tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post7965611810298822362..comments2023-10-30T13:19:42.453+05:30Comments on ummaten: तू ही तू : तेरा ज़लवा दोनों जहां में है तेरा नूर कौनोमकां में है !उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comBlogger35125tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-45349920864978096682019-01-05T15:45:13.097+05:302019-01-05T15:45:13.097+05:30बेहतरीन आलेख
इक ज़रा से लफ्ज़ में सारा जहां किस क़...बेहतरीन आलेख<br />इक ज़रा से लफ्ज़ में सारा जहां किस क़दर खूबसूरती से छिपा है, इस विमर्श के जरिए जानकर खुशी हुई।<br />बोलने में भी सीधे दिल की तलहटी से गूंज उठती है तू की , इसके मुकाबिल आप की अदायगी ऊपर गले से ही रस्म निभाती सी लगती है सो तू का तीर असर करता हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/05053245753872951374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-29833540463542880312012-01-18T09:29:07.357+05:302012-01-18T09:29:07.357+05:30थाप की गूँज ही भंडाफोड करती है इसलिए यही मार्ग निर...थाप की गूँज ही भंडाफोड करती है इसलिए यही मार्ग निरापद लग रहा है :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-39211974292442321652012-01-18T08:43:02.249+05:302012-01-18T08:43:02.249+05:30रिस्क तो वहाँ ...सबसे ज्यादा है ...पर थाप दूर तक स...रिस्क तो वहाँ ...सबसे ज्यादा है ...पर थाप दूर तक सुनाई दे ..इसकी संभावना सबसे कम !<br />:)प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-13531809403250627972012-01-18T08:05:36.668+05:302012-01-18T08:05:36.668+05:30@ अपने खूंटे की गाय :)
हां हां भाभी जी ही ठीक रह...@ अपने खूंटे की गाय :) <br /><br />हां हां भाभी जी ही ठीक रहेंगी वहां रिस्क कम है :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-21783800405754964002012-01-17T23:34:52.593+05:302012-01-17T23:34:52.593+05:30अभी दो दशक पहले तक तो हम भी घर में तुम कह के बत...अभी दो दशक पहले तक तो हम भी घर में <b> तुम </b> कह के बतिया लिया करते हैं ....पर अब तो बड़ा मुश्किल है जी ! कहिये तो अपने खूंटे की गाय से ही शुरू करें :) पर कहीं ??प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-27944583176498283412011-02-06T14:06:37.311+05:302011-02-06T14:06:37.311+05:30@ ललित भाई ,
बोल्ड लेटर्स में गज़ब की चार लाइन जोड...@ ललित भाई ,<br />बोल्ड लेटर्स में गज़ब की चार लाइन जोड़ी हैं :)<br /><br />@ संजय झा जी<br />स्वागत है !<br /><br />@ दिगंबर नासवा साहब ,<br />सकारात्मक प्रतिक्रिया रही आपकी ! बहुत आभार !<br /><br />@ केवल राम जी ,<br />सब समझ का ही फेर है :)<br /><br />@ घुघूती जी ,<br />शुक्रिया !<br /><br />@ शरद भाई ,<br />सही !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-12008823076422086652011-02-02T22:17:28.583+05:302011-02-02T22:17:28.583+05:30तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा ,..तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा ,..शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-52230273411317230032011-02-01T21:57:41.656+05:302011-02-01T21:57:41.656+05:30तू तो संस्कृत के त्वम से आया विशुद्ध भारतीय शब्द ह...तू तो संस्कृत के त्वम से आया विशुद्ध भारतीय शब्द है.तू को विषय बनाकर इतना सुंदर लेख लिखा जा सकता है सोचा नहीं था.<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-84821712062242165242011-01-31T16:55:58.916+05:302011-01-31T16:55:58.916+05:30तू मेरी मंजिल ..तू मेरा ठिकाना ...अरे पगले समझ ले ...तू मेरी मंजिल ..तू मेरा ठिकाना ...अरे पगले समझ ले कहाँ तुझे जानाकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-67033716656906539122011-01-30T15:50:11.442+05:302011-01-30T15:50:11.442+05:30आपकी लेखन शैली प्रभावशाली है ...
वैसे .. तू से शु...आपकी लेखन शैली प्रभावशाली है ... <br />वैसे .. तू से शुरू हुवा संबोधन (आवारगार्दी करते हुवे) धीरे धीरे जानपहचान के बाद आप ... आप से तुम और फिर अंत में तू पर ही आ के टिकता है .... तो तू की माया तो है ही ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-40722758414021189702011-01-29T13:19:19.504+05:302011-01-29T13:19:19.504+05:30'tu hi tu'......hu tu tu ......
jeh-nasib...'tu hi tu'......hu tu tu ......<br /><br />jeh-nasib..<br /><br /><br />salam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-29461238811899468682011-01-28T23:31:37.909+05:302011-01-28T23:31:37.909+05:30तू शब्द हृदय के निकट है,
आप शब्द ओपरा पराया लगता ह...तू शब्द हृदय के निकट है,<br />आप शब्द ओपरा पराया लगता है।<br />इसलिए प्रिय से प्रियतम तक <br />तू ही का प्रयोग हुआ है।<br /><br />इस नश्वर लोक में आज तक तू ही तू था।<br />और आगे भी तू ही तू रहेगा।<br /><br /><i><b>जो चीज इकहरी थी वह दोहरी निकली<br />सुलझी हुई जो बात थी उलझी निकली<br />सीप तोड़ी तो उसमें से मोती निकला<br />मोती तोड़ा तो उसमें से सीप निकली।</b></i>ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-82277909870515026582011-01-28T19:17:35.859+05:302011-01-28T19:17:35.859+05:30@ रंजना जी ,
प्रतिक्रिया के लिए आभार !@ रंजना जी ,<br />प्रतिक्रिया के लिए आभार !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-59629309851465100762011-01-28T19:07:07.316+05:302011-01-28T19:07:07.316+05:30@ स्मार्ट इन्डियन जी ,
मसला औपचारिकता या अनौपचारिक...@ स्मार्ट इन्डियन जी ,<br />मसला औपचारिकता या अनौपचारिकता के साथ अधिक नैकट्य का ही है ! <br /><br />@ प्रवीण शाह जी ,<br />'तू' को भी तो देशी अंगरेजी ही मानिए :)<br /><br />@ सतीश भाई ,<br />ज़रूर संबोधित करिये मुझे खुशी होगी :)<br /><br />@ देवेन्द्र भाई ,<br />बच्चों वाली मिसाल बहुत बढ़िया दी आपने !<br /><br />@ काजल भाई ,<br />:)<br /><br />@ अनूप भाई ,<br />स्वागत है :)<br /><br />@ प्रिय मिथिलेश जी ,<br />अच्छी प्रतिक्रिया के लिए आभार ! <br /> <br />@ सतीश भाई ,<br />जैसा आपने चाहा वैसा ही पढ़ा है टिप्पणी को :)<br /><br />@ ज़ाकिर अली साहब ,<br />अपनेपन का ही ख्याल है :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-42642069806107393342011-01-28T18:48:03.296+05:302011-01-28T18:48:03.296+05:30आप शिष्टाचार सही, पर तू के बिना तो निकटता अधूरी रह...आप शिष्टाचार सही, पर तू के बिना तो निकटता अधूरी रहती है...<br /><br />"तू" दिल सबसे करीब होता है..तू में जो अधिकार और अपनत्व बोध है ,जिसके जीवन में यह किसी भी रूप में नहीं,वह अधूरा है.. <br /><br />बहुत ही सुन्दर पोस्ट...वाह !!!!रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-53441275638104374822011-01-28T10:58:43.492+05:302011-01-28T10:58:43.492+05:30बात चाहे तू-तड़ाक की हो या फिर अपनत्व की इन्तेहा...बात चाहे तू-तड़ाक की हो या फिर अपनत्व की इन्तेहा की, दोनों जगह 'तू' ही छाया रहता है। कैसा अजीब सम्बंध है यह।<br /><br />---------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">जीवन के लिए युद्ध जरूरी?</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">आखिर क्यों बंद हुईं तस्लीम पर चित्र पहेलियाँ ?</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-45310156367287557342011-01-28T10:43:42.124+05:302011-01-28T10:43:42.124+05:30कृपया उपरोक्त कमेन्ट में समझाने / समझाने की जगह &q...कृपया उपरोक्त कमेन्ट में समझाने / समझाने की जगह "समझाने " / "समझना" पढ़ें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-49789806192932119502011-01-28T10:16:55.223+05:302011-01-28T10:16:55.223+05:30हमममममममममम क्या सोचा है आपने , तू ही तू हर जगह सच...हमममममममममम क्या सोचा है आपने , तू ही तू हर जगह सच बात है । कितनी अजीब बात है कहीं हम तू का प्रयोग ईश्वर के लिए कर देते है वह भी सहजता से ,और कहीं-कहीं इस शब्द का प्रयोग करके ग्लानि भी होती है , शायद भावनाओं का हेर फेर होता है । बढिया पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-33834614396237258322011-01-28T03:55:23.259+05:302011-01-28T03:55:23.259+05:30बहुत खूब कहा! वाह! :)बहुत खूब कहा! वाह! :)अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-7758801324225066992011-01-27T19:07:42.702+05:302011-01-27T19:07:42.702+05:30त त त
:)त त त<br />:)Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-72516299729165546772011-01-27T15:23:18.145+05:302011-01-27T15:23:18.145+05:30आप से तुम और तुम से तू तक आते-आते युवा वृद्ध हो जा...आप से तुम और तुम से तू तक आते-आते युवा वृद्ध हो जाते हैं मगर याद कीजिए बचपन को जहाँ दोस्ती की शुरूवात ही तू से होती है। शायद इसीलिए कहते हैं कि बच्चों में भगवान बसते हैं।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-13239502114778381012011-01-27T10:05:10.256+05:302011-01-27T10:05:10.256+05:30तू में बात ही कुछ और है ...कभी न कभी ...कहीं न कही...तू में बात ही कुछ और है ...कभी न कभी ...कहीं न कहीं हम घुटनों के बल बैठ ही जाते हैं इसके सामने !<br />जहाँ तक शब्द का सवाल है अगर मेरा बस चले तो अली भाई , अरविन्द मिश्र आदि सबको तुम से ही संबोधित करूँ ..और तू जितना प्यार तो शायद परम पिता के लिए ही है ! शायद ही आदमी कभी इसे समझाने का प्रयत्न करे ! <br />समय ही कहाँ है ???<br />तुम्हें समझाना अच्छा लगता है अली भाई .....Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-33659646262463858312011-01-26T18:48:39.180+05:302011-01-26T18:48:39.180+05:30.
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सच कहूँ तो अंग्रेजी कभी-कभी महज इसलिये बहुत ....<br />.<br />.<br />सच कहूँ तो अंग्रेजी कभी-कभी महज इसलिये बहुत भाती है... 'तू' या 'आप' का कोई झमेला ही नहीं... सीधा सादा 'You' हर किसी के लिये...<br /><br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-63779489371378085632011-01-26T17:59:46.642+05:302011-01-26T17:59:46.642+05:30"त्वमेव माता च ..." से लेकर "... तू..."त्वमेव माता च ..." से लेकर "... तूं है मेरा माता" तक चलकर "तेरे द्वार खड़ा एक जोगी..." सुनने के बाद लगा कि प्रेमभरी हिंदी में "आप" का तकल्लुफ कब और कहाँ से आया. शायद अजित वडनेरकर जी कुछ शोध करें.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-54669629860902740352011-01-26T17:54:07.810+05:302011-01-26T17:54:07.810+05:30@ क्षमा जी ,
आपको भी बहुत बहुत शुभकामनायें !
@ लो...@ क्षमा जी ,<br />आपको भी बहुत बहुत शुभकामनायें !<br /><br />@ लोरी साहिबा ,<br />सब तारीफ उसी की है ! आपका शुक्रिया !<br /><br />@ राहुल सिंह साहब ,<br />क्या आपने वो गीत सुना ?<br /><br />@ अमरेन्द्र जी ,<br />आपकी प्रतिक्रिया देखते ही पहला ख्याल ये आया कि इसे पोस्ट से जोड़ दूं !<br />और ये अंगरेजी में नाक उंचियाने वाली बात भी खूब है :)<br /><br />@ अरविन्द जी ,<br />प्रेम वाला ज़ुल्म करेजे पे ही सुहाता है :)<br /><br />@ संवेदना के स्वर बंधुओ ,<br />ये सारा मामला नजदीकियों के दर्शन पर ही टिका हुआ है !<br /><br />@ मो सम कौन ? जी ,<br />:) जबरदस्त !<br /><br />@ अदा जी ,<br />आध्यात्मिकता से लेकर सांसारिकता वाले प्रेम तक पैठ है इसकी :)<br /><br />@ वाणी जी ,<br />बेहद खूबसूरत , मेरी पसंदीदा गज़ल याद दिला दी आपने ! <br /><br />@ ज़ाकिर अली रजनीश साहब ,<br />आपको भी गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें ! <br /><br />@ मुकेश अग्रवाल साहब ,<br />आपको भी बधाई , लिंक ज़रूर देखूंगा !<br /><br />@ रश्मि जी ,<br />अपनेपन का ख्याल विजातीयता से परहेज़ नहीं करता आजकल :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.com