tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post2090304820707325765..comments2023-10-30T13:19:42.453+05:30Comments on ummaten: हुस्न को तेरे क्या कहूं , अपनी नज़र को क्या करूं ?उम्मतेंhttp://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-38205277689694148202011-12-22T12:13:35.606+05:302011-12-22T12:13:35.606+05:30ईश्वर...उसे कभी देखा ही नहीं पर तुम...हर क्षण मेरे...<b>ईश्वर...उसे कभी देखा ही नहीं पर तुम...हर क्षण मेरे ठीक सामने का सत्य हो इसलिये मेरा सारा प्रेम और जितनी भी श्रद्धा मेरे अंदर बसती हो यहां तक कि थोड़ी बहुत घृणा भी यदि शेष रह गई हो मेरे मन के किसी कोने में ! यह सब केवल तुम्हारा है ... </b><br /><br />इति सिद्धम! :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-84440654740481095172011-11-25T20:44:47.537+05:302011-11-25T20:44:47.537+05:30आह और वाह --एक साथ ।
आपके हिंदी और धार्मिक ज्ञान क...आह और वाह --एक साथ ।<br />आपके हिंदी और धार्मिक ज्ञान के हम कायल हुए ।<br />संसार में बहुत सी बातें मिथ्या हैं , लेकिन प्रेम नहीं ।<br />अभी तो अनुराग ही सही है , वैराग अपने समय पर ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-74885753122235631382011-11-24T18:00:58.219+05:302011-11-24T18:00:58.219+05:30@ मित्रों ,
एक लिंक जो इस आलेख को अलग ही खुश्बू मे...@ मित्रों ,<br />एक लिंक जो इस आलेख को अलग ही खुश्बू में सराबोर कर गई है :)<br /><br />http://mansooralihashmi.blogspot.com/2011/11/blog-post.htmlउम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-1837210070175835982011-11-24T17:23:41.009+05:302011-11-24T17:23:41.009+05:30@ इंदु जी ,
आपकी टिप्पणी बांचते हुए आनन्दित हुआ कि...@ इंदु जी ,<br />आपकी टिप्पणी बांचते हुए आनन्दित हुआ कि चलो एक इंसान और मिला ! इसके आगे कोई भेद शेष नहीं रहता !<br /><br />@ दीपक जी ,<br />अदभुत टिप्पणी है निशब्द होना...आभार ! <br /><br />@ मंसूर अली साहब ,<br />आपके हुक्म से ज़हमत गवारा करने लिंक तक पहुंचा तो सही पर लगता है कि उसे आपने छुपा दिया है :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-50704323533048659482011-11-24T16:07:56.361+05:302011-11-24T16:07:56.361+05:30अली साहब , गज़ब लिखते है आप भी.किस किस को क्या-क्य...अली साहब , गज़ब लिखते है आप भी.किस किस को क्या-क्या याद दिला दिया.और 'इन्दुजी' को तो आध्यात्मिकता के रस मे ओत-प्रोत कर दिया.<br /><br />मगर मुझसे एक गुस्ताखी हो गयी है, मेरे पात्रो का वार्तालाप आपकी रूचि अनुसार तो नहीं है, मगर अब रच ही गया है तो पढ़ने की ज़हमत गवारा करले.क्षमा याचना के साथ.<br /><br />At: http://aatm-manthan.com परMansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-25460067551682487952011-11-24T12:17:59.896+05:302011-11-24T12:17:59.896+05:30ओह ...... निशब्द अली सर ..
"निशब्द"ओह ...... निशब्द अली सर ..<br /><br />"निशब्द"दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-30634752509197668652011-11-24T01:37:25.423+05:302011-11-24T01:37:25.423+05:30जैसे किसी ब्राह्मण पुत्र ने लिखा हो........हिंदी भ...जैसे किसी ब्राह्मण पुत्र ने लिखा हो........हिंदी भी उच्च कोटि की.<br />क्षमा कीजियेगा और सबसे निवदन है कि व्यर्थ का विवाद खड़ा ना करे मेरी इस बात पर .......कि......<br />'अली साहब! इस पोस्ट को पढते समय मैंने बीच में वापस आपकी प्रोफाईल देखी कि कहीं मैं किसी और के ब्लॉग पर तो नही पहुँच गई भूलवश???आज मैंने आपकी पोस्ट्स पढ़ने का मानस बना रखा था.<br />प्रोफाईल आपका नाम बता रही थी और .......शैली किसी हिंदू विद्वान की.' इतनी अच्छी हिंदी और... इस धर्म का इतना ज्ञान आपकी सम्यक दृष्टि का परिचायक है.और अच्छे इंसान होने का भी...अच्छे लेखक होने का भी. जो उस अन्य धर्म के प्रेमी में एकाकार होकर उसकी आत्मा की आवाज बन 'उसकी' प्रेयसी से बात कर रहा है. जियो बाबु!इन्दु पुरीhttps://www.blogger.com/profile/10029621653320138925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-21439291304023949992011-11-24T00:40:45.104+05:302011-11-24T00:40:45.104+05:30'ईश्वर...उसे कभी देखा ही नहीं पर तुम...हर क्षण...'ईश्वर...उसे कभी देखा ही नहीं पर तुम...हर क्षण मेरे ठीक सामने का सत्य हो इसलिये मेरा सारा प्रेम और जितनी भी श्रद्धा मेरे अंदर बसती हो यहां तक कि थोड़ी बहुत घृणा भी यदि शेष रह गई हो मेरे मन के किसी कोने में ! यह सब केवल तुम्हारा है ...'<br /> दो बार पूरा आर्टिकल पढ़ा. इन पंक्तियों पर आकर जैसे चेतनाशून्य हो जाती हूँ.सबका ...सब ग्रंथो का सार समेटे ये पंक्तियाँ जैसे मुझे कहती है 'देख तेरे जैसा......तेरी सोच जैसा.'<br />सचमुच मेरे सामने का सत्य मेरा प्रिय है ....मेरा प्रियतम है 'वो' कैसा है नही जानती.आवाज दि ....नही आया.पर... 'इसने' कभी साथ नही छोड़ा.इसके लिए कोई व्रत उपवास,मन्नत ,पूजा पाठ भी नही करनी पड़ी.मेरा ईश्वर तो 'ये' बन गया.इसलिए मैंने भी अपने महबूब को अपना खुदा बना लिया और.......खुदा खुद मेरा महबूब बन गया. यह सत्य है.आँखों देखा,जिया सत्य है तो फिर किसी और सत्य को आप,मैं,हम सब क्यों खोजे और कहीं.<br />झगड़ा करती हूँ.गुस्सा होती हूँ.मुंह फुलाकर नाराज हो कर भी बैठती हूँ................घृणा ??? वो तो अपने रकीबों से भी न कर सकी तो 'इनसे' हा हा हा <br />उसे सोचती हूँ ध्यान लग जाता है.समाधिस्त हो जाती हूँ ............जाने कहां होती हूँ?होती ही नही.<br />आपके 'इस' पात्र में समाहित हो जाती हूँ.दोनों एक ध्वनि है या अशरीरी ...कुछ और.......हैं एक-से.<br />आज आ गई.कई जगह नाम पढ़ा 'अली'.<br />देखूं तो कैसा लिखते हैं अली.???<br />और ....... आश्चर्यचकित हूँ .........यहाँ तो मैं हूँ....मेरा मन है....उसकी आवाज है.<br />शब्द आपने दिए तो क्या???? नही जानते प्यार और प्यार करने वाले सब........ एक -से होते हैं? और मैं प्यार करन जानती हूँ .....सिर्फ प्यार करना.<br />ऐसिच हूँ मैं तोइंदु पुरी गोस्वामीhttp://uddhv-moon.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-2479524091782318322011-11-21T18:14:54.789+05:302011-11-21T18:14:54.789+05:30@ रश्मि जी ,
= Present :)@ रश्मि जी ,<br /> = Present :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-30576553169754255632011-11-21T15:53:13.443+05:302011-11-21T15:53:13.443+05:30हम्म...
हमारी उपस्थिति दर्ज कर ली जाए {आपका डायलॉ...हम्म...<br />हमारी उपस्थिति दर्ज कर ली जाए {आपका डायलॉग:)}rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-18591836901583918872011-11-21T15:21:05.839+05:302011-11-21T15:21:05.839+05:30@ सलिल भाई ,
इतना सब कैसे याद रह पाता है आपको :)
ख...@ सलिल भाई ,<br />इतना सब कैसे याद रह पाता है आपको :)<br />खुसरो के लिए आपको खास तौर पे शुक्रिया !<br /><br />@ वाणी जी ,<br />अपने अपने सत्य और अपने अपने सुकून भी !<br /><br />@ राहुल सिंह जी ,<br />हां यही तो ! <br /><br />@ प्रेम सरोवर साहब ,<br />जी , ज़रूर पहुंचूंगा !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-85793956106126633872011-11-21T08:21:50.663+05:302011-11-21T08:21:50.663+05:30आपके पोस्ट पर आकर अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट शिवपूज...आपके पोस्ट पर आकर अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट शिवपूजन सहाय पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवादप्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-24037092560224242652011-11-21T07:30:06.685+05:302011-11-21T07:30:06.685+05:30देश, काल, पात्र, भाषा, धर्म, जाति सबसे उपर उठ कर स...देश, काल, पात्र, भाषा, धर्म, जाति सबसे उपर उठ कर सधता है यह मानवीय राग-भाव.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-23986807950476335262011-11-21T06:56:17.247+05:302011-11-21T06:56:17.247+05:30किसी का सत्या ईश्वर है तो किसी का प्रेम ...
जो भी...किसी का सत्या ईश्वर है तो किसी का प्रेम ...<br /><br />जो भी हो , भोगवादी संस्कृति की परते उघाडती ख़बरों और टिप्पणियों के बीच इस प्रकार की रचनाएँ सुकून देती हैं !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-47292288657939261302011-11-20T23:33:50.695+05:302011-11-20T23:33:50.695+05:30तेरे चेहरे में वो जादू है... तेरे चेहरे से नज़र नही...तेरे चेहरे में वो जादू है... तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती.. ज़र्रे-ज़र्रे में उसी का नूर है... पहली से आख़िरी लाइन तक पहुंचते-पहुंचते एक रूहानी तजुर्बे से दो-चार होना और बस लबों पे इतना ही चिपक कर रह गया:<br />गोरी सोयी सेज पर, मुख पर डारे केस,<br />चल खुसरो घर आपने, रैन भई चहुँ देस!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-330346974706908222011-11-20T22:59:38.884+05:302011-11-20T22:59:38.884+05:30@ काजल भाई ,
जबरदस्त :)
@ देवेन्द्र पाण्डेय जी ,
...@ काजल भाई ,<br />जबरदस्त :)<br /><br />@ देवेन्द्र पाण्डेय जी ,<br />आपकी दुआयें चाहिये :)<br /><br />@ संतोष जी ,<br />ओरिजनल गुनाह पे डटे रहिये , किसी शायर के चक्कर में पड़ के खिड़की बंद मत कीजियेगा !<br />शायर और आप में थ्योरी और प्रेक्टिकल जैसा अन्तर बना रहना चाहिये :)<br /><br />@ क्षमा जी ,<br />बहुत शुक्रिया !<br /><br />@ अरविन्द जी ,<br />आपसे यही उम्मीद थी !<br /><br />@ शहरोज भाई ,<br />बहुत शुक्रिया !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-32582885249247822122011-11-20T22:06:14.805+05:302011-11-20T22:06:14.805+05:30दिनों बाद आपको पढना नसीब हुआ. कासिर हूँ. सूफियाने ...दिनों बाद आपको पढना नसीब हुआ. कासिर हूँ. सूफियाने रंग की धज ही कुछ और है!शहरोज़http://hamzabaan.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-35290137250013446372011-11-20T21:32:41.576+05:302011-11-20T21:32:41.576+05:30कुछ विचार रचना पर आये और सहसा निकल गए !
बाकी तो र...कुछ विचार रचना पर आये और सहसा निकल गए ! <br />बाकी तो रूहानी भाव और मांसल अनुभूतियों का सुस्वादु काकटेल है यह तो ....<br />पुरुरवा और उर्वशी का संवाद याद आयाArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-86906555420906328602011-11-20T21:06:17.716+05:302011-11-20T21:06:17.716+05:30ईश्वर...उसे कभी देखा ही नहीं पर तुम...हर क्षण मेरे...ईश्वर...उसे कभी देखा ही नहीं पर तुम...हर क्षण मेरे ठीक सामने का सत्य हो इसलिये मेरा सारा प्रेम और जितनी भी श्रद्धा मेरे अंदर बसती हो यहां तक कि थोड़ी बहुत घृणा भी यदि शेष रह गई हो मेरे मन के किसी कोने में ! यह सब केवल तुम्हारा है ...<br />Bahut hee khoobsoorat khayal!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-84427045899575178082011-11-20T20:39:38.454+05:302011-11-20T20:39:38.454+05:30सुधार
एक शायर ने कहा है...
'हमें हुक्म है कि...सुधार <br /><br />एक शायर ने कहा है...<br />'हमें हुक्म है कि खिडकी बंद रखो,<br />उधर से चाँद निकलता है,क्या किया जाय ?संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-58944008360655425612011-11-20T19:52:37.186+05:302011-11-20T19:52:37.186+05:30'तुझ में रब दिखता है...' का यह अंदाज़ रोमा...'तुझ में रब दिखता है...' का यह अंदाज़ रोमांटिक कम दार्शनिक ज़्यादा है.जिससे फरियाद कर रहे हो,वह इतना सब कुछ जानती है,बताती है,फिर वही सब कुछ है...ईश्वर भी.<br /><br />उन्हें एकठो शेर मेरा भी पेश कर देना...<br /><br />"छुप-छुप के तुम्हें देखना ,यदि वाकई जुर्म है,<br />तो ये गुनाह हमने,कई बार किया है"(ओरिजिनल है)<br /><br />एक शायर ने कहा है...<br />'हमें हुक्म है कि खिडकी बंद रखो,<br />उधर से चाँद निकलता है,क्या करें ?'संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-12216800222108475242011-11-20T19:46:18.718+05:302011-11-20T19:46:18.718+05:30ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में प्रेम पहली सीढ़ी है। प...ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में प्रेम पहली सीढ़ी है। पहली तय हुई। मंजिल निकट प्रतीत होती है:-)देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3486713072293488752.post-53679241681628087922011-11-20T19:45:59.274+05:302011-11-20T19:45:59.274+05:30उपसंहार :- ऐसी तोता-रटंत ब्रह्मकुमारियों के चक्कर ...उपसंहार :- ऐसी तोता-रटंत ब्रह्मकुमारियों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिये क्योंकि इन्होंने चित्रलेखा फ़िल्म का वह गीत नहीं सुना होता...संसार से भागे फिरते हो, भगवान को तुम क्या पाओगे...ये पाप है क्या ये पुण्य है क्या, रीतों पर धर्म की मोहरें हैं...ये भोग भी एक तपस्या है, तुम त्याग के मारे क्या जाने...अपमान रचियता का होगा, रचना को अगर ठुकराओगे...हम कहते हैं ये जग अपना है, तुम कहते हो झूठा सपना है. हम जन्म बिताकर जाएंगे, तुम जन्म गंवा कर जाओगे...<br />:-)Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.com