tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post982356323158451813..comments2023-10-30T13:19:42.453+05:30Comments on ummaten: हरित वर्ण रेशमी परिधान...!उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-70705074341871950322013-07-27T19:48:22.705+05:302013-07-27T19:48:22.705+05:30धन्यवाद !धन्यवाद !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-18805105940853708792013-07-27T12:24:59.512+05:302013-07-27T12:24:59.512+05:30जो भी व्यक्ति ज्ञानी / ज्ञानोत्सुक हो उसके लिए विव...जो भी व्यक्ति ज्ञानी / ज्ञानोत्सुक हो उसके लिए विविध भाषायें / भिन्न देह आकृतियां और सांसारिक विविधतायें मायने नहीं रखतीं , वह हर तरह के भेद भाव से मुक्त हो जाया करता है ! राजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02628010904084953893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-12671673176768821112013-07-23T16:04:11.824+05:302013-07-23T16:04:11.824+05:30नि:संदेह !
आपका ह्रदय से आभार !नि:संदेह !<br />आपका ह्रदय से आभार !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-82002069054148249332013-07-23T16:02:36.723+05:302013-07-23T16:02:36.723+05:30मजाल साहब ,
वो साधक अविवाहित था और आप यकीनन शादीशु...मजाल साहब ,<br />वो साधक अविवाहित था और आप यकीनन शादीशुदा होंगे सो स्त्री वाले स्वप्न के अनुभव जैसा आप कहें... :)<br /><br />फिलहाल जारी तो है ही, हालांकि गुज़ारिश ये कि 'मैं' वाली दुआयें ना दीजिए ! <br /><br /> <br />उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-31601075192529379732013-07-23T15:57:00.626+05:302013-07-23T15:57:00.626+05:30ये तो कमाल हो गया आलेख के अंतिम ड्राफ्ट से 'अभ...ये तो कमाल हो गया आलेख के अंतिम ड्राफ्ट से 'अभिलाषा' हटाकर 'लालसा' लिखते वक़्त मैं एक दो मिनट के लिए द्विधा में ज़रूर पड़ गया था :) बहरहाल 'उत्कट' शब्द आपका विशेष योगदान है और मुझे स्वीकार्य है! पांचवें पैरा की तीसरी लाइन में अच्छे साधक का ज़िक्र करते हुए यह बात ज़ेहन में थी कि अच्छा ज्ञान जो हर भेद मिटा दे ! काश ऐसा हो ! आमीन !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-49873590062711079972013-07-23T15:48:39.325+05:302013-07-23T15:48:39.325+05:30हां,इशारा वही है कि 'यू' के अवचेतन में स्त...हां,इशारा वही है कि 'यू' के अवचेतन में स्त्रियों से सम्बंधित घटनायें शेष रही होंगी सो उसने स्वप्न में कमोबेश वैसा ही देखा/अनुभूति की ! गीली स्याही के नरम स्पर्श वाली आपकी बात अच्छी लगी और मधुमक्खी के भिन भिन वाली आवाज का मीठापन भी ! <br /><br />संकट में फंसी राजकुमारी/राजकुमार को सहायता पहुंचाने वाले नायक/नायिका के ख्याल को हम समाजशास्त्र में 'आभासी समूह' कहा करते हैं ! ऐसी अनुभूति अमूमन खेल/फिल्म देखते हुए दर्शकों को अक्सर होती है जब वे अपनी सुविधा अनुसार नायिका अथवा नायक के साथ स्वयं को संबद्ध करके देखते हैं :) अस्तु आपकी व्याख्या से पूर्ण सहमति !<br /> <br />बौद्ध धर्म के मसले में आपका कथन उचित है ! मधुमक्खी के धन्यवाद को मैं भी 'यू' का आभास ही मान कर चल रहा हूं !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-18003132223113283402013-07-23T13:04:19.269+05:302013-07-23T13:04:19.269+05:30 मकड़ी हो या मधुमक्खी हर जीव का अपनी-अपनी जगह सुनि... मकड़ी हो या मधुमक्खी हर जीव का अपनी-अपनी जगह सुनिश्चित है इस पृथ्वी पर ....हमारी तरह उनका भी अपना मूल्य है ...<br />बहुत बढ़िया कहानी .. कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-32042317417861227062013-07-23T10:34:05.397+05:302013-07-23T10:34:05.397+05:30स्त्री के स्वप्न में आने का हमारा अनुभव तो कुछ और...स्त्री के स्वप्न में आने का हमारा अनुभव तो कुछ और ही बोलता है !<br /><br />जारी रखिये और हो सके तो खुद की बोध/ नीति कथाओं की सीरिज शुरू करने पर भी विचार करिए :)Majaalhttps://www.blogger.com/profile/08748183678189221145noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-20253633463684675612013-07-23T08:39:41.799+05:302013-07-23T08:39:41.799+05:30लालसा न होकर किसी की सहायता करने की उत्कट अभिलाषा ...लालसा न होकर किसी की सहायता करने की उत्कट अभिलाषा भी हो सकती है!<br />ज्ञान हर भेद मिटाता है , काश ऐसा होता !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-51507428949313273972013-07-23T08:34:05.233+05:302013-07-23T08:34:05.233+05:30सपनों में हम वही देखते है जो हमारे साथ पहले ही घट...सपनों में हम वही देखते है जो हमारे साथ पहले ही घटित हो चुका हो और कभी कभी अर्धनीद्रा के समय खास कर तब जब हम सोना तो नहीं चाहते है किन्तु थकान हमें नीद के झोके में ले जाती है तो , दिमागी रूप से हम पूरी तरह नहीं सोये रहते है दिमाग हमारे आस पास हो रही चीजो के लिए थोडा सचेत सा रहता है और वहा हो रही घटनाये भी हमारे सपने बन जाते है जो आधे अधूरे रूप में हमारे दिमाग में पहुंचते है , गिले स्याही का नरम स्पर्श ने उसे रेशमी कपडे का एहसास दिया , वो हरा क्यों था आप ने बता दिया और जाले से छूटने के लिए भिनभिनाती मधुमक्खी की आवाज उसे किसी स्त्री के याचना की आवाज लगती है , दबी धीमी थोड़ी थोड़ी मीठी से आवाज एक स्त्री की होने का अहसास कराती है और लगातार आना उसके घबडाहट की और एक सपना बुन जाता है |<br /> एक नजरिया ये भी हो सकता है राजकुमारी की कहानियो वाला, जहा मुसीबत में फंसी एक राजकुमारी को बहादुर राजकुमार बचाता है और उससे विवाह कर लेता है , जहा लड़किया अपने लिए सुन्दर राजकुमार आने की कल्पना कर सकती है तो कोई लड़का भी खुद के राजकुमार बन किसी राजकुमारी को बचाने के सपने भी बुन सकता है |<br /> जीव पर दया वाली बात से सहमत बौद्ध धर्म में इस बात को कहा गया है , किसी जीव को इस तरह बचाना सभी को अच्छा लगता है चाहे वो मांसाहारी ही क्यों न हो , डिस्कवरी पर एक कार्यक्रम आता है जिसमे उस द्र्श्यो को दिखाया जाता है जिसमे निरीह प्राणी ताकतवर जंगली जानवरों को चुंगल से बच कर निकल जाते है , उन्हें शूट कर रहा हर व्यक्ति यही कहता है की निरीह प्राणी बच जाये और मै भी , और उसके बचने पर सभी खुश होते है जबकि हम सभी जानते है जीव ही जीव का आहार है किसी का बचना किसी के मरने का कारन हो सकता है , फिर भी शायद हम कमजोर के टक्कर लेने की भावना से खुश होते है , या कमजोर को बचाने की भावना से ये मानते है की वो हमारे प्रति कृतज्ञ होगा और हमारा धन्यवाद करेगा इसी भावना के तहत "यू" को मधुमक्खी के पैरो के निशान में धन्यवाद लिखा होने का भ्रम होता है या ये भ्रम वो खुद पाल लेता है |<br />anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-87306301437393054252013-07-22T19:42:06.727+05:302013-07-22T19:42:06.727+05:30जी , आपका बहुत बहुत शुक्रिया !जी , आपका बहुत बहुत शुक्रिया !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-84010880110345602772013-07-22T18:56:00.693+05:302013-07-22T18:56:00.693+05:30Aapki bhasha itni samruddh hai ki padhne me maza a...Aapki bhasha itni samruddh hai ki padhne me maza aa jata hai....<br />kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.com