tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post9111698798484372434..comments2023-10-30T13:19:42.453+05:30Comments on ummaten: सूर्य पुत्र...! उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-91716586027629490062012-10-01T19:01:51.667+05:302012-10-01T19:01:51.667+05:30बताया क्यों? एक तो पुत्र का सम्मान नहीं दिया दूसरे...बताया क्यों? एक तो पुत्र का सम्मान नहीं दिया दूसरे जब पाण्डवों पर संकट आया तो माँ की दुहाई देकर कवच कुंडल इंद्र के माध्यम से ही सही, हथिया लिया। सूर्य भी रक्षा करने नहीं आये। अब इसे इस कथा से जोड़कर देखिये। यहाँ भी पुत्र सूर्य के आशीर्वाद से मशालें प्राप्त कर लेता है लेकिन गलत प्रयोग करता है। पुत्र की उद्दंडता की सजा स्वयम् सूर्य देते हैं। इस कथा में सामाजिक सोच का जो फर्क दिखता है वह रोचक है। देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-60735750982119748032012-10-01T11:38:39.624+05:302012-10-01T11:38:39.624+05:30देवेन्द्र जी
जहा तक मेरी जानकारी ...देवेन्द्र जी <br /> जहा तक मेरी जानकारी है कवच कुंडल कुंती ने नहीं किसी और ने ( शायद इंद्र ) भेष बदल कर दान में ले लिया था दानवीर कर्ण से दुसरे कर्ण अनाथ नहीं थे उन्हें एक सारथि ने पाला था और सारथि की पत्नी राधा के नाम पर उनका नाम राधेय था और वो सूत पुत्र कहलाते थे इसी कर्ण वीर होने के बाद भी उनका सम्मान नहीं था , कुंती के बताये जाने से पहले तो उन्हें पता भी नहीं था की वो उनके पुत्र है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-63387340429443171942012-10-01T11:38:08.355+05:302012-10-01T11:38:08.355+05:30देवेन्द्र जी
जहा तक मेरी जानकारी ...देवेन्द्र जी <br /> जहा तक मेरी जानकारी है कवच कुंडल कुंती ने नहीं किसी और ने ( शायद इंद्र ) भेष बदल कर दान में ले लिया था दानवीर कर्ण से दुसरे कर्ण अनाथ नहीं थे उन्हें एक सारथि ने पाला था और सारथि की पत्नी राधा के नाम पर उनका नाम राधेय था और वो सूत पुत्र कहलाते थे इसी karan वीर होने के बाद भी उनका सम्मान नहीं था , कुंती के बताये जाने से पहले तो उन्हें पता भी नहीं था की वो उनके पुत्र है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-88745819821466210482012-10-01T08:40:18.293+05:302012-10-01T08:40:18.293+05:30समाज शास्त्र के प्रोफेसर करेंगे और कौन करेगा! :)समाज शास्त्र के प्रोफेसर करेंगे और कौन करेगा! :)देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-56783582813360892672012-09-30T22:29:00.786+05:302012-09-30T22:29:00.786+05:30धूप की सर्वव्याप्ति का कथन ठीक है अगर वह प्रकृति क...धूप की सर्वव्याप्ति का कथन ठीक है अगर वह प्रकृति का अंश है तो मनुष्य से हर जगह उसका वास्ता पड़ना ही था और फिर उसके अनुभव भी अभिव्यक्त होने थे ! सवाल ये है कि क्या वो सचमुच देव थे या सुपुरुष या अन्य कोई राजसी व्यक्ति ? <br /><br />बिन्दुवार शोध की बात आपने खूब कही ,पर इसे करेगा कौन :) उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-15822884404282654522012-09-29T19:50:58.551+05:302012-09-29T19:50:58.551+05:30सूर्य चर्चित देव रहे होंगे। उनके भी, अपने भी या सभ...सूर्य चर्चित देव रहे होंगे। उनके भी, अपने भी या सभी के। सूर्य को सुंदर पुरूष भी कहते हैं। sun बोले तो गॉड, धूप। पृथ्वी पर हर जगह पाये जाने वाले देव। कहानियों में भले ही कुछ अंश तक ही समानता (कर्ण से)है तो भी यह समानता इसी सर्वव्यापी होने का परिणाम लगता है।<br /><br />कर्ण का कवच-कुंडल उनकी माँ ने छीन लिया था। इस कथा में माँ ने ही उसे अस्त्र दिया। कर्ण अनाथ था, यह बालक अनाथ न होते हुए भी उद्दण्ड, अधीर निकला। कुंती को लोक लाज से कर्ण के पुत्र होने की बात छुपानी पड़ी जबकि इस कथा में माँ को विवाह से लेकर पुत्र के साथ रहने तक किसी प्रकार के सामाजिक उपेक्षा का अंदेशा नहीं था। इस तरह से देखा जाय तो कथाकारों ने (अमेरिका और भारत) लगभग वैसी ही सामाजिक स्वतंत्रता और परतंत्रता नारी के संदर्भ में देखी जैसी की आज भी दोनो मुल्कों में दिखाई देती है। लेकिन सूर्य को, सुंदर पुरूष को दोनो ही मुल्कों में सर्वशक्ति मान दिखाया गया। माँ को ममता की मूर्ति। <br /><br />इस कथा का कर्ण से साम्य और भेद ढूँढ़ा जाय। बिंदुवार लिखकर शोध किया जाय तो गज़ब के रोचक तथ्य(दोनो मुल्कों के सामाज शास्त्र पर) हाथ आयेंगे। <br />देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-71690927434680846062012-09-29T18:25:10.034+05:302012-09-29T18:25:10.034+05:30शोएब भाई की बात ही निराली है जैन साहब :)शोएब भाई की बात ही निराली है जैन साहब :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-12195806163059529462012-09-29T18:06:28.749+05:302012-09-29T18:06:28.749+05:30प्रवीण शाह जी ,
मैंने इसे विजातीय विवाह की समाज स्...प्रवीण शाह जी ,<br />मैंने इसे विजातीय विवाह की समाज स्वीकृति कहा , सूर्य को देव /कुलीन / तप्त कहा ! आपने इसे एक नया अर्थ / नया आयाम दे दिया , नि:संदेह स्त्री सर्वहारा वर्ग से थी और संभव है कि घटनाक्रम वैसे ही घटित हुआ हो जैसे कि आपने अनुमान किया है , यानि कि शासक का शोषण वगैरह ! रंगभेद के मुद्दे पर आपने जितना मुखर होकर कहा वैसा मैं स्वयं नहीं कह सका ! इसे मेरी भीरुता जानिये कि मैंने उसे प्राणियों की देह की रंगत के काल्पनिक और रोचक वर्णन का नाम देकर इतिश्री करली ! सुसंगत और दमदार कथन के लिए आपको साधुवाद !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-4515996589903685262012-09-29T13:55:14.575+05:302012-09-29T13:55:14.575+05:30बहुत ही सुंदर वर्णन....शोएब भाई मैं तो पहले से ही ...बहुत ही सुंदर वर्णन....शोएब भाई मैं तो पहले से ही आपके हिंदी लेखन का दीवाना हूँ....यह प्रस्तुति भी बहुत ही उच्च श्रेणी की है...बहुत खूब... :-)Naveen Jainhttps://www.blogger.com/profile/14113981004940379714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-16597226595780628022012-09-29T00:26:18.946+05:302012-09-29T00:26:18.946+05:30.
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१- यह दो एक दूसरे से बिल्कुल भिन्न दो वर्गो....<br />.<br />.<br /><br />१- यह दो एक दूसरे से बिल्कुल भिन्न दो वर्गों के बेमेल मेल की कथा है।<br />२- सूर्य शासक-आभिजात्य-शक्तिशाली-सत्ताधारी पुरूष है और युवती सर्वहारा।<br />३- विवाह का केवल एक ही दिन बने रहना मतलब युवती के मन में अपने प्रति आकर्षण का लाभ शासक ने उठाया और केवल एक बार के उसी संसर्ग से युवती ने गर्भधारण कर लिया। गर्भधारण के परिणाम स्वरूप उत्पन्न पुत्र को उसका हक न देने के लिये उसे सत्ता-शक्ति-ज्ञान के सही उपयोग में असमर्थ और इस बात के सबूत के तौर पर विभिन्न जानवरों के काले-गोरे होने तक का जिम्मेदार बता दिया गया... आकाश से नीचे फेंकना मतलब उसे शारीरिक क्षति भी पहुंचायी गयी...<br />४- अंशुमाला जी सही कहती हैं कर्ण के रूप में कुछ इसी तरह की कथा हमारे यहाँ भी प्रचलन में है।<br />५- आज भी यह सब दोहराया जाता है... सूर्य को चाहने वाली मासूम कन्यायें हैं... उनसे छल होता है... और परिणाम स्वरूप उत्पन्न संतानों को पिता के 'उच्च स्तर' के लायक न बता कर दुत्कार-प्रताड़ना भी मिलती है...<br />६- आदिम युग से आज तक कभी कभी लगता है कि समय थिर सा गया है... कुछ भी तो नहीं बदला...<br /><br /><br /><br />...<br /> प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-51131894933598953022012-09-28T22:54:15.113+05:302012-09-28T22:54:15.113+05:30सोच ही रहा था कि कोई मित्र तो कर्ण से इस कथा के सा...सोच ही रहा था कि कोई मित्र तो कर्ण से इस कथा के साम्य का उल्लेख करे , आपने किया , सो शुक्रिया ! आपने विचारण के लिए जो बिंदु सामने रखे हैं वे सभी महत्वपूर्ण हैं ! आपकी प्रतिक्रिया कथा के इस पक्ष को पर्याप्त विस्तार देती है कि अमेरिकी और भारतीय समाज में स्त्रियों और उनकी पसंद के संबंधों के बाद के , हालात में कितनी समानता हो सकती है ! आपके निष्कर्ष प्रभावित करते हैं ! आपसे पूर्ण सहमति !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-61677332087689242542012-09-28T22:36:31.711+05:302012-09-28T22:36:31.711+05:30आपके लिए हमेशा अशेष दुआएं !आपके लिए हमेशा अशेष दुआएं !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-81780185526967891042012-09-28T22:35:36.665+05:302012-09-28T22:35:36.665+05:30@ बरौनियां बनाम रश्मियां ,
कोई हैरानी नहीं कि ये व...@ बरौनियां बनाम रश्मियां ,<br />कोई हैरानी नहीं कि ये विचार आदिम समाज ने आगे बढ़ाया है जिन्हें हम अपनी तुलना में पिछड़ा कहते नहीं थकते !<br /><br />@ कथाकार का दिमाग ,<br />चलना ही चाहिए :)<br />क्या आपने लिंक में दिए गये फोटो देखे ?उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-59601734287192583402012-09-28T21:58:06.752+05:302012-09-28T21:58:06.752+05:30कुछ समानताये दिख रही है अमेरिका के और भारतीय सूर्य...कुछ समानताये दिख रही है अमेरिका के और भारतीय सूर्य पुत्र कर्ण में |<br />१- अमेरिकी हो या भारतीय सूर्य अपने पुत्रो के साथ नहीं रह पाता है |<br />२- सभी सूर्य पुत्र अभिशप्त है समाज द्वारा सताए जाने के लिए |<br />३- सूर्य अपने पुत्रो को कवच कुंडल और मशाल के रूप में विशेष शक्तिया देता है किन्तु कोई भी पुत्र उनका सही उपयोग नहीं कर पाता है |<br />४- सूर्य पुत्र दिल से तो अच्छे है किन्तु समाज के द्वारा सताए जाने के बाद वो सही निर्णय नहीं ले पाते है और समाज के लिए ना चाहते हुए भी हानिकारक बन जाते है |<br />५- सूर्य पुत्र एक ग्रे शेड लिए नायक की तरह है |<br />६- सूर्य एक बहुत ही आकर्षण व्यक्तित्व के मालिक है जिनके लिए युवतिया अपनी परम्परा और समाज से बाहर भी कदम निकाल देती है किन्तु सूर्य उन्हें सम्मान नहीं दिला पाता है समाज में |<br />७- अमेरिका से लेकर भारत तक माँ कितनी भी सक्षम हो किन्तु समाज में संतानों के लिए पिता का होना हमेसा से ही जरुरी रहा है भले वो मात्र जैविकी पिता हो ( एक दिन में ही पुत्र होना और दूसरे दिन ही उसे छोड़ चला आना तो वैसा ही लगता है परिवार वाली भावना कहा है )<br />८- समाज को दूसरे की कमजोरियों , दुखो और अभावों का मजाक उड़ाना हमेसा से ही अच्छा लगता है |<br />बाकि आप की व्याख्या से सहमत हूँ |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-51022610741321905422012-09-28T21:28:34.084+05:302012-09-28T21:28:34.084+05:30@सूर्य की बरौनियां यानि कि सूर्य रश्मियां
ये कुछ ...@सूर्य की बरौनियां यानि कि सूर्य रश्मियां <br />ये कुछ नया पता चला...:)<br /><br />कोई भी कहानी पढ़ते ही मेरे दिमाग में चलने लगता है...यह क्यूँ लिखी गयी होगी??...क्या विचार सूत्र होंगे??...और एक ख्याल ये आया कि जानवरों के अलग-अलग रंग और सूरज की गर्मी देखकर कुछ ऐसी कल्पना की गयी होगी कि कुछ जानवर गुफा में छुप कर सफ़ेद रह गए...कुछ झुलस कर काले पड़ गए..आदि आदि..rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-5477392204199926762012-09-28T19:37:34.208+05:302012-09-28T19:37:34.208+05:30परमात्मा मेरा नज़रिया बरकरार रक्खे और आपकी तारीफ़ ...परमात्मा मेरा नज़रिया बरकरार रक्खे और आपकी तारीफ़ मेरे लिए आशीष बने-बाइसे गुरूर न हो (यानि मेरी ओर से <b>"आपकी तारीफ़ से बहकूँ नहीं बस यही दुआ कीजिये"</b>... <br />दुआओं में शामिल रक्खें!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-25312655221930627992012-09-28T16:39:33.097+05:302012-09-28T16:39:33.097+05:30आपका हार्दिक धन्यवाद !आपका हार्दिक धन्यवाद !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-53256738321617062902012-09-28T16:38:34.089+05:302012-09-28T16:38:34.089+05:30सञ्जय भाई ,
जय हो !सञ्जय भाई ,<br />जय हो !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-89060254950989989822012-09-28T16:37:31.874+05:302012-09-28T16:37:31.874+05:30सैयद साहब ,
कथा पर आपकी निष्पत्तियां रास आईं ! खूब...सैयद साहब ,<br />कथा पर आपकी निष्पत्तियां रास आईं ! खूबसूरत अभिमत !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-62743896037944278342012-09-28T16:34:08.743+05:302012-09-28T16:34:08.743+05:30आपके कमेन्ट पर रहीम याद आये !
कह रहीम कैसे निभे ब...आपके कमेन्ट पर रहीम याद आये !<br /><br />कह रहीम कैसे निभे बेर केर को संग <br />ये रस डोलत आपने उनके फाटत अंग :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-64440956199432182472012-09-28T16:31:21.845+05:302012-09-28T16:31:21.845+05:30सलिल जी ,
कथा प्रदत्त संदेशों पर आपसे सहमति और फंत...सलिल जी ,<br />कथा प्रदत्त संदेशों पर आपसे सहमति और फंतासी पर तो खैर है ही :)<br />(१)<br />वर्जित के प्रति आकर्षण का मुद्दा सटीक है , गौर तलब है कि यहां पर करेला नीम चढ़ा भी था यानि कि बच्चे में वर्जित के प्रति आकर्षण के अलावा अनुभव जनित संयम की कमी और शक्ति तथा सामर्थ्य के प्रति परिपक्वता का अभाव भी था ,फलतः जनहानि हुई ! <br />(२)<br />बढ़िया नज़रिया !<br />(३)<br />बहुत खूब !<br /><br />आपकी तारीफ से बहकूं नहीं बस यही दुआ कीजिये !<br />उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-41569760096280939692012-09-28T16:23:17.585+05:302012-09-28T16:23:17.585+05:30धन्यवाद मनु जी ! धन्यवाद मनु जी ! उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-5639620319898457332012-09-28T11:12:44.110+05:302012-09-28T11:12:44.110+05:30achha laga.....balki bahut achha laga
pranam.achha laga.....balki bahut achha laga<br /><br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-81695930795567671202012-09-28T10:33:42.268+05:302012-09-28T10:33:42.268+05:30इस संपूर्ण कथा में सूर्य अपने प्रबल तेज की भांति ह...इस संपूर्ण कथा में सूर्य अपने प्रबल तेज की भांति ही निर्दोष है...सूर्य पुत्र को अपने ही पिता की असीमित शक्तियों का भान नहीं था और उसकी माता ने उसे धनुष-बाण थमा कर उसके इस अधूरे ज्ञान को अनावश्यक बल दिया जो की उसके लिये दण्ड का भागी बना....इस दावानल की चपेट में आने के लिये सूर्य पुत्र और उसकी मां समान रूप से ज़िम्मेवार हैं....सच कहा है आपने की अस्त्र शस्त्र को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का श्रेय केवल पुरुषों तक सीमित नहीं माना जा सकता॥ और आख़िर में बस इतना ही की लाजवाब अली साहब.....अली शोएब सैय्यदhttps://www.blogger.com/profile/00157632127742908895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-73771680387413676382012-09-28T09:19:07.092+05:302012-09-28T09:19:07.092+05:30....बेमेल का संग ऐसा ही परिणाम उत्पन्न करता है ।....बेमेल का संग ऐसा ही परिणाम उत्पन्न करता है ।संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.com