tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post5784523424993808057..comments2023-10-30T13:19:42.453+05:30Comments on ummaten: राज हित...!उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-83134463436480768202012-06-26T08:39:40.614+05:302012-06-26T08:39:40.614+05:30@ देवेन्द्र जी ,
आपकी प्रतिक्रिया से राहत मिली , ह...@ देवेन्द्र जी ,<br />आपकी प्रतिक्रिया से राहत मिली , हम तो आपको भी कवि मानकर डर रहे थे :)<br /><br />@ वाणी जी ,<br />शुक्रिया !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-23279875426781519262012-06-26T08:19:00.946+05:302012-06-26T08:19:00.946+05:30आशीष जी ,
(१)
चौथा पैरा , पहली लाइन, मैंने कहा......आशीष जी ,<br />(१)<br />चौथा पैरा , पहली लाइन, मैंने कहा...<br /><br />"इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि , दुनिया के ''महान आश्चर्यों'' की बुनियाद रक्त रंजित है"<br /><br />''महान आश्चर्यों'' में ताज महल भी सम्मिलित है ! शहंशाह शाहजहां ने निज प्रेम हित को लेकर वही किया जो चीन में राज हित के नाम से सम्राट किनशीहुआंग ने किया ! सामान्य इंसानों / श्रमिकों / नगर जनों का वही हश्र :(<br /><br />(२)<br />अरविन्द जी की टिप्पणी को लेकर मेरा जबाब इन्हीं दो दृष्टान्तों को लेकर है !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-18733183417284482712012-06-26T07:02:03.405+05:302012-06-26T07:02:03.405+05:30एक ही पैरे में इतने सारे मुहावरे और उनका औचित्य सा...एक ही पैरे में इतने सारे मुहावरे और उनका औचित्य साबित करना इन लोककथाओं को समझने में सहायक है . स्वयं पढ़ कर समझ लेना और बात है उसे आसान शब्दों में समझा देना अलग , आप इस फन में माहिर हैं ...आभार !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-49420100865140255082012-06-26T05:33:41.532+05:302012-06-26T05:33:41.532+05:30शाहजहाँ को किस श्रेणी मे रखें ? ताजमहल तो मुमताज क...शाहजहाँ को किस श्रेणी मे रखें ? ताजमहल तो मुमताज के लिये था लेकिन उसे बनाने वाले श्रमिकों का क्या ?Ashish Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02400609284791502799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-80375916818403298942012-06-25T22:27:58.185+05:302012-06-25T22:27:58.185+05:30देवेन्द्र जी ,
आलेख में मेरे प्रिय अंश पहचान कर / ...देवेन्द्र जी ,<br />आलेख में मेरे प्रिय अंश पहचान कर / पकड़ कर आप मुझे खुश कर देते हैं !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-39042179542180603362012-06-25T21:51:00.578+05:302012-06-25T21:51:00.578+05:30मार्मिक कथा,सुंदर व्याख्या।
हम तब भी क्रूर और बे-...मार्मिक कथा,सुंदर व्याख्या।<br /><br />हम तब भी क्रूर और बे-ध्यान थे और आज भी कमोबेश आत्मकेंद्रित सुख ध्यानी ज्ञानी ! इंसानी लक्ष्यों के चरमोत्कर्ष , उसकी महानतायें , उसकी ही लाशों के ढ़ेर पर खड़ी हुई हैं ! इंसानी देहों और ज़ज्बातों पर बेहद तकलीफदेह राह से गुज़रते हुये वक्तों और हाहाकारी हालातों में रचे गये इतिहास के खुशदिल अध्येता हम इंसान , किस कद्र विरोधाभाषी है , हमारा व्यक्तित्व , स्वयं शोषक और स्वयं शोषित भी...खुदबखुद क़ातिल और खुद क़त्लशुद भी ! <br /><br />...यही सच है। तब भी जब हिटलर हुआ करते थे। आज भी जब लोकतंत्र का झंडा बुलंद है। लोकतंत्र के नाम पर छले जाने से बेहतर है किसी तानाशाह के हाथों मारा जाना। कम से कम रूह को यह अहसास तो नहीं होगा कि अपनो के हाथों कत्ल कर दिये गये!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-41122809211977083412012-06-25T21:39:21.549+05:302012-06-25T21:39:21.549+05:30हा..हा..हा...हा..हा..हा...देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-49265690754827849812012-06-25T20:10:51.563+05:302012-06-25T20:10:51.563+05:30अजय जी ,
शुक्रिया , लिंक्स आप अच्छी ही लगाते हैं !...अजय जी ,<br />शुक्रिया , लिंक्स आप अच्छी ही लगाते हैं ! चलकर देखा जाये !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-61795714667043685532012-06-25T17:48:27.576+05:302012-06-25T17:48:27.576+05:30डाक्टर साहब ज़रा आहिस्ता कहिये किसी कवि ने सुन लिय...डाक्टर साहब ज़रा आहिस्ता कहिये किसी कवि ने सुन लिया तो वो दिखावा छोड़ कर हम दोनों पे टूट पड़ेगा :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-25207470475405820962012-06-25T17:44:55.970+05:302012-06-25T17:44:55.970+05:30यानि २.१ पंक्तियों में ७ कहावतें / मुहावरे छुपे है...यानि २.१ पंक्तियों में ७ कहावतें / मुहावरे छुपे हैं . :)<br />ग़ज़ब ! <br />अली सा , सच मानिये कवियों में ज्यादा संवेदनशीलता मात्र एक दिखावा होती है . <br />अपने तक ही रखियेगा , अन्दर की बात है . :)डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-31019501049018829552012-06-25T14:24:42.298+05:302012-06-25T14:24:42.298+05:30सच्चा लोकतंत्र हो तो राजतंत्र से तुलना भी की जाये ...सच्चा लोकतंत्र हो तो राजतंत्र से तुलना भी की जाये :( <br /><br />राजनीति में लेबल बदलने से क्या फर्क पड़ता है डाक्टर साहब ? <br /><br />ये कथाएं सदियों पहले कही गईं थीं इसलिये इनमें थोड़ी कल्पनाशीलता / अतिशयोक्ति दिखाई देना ही है ! अगर आप , ज़रा प्यार से देखें तो इस तरह की बातें हजम भी हो सकती हैं मसलन ...<br /><br />@ आकाश में भयंकर गर्जना हुई = कहावत है आसमान फट पड़ा / दुःख का पहाड़ टूट पड़ा ,ऐसे ही और भी !<br /><br />@ आंखों से आंसू बह निकले = अब इसमें आपको क्या दिक्कत है ? आंखों के सिवा और कहां से बहता देखना चाहते हैं आप :)<br /><br />@ वो तीन दिन और रात तक आर्तनाद करती रही = इसे आप हर घंटे हर मिनट का लगातार रोना क्यों देख रहे हैं ! हम तो कितनी ही बार सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित कर देते हैं :)<br /><br />@ स्वर्ग उसके आंसुओं से बहने लगा = वह हनीमून भी नहीं मना पाई थी उसके प्रेम का सुख / उसकी खुशियों का स्वर्ग उसके आंसुओं में बह निकला की नहीं :)<br /><br />@ आसमान स्याह हो गया = कहावत है आंखों के सामने अंधेरा छा जाना ,ऐसे में आसमान क्या सभी कुछ स्याह हो जाएगा :)<br /><br />@ हवाएं तूफ़ान में तब्दील हो गईं = उसकी सांसे तेज चलने लगी होंगी :)<br /><br />@ महान दीवार का हिस्सा ढह गया = दीवारे क्या ? यहां तो कल के बनाये पुल आज ही ढह जाते हैं इसमें हैरानी कैसी :)<br /><br />डाक्टर साहब , आप कविता करते हैं , कविताओं में अक्सर प्रतीकों / संकेतों में बात कही जाती है , ठीक उसी तरह से लोक आख्यानों को भी पढ़ा जाना चाहिये ! इन कथाओं को कहने वाले लोग कल्पनाशील / भावुक कथाकार / कवि / लोक साहित्यकार थे , उनसे डाक्टरों और वैज्ञानिकों जैसी जुबान /भाषा की उम्मीद आप क्यों करते हैं :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-85747727534560281372012-06-25T14:01:21.443+05:302012-06-25T14:01:21.443+05:30सहमत !सहमत !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-81775227729272682122012-06-25T12:47:50.792+05:302012-06-25T12:47:50.792+05:30पहले के राजे महाराजे तानाशाह तो होते ही थे . इसीलि...पहले के राजे महाराजे तानाशाह तो होते ही थे . इसीलिए इन्सान की जान की कीमत कुछ नहीं होती थी . <br />अब लोकतंत्र है , फिर भी जान की कीमत उतनी ही कम है . <br />समझ नहीं आता - कलियुग कब से चल रहा है ! <br />इन कहानियों में -- आकाश में भयंकर गर्जना हुई , उसकी आंखों से आंसू बह निकले , वो तीन दिन और रात तक आर्तनाद करती रही , स्वर्ग उसके आंसुओं में बहने लगा , आसमान स्याह हो गया और हवायें तूफ़ान में तब्दील हो गईं ! महान दीवार का एक हिस्सा ढ़ह गया ! <br />-- इस तरह की बातें हजम नहीं होती . :)डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-17125804792866036772012-06-25T10:40:21.443+05:302012-06-25T10:40:21.443+05:30तानाशाहों की क्रूरता की मिसाल है यह दीवार ....तानाशाहों की क्रूरता की मिसाल है यह दीवार ....Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-92169069516205914242012-06-25T10:16:31.720+05:302012-06-25T10:16:31.720+05:30सत्य वचन !सत्य वचन !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-31838984218373037412012-06-25T10:15:02.067+05:302012-06-25T10:15:02.067+05:30अरविन्द जी ,
यहां मंगोलों ( के वंशजों ) ने स्वयं स...अरविन्द जी ,<br />यहां मंगोलों ( के वंशजों ) ने स्वयं सिसकियां दफ़न कीं , वहां उनके भय से दफ़न की गईं !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-116895844092389742012-06-25T09:45:20.449+05:302012-06-25T09:45:20.449+05:30इस कथा में सामाजिक और पारिवारिक विरोध से तो प्यार ...इस कथा में सामाजिक और पारिवारिक विरोध से तो प्यार बच गया पर व्यवस्था ने उसे अव्यवस्थित कर दिया,उजाड दिया.<br /><br />...सबसे बड़ा सन्देश यही है कि लोग झूठी महत्वाकांक्षाओं को कमज़ोर और मजलूमों के सपनों की कीमत पर पूरा करते हैं !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-61278709970446226162012-06-25T08:51:15.487+05:302012-06-25T08:51:15.487+05:30(१)
आपने इसे नियति कथा कहा , किंचित आश्चर्य हुआ !
...(१)<br />आपने इसे नियति कथा कहा , किंचित आश्चर्य हुआ !<br /><br />(२)<br />मुझे लगता है कि यह शब्द 'नियति' भी तानाशाहों ने ही गढ़ा होगा अथवा यह उनके ही छल का एक अंश है ! एक पांसा , हज़ार खून माफ !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-28782565598262559412012-06-25T08:43:58.859+05:302012-06-25T08:43:58.859+05:30अजय भाई ,
शुक्रिया !अजय भाई ,<br />शुक्रिया !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-3528063658525294742012-06-25T08:42:24.829+05:302012-06-25T08:42:24.829+05:30प्रेम का गौरव गान ...चाहे वो मंगोल हों या मुग़ल उ...प्रेम का गौरव गान ...चाहे वो मंगोल हों या मुग़ल उनके यादगार मानुमेंट्स के पीछे शाश्वत प्रेम की ऐसी ही कितनी सिसकियाँ दफ़न हैं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-85288339496432957182012-06-25T08:42:11.839+05:302012-06-25T08:42:11.839+05:30काजल भाई ,
दु:खांत प्रसंग तो हमारे भी सत्य हैं पर ...काजल भाई ,<br />दु:खांत प्रसंग तो हमारे भी सत्य हैं पर हम उन्हें छुपाते हैं ! हमें सब कुछ सुखमय देखना अच्छा लगता है , भले ही अपनी खुद की , रोज़मर्रा की ज़िन्दगी नर्क बनी हुई हो !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-90356756946046803402012-06-25T08:37:30.068+05:302012-06-25T08:37:30.068+05:30हां ये सही है ! अतीत जैसा भी है उसे बदला नहीं जा स...हां ये सही है ! अतीत जैसा भी है उसे बदला नहीं जा सकता ! वर्तमान को बेहतर और भविष्य को बेहतर बनाने की चिंता कर लें यही उचित होगा !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-29751693434993838682012-06-25T08:24:18.400+05:302012-06-25T08:24:18.400+05:30नियति कथा.नियति कथा.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-28638974851841074272012-06-25T08:00:06.756+05:302012-06-25T08:00:06.756+05:30ओह ऐसा लग रहा था कि कोई पुरानी कथा पत्रिका हाथ लग ...ओह ऐसा लग रहा था कि कोई पुरानी कथा पत्रिका हाथ लग गई है । सुंदर , मैं तो पढता ही चला गया एक सांस में । मुझे बहुत ही अच्छी लगीअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-42485998020245835282012-06-25T06:56:26.059+05:302012-06-25T06:56:26.059+05:30हमारे यहां कहानियां आमतौर पर सुखांतक होती हैं जबक...हमारे यहां कहानियां आमतौर पर सुखांतक होती हैं जबकि दूसरे देशों में अधिकांश्ात: दुखांतक. शेक्सपियर ने तो बड़े बड़े लोगों की दुखांतक कहानियों गढ़ीं और छा गया...Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.com