tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post745137401578099570..comments2023-10-30T13:19:42.453+05:30Comments on ummaten: चोरी कहीं खुले ना नसीम-ए-बहार की !उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-79239288736042713282012-09-24T08:10:19.419+05:302012-09-24T08:10:19.419+05:30शुक्रिया !शुक्रिया !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-46524463228014541002012-09-24T00:37:19.398+05:302012-09-24T00:37:19.398+05:30oh God, Ali uncle!!!!
really hats off!!! oh God, Ali uncle!!!!<br />really hats off!!! lorihttps://www.blogger.com/profile/03402492232277005688noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-70941648387430232852012-09-23T19:37:01.431+05:302012-09-23T19:37:01.431+05:30गज़ब!गज़ब!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-37620837719430951502011-12-22T12:22:31.822+05:302011-12-22T12:22:31.822+05:30हमारी शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई! विकट सच्चाई।
सन ...हमारी शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई! विकट सच्चाई।<br /><br />सन 1983 में बिहार के एक अध्यापक के मुंह से सुनी बात याद आती है-<b>हमको इस बात की चिंता नहीं है कि यहां नकल होती है। हमें चिंता इस बात की है कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो अगली पीढी को नकल कौन करायेगा। :) </b>अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-3644006064624420422011-11-20T23:44:44.346+05:302011-11-20T23:44:44.346+05:30@ अरविन्द जी ,
:)
@ संतोष जी ,
प्रेरित करने के लि...@ अरविन्द जी ,<br />:)<br /><br />@ संतोष जी ,<br />प्रेरित करने के लिए शुक्रिया !<br /><br />@ राहुल सिंह जी ,<br />अपवाद को अपवाद मिलना स्वाभाविक है :)<br /><br />आश्वस्त होने से पहले परीक्षाओं के समय स्नातकोत्तर स्तर की ( वन डे सीरीज मार्का ) पुस्तिकाओं की बिक्री और प्राइवेट परीक्षार्थियों की संख्या पता कर लीजिए :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-6135786820304395792011-11-20T20:29:38.469+05:302011-11-20T20:29:38.469+05:30ऐसे उदाहरण और भी हो सकते हें, लेकिन इसे एक उदाहरण ...ऐसे उदाहरण और भी हो सकते हें, लेकिन इसे एक उदाहरण से अधिक कुछ मानने को मन नहीं कर रहा. (नए उम्र के ऐसे पढ़ाकू हो सकता है संयोगवश मुझे मिलते रहते हैं, जिनसे मिल कर में चकित होता रहता हूं, आश्वस्त रहता हूं.)Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-45282456244872684402011-11-18T22:26:25.105+05:302011-11-18T22:26:25.105+05:30ब्लॉग का नाम देवनागरी लिपि में करने का आभार !बारीक...ब्लॉग का नाम देवनागरी लिपि में करने का आभार !बारीक अक्षरों में इसका मानी (विचारों का मदरसा,आदि)भी लिख लें तो बेहतर होगा !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-15280775300400898122011-11-18T18:25:49.428+05:302011-11-18T18:25:49.428+05:30मैं आपके बांगला ज्ञान से प्रभावित होकर गूगल -मदद स...मैं आपके बांगला ज्ञान से प्रभावित होकर गूगल -मदद से बांगला में टीप टाप कर फुरसत पा लिया था मगर फिर वह मुझे ही समझ में नहीं आयी ...<br />मेरा आशय यह था कि मोहतरमा के लक्षण इस दुनिया में चाहे जैसे हों वे हिन्दी ब्लागिंग की दुनिया में निश्चित ही धमाल मचा सकती हैं! यहाँ उनका स्वागत है -कईयों को झेला ही जा रहा है उन्हें भी हंसी खुशी संभाल ही लेगें -ह्रदय हमारा विराट है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-91008304227530582372011-11-18T17:25:09.586+05:302011-11-18T17:25:09.586+05:30@ संतोष त्रिवेदी साहब ,
गज़ब का शेर गढ़ दिया आपने ...@ संतोष त्रिवेदी साहब ,<br />गज़ब का शेर गढ़ दिया आपने :)<br /><br />@ मो सम कौन जी ?<br />हमारे योगदान के भार से ही ज्ञान की ग्राफ लाइन नीचे की ओर झुक गई है ! सहमत हूं ! <br /><br />@ निशांत जी ,<br />भोपाल की बातें बहुत दूर दूर तक व्याप्त हैं ! दिक्कत ये है कि अब यही बंदे गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए अधिकृत हैं ! मूल्यांकन जो आप और आपके सहपाठियों के बीच अन्तर नहीं देख सका ! <br />दरअसल 'पहुंच' ने 'ज्ञान' की वाट लगा दी है ! यह नये किस्म के विश्वास का संकट है !<br /><br />@ संजीव तिवारी जी ,<br />निशांत जी के लिए जो प्रतिक्रिया दी वो ही आपके लिए भी उचित लग रही है ! <br /><br />@ अरविन्द जी,<br /> খুব ভালো কমেন্ট :)<br /><br />@ प्रवीण शाह साहब ,<br />लिंक पर जाकर पता चला कि मैं तो वहां पहले से ही मौजूद हूं :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-45629945809840015482011-11-18T15:37:19.526+05:302011-11-18T15:37:19.526+05:30.
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एक बोध , एक समझ , जिसकी ज़रूरत तमाम ज़िन्दग....<br />.<br />.<br /><b>एक बोध , एक समझ , जिसकी ज़रूरत तमाम ज़िन्दगी पड़ती ही रहेगी ! उसे नसीम-ए-बहार होना चाहिए ...होना ही होगा ! वो महज़ एक नौउम्र लड़की नहीं ,आखिर को उसे नस्लों की विरासत का मुहाफिज़ भी होना है !</b><br /><br />अली सैयद साहब,<br /><br />बात तो आपकी सही है पर उतना ही सही यह भी है कि उस लड़की जैसे या उससे भी बदतर कई हमारे शिक्षा के मंदिरों में ऊँची-ऊँची कुर्सियों पर काबिज हैं... <br /><br /><a href="http://praveenshah.blogspot.com/2011/02/blog-post_09.html" rel="nofollow">ओऊर फुतुरे इस भैरी-भैरी दार्क !!! </a> <br /><br />लिंक लगाने के लिये अग्रिम क्षमायाचना सहित...<br /><br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-40081153004078132502011-11-18T12:57:06.539+05:302011-11-18T12:57:06.539+05:30জ ভী হ উস ডেভি কা ব্লাগিং ভাভিশ্য় বহুত উজ্জ্ভাল হা...জ ভী হ উস ডেভি কা ব্লাগিং ভাভিশ্য় বহুত উজ্জ্ভাল হাই !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-21545601975776762952011-11-18T10:27:56.739+05:302011-11-18T10:27:56.739+05:30परीक्षा का ताला और सीरीज की कुंजी से उपाधि लो और ख...परीक्षा का ताला और सीरीज की कुंजी से उपाधि लो और खड़े हो जाओ शिक्षित बेरोजगारों के लाइन में, पिछले कई सालो से यही देखते आ रहा हूँ ... आपने बच्ची को विशद अध्ययन के लिए प्रेरित करने वाला जवाब दिया आशा है भविष्य में वो अध्ययन के प्रति गंभीर होगी.36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-20208251789849144592011-11-18T09:10:49.802+05:302011-11-18T09:10:49.802+05:30@ वाणी जी ,
आपका यह मानना ठीक लगता है कि डिग्रियां...@ वाणी जी ,<br />आपका यह मानना ठीक लगता है कि डिग्रियां सामान्य ज्ञान के कार्यक्रम जितना सामर्थ्य भी नहीं दे पा रही हैं !<br /><br />@ निशांत जी ,<br />आज सुबह 'मो सम कौन' साहब की भी यही शिकायत थी ! पिछले दिनों मित्रों के ब्लॉग पर मेरी टिप्पणियाँ स्पैम हुई थीं तब से हर बार नेट पर आते ही स्पैम चेक कर लेता हूं !<br /><br />अफ़सोस ! आप दोनों की टिप्पणियां मुझे नहीं मिल सकीं !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-43401217788340864272011-11-18T08:43:10.201+05:302011-11-18T08:43:10.201+05:30नमस्ते अली साब, कल शाम इस पोस्ट पर मैंने भी कमेन्ट...नमस्ते अली साब, कल शाम इस पोस्ट पर मैंने भी कमेन्ट किया था, वह शायद कहीं खो गया है या स्पैम में चला गया है. कृपया जांच लें.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-24308851862964470092011-11-18T07:47:21.972+05:302011-11-18T07:47:21.972+05:30यूँ भी डिग्रियां ज्ञान की परिचायक नहीं हैं ! केब...यूँ भी डिग्रियां ज्ञान की परिचायक नहीं हैं ! केबीसी में कई बार देखा और अनुभव किया !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-77956704509304633822011-11-18T07:16:16.729+05:302011-11-18T07:16:16.729+05:30@ सलिल जी ,
जिज्ञासा के अधिकार पे खुलासा ये कि मां...@ सलिल जी ,<br />जिज्ञासा के अधिकार पे खुलासा ये कि मां को तो पहचान ही गया पर पुत्री का मूल्यांकन अब तक किया नहीं था उसे अगले कुछ मिनटों बाद होना था अतः यथा मां तथा पुत्री वाला मसला नहीं था , हंसा इसलिये कि अपनी उम्र एम.ए. पास कर चुकी कन्या के नाना जैसी कब हो गई पता ही नहीं चला :)<br /><br />@ प्रवीण जी ,<br />विश्वविद्यालय तो सारे एक जैसे ही हैं ! हर जगह 'पृष्ठ गणना महात्म्य' ख्यात रहा है पर पिछले कुछ समय से सूचना के अधिकार को नारद मुनि समझ के गुरु जी लोग घबराए हुए हैं :)<br /><br />@ क्षमा जी ,<br />याद रखने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ! ब्लागिंग के अलावा ज़िन्दगी से भाग तो नहीं सकते हम लोग बस इसीलिये देरी हुई !<br /><br />@ देवेन्द्र जी ,<br />भाई , दिमाग चाहे जैसा भी हो पर गुरु जी लोग हमेशा 'मुंह की खाते' हैं :)<br /><br />@ रश्मि जी ,<br />शादी तक के टाइम पास वाली शैक्षणिक तैयारियों वाला 'मकसद' एक दिन ज़रूर बदलेगा ! <br /><br />@ काजल भाई ,<br />गज़ब , सच कहूं तो कमेन्ट आफ द डे !<br /><br />उसी शाख (सोच) पे हमें भी चिपका हुआ मान लीजिए !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-77223793154385433172011-11-18T06:47:06.325+05:302011-11-18T06:47:06.325+05:30एक समय था, कुंजी छुपा कर पढ़ी जाती थी. आज ट्यूश्न ...एक समय था, कुंजी छुपा कर पढ़ी जाती थी. आज ट्यूश्न स्कूलिंग से ज़रूरी हो गया है. उस दिन मुझे ट्यूश्न के लिए पड़ोसी से एक नया व आदरणीय शब्द सुनने को मिला -'हमारी बेटी doubts clear करने जा रही है' पहले ट्यूश्न लेने वाले बच्चे कमज़ोर माने जाते थे आज ट्यूश्न न लेने वाले ग़रीब/मूर्ख/रेस में पीछे छूट जाने वाले माने जाते हैं. मास्टर लोग भी कुजियों से पढ़ा रहे हैं. कुजी लेखक, पुस्तक लेखकों से कही ज़्यादा कमा रहे हैं. कई स्कूलों के बच्चों को तो मां-बाप पुस्तकें ही नहीं खरीदवाते, न ही मास्टर लोग पूछते हैं. कुजी लेखक पुस्तक लेखकों से ज़्यादा प्रसिद्ध हैं आज. <br /><br />शायद मैं ही ग़लत हूं कि आज भी वहीं चिपका बैठा हूं, अपनी सोच को लिए...Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-80994124478481389542011-11-17T21:56:52.127+05:302011-11-17T21:56:52.127+05:30एम.ए. की तैयारी...और ट्वेंटी क्वेश्चन सीरीज से...फ...एम.ए. की तैयारी...और ट्वेंटी क्वेश्चन सीरीज से...फिर क्या उम्मीद रह जायेगी...<br /><br />मकसद डिग्री लेना भी होता है...या शादी तय होने तक टाइम-पास...:(rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-65434025153711361592011-11-17T21:37:50.381+05:302011-11-17T21:37:50.381+05:30अरे नहीं...गुरू जी को तो जानता ही हूँ। दिमाग तो तग...अरे नहीं...गुरू जी को तो जानता ही हूँ। दिमाग तो तगड़ा है ही, याददाश्त भी तेज। नाम सुनकर ही पहचान गये!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-9906556196622895102011-11-17T21:31:20.435+05:302011-11-17T21:31:20.435+05:30Mai aaj hee apko likhne wali thee ki,bade dinon se...Mai aaj hee apko likhne wali thee ki,bade dinon se aap ne kuchh likha nahee!Khair!Der se sahee lekin dilchasp post leke aaye!Maza aa gaya!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-78285244515298868072011-11-17T21:00:05.299+05:302011-11-17T21:00:05.299+05:30हाय रे .......ई कौन सा विश्व-विद्यालय जहाँ ऐसे भी ...हाय रे .......ई कौन सा विश्व-विद्यालय जहाँ ऐसे भी फेल हो जाते हैं ......इधर तो पन्ने भरने वाले भी पास हो जाने का शैक्षिक अधिकार रखते देखे गए हैं ..................:-)<br /><br />पन्ने कैसे भरे जाते हैं .....अब ई ना पूछियेगा ....प्लीज !!प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-80330396350758757692011-11-17T20:39:00.377+05:302011-11-17T20:39:00.377+05:30मेरे साथ अंगरेजी साहित्य (MA) में पढ़ने वाले वे छा...मेरे साथ अंगरेजी साहित्य (MA) में पढ़ने वाले वे छात्र जो बीस प्रश्न से तैयारी करते थे और जिन्होंने कभी महान उपन्यासों के लघु संस्करण भी नहीं पढ़े, वे ही आज अंगरेजी साहित्य के व्याख्याता बने हुए है. गाइड देखकर पढ़ाते हैं. <br />उसपर तुर्रा यह कि वे अंगरेजी साहित्य यह सोचकर पढ़ने आ गए थे कि इससे उनकी अंगरेजी अच्छी हो जायेगी. यह सुनकर मेरे गुरु श्री रमेश चन्द्र शाह जी ने उन्हें यह कहकर लताड़ा कि 'अंगरेजी साहित्य तो केवल उन्हें ही पढ़ना चाहिए जिनकी अंगरेजी पहले ही बहुत अच्छी हो'.<br />हमने तो ऐसे छात्र भी देखे हैं जो अंगरेजी निबंध की जगह अनसीन पैसेज के कंटेंट को ही तीन बार लिख देते थे. मजेदार बात यह है कि उनके नंबर मुझसे कुछ कम ही होते थे. तभी समझ गया था कि ज्यादातर कॉपी जांच्नेवाले केवल पन्ने गिनकर नंबर देते हैं.<br />यह सब भोपाल की बातें हैं.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-49235834832444634222011-11-17T20:38:34.726+05:302011-11-17T20:38:34.726+05:30अभी सबको नतीजे चाहिये होते हैं, चाहे जैसे भी आयें...अभी सबको नतीजे चाहिये होते हैं, चाहे जैसे भी आयें।तकनीक और गैजेट्स के मामले में बेशक पीढ़ी दर पीढ़ी समझ बढ़ रही है, ज्ञान और साधन के बारे में ग्राफ़ नीचे और सिर्फ़ नीचे जा रहा है। इस परिवर्तन (नीचे ले जानेवाले)में हमारा भी सक्रिय योगदान है।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-49587000364612106332011-11-17T20:24:04.927+05:302011-11-17T20:24:04.927+05:30आमार माँ आपनार छतरी छिलो..
तोमार मायेर नाम की?
री...आमार माँ आपनार छतरी छिलो.. <br />तोमार मायेर नाम की?<br />रीना मंडल!!<br />लिखने की वज़ह सिर्फ इतनी की ज़माने बाद बांग्ला के ये लफ्ज़ (जो मेरे लिए बकौल राही मासूम महज़ देखने की चीज़ नहीं) मुझे मेरे अपने लगे! <br />रीना मंडल नाम सुनकर आप हंसते हैं... हंसने की वज़ह (सूचना के अधिकार नहीं, जिज्ञासा के अधिकार के तहत) सवाल पैदा करती है.. क्या आप पहचान पाए कि वो कौन थी?? या आपको पता था कि यथा पुत्री तथा माता और आपको हँसी आ गयी!!<br />जहाँ डिग्री हासिल करना ही पढ़े-लिखे होने की निशानी रह गयी हो वहाँ यह सब तो होना ही है...!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-37771213553147431532011-11-17T19:45:19.895+05:302011-11-17T19:45:19.895+05:30चोरी कहीं खुले न नसीम-ए बहार की,
ऐसी ही फ़स्ल बोई ...चोरी कहीं खुले न नसीम-ए बहार की,<br />ऐसी ही फ़स्ल बोई है,ऐसी तयार की !<br /><br />शॉर्ट-कट का पूरा ढांचा खड़ा है,उस लड़की का ज़्यादा दोष नहीं है !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.com