tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post5886307767845288632..comments2023-10-30T13:19:42.453+05:30Comments on ummaten: क़ायनात ख़ुदा की...मुल्क ब्यूरोक्रेट्स का...और अंधेरे हमारे !उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-35118842920502059652010-12-05T22:54:17.424+05:302010-12-05T22:54:17.424+05:30कहाँ तो तय था चारागा हरेक घर के लिए ,
कहाँ चराग मय...कहाँ तो तय था चारागा हरेक घर के लिए ,<br />कहाँ चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए ! [ ~ दुष्यंत ]Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-55936331090445744032010-11-23T15:37:25.077+05:302010-11-23T15:37:25.077+05:30@ सतीश भाई ,
इलेक्शन ड्यूटी तो नहीं बस उससे मिलता ...@ सतीश भाई ,<br />इलेक्शन ड्यूटी तो नहीं बस उससे मिलता जुलता कुछ और है :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-66449790958069137932010-11-23T09:35:19.265+05:302010-11-23T09:35:19.265+05:30लगता है इलेक्शन डयूटी लगी है ....!शुभकामनायें !लगता है इलेक्शन डयूटी लगी है ....!शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-44629230339847046262010-11-22T22:41:47.613+05:302010-11-22T22:41:47.613+05:30@ दिनेश भाई ,
इन उजालों ? में हमारी तो बैंड बज जाय...@ दिनेश भाई ,<br />इन उजालों ? में हमारी तो बैंड बज जायेगी :)<br /><br />@ कोकास जी ,<br />सही है , शुक्रिया !<br /><br />@ आलोक जी ,<br />कमेन्ट के लिए शुक्रिया !<br />"I luv my India"... मैं भी !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-26918494257258828422010-11-22T07:58:29.011+05:302010-11-22T07:58:29.011+05:30ek laghu samvaad ke madhyam se aapne is desh ki du...ek laghu samvaad ke madhyam se aapne is desh ki durdasha ka vistrat chitran pesh kiya, aapko sadhubad, <br /><br />badhai kabule...<br /><br />but still "I luv my India"Khare Ahttps://www.blogger.com/profile/08834832296834095341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-3549838284834441562010-11-21T15:44:54.706+05:302010-11-21T15:44:54.706+05:30यह अन्धेरा भी गहन अर्थ दे रहा है ।यह अन्धेरा भी गहन अर्थ दे रहा है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-66904704947371608782010-11-20T21:41:32.821+05:302010-11-20T21:41:32.821+05:30बाकी के टिप्पणीकारों के लिए बन्धु विचारशून्य जी रा...बाकी के टिप्पणीकारों के लिए बन्धु विचारशून्य जी राह में एक जलता हुआ दीपक छोड गए, इसलिए हमारे आने तक अन्धेरा पूरी तरह से छट चुका :)Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-54274917724248285292010-11-20T20:14:31.098+05:302010-11-20T20:14:31.098+05:30@ ज़ाकिर भाई ,
ये जस्टीफिकेशन लगभग वैसा ही हुआ जैस...@ ज़ाकिर भाई ,<br />ये जस्टीफिकेशन लगभग वैसा ही हुआ जैसे ग्लोबल वार्मिंग से निपटने का जिम्मा विकासशील देशों /अविकसित देशों के मत्थे मढ दिया जाए :) <br /><br />@ काजल भाई ,<br />मुझे लगा कि ये हाथ इतना मज़बूत और स्थाई सा है कि दूसरे कमजोर और अस्थाई से हाथ को अँगुलियों के इशारे पे नचाता है बस इसीलिए इसे ही आगे कर दिया !<br />वैसे मैं इसे 'श्रेय' की बजाये 'लानत' कहना चाहूँगा ! <br /><br />@ चला बिहारी ब्लागर बनने,<br />भाई ,आपकी प्रतिक्रिया का बहुत बहुत स्वागत !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-80494841001439947152010-11-20T18:26:17.836+05:302010-11-20T18:26:17.836+05:30अली सा! गरियाना अनुचित था, हटाना यथोचित. मॉडरेशन उ...अली सा! गरियाना अनुचित था, हटाना यथोचित. मॉडरेशन उचित... दुबारा आया यह टिप्पणी देने सिर्फ गिरिजेश राव जी का शुक्रिया कहने...<br />आपकी तस्वीर पर उनके कमेण्ट की एक लाईन..<br /><b>सुबह सुबह जाने क्यों फटा सुथन्ना पहने राष्ट्रगीत गाता हरचरना याद आ गया। हम सब में भी बसता है लेकिन...</b><br />उसी हरचरना का नाम तो कहीं शरद जोशी नहीं था?? या हो सकता है दिल्ली 6 का गोबर!!<br />क्यों कई लोगों के सर से गुज़र गई यह पोस्ट! सर झुकाए बर्दाश्त करते जाने से यही होता है!! अली सा! दुबारा हाज़िरी लगा गया! रोक नहीं पाया!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-53552883281116857702010-11-20T16:52:34.740+05:302010-11-20T16:52:34.740+05:30इस बहाने ऊर्जा संरक्षण में कुछ तो हमारा भी योगदान ...इस बहाने ऊर्जा संरक्षण में कुछ तो हमारा भी योगदान हुआ।:) <br />---------<br />मैं अभी तक तो स्वयं को शाकाहारी मानता रहा था, पर <a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">इस लेख को पढ़कर</a> मेरी चूलें हिल गयी हैं।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-44896763383556702932010-11-20T16:36:55.153+05:302010-11-20T16:36:55.153+05:30राहुल जी की टिप्पणी... शीर्षक में ब्यूरोक्रेट्स क...राहुल जी की टिप्पणी... शीर्षक में ब्यूरोक्रेट्स को ज्यादा ही श्रेय चला गया है. से सहमत हूं मैं भी. ताली की इस गड़गड़ाहट में दूसरे हाथ का योगदान वंचने से रह गया :)Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-52326463074411521712010-11-20T09:43:29.408+05:302010-11-20T09:43:29.408+05:30@ मो सम कौन ? जी ,
सन्दर्भ के बिना भी खुलासा तो आप...@ मो सम कौन ? जी ,<br />सन्दर्भ के बिना भी खुलासा तो आप सही ही कर रहे हैं ! इस फोटो से यही उम्मीद थी ! ये आपको पसंद आई ! शुक्रिया !<br /><br />@ राहुल सिंह जी ,<br />जी बिलकुल सही ! आपकी फ़िल्मी पटना वाली पोस्ट पर मेरी टिप्पणी का ख्याल ही जेहन में था ! आदत को लेकर आपकी बात दुरुस्त है ! <br /><br />@ वाणी जी ,<br />प्रथम दृष्टया टिप्पणी किये बिना खिसक जाना ...ये तो अच्छी बात नहीं :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-32544772721766383482010-11-20T09:06:51.866+05:302010-11-20T09:06:51.866+05:30हम भी पहले पढ़कर खिसक लिए थे ...
कुछ अंदाजा था कि ...हम भी पहले पढ़कर खिसक लिए थे ...<br />कुछ अंदाजा था कि शहर और दूरदराज़ के ग्रामीण इलाकों में विकास के अंतर को बता रही है पोस्ट ...<br />टिप्पणियों से खुलासा हुआ ...वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-71606297656917833192010-11-20T08:56:52.423+05:302010-11-20T08:56:52.423+05:30हम बहुत जल्दी अपनी आदत बना लेते हैं, आपकी पोस्ट ...हम बहुत जल्दी अपनी आदत बना लेते हैं, आपकी पोस्ट बिना तस्वीर के, आदत हो गई है, ऐसी पोस्ट को संदर्भ के साथ पढ़ने-जानने की हमारी आदत है. आदत छोड़ कर कुछ करना अक्सर मौलिक और रचनात्मक ताजगी भरा होता है, जैसाकि यहां है. मेरी पोस्ट फिल्मी पटना पर आपकी वह टिप्पणी थी.<br />फोटो,पेंटिंग और फिर शब्दों में उतर कर कविता की तरह बही है यहां.राहुल सिंह जी ( मेल से प्राप्त टिप्पणी )noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-72675706149590455902010-11-20T08:06:12.561+05:302010-11-20T08:06:12.561+05:30@ विचार शून्य जी ,
शहरी माहौल /आपाधापी पर गहरा कटा...@ विचार शून्य जी ,<br />शहरी माहौल /आपाधापी पर गहरा कटाक्ष कर डाला आपने ! आपकी ग्राम्य अनुभूतियों के साथ जानिये ! शुक्रिया !<br /><br />@ देवेन्द्र जी ,<br />बड़ी सुन्दर कविता रच डाली आपने ! आभार !<br /><br />@ संवेदना के स्वर बंधुओ ,<br />जोशी जी के जाने के वर्षों बाद भी हालात जस के तस हैं ! शकील साहब के शेर में 'उम्मीद' जोड़ कर पढ़ने और 'पुरउम्मीद' बने रहने के सिवा चारा भी क्या है ! <br /><br />@ अदा जी ,<br />आप तो ऐसी ना थी :)<br /><br />@ गिरिजेश जी ,<br />आप भी गज़ब शब्द व्यवहृत कर जाते हैं 'सुथन्ना' सुने वर्षों हो गए थे , टिप्पणी ने अदभुत आनंद दिया !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-84418655323672898872010-11-20T07:33:47.640+05:302010-11-20T07:33:47.640+05:30अली साहब,
फ़ोटो अच्छी लगी। नीम अंधेरा, घना जंगल, च...अली साहब,<br />फ़ोटो अच्छी लगी। नीम अंधेरा, घना जंगल, चांद, खंभा और उल्लू(जो है पर दिखता नहीं), संदर्भ अपने भी नहीं समझ आया लेकिन कुछ ऐसा ही लग रहा था कि इंडिया शाईनिंग और भारत के संबंध में कुछ होगा। टिप्पणियों से कुछ खुलासा तो हुआ। निष्कर्ष यही कि हमें तो तस्वीर पसंद आ गई है।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-44910429228978874942010-11-20T07:21:03.247+05:302010-11-20T07:21:03.247+05:30@ मित्रों ,
इस ब्लॉग में असहमतियों को भी सम्मान दि...@ मित्रों ,<br />इस ब्लॉग में असहमतियों को भी सम्मान दिया जाता रहा है किन्तु आज एक बेनामी प्रोफाइल से किसी दूसरे टिप्पणीकर्ता ब्लॉगर के नामोल्लेख के साथ 'अपशब्दों' वाली प्रतिक्रियायें मिली ! <br /><br />'अपशब्द' कह कर असहमत होने के कारण से उनकी प्रतिक्रियाओं को हटा दिया गया है हम नहीं चाहते कि टिप्पणीकर्ता ब्लागर्स को हमारे आँगन से गरियाया जाए अतः टिप्पणियों पर माडरेशन व्यवस्था की असहजता को इसी प्रकाश में देखियेगा ! <br /><br />पूर्व में भाषाई सौजन्य के साथ असहमतियों का स्वागत रहा है और आगे भी बना रहेगा ! सादर !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-47479965872523527182010-11-20T06:02:35.482+05:302010-11-20T06:02:35.482+05:30शानदार फोटो। अनेकार्थ लिए हुए।
सुबह सुबह जाने क्...शानदार फोटो। अनेकार्थ लिए हुए। <br /><br />सुबह सुबह जाने क्यों फटा सुथन्ना पहने राष्ट्रगीत गाता हरचरना याद आ गया। हम सब में भी बसता है लेकिन...गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-64416942705031912442010-11-20T04:40:29.814+05:302010-11-20T04:40:29.814+05:30बाप रे ..!
ई अँधेरिया रात का बात है...कि कौनो राके...बाप रे ..!<br />ई अँधेरिया रात का बात है...कि कौनो राकेट लॉन्चिंग का काउंट डाउन (तारीख अट्ठारह मार्च सन दो हज़ार दस शाम छै बज कर अड़तालीस मिनट बावन सेकण्ड)<br />हम तो अभी तक अँधेरा में ही बैठल हैं...<br />ज़रा हम पर भी नज़र डालिए...अरे ओ दिमाग के बत्ती वाले....<br />सब चला गया ..ऊ का कहते हैं...ऊपर से...<br />हाँ नहीं तो...!स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-49218221004242326772010-11-20T01:33:32.974+05:302010-11-20T01:33:32.974+05:30अली सा!! आपके प्रश्न का उत्तर बरसों पहले शरद जोश...अली सा!! आपके प्रश्न का उत्तर बरसों पहले शरद जोशी दे गए हैं कि आज़ादी के इतने साल बाद हमारे मुल्क़ में सब कुछ है, सिर्फ उसमें <b>“वो” </b> नहीं है जिसके लिए वो हैं. और फिर इसके बाद एक लम्बी फ़ेहरिस्त है... उम्मीद, पण्डित जी ने कहा है, कि नहीं छोड़नी चाहिए.. पर किसका यकीन करें.. पण्डित जी का या शकील साहब का, जो कह गएः<br /><b>कोई उम्मीद बर नहीं आती<br />कोई सूरत नज़र नहीं आती.</b>सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-54170128910772993212010-11-19T23:00:13.183+05:302010-11-19T23:00:13.183+05:30जिनके हिस्से अंधेरे आए
वही तो कहते हैं..
हम उल्लू ...जिनके हिस्से अंधेरे आए<br />वही तो कहते हैं..<br />हम उल्लू बन गए!<br /><br />...कविता कुछ ऐसी होती क्या ?..<br /><br />कायनात ख़ुदा का<br />मुल्क ब्यूरोक्रेट्स का<br />अंधेरे हमारे<br /><br />मत समझना इसे<br />नक्सलियों के <br />नारे<br /><br />देखो<br />हम भी हैं<br />तुम्हारे।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-65236559541107706092010-11-19T22:18:47.389+05:302010-11-19T22:18:47.389+05:30आज तो अपने जो तस्वीर लगाई है वो अनोखी है. मन में ए...आज तो अपने जो तस्वीर लगाई है वो अनोखी है. मन में एक अजीब सा भाव पैदा करती है जिसे व्यक्त नहीं कर पा रहा पर मैं जब अपने गाँव में जाता हूँ तब वहां बिताई रातें मन में ऐसा ही भाव पैदा करती हैं. <br /><br />सच कहूँ तो मुझे तो ऐसी जगह पर समय बिताना पसंद है क्योंकि अभी तो मैं ऐसी जगह रह रहा हूँ जहाँ रातें हमेशा दहकती रहती हैं, और अँधेरा रात को छोड़ लोगों की जिंदगी में घुस चुका है. जहाँ चारो तरफ जमीन में धंसती इमारतों के जंगल हैं और जहाँ फोन अपनी घंटी से बार बार तंग करता है.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-4659472630990982442010-11-19T20:58:10.579+05:302010-11-19T20:58:10.579+05:30@ अरविन्द जी (१),
टिमटिम पर आप सही हैं ,छोटी ही सह...@ अरविन्द जी (१),<br />टिमटिम पर आप सही हैं ,छोटी ही सही उम्मीद तो है ...पर आप बेवक्त शायर कैसे हुए जा रहे हैं :)<br /><br />@ अरविन्द जी (२),<br />स्तंभ के सबसे निचले हिस्से पर गौर फरमाइए उसका नीला रंग अब भी दिख रहा है तो फिर यूं समझिए कि ऊपरी छोर पर बैठे "हुए" ने हमारी निगाहों की लाज रख ली :)<br /><br />@ राहुल सिंह जी ,<br />शायद आपके ही ब्लॉग पर फोटो वाले मसले पर मैंने टिपियाया था कि फोटो भी शब्द ही होते हैं ,अमूमन अपनी प्रविष्टियों के लिए फोटो इस्तेमाल नहीं करता हूँ पर इसे डालते वक़्त आपका ख्याल भी था कि राहुल सिंह जी से कह तो दिया पर यहाँ भी देखूं कि ये फोटो क्या कह पाता है ?<br /><br />फोटो को अपनी दम पर कुछ कहने देने की इच्छा के चलते ही पुराना कोई सन्दर्भ नहीं दिया !अब देखता हूँ कि ये प्रयोग कितना सफल हो पायेगा ?उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-35104695483908299232010-11-19T20:26:32.791+05:302010-11-19T20:26:32.791+05:30मजाल जी ने कहा है, आपने जवाब दिया है फिर भी अगर डि...मजाल जी ने कहा है, आपने जवाब दिया है फिर भी अगर डिटेल्स का कोई संदर्भ था तो लिंक दे देना बेहतर होता. शीर्षक में ब्यूरोक्रेट्स को ज्यादा ही श्रेय चला गया है. आपकी पोस्ट में चित्र मैंने पहली बार ही देखा. कविता के मानिंद चित्र और वैसा ही विवरण.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-78044317506950781922010-11-19T19:32:06.858+05:302010-11-19T19:32:06.858+05:30इस घुप अँधेरे में भी उल्लू दिखने के लिए उलूक दृष्ट...इस घुप अँधेरे में भी उल्लू दिखने के लिए उलूक दृष्टि चाहिए ....Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com