिक प्रताड़ित किया, किन्तु देवता जिउस ने अपनी पीड़ित
प्रेमिका को अपनी ही जांघ की त्वचा से सिलाई करके तब तक बचाए रखा जब तक कि,
डायोनिसस का जन्म नहीं हो गया । कालांतर में डायोनिसस को शराब के देवता के रूप में
मान्य किया गया । डायोनिसस</span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%;"> </span><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">की प्रसिद्धि, राजा मिडोस
को सब कुछ स्वर्ण के रूप में बदलने की शक्ति प्रदान करने के प्रकरण में है ।
जहां पर मिडोस गलती से अपनी पुत्री को भी स्वर्ण में बदल देता है, तब डायोनिसस का यह
वरदान अभिशाप में बदल गया था ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">डायोनिसस बेहद खूबसूरत देवता था कदाचित इसीलिए अफरोडाइट उस
से प्रभावित हुई होगी और इसके फलस्वरूप उनके पांच बच्चों होने का कथन भी प्रचलित
है । यह माना जाता है कि शराब के संपर्क में आये पुरुष अत्यधिक उत्तेजित हो जाते
है और प्रेम तथा शारीरिक संबंधों के प्रति आकर्षित हो जाते है ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">कथा के अनुसार, डायोनिसस शराब का देवता है जोकि, देवों के
राजा जिउस और एक नश्वर महिला शैल की संतान है, चूंकि इस प्रेम प्रसंग की भनक जिउस
की पत्नी हेरा को थी, अतः उसने डायोनिसस की मां को अत्यधिक प्रताड़ित किया हालाँकि
उसके जीवन की रक्षा स्वयं जिउस ने उस समय तक की, जब तक कि, डायोनिसस का जन्म नहीं हो गया । डायोनिसस
शराब के देवता होने के नाते उत्तेजना और मादकता का देव भी हैं । यह मान्यता है कि,
शराब के संपर्क में आया, पुरुष उत्तेजित होकर प्रेम और शारीरिक संबंधों के प्रति
आकर्षित हो जाता है । अतः प्रतीत होता है कि डायोनिसस शराब का देवता होने के नाते
अफ़रोडाइट के प्रति आकर्षित हो गया होगा । इस प्रेम प्रसंग में उन दोनों के
शारीरिक संबंधों का परिणाम पांच संतानों का जन्म भी है । </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">बहरहाल डायोनिसस, अफ़रोडाइट से प्रेम संबंध से कहीं अधिक इस
बात के लिए विख्यात है कि, उसने राजा मिडोस को हर चीज को स्वर्ण में बदलने की
शक्ति प्रदान की थी और गलती से राजा, अपनी पुत्री को भी स्वर्ण में बदल बैठा था,
तो यह वरदान वास्तव में अभिशाप सिद्ध हो गया था । हम यह मान सकते हैं कि वरदान की
पृष्ठभूमि में देवता की मद्य जनित विवेक हीनता भी रही होगी...</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p align="center" class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-13360470752363081092023-06-26T20:30:00.002+05:302023-06-26T20:30:00.142+05:30अफ़रोडाइट और पोसीडॉन<p align="center" class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><br /></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">पोसीडॉन समुद्र का देवता है, उसे अक्सर धरती का पालनहार भी
कहा गया है , जिसके साथ अफ़रोडाइट के अनधिकृत प्रणय प्रसंग की संक्षिप्त सी कथा भी
कही गई है । हुआ यह कि एरेस और अफ़रोडाइट द्वारा, हेफ़िस्टोस से बेवफाई के प्रकरण
में पोसीडॉन द्वारा एरेस और अफरोडाइट का समर्थन किए जाने के कारण से वे दोनों, पोसीडॉन
के प्रति कृतज्ञ थे । उस समय पोसीडॉन ने हेफ़िस्टोस द्वारा एरेस को बंदी बना लेने
और बेड़ियों में जकड़ देने के पश्चात, हेफ़िस्टोस से यह अनुरोध किया था कि, आप
दुनिया के महानतम शिल्पी हैं और मैं आपसे विनती करता हूं कि, एरेस को जाने दो, उसे
मुक्त कर दो और आपको, उससे जो भी मुआवजा चाहिए होगा, मैं आपसे वादा करता हूं कि, एरेस उसका
भुगतान करेगा और यह भुगतान सभी देवताओं की उपस्थिति में होगा, किंतु हेफ़िस्टोस ने
कहा कि पालनहार पोसीडॉन, मुझसे यह मत कहो, विश्वासहीन लोगों के लिए वचन,
विश्वासहीन वचन ही होते हैं ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">अगर एरेस मेरी जंजीरों के बंधन से मुक्त होकर चला गया तो
मैं क्या करूंगा ? तो पोसीडॉन कहता है कि,
हे शिल्पी देवता अगर एरेस बंधन मुक्त होने के पश्चात अपने दंड को चुकाने से इंकार
करता है तो, उसका दंड मैं स्वयं ही भर दूंगा और यह भुगतान मेरे द्वारा किया जाएगा ।
तब हेफ़िस्टोस ने कहा कि, ठीक है मैं आपके
कहने से, आप पर विश्वास करते हुए एरेस को मुक्त कर देता हूं । इस प्रकार से
पोसीडॉन के कहने से हेफ़िस्टोस ने बंदी एरेस को बंधन मुक्त कर दिया और अवैध संबंधों के लिए
कलंकित एरेस तथा अफ़रोडाइट, वहां से चले गए लेकिन उन्होंने पोसीडॉन के इस उपकार को
कभी विस्मृत नहीं किया और वे व्यभिचार में
पकड़े जाने तथा बंदी बनाए जाने के उपरांत, पोसीडॉन के समर्थन के लिए सदैव कृतज्ञ
बने रहे । कहते हैं कि, उस समय एरेस और
अफ़रोडाइट के व्यभिचारी संबंधों में समर्थन के कारण अफ़रोडाइट ने पोसीडॉन से प्रेम
किया और उसने पोसीडॉन की दो पुत्रियों को
जन्म भी दिया जो कि, रोडोस और हेरोफिलोस थी ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">देव शिल्पी हेफिस्टोस और अफ़रोडाइट के वैवाहिक संबंधों के
समानांतर, एरेस और अफ़रोडाइट के अनैतिक संबंधों के कारण, हेफिस्टोस का वैवाहिक
जीवन ध्वस्त हो गया था और देवलोक में इस प्रकरण की सार्वजनिक रूप से चर्चा होने
लगी थी अतः हेफिस्टोस ने एरेस को देवलोक में ही अपनी शिल्प विद्या के जरिए बंदी
बना लिया था और उसे बंधन मुक्त करने से मना कर दिया था, क्योंकि वह अपने वैवाहिक
जीवन को नष्ट करने के लिए तथा अपनी पत्नी अफ़रोडाइट के साथ अनैतिक संबंध रखने के
लिए, एरेस को दंडित और अपमानित करना चाहता था। इस समय पोसीडॉन जो समुद्र का देवता है और जिसे
धरती का पालनहार भी कहा गया है, उसने एरेस की मुक्ति के लिए हेफिस्टोस से बारम्बार
अनुरोध किया कि, वह एरेस को मुक्त कर दे और जब हेफिस्टोस कहा कि, अगर एरेस मुक्ति
के पश्चात, मुआवजे के भुगतान से मुकर गया तो क्या होगा ? </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">तब पोसीडॉन ने एरेस का समर्थन करते हुए कहा कि, उस स्थिति
में, मैं स्वयं उस मुआवजे का भुगतान करूंगा और फिर पोसीडॉन के हस्तक्षेप से हेफिस्टोस
ने एरेस को बंधन मुक्त कर दिया । तदुपरांत एरेस तथा अफरोडाइट अपने नवागत जीवन को एक
साथ व्यतीत करने के लिए तैयार हो गए, क्योंकि इस समय तक अफ़रोडाइट और हेफिस्टोस का
सम्बन्ध विच्छेद हो चुका था । इस प्रकरण में अफ़रोडाइट और एरेस, पोसीडॉन के
व्यवहार से खुश और कृतज्ञ थे । बस यही एक जगह है, जहाँ पर अफ़रोडाइट और एरेस,
पोसीडॉन के उपकार को भूले नहीं, कालांतर में पोसीडॉन के समर्थन के बदले, अफ़रोडाइट
ने पोसीडॉन से प्रेम संबंध स्थापित किए और दो पुत्रियों को जन्म दिया, जिनका नाम रोडोस
और हेरोफिलोस था । यानि कि, अफरोडाइट ने असमय में पोसीडॉन के समर्थन और उपकार का
बदला प्रेम से चुकाया ।</span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: justify; text-justify: inter-ideograph;"><span lang="HI" style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;">अगर हम गौर करें, तो विवाहेत्तर संबंधों में पकड़े जाने के
उपरांत जो अपमानजनक स्थितियां एरेस और अफरोडाइट के समक्ष थी, उनके निवारण के लिए पोसीडॉन
की भूमिका महत्वपूर्ण थी और इस भूमिका के चलते अफ़रोडाइट ने पोसीडॉन के साथ प्रेम
संबंध स्थापित किए जिनका मुख्य आधार यौनिकता थी... </span><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></p>
<p align="center" class="MsoNormal" style="margin-bottom: .0001pt; margin-bottom: 0in; margin-left: 0in; margin-right: 0in; margin-top: 12.0pt; text-align: center;"><span style="font-family: "Arial Unicode MS","sans-serif"; font-size: 16.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"> </span></p>उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.com