tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post6624873146938024393..comments2023-10-30T13:19:42.453+05:30Comments on ummaten: निचाट मरुभूमि के लिए अभिशापित प्रेम...! उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-16766315023505307512013-05-03T07:04:57.807+05:302013-05-03T07:04:57.807+05:30@ मरुभूमि के परिवेश में ,
कैक्टस की बेहतर व्याख्या...@ मरुभूमि के परिवेश में ,<br />कैक्टस की बेहतर व्याख्या / सुंदर सुझाव ! एक और आयाम / दृष्टि ! आभार !<br /><br />@ कथा के पात्रों का परिवेश ,<br />प्रेमी जोड़ा और उसके परिजन अगर मरूभूमि के परिवेश में रहने वाले होते तो नि:संदेह कैक्टस की आपकी व्याख्या के अतिरिक्त और कोई विकल्प ही नहीं था...किन्तु कथा के सारे पात्र मरुभूमि के निवासी नहीं है अतः उनके लिए तयशुदा सब्जा / अमरता और सुंदरता के प्रतीकों में (सामान्यतः) कैक्टस सम्मिलित नहीं है ! उसे कथा के पात्रों की स्थानीयता के सन्दर्भ में तुलनात्मक रूप से त्याज्य और परित्यक्त ही माना जाएगा ! उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-88818947847219997312013-04-30T17:51:24.417+05:302013-04-30T17:51:24.417+05:30कैक्टस को अपने ही परिवेश में मत देखिये । मरूभूमि ...कैक्टस को अपने ही परिवेश में मत देखिये । मरूभूमि के लिये कैक्टस सब्ज है अमर है सुंदरता का भी प्रतीक है । इस पार आकर देखिये mera bloghttps://www.blogger.com/profile/11869083395615150988noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-13289778888290684922013-04-17T17:51:48.168+05:302013-04-17T17:51:48.168+05:30प्रतिक्रिया के लिए आभार !
प्रतिक्रिया के लिए आभार !<br />उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-18488137564370014362013-04-17T17:51:22.990+05:302013-04-17T17:51:22.990+05:30हम करें तो पुण्य तुम करो तो पाप वाली प्रवृत्ति है ...हम करें तो पुण्य तुम करो तो पाप वाली प्रवृत्ति है !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-21155255393662791802013-04-17T17:50:09.108+05:302013-04-17T17:50:09.108+05:30जी ज़रूर ! यही रवैय्या दिखता है !जी ज़रूर ! यही रवैय्या दिखता है !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-2946351808319988112013-04-17T17:49:03.566+05:302013-04-17T17:49:03.566+05:30अफ़सोस है कि कई दिनों बाद आप को शुक्रिया कह पा रहा...अफ़सोस है कि कई दिनों बाद आप को शुक्रिया कह पा रहा हूं !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-12555335233430797592013-04-17T13:25:02.056+05:302013-04-17T13:25:02.056+05:30.और आज भी होता है कि, प्रेमासक्त जोड़े, खाट पर पसर....और आज भी होता है कि, प्रेमासक्त जोड़े, खाट पर पसरी / हुक्का गुड़गुड़ाती हुई न्याय प्रियता के लिए कैक्टस तुल्य ही होते हैं !<br /><br />विडम्बनापूर्ण,दुखद और शर्मनाक राजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02628010904084953893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-9302138638230238752013-04-13T15:42:12.741+05:302013-04-13T15:42:12.741+05:30सुंदर व्याख्या। कैक्टसीय अंत के अनुरूप सार्थक शीर्...सुंदर व्याख्या। कैक्टसीय अंत के अनुरूप सार्थक शीर्षक। <br /><br />दुनियाँ का पता नहीं यह कौन सा आश्चर्य है, लेकिन है! प्रेम सभी करना चाहते हैं लेकिन प्रेमी कैक्टस की तरह अच्छे नहीं लगते। देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-44300224784907852162013-04-13T10:48:16.081+05:302013-04-13T10:48:16.081+05:30'जाआे आज से तुम मेरे लिए मर गए' जैसा ही कु...'जाआे आज से तुम मेरे लिए मर गए' जैसा ही कुछ मुझे भी लगता है.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-52888742466657136072013-04-12T22:51:07.410+05:302013-04-12T22:51:07.410+05:30अगर आखिर से आगाज़ करूँ तो कैक्टस की शक्ल मुझे भी अ...अगर आखिर से आगाज़ करूँ तो कैक्टस की शक्ल मुझे भी अक्सर हाथ-पैर वाले 'इंसानों सी' दिखती है. किसी ने एक दूसरे के आगोश में या साथ-साथ उगे दो कैक्टस को देखा हो और उन्हें इंसान तसव्वुर कर लिया हो. मुमकिन है उस वक्त उस कैक्टस पर फूल भी खिले हों, जिसे मोहब्बत का फूल मानते हुए एक दास्ताने-मोहब्बत तामीर कर ली गयी हो. अक्सर टॉयलेट सीट पर बैठे हुए ज़हन टाइल्स के डिजायनों का आपस में मिलना कई शक्लें और ज़ेहन में कई कहानियाँ या वाकये या किस्से गढता चला जाता है.<br />कहानी में नयापन इसीलिये नहीं है कि इसका मकसद कोई पैगाम देना नहीं है. बाप का अपनी औलाद के ऊपर अपने बाप होने का हक आयद करने का बहाना चाहिए, सो उसने पा लिया. कामयाब रहा कि नहीं यह तो पढने वाले की सोच पर छोड़ा जा सकता है.<br />आपकी एनालिसिस तो खैर हमेशा से काबिले गौर होती है!!बहुत दिन हुए मुझे भी यहाँ आये हुए!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-53247305870679054462013-04-11T08:42:55.813+05:302013-04-11T08:42:55.813+05:30कैकस = कैक्टस कैकस = कैक्टस उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-49881899182962864292013-04-11T08:42:21.005+05:302013-04-11T08:42:21.005+05:30मैंने यही कहा कि वे कैकस में नहीं बदले बल्कि उनका ...मैंने यही कहा कि वे कैकस में नहीं बदले बल्कि उनका आगत जीवन दूभर / कंटकाकीर्ण कर दिया गया होगा !<br /><br />आपका कहना दुरुस्त है, निश्चय ही ये कथा प्रेम विवाह को हतोत्साहित करती और परिजनों द्वारा व्यवस्थित विवाह को प्रधानता देती दिख रही है !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-53449887471999595872013-04-11T08:30:46.084+05:302013-04-11T08:30:46.084+05:30कहानी में सब कुछ सुपरिचित सा लगा पर उन जोड़ों का क...कहानी में सब कुछ सुपरिचित सा लगा पर उन जोड़ों का कैक्टस में बदल जाना समझ में नहीं आया.<br />आपने इसकी व्याख्या करने की कोशिश की है, जो सही ही लग रही है.<br /><br />पर अर्जेंटीना की इस कहानी का उद्देश्य, प्रेम विवाह को हतोत्साहित करना तो नहीं...इस कहानी के माध्यम से यह सन्देश दिया जा रहा हो कि अगर 'पिता की मर्जी के खिलाफ शादी किया तो कैक्टस में बदल सकते हो 'rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-51875672925394184832013-04-10T14:56:48.915+05:302013-04-10T14:56:48.915+05:30जय हो !जय हो !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-11371350274120031012013-04-10T14:55:46.566+05:302013-04-10T14:55:46.566+05:30शुक्रिया भाई जी !
शुक्रिया भाई जी !<br />उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-64240050744927994212013-04-10T10:02:57.851+05:302013-04-10T10:02:57.851+05:30.......
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prarnam........<br />.......<br /><br /><br />prarnam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-41354066535243447382013-04-09T18:49:47.803+05:302013-04-09T18:49:47.803+05:30कैक्टस की परिभाषा सटीक रही ...
आज भी यह बच्चे कैक्...कैक्टस की परिभाषा सटीक रही ...<br />आज भी यह बच्चे कैक्टस की तरह ही देखे जाते हैं :( Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-18900210126735123932013-04-09T18:29:12.297+05:302013-04-09T18:29:12.297+05:30भाई दीप ,
मुझे लग ही रहा था कि तकरीबन खुशहाल होने ...भाई दीप ,<br />मुझे लग ही रहा था कि तकरीबन खुशहाल होने के एलिमेंट को कोई ना कोई बंदा धर ही लेगा :)<br />बहरहाल मजाल साहब जो भी उचित समझें :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-89306268997321094172013-04-09T18:24:05.019+05:302013-04-09T18:24:05.019+05:30मजाल साहब,
इस नुमा में घुसपैठ किये हुए काफी दिन ह...मजाल साहब,<br /> इस नुमा में घुसपैठ किये हुए काफी दिन हो गये :)<br /> कामकाज से अगली फुर्सत में ही वापसी का इरादा है !<br /> मुद्दत बाद आपसे मुखातिब हो पाया हूं ! अच्छा लगा :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-56594294854601467212013-04-09T18:15:50.096+05:302013-04-09T18:15:50.096+05:30जी ज़रूर, हमारा समाज दंड प्रवीर तो है ही :) जी ज़रूर, हमारा समाज दंड प्रवीर तो है ही :) उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-54133847801279195462013-04-09T17:51:31.793+05:302013-04-09T17:51:31.793+05:30तकरीबन खुशहाल ??????तकरीबन खुशहाल ??????VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-4592536012367302392013-04-09T13:25:29.068+05:302013-04-09T13:25:29.068+05:30काफी दिनों बाद आपका लिखा पढ़ रहें है, इसलिए पता नह...काफी दिनों बाद आपका लिखा पढ़ रहें है, इसलिए पता नहीं की ' इस नुमा' का आप कबसे लिखने लगे ! हमारी जानकारी के मुताबिक़ आप शादी शुदा है और तकरीबन खुशहाल ही है। इसीलिए इस मरुस्थली प्रेम और कैक्टस में आपकी रूचि को हम समझ नहीं पा रहे है :)<br /><br />लगता है पुरानी कुछ पोस्ट पढने के बाद ही इस पेरडिम शिफ्ट के बारें में कुछ समझ पाएंगे :)Majaalhttps://www.blogger.com/profile/08748183678189221145noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-77061586032192550802013-04-09T09:51:45.843+05:302013-04-09T09:51:45.843+05:30एक ही कबीले के होने के बाद भी विरोध का कारण आर्थिक...एक ही कबीले के होने के बाद भी विरोध का कारण आर्थिक चिंता ही अधिक हो सकती है परिवार की अभिलाषाओं के विरुद्ध जाने का दंड विवाहित दम्पत्तियों को भी मिल सकता है , प्रेम विवाह हो यां अरेंज :)<br />आपका आकलन सटीक होता है !!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.com