tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post4199640092162366309..comments2023-10-30T13:19:42.453+05:30Comments on ummaten: पहला पन्ना...आखिरी पन्ना !उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comBlogger48125tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-11526417628816576432012-06-14T11:34:35.131+05:302012-06-14T11:34:35.131+05:30आखिरी पन्ना बहुत संभल कर काटा और सिला है वर्ना उसम...आखिरी पन्ना बहुत संभल कर काटा और सिला है वर्ना उसमें पहले से ही क्या क्या मौजूद था कहना कठिन है :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-24774098658160316162012-06-14T10:34:18.042+05:302012-06-14T10:34:18.042+05:30मास्टर जी , आखरी पन्ना एक बलान्ग छोटा कर दीजीये !मास्टर जी , आखरी पन्ना एक बलान्ग छोटा कर दीजीये !Mansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-55737880814791546272012-06-13T20:24:05.293+05:302012-06-13T20:24:05.293+05:30कमेंट पढ़ के आनंद आया।कमेंट पढ़ के आनंद आया।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-65853098582179382752012-06-13T08:47:10.526+05:302012-06-13T08:47:10.526+05:30छुट्टियों पर तो हम भी थे लेकिन नेट से दूर हो गए थे...छुट्टियों पर तो हम भी थे लेकिन नेट से दूर हो गए थे . पहाड़ों में नहीं मिलता न. :)डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-39452995227975546782012-06-13T07:39:55.394+05:302012-06-13T07:39:55.394+05:30जनसत्ता का उदाहरण बढ़िया दिया आपने ! एकबार सरकार क...जनसत्ता का उदाहरण बढ़िया दिया आपने ! एकबार सरकार के खीसे में पहुंचा पैसा पलटकर 'जन' सत्ता का मुंह भी नहीं देखना चाहता :)<br /><br />बरास्ता सरकार भी जनता लुट रही है और सीधे सीधे बतौर उपभोक्ता भी , उसके पास खोने के सिवा है ही क्या ?उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-6312131507014646052012-06-13T07:28:43.849+05:302012-06-13T07:28:43.849+05:30जरूर आऊँगा बाबाजी|जरूर आऊँगा बाबाजी|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-20614161551940353012012-06-13T07:27:55.807+05:302012-06-13T07:27:55.807+05:30सुज्ञ जी की बात के परिपेक्ष्य में बता रहा हूँ कि ल...सुज्ञ जी की बात के परिपेक्ष्य में बता रहा हूँ कि लंबे समय तक 'जनसत्ता' विश्वसनीयता के पैमाने पर खरा उतरता रहा(कम से कम मुझे ऐसा लगा) लेकिन वही बात हुई, इस चक्कर में सरकारी विज्ञापन न के बराबर मिले और चटपटी ख़बरें वहाँ छपती नहीं थी, लुप्तप्राय हो गया| TOI, HT जैसे अखबार डेढ़ दो रुपये में चालीस चालीस पेज, वो भी बेहतर क्वालिटी और रंग संयोजन के साथ देते रहे, छाते रहे|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-71858802015904240732012-06-13T06:42:33.156+05:302012-06-13T06:42:33.156+05:30हिन्दी चैनलों के देशी प्रोग्राम ही ले लीजिए , वे ख...हिन्दी चैनलों के देशी प्रोग्राम ही ले लीजिए , वे खास और सबसे पहले , आपके लिए जो भी सनसनीखेज़ विषय लाने का दावा करते हैं , लंबे समय तक 'कहन' आगे नहीं बढ़ती ! स्क्रीन पर मौजूद कोई बेहूदा बंदा एक ही वाक्य लगातार रिपीट करता रहता है और पृष्ठभूमि से सांगीतिक शोर उठता है ! एक कदम आगे दो कदम पीछे की तर्ज़ पर संवाद अदायगी ! ढेंचू ढेंचू की शैली में ! <br /><br />हम लाये हैं सिर्फ आपके लिए सबसे पहले <br />सबसे पहले हमारा चैनल आपके लिए <br />हम लाये हैं पहले पहल <br />सिर्फ आपके लिए <br /><br />कहीं मत जाइयेगा <br />बने रहिएगा हमारे साथ <br />आप जान जायेंगे ...का रहस्य <br />...रहस्य से आज पर्दा उट्ठेगा <br />हमारा चैनल , सबसे पहले आपके लिए <br />कहीं मत जाइयेगा <br />आप जान जायेंगे सबसे पहले <br />मिलते हैं छोटे से ब्रेक के बाद <br /><br /><br />सारे प्रोग्राम में बस यही इरीट्रेटिंग शैली , रुमाल को चादर बनाने की अदभुत कला :) हासिल ज़ीरो :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-83752823898552962442012-06-13T03:07:09.004+05:302012-06-13T03:07:09.004+05:30हिन्दी चैनलों के अंतर्रष्ट्रीय संस्करणों के समाचार...हिन्दी चैनलों के अंतर्रष्ट्रीय संस्करणों के समाचार बुलेटिन देख लेंगे तो ये अखबार सामूहिक आत्महत्या कर लेंगे। पूरे बुलेटिन के समन्दर को खाली कर लें तो शायद एकाध समाचार किसी तली में गढा हुआ मिल जाये। इनके बुलेटिन से ज़्यादा खबर तो पडोस के बच्चों की बेबी-टाक में मिल जाती है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-91394796777734078142012-06-12T23:28:59.349+05:302012-06-12T23:28:59.349+05:30:) :):) :)सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-91491304782766911012012-06-12T23:10:56.461+05:302012-06-12T23:10:56.461+05:30हाहाहा ! याद है मुझे पर ये दोनों पोस्ट कुछ खास हैं...हाहाहा ! याद है मुझे पर ये दोनों पोस्ट कुछ खास हैं देखिये जिस दिन भी मूड बन जाये !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-54177262134437080152012-06-12T22:20:56.348+05:302012-06-12T22:20:56.348+05:30अवमूल्यन के लिए इन दोनों के अलावा एक तीसरा पक्ष अध...अवमूल्यन के लिए इन दोनों के अलावा एक तीसरा पक्ष अधिक जिम्मेदार है जो इनके लोभ,लालच,तृष्णा और प्रलोभन को संरक्षण समर्थन व प्रोत्साहन देता है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-11374480264498382022012-06-12T22:14:04.475+05:302012-06-12T22:14:04.475+05:30अली सा,
कोई ना कोई क्यों, आपने एक 'आहार' आ...अली सा,<br />कोई ना कोई क्यों, आपने एक 'आहार' आयटम का वादा किया हुआ ही है उसी की प्रतिक्षा में आपकी गली के चक्कर लगते है :)<br />'नैतिकता के अपने अपने मानदंड' पर भी चर्चा अधूरी है वही हो जाय :)सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-90948747094204859782012-06-12T21:00:29.384+05:302012-06-12T21:00:29.384+05:30प्रिय सुज्ञ जी ,
चिंता ना करें , नाप तौल वाला आयटम...प्रिय सुज्ञ जी ,<br />चिंता ना करें , नाप तौल वाला आयटम सतीश भाई को समर्पित किया है तो आपके लिए भी कोई ना कोई व्यवस्था ज़रूर की जायेगी :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-25474462717159851652012-06-12T20:58:04.965+05:302012-06-12T20:58:04.965+05:30छुट्टियां तो चल ही रही हैं डाक्टर साहब , बस तीन दि...छुट्टियां तो चल ही रही हैं डाक्टर साहब , बस तीन दिन और :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-71115270891074680872012-06-12T20:56:40.771+05:302012-06-12T20:56:40.771+05:30प्रिय सुज्ञ जी ,
मामला दोतरफा है ये सच है !
...पर...प्रिय सुज्ञ जी ,<br />मामला दोतरफा है ये सच है !<br /><br />...पर इसमें अक्सर एक पक्ष दूसरे की मजबूरी का फायदा उठा लेता है :)<br /><br />जैसे शाम को अगर सब्जियां खराब हो रही हों / होने की आशंका हो तो ग्राहक , सब्जी विक्रेता से फायदा उठा सकता है ! वैसे ही विक्रेता ग्राहक को निपटाने का कोई मौका नहीं छोड़ता :)<br /><br />इसलिए उस समय के हालात को ध्यान में रख कर , अवमूल्यन के लिए दोनों में से किसी एक को जिम्मेदार माना जाना चाहिये ! लेकिन मोटे तौर पर दोनों ही जिम्मेदार हैं !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-21132318985674844542012-06-12T20:47:17.855+05:302012-06-12T20:47:17.855+05:30सञ्जय जी ,
विनोद दुआ का नाम आपने क्या लिया कि मैं ...सञ्जय जी ,<br />विनोद दुआ का नाम आपने क्या लिया कि मैं बीबी से फरमायश कर बैठा , आज कुछ जोरदार चीज़ बनाई जाये :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-89954656036148594772012-06-12T19:22:29.363+05:302012-06-12T19:22:29.363+05:30आज इतनी फुर्सत में कैसे भाई ?
वैसे अख़बार पर थीसि...आज इतनी फुर्सत में कैसे भाई ? <br />वैसे अख़बार पर थीसिस पसंद आई . :)डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-90952716374168667732012-06-12T19:06:03.459+05:302012-06-12T19:06:03.459+05:30अच्छा तो अली साहब यह सारी नाप-तोल सतीश जी के हिसाब...अच्छा तो अली साहब यह सारी नाप-तोल सतीश जी के हिसाब-किताब की चिंता मिटाने के लिए थी :)<br />हम सब का क्या? जब आपने कह दिया-अब किसकी चिंता करूं और क्यों करूं :)सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-2578562854053048902012-06-12T18:24:51.569+05:302012-06-12T18:24:51.569+05:30नाप जोख़ सही है
पर हमेशा यह प्रश्न बना रहता है कि……...नाप जोख़ सही है<br />पर हमेशा यह प्रश्न बना रहता है कि………<br />व्यापारी बेचते है इसलिए मांग है या<br />ग्राहक खरीदते है इस लिए आपूर्ति है।<br />व्यापारी से पूछो कि क्यों बेचते हो तो जवाब होता है ग्राहक की मांग है।<br />ग्राहक से पूछो कि क्यों खरीदते हो तो जवाब होता है यही तो उपलब्ध है।<br />पता नहीं अमूल्यन या पतन के लिए जवाबदार कौन है?सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-316015416766586082012-06-12T16:52:43.263+05:302012-06-12T16:52:43.263+05:30VINOD DUA LIVE KE TARZ PE PADHA.....PADHA KYA DEKH...VINOD DUA LIVE KE TARZ PE PADHA.....PADHA KYA DEKHA...??<br /><br />PRANAM.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-47771721506193501302012-06-12T12:28:22.204+05:302012-06-12T12:28:22.204+05:30घर में कई अखबार आते हैं उनमें से एक हिन्दी अखबार ह...घर में कई अखबार आते हैं उनमें से एक हिन्दी अखबार है , पहले भी इसके बारे में लिखा था शायद लिंक आपने देख लिया होगा , अखबारों के पारस्परिक प्रतिस्पर्धात्मक और अन्य कुछ निज कारणों को ध्यान में रखकर उसका नाम सार्वजनिक रूप से डिस्प्ले करना उचित नहीं लगा ! पर आपको बता ही दूंगा :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-90093435007833849462012-06-12T12:15:21.723+05:302012-06-12T12:15:21.723+05:30सही कहा..अखबारों में पढ़ने लायक कुछ होता भी नहीं.....सही कहा..अखबारों में पढ़ने लायक कुछ होता भी नहीं...पर पढ़े बिना रहा भी नहीं जाता <br />वैसे...आपने ये नहीं बताया...ये कौन सा अखबार था...'हिंदी ' का या 'अंग्रेजी' का ?<br />शायद लोगों को बुरा लगे...पर सच तो यही है...भले ही हिंदी में लिखती हूँ..कहानियाँ..कविताएँ...हिंदी की ही अच्छी लगती हैं..पर अखबार नहीं.<br />मुंबई में तो 'टाइम्स ऑफ इण्डिया' के साथ दो सप्लीमेंट्स आते हैं..'मुंबई मिरर ' और 'बॉम्बे टाइम्स'...तीनो अखबारों में अच्छी खासी सामग्री मिल जाती है,पढ़ने को.<br />पटना जाती हूँ तो सबसे ज्यादा मिस करती हूँ यहाँ के अखबार.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-64443602922789731442012-06-12T12:05:59.103+05:302012-06-12T12:05:59.103+05:30आ जाना - दिखा देंगे :)आ जाना - दिखा देंगे :)दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-40548809680500499532012-06-12T09:47:14.298+05:302012-06-12T09:47:14.298+05:30पढ़ता ? हम तो उसे अक्षर अक्षर खा पी के उगल देते है...पढ़ता ? हम तो उसे अक्षर अक्षर खा पी के उगल देते हैं :)<br /><br />आपके पतिदेव की अभिरूचि जानके यही कह सकता हूं कि घर घर की यही कहानी है :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.com